छ्पी-अनछपी: चुनाव आयोग झुका- दस्तावेज जरूरी नहीं, हमास और इसराइल के बीच सीज़फायर के आसार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में चुनाव आयोग को झुकना पड़ा है और भारी विरोध के बाद वोटर वेरीफिकेशन के लिए दस्तावेजों की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। प्रसिद्ध व्यापारी गोपाल खेमका हत्याकांड की जांच के लिए एसआईटी बनी। हमास और इसराइल के बीच सीज़फायर के आसार नजर आ रहे हैं।

और जानिएगा कि कैसे हिंदी के विरोध में बाल ठाकरे के बेटे और भतीजे ने हाथ मिलाया।

पहली खबर

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान बिना दस्तावेज के भी गणना फॉर्म जमा हो सकेगा। ऐसा करने वाले मतदाताओं का नाम भी मतदाता सूची के प्रारूप (ड्रॉफ्ट रोल) में शामिल कर लिया जाएगा। हालांकि, सत्यापन के दौरान जरूरी दस्तावेज बीएलओ के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। 26 जुलाई तक ऑनलाइन या ऑफलाइन ये गणना फॉर्म हर हाल में मतदाताओं को भरकर जमा करना होगा। चुनाव आयोग ने अपने इस ताजा फैसले से मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान मतदाताओं को बड़ी राहत दी है। शनिवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा कि मतदाता तत्काल केवल गणना फॉर्म ही भरकर बीएलओ के पास जमा करा दें, उनका नाम प्रारूप मतदाता सूची में शामिल हो जाएगा । 2003 के बाद मतदाता बनने वाले गणना फॉर्म को सही-सही भरकर, अपनी तस्वीर चिपका कर और अपना हस्ताक्षर कर बीएलओ के पास तय समय में जमा करवा दें। गणना फॉर्म प्राप्त कर बीएलओ तत्काल उसे ऑनलाइन अपलोड कराएंगे।

वोटर वेरीफिकेशन एसएआईआर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा बिहार में चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में निर्वाचन आयोग द्वारा एसआईआर के लिए 24 जून को जारी आदेश को मनमाना बताते हुए, इसे रद्द करने की मांग की है। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आयोग के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की है। याचिका में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग द्वारा बिहार में एसआईआर के लिए जारी आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 21ए का भी उल्लंघन करता है। याचिका में एसआईआर रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया कि आयोग का आदेश न सिर्फ मनमाने ढंग से बल्कि उचित प्रक्रिया के बगैर जारी किया गया है जो लाखों मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करेगा और निष्पक्ष चुनाव को बाधित करेगा। याचिका में कहा कि आयोग ने बिहार में एसआईआर लागू करने के लिए एक अनुचित और अव्यावहारिक समयसीमा निर्धारित की है।

गोपाल खेमका हत्याकांड की जांच के लिए एसआईटी

जागरण के अनुसार राजधानी के चर्चित उद्योगपति गोपाल खेमका की गांधी मैदान के पास उनके आवास के गेट पर गोली मारकर हुई हत्या के मामले की जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। बिहार एसटीएफ के साथ तकनीकी अनुसंधान दल भी सहयोग कर रहा है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही पूरे मामले का पर्दाफाश किया जाएगा। पूरे इलाके के कैमरे को खंगाला गया है। अब तक की जांच में कई अहम सुराग मिले हैं। इस आधार पर बेउर जेल में छापेमारी की गई है। घटनास्थल से एक गोली और खोखा मिला है। पिस्टल से गोली मारी गई थी। जिस तरह से कार के बाहर से उन्हें गोली मारी गई है वह किसी शार्प शूटर का ही काम हो सकता है। उधर उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को विधि व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री आवास में एक उच्च स्तरीय बैठक की।

क्या जमीन के झगड़े में हुए गोपाल खेमका की हत्या?

भास्कर ने लिखा है कि बिहार के बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या जमीन विवाद में की गई है। खेमका की हत्या सुपारी देकर कराई गई है।जमीन विवाद को देखते हुए पुलिस की टीम ने शनिवार को फतुहा के औद्योगिक क्षेत्र और आरा में छापेमारी की। आईजी जितेंद्र राणा ने बताया कि पुलिस हत्या की जांच जमीन विवाद के एंगल पर भी कर रही है।

हमास और इसराइल के बीच सीज़फायर के आसार

भास्कर के अनुसार लगभग 21 महीने तक चले संघर्ष और असहनीय मानवीय संकट के बाद ग़ज़ा में शांति के आसार दिख रहे हैं। हमास ने ऐलान किया है कि वह इसराइल के साथ सीज़फायर के लिए तैयार है। इस बयान के साथ ही दोनों पक्षों के बीच अंतिम चरण की बातचीत के बाद सीज़फायर की औपचारिक घोषणा संभव हो गई है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगले हफ्ते समझौते का ऐलान होगा। पहले चरण में 60 दिनों का संघर्ष विराम लागू होगा।

बिग ब्यूटीफुल बिल पर राष्ट्रपति ट्रंप का हस्ताक्षर

जागरण के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कर और व्यय बिल (बिग ब्यूटीफुल बिल) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब यह कानून बन गया है। इसमें कर कटौतियां, पेंटागन और सीमा सुरक्षा के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। यह ट्रंप प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है। यह लंबे समय से चर्चा में थे। महीनों की बातचीत के बाद रिपब्लिकन सांसद इस पर सहमत हुए। ट्रंप ने अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस बिल पर हस्ताक्षर किए।

