छपी-अनछपी: डीएम मर्डर में बंद आनन्द मोहन की रिहाई में लगे नीतीश, सेनिटाइजर के नाम पर स्प्रिट मंगा बनाई शराब

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के मर्डर में जेल में बंद आनंद मोहन की रिहाई के लिए नीतीश कुमार ने सकारात्मक संकेत दिए हैं जिसकी खबर अखबारों में प्रमुखता से ली गई है। सीवान में 2 दिनों से जहरीली चीज पीने से मौत की खबर आ रही है। आज के अखबारों ने लिखा है कि यह सैनिटाइजर बनाने के बहाने मंगाई गई स्प्रिट से बनी शराब थी।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: सेनेटाइजर बनाने के नाम पर मंगाई स्पिरिट से बनी शराब 5 मरे, 6 गंभीर। जागरण में इसकी सुर्खी है: कोलकाता से मंगाई स्प्रिट से बनाई जहरीली शराब। हिन्दुस्तान ने लिखा है: जहरीले पेय पदार्थ से 6 मौतें, 6 बीमार। भास्कर लिखता है कि पूरे मामले में खास बात यह है की शराब बनाने के लिए इथनॉल कंपनी से सैनिटाइजर बनाने के नाम पर मंगाई गई स्पिरिट का इस्तेमाल किया गया था। स्पिरिट मुजफ्फरपुर और कोलकाता से 18 जनवरी को मंगाई गई थी। इस मामले में स्पिरिट सप्लायर संदीप चौहान और उसके भाई दीपक चौहान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये सीवान के दरौंधा थाना क्षेत्र के बेलदारी टोला गांव के रहने वाले हैं। उनके पास से 50 लीटर स्पिरिट और एक बोरा फिटकरी बरामद किया गया है।

स्कूलों में महाराणा प्रताप

हिन्दुस्तान की पहली खबर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान है: स्कूलों में महाराणा की जीवनी पढ़ाई जाएगी। जागरण ने इसकी सुर्खी लगाई है: बापू की तरह महाराणा प्रताप के बारे में भी बताएंगे स्कूल के बच्चों को। भास्कर ने लिखा है: महाराणा के साथ सभी जाति तबके के लोग थे, हम उनके आदेशों को लागू कर रहे: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि उनके बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि पता चले कि महाराणा प्रताप कौन थे और उन्होंने देश को क्या क्या दिया। मुख्यमंत्री ने जदयू कार्यकर्ताओं से भी आह्वान किया है कि महाराणा प्रताप ने जो कार्य किये, उन्होंने जो देशभक्ति तथा वीरता के आदर्श स्थापित किये, उसे किताब की शक्ल में छपवा कर घर-घर पहुंचा दें, ताकि नई पीढ़ी के लोग उनके बारे में और बेहतर ढंग से जान-समझ सकें। ठीक वैसे ही जैसे कि हमलोगों ने बापू के बारे में किताब छपवाकर पहुंचाया है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के मौके पर मिलर हाईस्कूल मैदान में आयोजित महाराणा प्रताप स्मृति समारोह में ये बातें कहीं।

आनन्द मोहन की रिहाई और नीतीश

हिन्दुस्तान की एक अहम सुर्खी है: पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आसार बढ़े। अखबार के अनुसार तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आसार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को महाराणा प्रताप स्मृति समारोह में इसके संकेत दिए। अपने संबोधन के दौरान कुछ लोगों द्वारा आनंद मोहन की रिहाई को लेकर हुई नारेबाजी पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आपलोगों को कुछ पता नहीं है जी। उनकी पत्नी से पूछ लेना हम क्या कोशिश कर रहे हैं। चुप रहिए, ई सब की चिंता मत करें। राजनीति में वे कुछ भी करें लेकिन जब जेल गये थे तो जार्ज साहब के साथ हम सब उनसे मिलने जेल गये थे। उनके लिए हमेशा शुभकामना रही है। यह सब बात को बोलने की कोई जरूरत नहीं है। ये सब सोचना नहीं चाहिए कि आपलोग मांग कर रहे हैं इसीलिए हो रहा है।

मिसाइलों से लैस पनडुब्बी

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: मिसाइलों से लैस पनडुब्बी ‘वागीर’ नौसेना में शामिल। अखबार लिखता है कि भारतीय नौसेना की ताकत में सोमवार को और इजाफा हुआ। अपनी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर को मझगांव डॉक शिवबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। इसे नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में एक समारोह में कमीशन किया गया। हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति के बीच इसे नौसेना में शामिल किया जाना और भी अहम है। यह पनडुब्बी बेहतरीन सेंसर, टॉरपीडो और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है।

