छ्पी-अनछपी: ऑल इंडिया रैंकिंग में बिहार सरकार का कोई कॉलेज नहीं, पंजाब में बाढ़ से हाहाकार
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। शिक्षण संस्थानों की ऑल इंडिया रैंकिंग में बिहार सरकार का कोई कॉलेज और यूनिवर्सिटी शामिल नहीं है। पंजाब में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। बीजेपी के बिहार बंद का कोई खास असर नहीं हुआ है हालांकि अखबारों ने इसका मिला जुला असर बताया है।
और, जनिएगा कि बंगाल विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों और मार्शल के बीच हाथापाई क्यों हुई।
पहली ख़बर
हिन्दुस्तान के अनुसार केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत देश के उच्च शिक्षण संस्थानों की राष्ट्रीय रैंकिंग जारी कर दी है। पिछले साल विश्वविद्यालय श्रेणी में पटना विवि शामिल था। इस तरह इस रैंकिंग में बिहार सरकार का अपना कोई कॉलेज या विश्वविद्यालय शामिल नहीं है। इस बार टॉप-200 में स्थान नहीं मिला है। इस श्रेणी में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा (समस्तीपुर) 101 से 151 व केन्द्रीय विवि साउथ बिहार, गया 151 से 200 में शामिल है। कॉलेज श्रेणी में टॉप 300 में केवल पटना वीमेंस कॉलेज 134वां स्थान मिला है, जबकि इस श्रेणी में राज्य से 80 से अधिक कॉलेजों ने पंजीयन किया था। रिसर्च इंस्टीट्यूट में सिर्फ आईआईटी पटना शामिल है। इसकी रैंक 39 है। राज्य के चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान पटना (सीआइएमपी) पिछले वर्ष मैनेजमेंट श्रेणी में 101 से 125 के समूह में शामिल था। इस बार इस सूची से बाहर है। केंद्रीय विवि ऑफ साउथ बिहार, गया ने 63वीं रैंक प्राप्त की है। विधि श्रेणी में टाप-40 में चाणक्य नेशनल ला यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू), पटना ने 17वीं और सेंट्रल यूनिवर्सिटी आफ साउथ बिहार, गया ने 23वीं रैंक प्राप्त किया है।
आईआईटी मद्रास पूरे देश में टॉप
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को एनआईआरएफ की सूची जारी की। इसमें दिल्ली के शिक्षण संस्थानों का दबदबा है। देश के सर्वोच्च शिक्षण संस्थानों में आईआईटी मद्रास सात साल से शीर्ष पर है। डीयू ने जहां टॉप 10 रैंकिंग में सुधार किया है। वहीं, मेडिकल कॉलेजों में एम्स दिल्ली पहले स्थान पर है। डेंटल की सूची में एम्स दिल्ली ने चेन्नई के सविता इंस्टीट्यूट को पछाड़ पहला स्थान हासिल किया। विश्वविद्यालयों की श्रेणी में जेएनयू दूसरे जबकि ओवरआल रैंकिंग में टॉप 10 में शामिल है। डीयू के हिंदू कॉलेज और मिरांडा हाउस ने कॉलेजों की श्रेणी में पहला और दूसरा स्थान बरकरार रखा।
पंजाब में बाढ़ से हाहाकार
जागरण के अनुसार पंजाब में बाढ़ की चपेट में आए लोगों को अभी राहत मिलती नजर नहीं आ रही। इसका कारण राज्य के तीन बांधों का जलस्तर खतरे के निशान के पास या उससे ऊपर पहुंच जाना है। गुरुवार को पौंग बांध का जल खतरे के निशान से 14 फीट ऊपर पहुंच चुका है। वहीं भाखड़ा बांध का जलस्तर भी खतरे के निशान से मात्र एक फीट दूर है। बांध की सुरक्षा को देखते हुए भाखड़ा के फ्लड गेट अब 7 फीट से बढ़कर 10 फीट तक खोले गए हैं प्रोग्राम इससे सतलुज दरिया के आसपास के जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। लुधियाना में पांच जगह सतलुज के तटबंध कमजोर हो चुके हैं और एक जगह गांव ससराली में सेना की मदद से तटबंध से 200 मीटर पीछे एक किलोमीटर क्षेत्र में रिंग बांध का निर्माण तेज से किया जा रहा है। राज्य में आई बाढ़ के कारण अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है। 1685 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और करीब 3:84 लाख लोग प्रभावित हैं।
बिहार बंद का कोई खास असर नहीं
प्रभात खबर के अनुसार दरभंगा में कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को अपशब्द कहे जाने के विरोध में एनडीए के महिला मोर्चा द्वारा गुरुवार को बुलाए गए 5 घंटे के राज्यव्यापी बंद का मिला-जुला असर रहा। पटना में प्रमुख सड़कों पर गाड़ियां कम चलीं। इनकम टैक्स चौराहे पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और पटना साहिब के सांसद रवि शंकर प्रसाद, भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष सांसद धर्मशीला गुप्ता के नेतृत्व में बंद समर्थक सड़क पर उतरे। बिहार के कई हिस्सों से बंद के दौरान जोर जबरदस्ती की खबर मिली है लेकिन अखबारों ने इसे कवर नहीं किया है।
सक्षमता परीक्षा में महज 32 फीसदी शिक्षक ही पास
