छ्पी-अनछपी: शिक्षा अधिकारी के घर 3.75 करोड़ की काली कमाई, नेपाल में कार्की को मिलेगी कमान!

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुजफ्फरपुर में तैनात शिक्षा अधिकारी के ठिकानों पर कम से कम पौने चार करोड़ की काली कमाई का पता चला है। नेपाल में तख्ता पलट के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बताई जा रही है। बिहार सरकार ने हिंदू त्योहारों पर बस किराए में छूट के लिए 24 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हाई कोर्ट में केसों की संख्या बहुत ज्यादा है और जल्दी सुनवाई की संभावना नहीं है।

और, जानिएगा कि कुछ घंटों के लिए कैसे लैरी एलिसन दुनिया के सबसे अमीर आदमी बने लेकिन फिर उन्हें एलन मस्क ने पछाड़ दिया।

पहली ख़बर

प्रभात खबर के अनुसार विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने गुरुवार को तिरहुत प्रमंडल के क्षेत्रीय उपनिदेशक, शिक्षा (आरडीडीई) वीरेंद्र नारायण के पटना, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर स्थित चार ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर करोड़ों की अवैध संपत्ति बरामद की है। इस कार्रवाई में 14 लाख रुपए नकद, 29 लाख रुपए के जेवर, बैंक खातों और एफ़डी में 50 लाख रुपए, नोएडा में फ्लैट, आलीशान मकान और बहू मंज़िला मार्केट कॉम्प्लेक्स का पता चला है। वीरेंद्र नारायण पर आरोप है कि सरकारी सेवा के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार कर 3.75 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति अर्जित की है। उनकी घोषित आय से यह 100% से भी अधिक है।

सुशीला कार्की बन सकती हैं नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री

जागरण के अनुसार सुशासन और सुधार के नारे के साथ शुरू हुई जेन ज़ी आंदोलन में तीन दिन तक सुलगने वाले नेपाल में अंतरिम सरकार की कमान संभालने के लिए नाम पर सहमति बन गई है। शीतल निवास में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की अगवाई में गुरुवार रात हुई अहम बैठक में नेपाल की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपने पर सहमति बन गई है। यह फैसला राष्ट्रपति पौडेल द्वारा बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक के दौरान लिया गया जिसमें सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल, वरिष्ठ कानून विद ओम प्रकाश आर्याल और स्वयं सुशीला कार्की समेत अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं। वैसे, कुछ दूसरी ख़बरों में बताया गया है कि नौजवानों के समूह की राष्ट्रपति और सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक में किसी भी नाम को लेकर अंतिम सहमति नहीं बन सकी। हालांकि, काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह बालेन ने जस्टिस सुशीला कार्की का समर्थन किया। लेकिन कार्की के नाम पर जेन-जी का दूसरा धड़ा सहमत नहीं हुआ। वहीं, प्रदर्शनकारी युवाओं में से कुछ नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व सीईओ कुलमान घीसिंग और धरान के मेयर हरका संपांग के नाम पर सहमत थे।

हिन्दू त्योहारों पर 24 करोड़ की बस सब्सिडी मंजूर

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार से दशहरा, दीपावली, छठ और होली पर दूसरे राज्यों से आने-जाने वाले यात्रियों और कामगारों की सुविधा के लिए बस किराये में छूट के लिए 24 करोड़ 06 लाख 36 हजार रुपये की मंजूरी दी गई है। त्योहारी सीजन में अंतरराज्यीय बसों के परिचालन पर विशेष छूट के लिए इसका उपयोग होगा। गुरुवार को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि सरकार वर्ष 2025-26 में त्योहारों पर लोक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत चलने वाली डीलक्स नॉन एसी, डीलक्स एसी और डीलक्स स्लीपर एसी बसों के किराये में राहत देगी। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) ने इस विशेष छूट योजना का खर्च अनुमानित 24.06 करोड़ रुपये बताया था। चूंकि वर्तमान बजट मद में केवल 10 करोड़ का ही प्रावधान है, इसलिए शेष राशि बिहार आकस्मिकता निधि (बीसीएफ) से अग्रिम उपलब्ध कराई जाएगी।

हाई कोर्ट में केसों की संख्या बहुत ज्यादा और जल्दी सुनवाई की संभावना नहीं

जागरण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 6 दोषियों की 3 साल की सजा को यह देखते हुए निलंबित कर दिया कि हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक अपीलों की संख्या काफी अधिक है तथा उन पर सुनवाई जल्द होने की संभावना नहीं है। जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा कि इन छह दोषियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की थी जो अभी लंबित है। पीठ ने अपने 10 सितंबर के आदेश में कहा कि अपील का अधिकार एक वैधानिक अधिकार है और अपीलकर्ता हिरासत में है। प्रत्येक हाई कोर्ट में आपराधिक मामलों की संख्या काफी अधिक है। अपील की सुनवाई निकट भविष्य में होती नजर नहीं दिखती। सजा पर विचार करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यदि अपीलकर्ता को अपील की सुनवाई के बिना ऐसी सजा काटने के लिए मजबूर किया गया तो यह घोर अन्याय हो सकता है। शायद हाईकोर्ट ने इस पहलू पर विचार नहीं किया। इसलिए पीठ ने सजा निलंबित करने और अपीलकर्ताओं को हिरासत से रिहा करने का निर्णय लिया।

