छ्पी-अनछपी: केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से छूटे, बिहार में एक दिन में डेंगू के 128 मरीज मिले

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 177 दिनों के बाद जेल से रिहाई मिली है। बिहार में डेंगू तेजी से फैल रहा है और एक दिन में 128 मरीज मिलने की खबर है। दूसरे राज्यों के सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे नियोजित शिक्षकों की डिग्री की जांच होगी। मणिपुर में हिंसा के 500 दिन पूरे हो गए हैं और अब तक इसमें 237 लोगों की मौत हुई है।

आज के अखबारों से यह अहम खबरें हैं।

प्रभात खबर, जागरण और भास्कर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की रिहाई की खबर को प्रमुखता दी है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद शुक्रवार शाम तिहाड़ जेल से रहा हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने सुबह ही एक्साइज पॉलिसी से जुड़े सीबीआई केस में उन्हें जमानत दी। कोर्ट ने कहा किसी को लंबे वक्त तक जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करने जैसा है। रिहाई के बाद तिहाड़ जेल के बाहर बारिश के बीच अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, “मैं जेल से बाहर आया हूं। मेरा हौसला अब 100 गुना बढ़ गया है…ताकत 100 गुना बढ़ गई है। इनकी सलाखें मेरा हौसला कमजोर नहीं कर सकतीं।” इससे पहले जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भैया की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख के मुचलके पर सशस्त्र जमानत दे दी। शर्त यह है कि केजरीवाल केस पर टिप्पणी नहीं करेंगे, जांच में सहयोग करेंगे, गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और सीएम ऑफिस या सचिवालय नहीं जा सकेंगे। जस्टिस भुईयां ने कहा कि सीबीआई ने केजरीवाल को इसलिए गिरफ्तार किया ताकि ईडी मामले में उनकी जमानत खारिज हो। उन्होंने कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की छवि तोड़नी चाहिए, उसे दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद नहीं बल्कि स्वतंत्र है।

डेंगू: पटना में 59, बिहार में 128 मरीज़

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार एक दिन में ही पटना में डेंगू के सर्वाधिक 59 और बिहार में 128 मरीज मिले हैं। गुरुवार की रिपोर्ट शुक्रवार को आयी तो स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ गई। केंद्रीय टीम ने राजधानी पटना के दर्जनों मुहल्लों में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का लार्वा नष्ट करने का अभियान चलाया। पिछले साल डेंगू से 74 लोगों की मौत हो गई थी। इस साल भी अब तक डेंगू से 6 लोगों की मौत हुई है। पश्चिम चंपारण में 15, गया में 12, पूर्वी चंपारण में 5, जहानाबाद व मुजफ्फरपुर में 4-4, औरंगाबाद, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सीवान और वैशाली में 3-3, शिवहर, सारण, नालंदा और मधुबनी में 2-2, बांका, बेगूसराय, भोजपुर, बक्सर, खगड़िया, सहरसा में एक-एक डेंगू मरीज मिले हैं। अब तक इस साल 1535 मरीज मिले हैं।

नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच होगी

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की सत्यता को लेकर राज्य निगरानी ब्यूरो एक बार फिर सख्त हो गया है। निगरानी ब्यूरो ने अब अन्य राज्यों से शिक्षा ग्रहण करने वाले शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जानकारी बिहार सरकार को मुहैया कराने का आग्रह किया है। निगरानी को जानकारी है कि करीब 32000 से अधिक नियोजित शिक्षक वैसे हैं जिन्होंने बाहर के राज्यों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र बिहार में नियोजन के लिए जमा किए थे। अब प्रमाण पत्रों की सत्यता की परख का काम शुरू किया गया है। हाल ही में निगरानी ब्यूरो की ओर से उत्तर प्रदेश, बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान समेत दूसरे राज्यों के मुख्य सचिवों और शिक्षा सचिवों को एक पत्र भेजा गया है।

जमीन की गारंटी देने पर ही सड़क के लिए फंड देगा केंद्र

भास्कर की खास खबर है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत राज्य सरकार किसी भी प्रोजेक्ट के लिए जब जमीन देने की गारंटी देगी तभी मंत्रालय उसके लिए फंड देगा। ऐसे में राज्य सरकार को या तो जमीन खुद खरीद कर उपलब्ध करानी होगी या जमीन अधिग्रहण में किसी तरह की बाधा ना होने की गारंटी देनी होगी। नई गाइडलाइन का पहला असर बेउर मोड़ से एम्स गोलंबर तक बनने वाली एलिवेटेड रोड पर देखने को मिल रहा है। इसके लिए अभी तक राशि स्वीकृत नहीं हुई है। मंत्रालय ने राज सरकार को पत्र भी लिखा है। कहा है कि 100% जमीन उपलब्ध होने की एनओसी दें, तभी परियोजना का पैसा मंजूर होगा।