तृतीय सक्षमता परीक्षा में महज 32 फीसदी शिक्षक ही उत्तीर्ण हुए हैं। कक्षा एक से 12वीं तक के कुल 24,436 शिक्षक इस परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें 7893 शिक्षक सफल हो पाए। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर तृतीय सक्षमता परीक्षा का परिणाम जारी किया। बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने परिणाम जारी करते हुए बताया कि सक्षमता परीक्षा 2025 (तृतीय) 23 से 25 जुलाई तक आयोजित हुई थी
बंगाल में भाजपा विधायकों और मार्शल के बीच जमकर हाथापाई
जागरण के अनुसार पश्चिम बंगाल विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को भाजपा शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में अभूतपूर्व हंगामा देखने को मिला। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे ही प्रस्ताव पर बोलने के लिए खड़ी हुईं विपक्षी भाजपा के विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। लगातार नारेबाजी और सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने एक-एक कर पांच भाजपा विधायकों मुख्य सचेतक शंकर घोष, अग्निमित्र पाल, मिहिर गोस्वामी, अशोक डिंडा व बंकिम घोष को पूरे दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया। निलंबित किए जाने के बाद बाहर जाने से इनकार करने पर इनमें से दो विधायकों शंकर घोष व मिहिर गोस्वामी को स्पीकर के निर्देश पर विधानसभा के मार्शलों ने घसीट कर सदन से बाहर कर दिया। शंकर घोष की सदन से बाहर निकाले जाने के दौरान मार्शलों व भाजपा विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई। इसमें घोष घायल हो गए उनकी गर्दन व सिर में चोट आई है। हाथापाई में विधानसभा के चार सुरक्षाकर्मी भी घायल बताए जा रहे हैं।
कुछ और सुर्खियां:
- नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया
- मशहूर फैशन डिजाइनर जियोर्जियो अरमानी का 91 साल की उम्र में इटली के मिलान शहर में निधन
- पूर्व क्रिकेटर शिखर धवन से अवैध सट्टेबाजी ऐप के मामले में ईडी ने की 8 घंटे तक पूछताछ
- बिहार में 3 माह में तीन लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभार्थी बढ़े
- राजगीर में खेली जा रही एशिया कप हॉकी में भारत ने मलेशिया को 4-1 से हराया
अनछपी: बिहार में कथित डबल इंजन की सरकार है और दो बार के थोड़े अंतराल को छोड़ दिया जाए तो पिछले 20 वर्षों में नीतीश कुमार के सरकार के साथ भारतीय जनता पार्टी भी शासन चला रही है लेकिन दूसरे कई क्षेत्रों की तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी बिहार का बुरा हाल है। जिस एनआईएआरएफ से शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग जारी होती है उसमें पिछले साल बिहार का एक सरकारी संस्थान पटना विश्वविद्यालय शामिल था लेकिन इस बार वह भी इससे बाहर हो गया। पटना विश्वविद्यालय से जुड़े पटना वीमेंस कॉलेज को इस रैंकिंग में जगह जरूर मिली है लेकिन वह बिहार सरकार का संस्थान नहीं है बल्कि वह क्रिश्चियन मिशनरी का एक ऑटोनॉमस कॉलेज है। अफसोस की बात यह है कि बिहार में सरकार चला रहीं राजनीतिक पार्टियां हों या विपक्षी दल हों, कोई उच्च शिक्षा की इस बदहाली पर बात नहीं करना चाहता। बिहार में उच्च शिक्षा से जुड़ी अगर कोई खबर आती है तो उसमें विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार और प्रिंसिपल की बहाली के झगड़े ही सामने आते हैं। वैसे तो नीतीश कुमार की सरकार की अब चला चली की बेला है लेकिन इस सरकार से यह जरूर पूछा जा सकता है कि आखिर 20 साल में इसने बिहार में उच्च शिक्षा का इतना बुरा हाल क्यों कर दिया है। कम से कम पटना विश्वविद्यालय, साइंस कॉलेज और पटना कॉलेज का एक जमाने में बड़ा नाम हुआ करता था तो नीतीश कुमार ने अपनी सरकार में आखिर एक तरह से उनके नाम को मिट्टी में क्यों मिला दिया? मेडिकल शिक्षा में पीएमसीएच का कभी काफी नाम हुआ करता था लेकिन अब यहां की बिल्डिंग के अलावा पढ़ाई की चर्चा नहीं होती। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भागलपुर और मुजफ्फरपुर के सरकारी कॉलेजों को जाना जाता था, अब इनमें वही पढ़ना चाहते हैं जिनका एडमिशन किसी दूसरी अच्छी जगह नहीं हो। सामान्य शिक्षा में मुजफ्फरपुर के एलएस कॉलेज और भागलपुर के टीएनबी कॉलेज का भी कम नाम नहीं था लेकिन क्या कोई बिहार सरकार और नीतीश कुमार से यह पूछेगा कि आखिर इन कॉलेजों की बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार है? इसी तरह दरभंगा का सीएम साइंस कॉलेज और गया का गया कॉलेज भी प्रतिष्ठित माना जाता था लेकिन इन सब में अब बिल्डिंग बनाने के अलावा पढ़ाई में बेहतर करने की खबर शायद ही आती हो। कुल मिलाकर बिहार सरकार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का बहुत बुरा हाल है और यहां के विद्यार्थी इस बदहाली झेलने को मजबूर हैं।
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