पुलिस हिरासत में मौत

भास्कर ने इस खबर को अहमियत दी है: पुलिस हिरासत में युवक की मौत; ड्यूटी पर तैनात दरोगा, थानाध्यक्ष सस्पेंड। अखबार लिखता है: नालंदा जिले के तेल्हाड़ा थाना में रविवार की रात एक युवक की संदिग्ध हालत में मौत के बाद आनन फानन में शव को गायब कर दिया गया। सुबह परिवार को मौत की खबर लगी तब सैकड़ों ग्रामीण व परिजन थाना का घेराव करते हुए सड़क जाम कर हंगामा करने लगे। परिवार पिटाई में हत्या का आरोप लगा रहा है, जबकि पुलिस खुदकुशी बताते हुए दावा कर रही है ।मृतक हिलसा के कोरमा गांव निवासी उदई यादव का 40 वर्षीय पुत्र कृष्णा यादव है। एसपी अशोक मिश्रा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पुलिस की लापरवाही सामने आई, जिसके बाद थानाध्यक्ष मुकेश कुमार और ड्यूटी में तैनात दरोगा विजय कुमार उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया गया है।

संविधान सुप्रीम

हिन्दुस्तान ने अपने देश पेज पर यह खबर दी है: देश में संविधान सुप्रीम है संसद नहीं: लोकुर। अखबार के अनुसार उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर ने कहा कि संविधान सुप्रीम है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, संसद सुप्रीम नहीं है। उपराष्ट्रपति ने कहा था कि संसद सुप्रीम है। जस्टिस लोकुर ने कहा कि संविधान ने न्यायपालिका को यह जांचने का काम सौंपा है कि क्या कहीं विधायिका द्वारा बनाया कानून संविधान के विपरीत तो नहीं हैं या वे किसी मौलिक हक का उल्लंघन तो नहीं करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 13 में यह स्पष्ट है- जो कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, वे शून्य हैं। यह जांच न्यायपालिका ही कर सकती है। जस्टिस लोकुर उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 2015 में जजों की नियुक्ति के कानून एनजेएसी को रद्द किया था।

कुछ और सुर्खियां

  • दरभंगा के एकमी-शोभन बायपास पर मिलेगी एम्स को जमीन
  • नगर निकायों में 5 माह बाद भी आरटीपीसी काउंटर नहीं हुए चालू
  • बीपीएससी 68वीं प्रारंभिक परीक्षा 12 फरवरी को होगी
  • उर्दू, फारसी व अरबी के लिए होगा विशेष टीईटी
  • मंत्री आलोक मेहता को फोन पर जान से मारने की धमकी
  • मौलवी मस्जिद से करेंगे इससे बचाव की अपील
  • हिजाब मामले में तीन जजों की पीठ के गठन पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

अनछपी: गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया के हत्याकांड में दोषी करार दिए गए अन्य लोगों के साथ पूर्व सांसद आनंद मोहन का नाम प्रमुख था। फिलहाल वे अपनी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा स्पष्ट संकेत दिया है कि उन्हें रिहा करने के लिए उनकी ओर से कोशिश की जा रही है। नीतीश कुमार ने जिस सभा में इस बात को दोहराया वह महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित किया गया था जिसमें एक खास जाति के लोगों का वर्चस्व रहता है। कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि वह वोट के लिए ऐसे काम नहीं करते लेकिन सवाल यह है कि उनकी इस बात पर कितने लोग भरोसा करते हैं। कोई नेता कोई महत्वपूर्ण फैसला करे और उसका संबंध वोट से नहीं हो यह मानना मुश्किल है। खास तौर पर यह फैसला अगर राजनीति को प्रभावित करने वाले एक खास जाति के नेता के संबंध में किया जाने वाला हो। इससे पहले हम गुजरात चुनाव के ठीक पहले ऐसा ही मामला देख चुके हैं जिसमें बिलकिस बानो के रेपिस्ट की रिहाई में देख चुके हैं। बिहार के लिहाज से देखा जाए तो ऐसे ही एक मामले में सजा काट रहे और जेल में अपनी जिंदगी गंवा चुके शहाबुद्दीन को ऐसी कोई रियायत नहीं मिली। यह सही है कि सरकार के पास ऐसे मामलों के कैदियों की रिहाई पर फैसला लेने का अधिकार रहता है लेकिन इसमें पूरी तरह राजनीति घुसी हुई है। इससे कौन इनकार कर सकता है कि दोषियों को छोड़ने की राजनीति में धर्म और जाति बुरी तरह लिपटी हुई है।

 

 

 

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