छ्पी-अनछपी: दिल्ली में 67 सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त, इसराइल ने 183 फलस्तीनी रिहा किये
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की वापसी के साथ यह खबर भी अहम है कि यहां कांग्रेस 70 में से 67 सीटों पर जमानत नहीं बचा सकी। इसराइल ने तीन बंधकों के बदले 183 फ़लीस्तीनियों को रिहा किया है। जन वितरण प्रणाली से अनाज लेने वाले बिहार के 8 करोड़ 40 लाख से अधिक उपभोक्ता हड़ताल की वजह से परेशान हैं।
और जानिएगा कि बिहार के किस विभाग ने सभी जिलों के अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अधीनस्थ कर्मचारियों का वेतन भुगतान करें वरना उनका वेतन रुक जाएगा।
प्रभात खबर के अनुसार दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 साल तक सरकार चलाने के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 70 में से सिर्फ तीन सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी और लगातार तीसरी बार चुनाव में उसका खाता नहीं खुला। कांग्रेस 2015 और 2020 के चुनाव में भी अपना खाता नहीं खोल सकी थी। हालांकि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले में इस बार अपनी वोट हिस्सेदारी में दो प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की है। उसने करीब 6.4% वोट हासिल किए हैं।
14 सीटों पर आप की हार की वजह बनी कांग्रेस
भास्कर के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के 14 उम्मीदवारों की हार में कांग्रेस बड़ी वजह बनी है। नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल 4098 वोट से हारे हैं जबकि सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित ने 4568 वोट लाए हैं। इसी तरह जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया केवल 676 वोट से हारे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार ने यहां 7350 वोट लाये। आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती मालवीय नगर से 2131 वोट से हारे और यहां कांग्रेस के उम्मीदवार को 6770 वोट मिले। आम आदमी पार्टी के एक और चर्चित नेता सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश से 3188 वोट से हारे जबकि यहां कांग्रेस के उम्मीदवार को 6711 वोट मिले।
दिल्ली में 27 साल बाद किला कमल
जागरण के अनुसार राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आखिरकार 27 वर्षों बाद कमल खिल गया। भाजपा 70 में से 48 सीटें जीतने में सफल रही। यानी वर्ष 2020 की 8 सीटों के मुकाबले इस बार 40 सीटें ज्यादा जीतीं। वहीं पिछले तीन चुनाव में 28, 67 और 62 सीटें जीत कर सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटें मिलीं जो उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। मुख्यमंत्री आतिशी को भी कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा लेकिन वह लगभग 3500 वोट से चुनाव जीतने में सफल रहीं।
मुस्लिम बहुल छह में से पांच सीट ‘आप’ को
प्रभात खबर के अनुसार दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के दौरान आम आदमी पार्टी की निष्क्रियता से मुस्लिम समुदाय नाराज बताया जा रहा था लेकिन इस चुनाव में उसने ‘झाड़ू’ को ही प्राथमिकता दी। मुस्लिम बहुल छह में से 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। दिल्ली में 6 सीट सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान, ओखला और बाबरपुर मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती है। आम आदमी पार्टी को मुस्तफाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। यहां से आप प्रत्याशी आदिल खान को भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने हराया है। वहीं ओखला में आप के मुस्लिम चेहरे अमानतुल्लाह खान, बल्लीमारान से आप प्रत्याशी इमरान हुसैन, मटिया महल से आपके आले मुहम्मद इक़बाल, सीलमपुर से आप के चौधरी जुबैर अहमद और बाबरपुर से आप के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने जीत दर्ज की है।
दिल्ली चुनाव में पांच बिहारी जीते
दिल्ली चुनाव में बिहार के पांच प्रत्याशियों ने परचम लहराया है। भाजपा से अभय वर्मा (दरभंगा), डॉ. पंकज कुमार सिंह (बक्सर) और चंदन कुमार चौधरी (खगड़िया) ने जीत दर्ज की है। वहीं, आप से अनिल झा (मधुबनी) और संजीव झा (मधुबनी) को सफलता मिली है। बुराड़ी से संजीव झा चौथी बार विधायक चुने गए हैं। हालांकि आप के विनय मिश्रा द्वारका सीट से हार गए। वह दिग्गज नेता महाबल मिश्र के पुत्र हैं।
जडयू और लोजपा आर की हार
जागरण के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार भी बिहार के किसी दल का खाता नहीं खुल पाया। जदयू की उपलब्धि यह रही कि 5 साल के भीतर उसके वोट में 40000 से अधिक की वृद्धि हुई। लोजपा रामविलास का भी खाता खुलने से रह गया। एनडीए के घटक के रूप में भाजपा ने जदयू और लोजपा रामविलास को एक-एक सीट दी थी। दोनों ऐसी सीटें हैं जिन पर लंबे समय से आम आदमी पार्टी का कब्जा है। बुराड़ी विधानसभा सीट पिछली बार भी जदयू को मिली थी। 2020 और 2025 के विधानसभा चुनाव में शैलेंद्र कुमार ही जदयू के उम्मीदवार बने।