कुछ घंटों के लिए लैरी बने सबसे अमीर

हिन्दुस्तान के अनुसार दुनिया के अरबपतियों की सूची में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। टेक दिग्गज कंपनी ओरेकल के को-फाउंडर लैरी एलिसन टेस्ला के एलन मस्क को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। हालांकि, कुछ ही घंटों के अंदर एलन मस्क को यह खिताब वापस मिल गया। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर बुधवार को ओरेकल कॉरपोरेशन के शेयरों में रिकॉर्ड 41 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। इसी के साथ लैरी एलिसन की कुल संपत्ति महज 24 घंटे के अंदर 101 अरब डॉलर बढ़ गई और उनकी कुल संपत्ति 393 अरब डॉलर (करीब 34.5 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गई। इस उछाल ने लैरी एलिसन को दुनिया का सबसे अमीर इंसान बना दिया, जबकि उस वक्त एलन मस्क की कुल संपत्ति 385 अरब डॉलर पर थी। हालांकि, बाद में शेयरों में कुछ गिरावट आ गयी, जिसके कारण लैरी एलिसन की कुल संपत्ति 383 अरब डॉलर रह गई, जिससे एलन मस्क को सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब वापस मिल गया। वर्तमान में एलन मस्क की कुल संपत्ति 384 अरब डॉलर है, जिसमें एक दिन में उन्हें 573 मिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है।

कुछ और सुर्खियां:

  • पटना हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीबी बजन्थरी अब मुख्य न्यायाधीश होंगे
  • कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की नागरिकता के खिलाफ मुकदमा खारिज
  • एनआईए ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व बिहार अध्यक्ष महबूब आलम नदवी को किशनगंज से गिरफ्तार किया
  • भारतीय रुपया 36 पैसे टूट कर सबसे निचले स्तर पर, $1=₹88.47
  • अमेरिका के विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी चार्ली कर्क की गोली मारकर हत्या

अनछपी: सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार के दिन यह कहना पड़ा कि जब पुलिस अधिकारी वर्दी पहनते हैं तो उन्हें अपने व्यक्तिगत और धार्मिक पूर्वाग्रहों को त्याग देना चाहिए। कोर्ट ने यह बात इसलिए की क्योंकि महाराष्ट्र के अकोला में 2023 के सांप्रदायिक दंगों के मामले में एफआईआर दर्ज न करने और कर्तव्य में लापरवाही की शिकायत की गई थी। इस मामले में एपीसीआर यानी एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स  का कहना है कि अकोला में दंगे हुए और मुसलमानों की एफआईआर नहीं लिखी गई। एपीसीआर के लोग हाईकोर्ट गए लेकिन वहां भी इस मामले को ख़ारिज कर दिया गया। 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक नज़ीर देने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पुलिस वालों पर कार्रवाई की की बात की है और पुलिस से कहा है कि वह निष्पक्ष रहे। कोर्ट ने हिंदू ऑफिसर के साथ साथ मुस्लिम पुलिस ऑफिसर को लेकर एक एसआईटी बनाने के आदेश दिए और यह तीन महीने में रिपोर्ट करेगी। जस्ट संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले में प्राथमिक की दर्ज न करने और कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए महाराष्ट्र पुलिस की कड़ी आलोचना की। पीठ ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि जब पुलिस बल के सदस्य अपनी वर्दी पहनते हैं तो उन्हें अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और प्रवृत्तियों को त्यागना पड़ता है चाहे वह धार्मिक, नस्लीय, जातिवादी या अन्य हो। कोर्ट ने कहा कि उन्हें अपने पद और वर्दी से जुड़े कर्तव्यों के प्रति पूर्ण निष्ठा के साथ ईमानदार रहना चाहिए और दुर्भाग्य से इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। इससे यह बात आसानी से समझ में आ सकती है कि हमारी व्यवस्था ऐसी हो गई है कि जहां एक समुदाय की शिकायत को थाने से लेकर हाईकोर्ट तक में खारिज कर दिया जाता है और इंसाफ पाने के लिए दो साल के इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक फैसला आता है। अभी इंसाफ पाने की शुरुआत ही हुई है और देखना होगा कि जिस एसआईटी का गठन होता है उसकी क्या कार्रवाई होती है और दोषी को सजा मिलती है या नहीं।

 

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