हिंदी के विरोध में साथ आए ठाकरे भाई

हिन्दुस्तान के अनुसार महाराष्ट्र की सियासत में 20 वर्षों के बाद उद्धव और राज ठाकरे शनिवार को एक मंच पर नजर आए। हिंदी भाषा के खिलाफ हाथ मिलाते हुए दोनों भाइयों ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तीन भाषा की नीति मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने के लिए लाई गई थी। उन दोनों ने कहा कि सरकार को हिंदी थोपने नहीं देंगे। मराठी और महाराष्ट्र पर किसी की भी बुरी नजर नहीं पड़ने देंगे। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि मराठी लोगों की एकता के कारण महाराष्ट्र सरकार ने त्रि-भाषा फार्मूले पर अपना निर्णय वापस लिया। हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि जो काम बाला साहेब नहीं कर सके वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हम दोनों को साथ लाकर कर दिया।

कुछ और सुर्खियां:

  • गठबंधन का हिस्सा बनेंगे राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा
  • अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल तनखैया घोषित
  • दरभंगा के सकतपुर थाना क्षेत्र के ककोढ़ा गांव में मोहर्रम जुलूस पर बिजली का तार गिरा, एक की मौत
  • पटना के बाद अब बिहार के दूसरे जिला मुख्यालयों में भी महिलाओं के लिए विशेष पिक बसें चलेंगी
  • झारखंड के रामगढ़ में सीसीएल कुजू क्षेत्र मैं अवैध माइनिंग के दौरान चाल धंसने से चार लोगों की मौत

अनछपी: बिहार में आज के हिंदी अखबारों ने लीड मिस कर दी यानी जिस खबर को सबसे बड़ी खबर बनाना चाहिए वह उसे सबसे बड़ी खबर बनाने में नाकाम रहे। यह सबसे बड़ी खबर यह है कि चुनाव आयोग ने बिहार में भारी विरोध और परेशानियों के बाद चुपचाप यह फैसला सुनाया है कि जिन 11 दस्तावेजों की सूची दी गई थी उनमें से अगर एक भी डॉक्यूमेंट किसी के पास नहीं है तब भी उसका एन्यूमरेशन फॉर्म जमा हो सकता है। यह बिहार के आम लोगों की जीत है। जैसे ही एसआईआर यानी विशेष गहन पुनरीक्षण के बारे में खबर आई थी तो चुनाव आयोग ने यह बताया था कि वह 11 तरह के दस्तावेजों की सूची दे रहा है, इनमें से किसी एक को अपने एन्यूमरेशन फॉर्म के साथ देना जरूरी होगा। याद रखने की बात है कि चुनाव आयोग ने इसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और राशन कार्ड को मान्यता नहीं दी थी। बाद में चुनाव आयोग ने यह साफ किया कि जिन लोगों का नाम 2003 की मतदाता सूची में होगी उन्हें किसी तरह का दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। इसके बाद चुनाव आयोग ने यह सुविधा दी के 2003 की वोटर लिस्ट में जिन लोगों के नाम हैं उनके बच्चों को भी अपने एन्यूमरेशन फॉर्म के साथ कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने यह सवाल उठाया था कि बिहार में बड़ी आबादी दस्तावेज रखने में सक्षम नहीं है और उन्हें दस्तावेज नहीं देने के आधार पर वोटर लिस्ट से हटाया जाना अलोकतांत्रिक कदम होगा। इसके बावजूद चुनाव आयोग अड़ा था लेकिन ऐसा लगता है कि बिहार में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड को यह एहसास हो गया कि इस प्रक्रिया से उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा और अब चुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने की तरफ कदम बढ़ाया है। याद रखने की बात यह है कि शुरू में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बड़े नेताओं ने इस प्रक्रिया का समर्थन किया था लेकिन उनका यह दांव उल्टा पड़ गया और अब चुनाव आयोग को बैक फुट पर जाना पड़ा है। लेकिन याद रखने की बात यह है कि अब भी चुनाव आयोग ने इसमें एक पेच लगा रखा है। चुनाव आयोग के विज्ञापन में यह बात बताई गई है कि अगर आप जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं तो निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी यानी ईआरओ को आवेदन को प्रोसेस करने में आसानी रहेगी। इसके ठीक बाद चुनाव आयोग का विज्ञापन कहता है कि अगर आप जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाते हैं तो निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआरओ) द्वारा स्थानीय जांच या अन्य दस्तावेज के साक्ष्य के आधार पर निर्णय लिया जा सकेगा। इसे इस तरह समझिए कि अब दस्तावेज देना ज़रूरी तो नहीं रहा लेकिन अगर चुनाव आयोग का अधिकारी यह मान ले कि आपको दस्तावेज देने की जरूरत है तो उसे देना पड़ेगा। इसलिए चुनाव आयोग की इस अलोकतांत्रिक प्रक्रिया के बारे में सचेत रहने की जरूरत है और इसका विरोध जरूरी है।

 1,883 total views

Share Now