छपी-अनछपी: नीतीश बोले- रामनवमी हिंसा के पीछे साज़िश, भोजपुर के इचरी नरसंहार में 9 क़ौ उम्रकैद
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार शरीफ और सासाराम में राम नवमी के अवसर पर हुई हिंसा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने माहौल बिगाड़ने की साजिश करार दिया है जिसकी खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। भोजपुर के चर्चित इचरी नरसंहार में नौ को उम्रकैद मिलने की खबर भी पहले पेज पर है। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को नागरिकों के कानूनी अधिकार हड़पने के लिए इस्तेमाल कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी हिंदी अखबारों में दबी दबी सी है जबकि विपक्ष की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने की खबर को प्रमुखता दी गई है।
जागरण की सबसे बड़ी खबर नीतीश का बयान है: साजिश के तहत कराई गई हिंसा, सच्चाई जल्द आएगी। हिन्दुस्तान की मेन हेडलाइन है: माहौल बिगाड़ने की साजिश हुई नीतीश। प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: साजिशकर्ता होंगे बेनकाब।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सासाराम और बिहारशरीफ की घटना पर कहा कि बिहार में हिंसा कराई गई। माहौल खराब करने की साजिश की गई है। इसकी जांच चल रही है। वे बुधवार को पटना में पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक-एक घर में प्रशासन जा रहा है। हिंसा का सच जल्द सामने आएगा। सारे अधिकारियों को हमने कह दिया है कि जितने लोग इसमें संलिप्त हैं, चाहे वे किसी भी कम्यूनिटी के हों, किसी भी जाति के हों, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि दो लोग हैं। एक राज कर रहा है और दूसरा उसके साथ एजेंट है। वह मिलकर इधर-उधर कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहारशरीफ नामकरण किसने किया है? हम ही किए बिहारशरीफ। पहले इसे सिर्फ बिहार बोला जाता था।
ओवैसी को बीजेपी का एजेंट बताया
जागरण ने लिखा है कि ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया था कि दंगा से भाजपा जदयू दोनों को फायदा होता है। इस संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र में जिस का शासन है, ओवैसी उन्हीं के एजेंट है। “जिन पार्टियों की बड़ी संख्या में एमपी हैं, उनसे ज्यादा असदुद्दीन ओवैसी का न्यूज़ छपता है। पूरे देश भर में कहां के रहने वाले हैं और कहां न्यूज़ छपता है। उनका यहां कुछ है? बहुत पहले जब हम अलग हुए थे तब ओवैसी हमसे मिलना चाहते थे तो हम ने मना कर दिया था।”
नौ को उम्रकैद
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: इचरी नरसंहार: 30 साल बाद आया फैसला, पूर्व मंत्री बरी, 9 को उम्र कैद। 29 मार्च 1993 को हुए भोजपुर के चर्चित इचरी नरसंहार के मामले में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को बरी कर दिया गया। जिन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, उन पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा है। आरा के एमपी-एमएलए कोर्ट के जज सत्येंद्र सिंह ने बुधवार को फैसला सुनाया। आरोप है कि गोसाईं मोड फिलवक्त ईंट भट्टा के पास पीपल के पेड़ के पास पहले से घात लगाए हथियार से लैस लगभग 50 से ज्यादा की संख्या में कथित तौर पर भाकपा माले से जुड़े लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कुल 5 लोगों की हत्या कर दी थी। इस कांड के 9 आरोपियों की मौत हो चुकी थी।
सत्ता के सामने सच बोलना
भास्कर ने खबर दी है: सत्ता के सामने सच बोलना प्रेस की ड्यूटी: सीजेआई। जागरण ने लिखा है: सरकारी नीतियों की आलोचना सत्ता विरोध नहीं: सुप्रीम कोर्ट। भास्कर लिखता है कि सुप्रीम कोर्ट ने मलयाली न्यूज़ चैनल ‘मीडिया वन’ पर केंद्र द्वारा लगाई गई रोक हटा दी है। साथ ही बिना तथ्यों के ‘हवा में’ राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मामला उठाने को लेकर गृह मंत्रालय की खिंचाई की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को भी रद्द कर दिया जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर चैनल के प्रसारण पर रोक के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था। कोर्ट ने कहा है कि सरकार इस तरह नागरिकों के अधिकार नहीं कुचल सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे हवा में नहीं किए जा सकते हैं। इसके समर्थन में ठोस सबूत देने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ चैनल के आलोचनात्मक विचारों को सत्ता विरोधी नहीं कहा जा सकता क्योंकि मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र व निडर प्रेस बहुत जरूरी है। प्रेस की ड्यूटी है कि वह सत्ता के सामने सच बोले और लोगों के सामने उन ठोस तथ्यों को पेश करे जिनकी मदद से वे लोकतंत्र को सही दिशा में ले जाने वाले विकल्प चुन सकें।