तीन बंधकों के बदले 183 फलस्तीनी रिहा
हिन्दुस्तान के अनुसार ग़ज़ा युद्ध विराम समझौते के तहत हमास ने शनिवार को इसराइल के तीन बंधकों को रिहा कर दिया। इसराइल ने बंधकों की रिहाई की पुष्टि की। इसराइल ने भी शनिवार देर रात तक अलग-अलग समूहों में 183 फलस्तीनी बंधकों को रिहा कर दिया। शाम से ही इसराइली जेलों से इनकी रिहाई शुरू कर दी गई थी। रेड क्रॉस अधिकारियों ने रिहा बंधक 52 वर्षीय एली शरबी, 56 वर्षीय ओहद बेन अमी तथा 34 वर्षीय ओर लेवी को सेना के हवाले कर दिया।
जन वितरण प्रणाली के उपभोक्ता परेशान
जनवितरण प्रणाली विक्रेताओं की हड़ताल के चलते खाद्यान्न का वितरण नहीं हो पा रहा है। विक्रेताओं के अपनी मांग पर अड़े रहने से हड़ताल लंबी चली जा रही है। इससे राज्य के आठ करोड़ 40 लाख से अधिक गरीब उपभोक्ता परेशान हैं। इन्हें अनाज नहीं मिल रहा है। इन उपभोक्तओं को दुकान से महंगा अनाज खरीदना पड़ रहा है। राशन विक्रेता अपनी पीओएस मशीन बंद रखी हुई हैं। इससे अनाज वितरण नहीं हो पा रहा है। राज्य में खाद्य सुरक्षा और अंत्योदय योजना के तहत दो करोड़ से अधिक राशन कार्ड बने हुए हैं।
वेतन भुगतान नहीं किया तो अफसर का वेतन रुकेगा
भास्कर के अनुसार बिहार के पंचायती राज विभाग ने राज्य के सभी 38 जिला पंचायत राज अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि फरवरी में अधीनस्थ कर्मियों और अधिकारियों के बकाया वेतन का भुगतान कर दें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जिला पंचायत राज पदाधिकारी और अपर जिला पंचायत राज पदाधिकारी का वेतन रोक दिया जाएगा। विभाग ने तकनीकी सहायक, लेखपाल और कार्यपालक सहायकों को हर माह नियमित रूप से वेतन देने को कहा है। विभाग की सख्त हिदायत है कि किसी भी अधिकारी या कर्मी के वेतन और किसी भी प्रकार के भुगतान से जुड़े मामले को लटकाए नहीं रखें।
कुछ और सुर्खियां:
- समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने से खाली हुई अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव में भाजपा जीती
- बहुजन समाज पार्टी बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
- यूपीएससी ने सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 18 फरवरी तक बढ़ाई
- गोपालगंज में मुठभेड़ में 50000 का इनामी मनीष यादव घायल, इलाज के दौरान मौत
- कृषि विभाग के नव चयनित 1007 कर्मियों के बीच नियुक्ति पत्र बंटा
अनछपी: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बारे में अब तक आप बहुत कुछ पढ़ चुके होंगे। इसमें कोई शक नहीं कि आम आदमी पार्टी वहां हारी तो उसके अहंकार की भी हार हुई। कई लोग यह मानते हैं कि दरअसल यह गोतिया की लड़ाई थी जिनकी विचारधारा लगभग एक जैसी थी और दोनों-भाजपा और ‘आप’- एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही थी। राजनीतिक तौर पर भी आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर यह आरोप लगा कि उन्होंने कांग्रेस को भाव नहीं दिया और उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जिसकी वजह से उसे कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। लोगों ने यह बात भी याद दिलाई कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी की वजह से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। दिलचस्प बात यह है कि आम आदमी पार्टी ने लोकसभा का चुनाव तो कांग्रेस के साथ लड़ा लेकिन जब विधानसभा चुनाव की बारी आई तो उनमें इतना अहंकार था कि उन्होंने कांग्रेस से समझौता करने से इनकार कर दिया। दिल्ली पर राज करने वाली आम आदमी पार्टी अब विपक्ष की पार्टी बन चुकी है लेकिन सवाल कांग्रेस के लिए भी बहुत सख्त हैं। क्या कांग्रेस पार्टी बस इस बात से संतोष कर लेगी कि उसने आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया या इस पर भी विचार करेगी कि उसकी जगह भारतीय जनता पार्टी आई है। इसके बारे में कई लोग कहते हैं कि अगर आम आदमी पार्टी आप-दा थी तो भारतीय जनता पार्टी भी विपदा है। कांग्रेस पार्टी को यह सोचना है कि उसे लगातार तीन बार से जीरो पर क्यों आउट होना पड़ रहा है और यह कहने से उसकी स्थिति मजबूत नहीं होती कि उसका वोट शेयर कुछ हद तक बढ़ा है। दिल्ली के बाद कांग्रेस का सबसे कड़ा और बड़ा इम्तिहान बिहार में होगा। कांग्रेस को बिहार में दो काम करना है। पहला काम तो उसे अपना खोया जनाधार वापस करने की कोशिश करनी है और संगठन का पुनर्गठन करना है। दूसरा काम यह है कि वह तेजस्वी प्रसाद के साथ महागठबंधन में सही कोऑर्डिनेशन बनाए और उतनी ही सीट की मांग करे जितनी सीट जीतने की संभावना हो। अगर कांग्रेस पार्टी बिहार में भी सही तरीके से चुनाव नहीं लड़ पाती तो यह इसके लिए बहुत बुरी खबर होगी क्योंकि ऐसा समझा जा रहा है कि अगर महागठबंधन नहीं जीतता है तो इस बार बिहार की सत्ता नीतीश कुमार के पास नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के पास जाएगी।
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