कैथी लिपि पढ़ने की ट्रेनिंग देगी सरकार

भास्कर के अनुसार बिहार में 1980 से पहले के जमीन के खतियान और बंटवारे के दस्तावेज कैथी लिपि में है। इन दस्तावेजों को नवनियुक्त सर्वे अमीन व कानूनगो पढ़ नहीं पा रहे हैं। उन्हें इस लिपि की जानकारी ही नहीं है। जिन लोगों के पास पुराने दस्तावेज हैं वह भी इस लिपि को पढ़ना नहीं जानते। वे अनुवाद के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं। पटना में ₹5000 से अधिक राशि लेकर एक्सपर्ट कैथी लिपि वाले दस्तावेजों का अनुवाद कर रहे हैं। अनुवाद वाले दस्तावेज लोग अमीन के पास जमा कर रहे हैं। अनुवाद कितना सही है इसकी जानकारी अमीनों को नहीं है। इस जटिल समस्या को देखते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निदेशक भू अभिलेख एवं परिमाप, जय सिंह ने अमीनों और कानूनगो को कैथी लिपि का प्रशिक्षण दिलाने का निर्णय लिया है। जमीन सर्वे से जुड़े सरकारी अमीन व कानूनगो अब कैथी लिपि पढ़ेंगे।

कुछ और सुर्खियां

  • पूर्णिया सांसद पप्पू यादव 29 सितंबर से शुरू करेंगे वक़्फ़ संवैधानिक अधिकार यात्रा
  • जम्मू कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के दो जवानों की जान गई, दो घायल
  • गया में कुएं में दम घुटने से युवक की मौत, बचाने गए दो और की गई जान
  • केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम अब श्री विजयपुरम होगा
  • सिख दंगे मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर चलेगा मर्डर का केस
  • फुलवारी शरीफ में 75 करोड़ की जमीन के विवाद में प्रॉपर्टी डीलर की गोली मारकर हत्या
  • सरकारी कर्मचारियों ने बिना इजाजत दोबारा शादी की तो दूसरी पत्नी पेंशन की हकदार नहीं: पटना हाई कोर्ट

अनछपी: देखते देखते मणिपुर में हिंसा के 500 दिन पूरे हो गए लेकिन राष्ट्रीय मीडिया की कवरेज को देखकर कहीं से ऐसा नहीं लगता कि मणिपुर में ऐसा कुछ हो भी रहा है। वैसे भी मीडिया में नॉर्थ ईस्ट की खबरें कम ही रहती हैं और मणिपुर की हिंसा की खबर तो उससे भी कम। मणिपुर हिंसा की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि 237 लोगों के मारे जाने के बाद कुकी और मैतेई समुदायों के बीच खाई इतनी गहरी हो गई है कि इसे पाटना फिलहाल मुश्किल लगता है और सरकार की ओर से इसके लिए कोई गंभीर कोशिश भी सामने नजर नहीं आती है। जिस राज्य में एक साल से भी अधिक समय से 60 हज़ार लोग रिलीफ़ कैंप में रह रहे हैं उसके बारे में क्या कहा जाए? यही नहीं वहां लगभग 11 हज़ार एफआईआर दर्ज की गई है लेकिन सिर्फ 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक और अफसोसनाक बात यह है कि मणिपुर विधानसभा जब चलती है तो कुकी विधायक नहीं आ सकते। कोर्ट में मामलों की सुनवाई ऑनलाइन हो रही है। मणिपुर हिंसा की एक और खास बात यह है कि यहां भीड़ ने मणिपुर पुलिस के 5600 हथियार और साढ़े छह लाख गोलियां लूट लीं लेकिन अब तक उनमें से बहुत से हथियारों को वापस बरामद नहीं किया गया है। 3 मई 2023 से जारी हिंसा का असर पढ़ाई पर भी पड़ा है। मणिपुर के सभी बड़े कॉलेज राजधानी इंफाल में हैं और कहा जाता है कि कुकी स्टूडेंट्स इंफाल नहीं आ सकते इसलिए उनकी पढ़ाई छूट गई या वह दूसरे राज्यों में एडमिशन ले रहे हैं। मणिपुर में एक और समस्या यह है कि लंबे समय से वहां इंटरनेट बंद चल रहा है और रुक-रुक कर अब भी इंटरनेट बंद कर दिया जाता है। इससे पढ़ाई के अलावा दूसरे कामकाज पर भी बुरा असर पड़ा है। मणिपुर हिंसा की एक और चिंताजनक बात यह है कि 400 से 500 चर्चों पर हमला किया गया है। मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है यानी केंद्र की एनडीए सरकार की तरह मणिपुर में भी बीजेपी की सरकार है। इसके बावजूद मणिपुर की हालत इतनी खराब है और यह किसी को नहीं मालूम कि वहां के हालात कब सुधरेंगे।

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