विपक्ष की याचिका खारिज
हिन्दुस्तान ने यह खबर पहले पेज पर प्रमुखता से ली है: राजनेताओं के लिए अलग नियम नहीं: सुप्रीम कोर्ट। जागरण ने भी पहले पेज पर खबर दी है: राजनेताओं को आम नागरिकों से ज्यादा छूट नहीं: सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के नेतृत्व में 14 सियासी दलों की उस याचिका पर विचार करने से बुधवार को इनकार कर दिया, जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने के आरोप लगाए गए थे। शीर्ष अदालत ने कहा, राजनेताओं के लिए अलग से दिशा-निर्देश या नियम नहीं बना सकते। कोर्ट की टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों ने याचिका वापस ले ली।
आरएसएस पर बैन से जुड़ा चैप्टर हटाया
जागरण की सुर्खी है: पाठ्य पुस्तक से आरएसएस पर प्रतिबंध से जुड़े अंश हटाए गए। भास्कर ने लिखा है: एनसीईआरटी की किताब से संघ, हिंदू अतिवाद से जुड़े अंश हटाए। भास्कर लिखता है कि ‘गांधीजी की हिंदू-मुस्लिम एकता ने हिंदू चरमपंथियों को उकसाया। उनकी मौत के बाद आरएसएस जैसे संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया’, अब यह हिस्सा एनसीईआरटी की 12 वीं की राजनीति विज्ञान की पुस्तक से हटा दिया गया है। इस पर सफाई देते हुए एनसीईआरटी प्रमुख दिनेश सकलानी ने कहा कि विषय विशेषज्ञ पैनल ने पिछले साल उस अंश को हटाने की सिफारिश की थी। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि यह इतिहास को विकृत करने वाली सरकार है। आप किताबों में बदलाव कर सकते हैं पर इतिहास नहीं मिटा सकते।
कैंसर की नक़ली दवाएं
हिन्दुस्तान ने खास खबर दी है: देशभर में बिक रहीं दिल्ली में बनी कैंसर की नकली दवाएं। दिल्ली-एनसीआर में बनी कैंसर की नकली दवाएं देशभर में बेची जा रही हैं। यह धंधा दिल्ली के सरकारी अस्पताल में सेवाएं दे चुके डॉक्टर व इंजीनियर कर रहे थे। दिल्ली पुलिस ने यह खुलासा पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष गैंग का पर्दाफाश करते हुए किया। इस मामले में एक सप्लायर की गिरफ्तारी के बाद नकली दवाएं खरीदने वाले 16 कैंसर पीड़ितों के परिवार सामने आए। किसी की आंख की रोशनी चली गई तो किसी मरीज के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया।
कुछ और सुर्खियां
- विधान परिषद चुनाव: छपरा शिक्षक सीट पर पीके समर्थित आफाक अहमद तो स्नातक सीट पर जदयू के वीरेंद्र, गया से भाजपा के जीवन की जीत
- जाति गणना का नया कोड: सूची में 3 जातियां हटीं, दो जुड़ीं, अब कायस्थ- 21, कुर्मी- 24, ब्राह्मण- 126, यादव- 165 गिने जाएंगे
- अध्यक्ष के खिलाफ टिप्पणी पर मार्शल ने भाजपा विधायक जीवेश मिश्रा को सदन से बाहर किया
- आरा बम ब्लास्ट में लंबू को सुनाई गई फांसी की सजा बरकरार
- केरल ट्रेन आगजनी में दिल्ली का शाहरुख धराया
- सासाराम में उपद्रव में घायल युवक की मौत, हालात देखने पहुंचे डीजीपी
- तेलंगाना के भाजपा प्रमुख पेपर लीक कांड में गिरफ्तार
- मुलायम सिंह यादव सहित 52 हस्तियों को मिला पद्म पुरस्कार
- पटना के राजीव नगर, फुलवारी शरीफ, और अयोध्या में इस साल अस्पताल खोलेगा महावीर मंदिर ट्रस्ट
अनछपी: मीडिया में सरकार के खिलाफ आम खबरों को दबाया जाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन मीडिया में मीडिया से जुड़ी खबरें कैसे दबा दी जाती हैं, इसका नमूना आज के अखबारों में देखने को मिला। केरल की मीडिया वन टेलीविजन कंपनी पर प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जो कठोर टिप्पणियां की हैं उसे एक अखबार ने सिंगल कॉलम में निपटा दिया तो बाकी अखबारों ने अंदर के पेजों पर धकेल दिया। सरकार ने जिस तरह अपनी आलोचना को देश की आलोचना बताना शुरू कर दिया है, उस माहौल में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बहुत हिम्मत देने वाली है। अफसोस की बात यह है कि मीडिया के हक में सुनाए गए इस फैसले को मीडिया ने ही नजरअंदाज कर दिया। इसका कारण क्या है? इसकी वजह यह है कि आज का मीडिया सरकार से लाभ प्राप्त करने में ही अपनी भलाई समझता है। सरकार से लाभ प्राप्त करने के लिए सरकार की इच्छा के अनुरूप चलना भी जरूरी हो जाता है। ऐसे में वैकल्पिक मीडिया यानी इंटरनेट मीडिया का महत्व बढ़ जाता है। मीडिया और सरकार के बारे में आंख खोल देने वाली खबरों को पहुंचाने में छोटे-छोटे वेबसाइट्स की भूमिका भी काफी है। जिन लोगों को स्वतंत्र मीडिया की ख्वाहिश है उनकी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी वेबसाइट का समर्थन करें।
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