छपी-अनछपी: नवादा में सूदखोर ने नंगा कर पीटा तो क़र्ज़दार ट्रेन से कट गया, टीचरों को मिलेगी कंप्यूटर ट्रेनिंग

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। क़र्ज़: 70 हज़ार रुपये। सूद की दर: मासिक 20%। यह रकम कुछ पैसे चुकाने के बावजूद सूद सहित हो गई दो लाख। यह कहानी है नवादा ज़िले की जहां पिछले साल नवंबर में भी सूदखोर से तंग आकर एक ही परिवार के छह लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। आज के अखबारों में इस खबर को ज़्यादा तवज्जो नहीं मिली है। हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में आधे से अधिक शिक्षक कंप्यूटर की जानकारी नहीं रखते जिन्हें अब इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। बंगाल में रेल हादसे की ख़बर सभी जगह है।

हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि नवादा के रोह गांव में सूदखोरी के जाल में उलझ कर एक कर्जदार को जान गंवानी पड़ी। रोह के खलीफा टोला के रहने वाले मवेशी व्यापारी जसीम नगारी ने एक सूदखोर से ₹70000 कर्ज लिया था जो कुछ ही महीनों में सूद सहित दो लाख हो गया। सूदखोर कर्ज की वसूली के लिए उसके साथ गाली गलौज करता था और घर से महिलाओं को उठा लेने की धमकी दे रहा था। परिवार वालों का कहना है कि शनिवार की रात कर्जदार को नंगा कर बेरहमी से पीटा। इससे दुखी होकर जसीम ने रविवार की सुबह नवादा में ट्रेन से कटकर जान दे दी। जीआरपी ने शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम करवाकर परिवार को सौंप दिया।

टीचरों को कंप्यूटर ट्रेनिंग

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: 2.75 लाख शिक्षकों को दी जाएगी कंप्यूटर ट्रेनिंग। राज्य के 2 लाख 75 हजार 266 शिक्षकों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने एससीईआरटी को यह जिम्मेदारी सौंपी है। दरअसल, आठवीं तक के करीब 53 फीसदी शिक्षकों को कंप्यूटर की जानकारी नहीं है। एससीईआरटी की ओर से ऐसे शिक्षकों को चिह्नित किया गया है। अब इन शिक्षकों को कंप्यूटर प्रशिक्षण देने की तैयारी है। एससीईआरटी के अनुसार आठवीं तक में 2 लाख 75 हजार 266 शिक्षक कार्यरत है। इनमें एक लाख 46 हजार 546 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें कंप्यूटर चलाना तक नहीं आता है। अब इन सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

ट्रेन हादसा

पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के ओंडा में रविवार सुबह मालगाड़ी ने पहले से खड़ी एक अन्य मालगाड़ी को टक्कर मार दी। दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के कारण कम से कम 20 एक्सप्रेस और यात्री ट्रेन रद्द की गईं और कुछ अन्य ट्रेन के मार्ग परिवर्तित किए गए। उन्होंने बताया कि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ है।

मणिपुर में सेना से छुड़ाए उग्रवादी

भास्कर की खबर है: डेढ़ हजार महिलाओं ने सेना के कब्जे से छुड़ाए 12 उग्रवादी। मणिपुर में इंफाल पूर्व के आइथम गांव में सेना के सर्च ऑपरेशन में पकड़े गए प्रतिबंधित संगठन कंग्लेई यावोल कन्ना लूप (केवाईकेएल) के 12 उग्रवादियों को लगभग डेढ़ हजार महिलाओं की भीड़ के विरोध के कारण छोड़ना पड़ा। केवाईकेएल हिन्दू मैतेई समुदाय से जुड़ा संगठन है। जिन लोगों को गिरफ्तार करने के बाद छोड़ना पड़ा उनमें कथित तौर पर 2015 में चंदेल जिले में 18 सैनिकों की जान लेने वाले एंबुश के मास्टरमाइंड स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरंगथम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था।

मोदी को मिस्र का सर्वोच्च सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रविवार को मिस्र के सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ से सम्मानित किया गया। जागरण की पहली खबर है रिश्तो को साझेदारी में बदलेंगे भारत-मिस्र। यह हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है। इस दौरान चार सहमति पत्र और समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इससे पहले दोनों देशों ने व्यापार, खाद्य सुरक्षा और रक्षा क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। दो दिवसीय यात्रा पूरी होने के बाद मोदी ने कहा, उनकी यात्रा से मिस्र से मित्रता और मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने काहिरा स्थित 11वीं सदी की ऐतिहासिक अल-हाकिम मस्जिद का भी दौरा किया। दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से तीन माह पहले इसका जीर्णोद्धार किया गया है।

मानसून की छलांग

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है मानसून की सबसे तेज छलांग, देश के सभी राज्यों तक पहुंचा। मानसून ने रविवार को एक साथ दिल्ली मुंबई में दस्तक दी। मुंबई में यह 2 हफ्ते देर से तो दिल्ली में 2 दिन पहले आया है। यह संयोग 62 साल बाद बना है। इससे पहले मानसून 21 जून 1961 को दिल्ली मुंबई में एक साथ पहुंचा था। तब उसी दिन मानसून ने पूरे देश को कवर कर लिया था। केरल में 8 दिन देर से दस्तक देने के बाद मानसून ने रविवार को सबसे लंबी छलांग लगाई और देश के करीब 25 फ़ीसदी भूभाग को एक दिन में कवर कर लिया।

लिव-इन रिलेशन पर कोर्ट और इस्लाम

जागरण की खबर है: लिव-इन रिलेशन नहीं, पारंपरिक विवाह के पक्ष में है क़ानून: हाई कोर्ट। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे मुस्लिम युवक व हिंदू युवती को यह टिप्पणी करते हुए राहत देने से इंकार कर दिया कि कानून पारंपरिक रूप से विवाह के पक्ष में है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय में भी ऐसे रिश्तों को बढ़ावा देने की कोई मंशा नहीं है। कोर्ट ने आगे यह भी टिप्पणी की कि इस्लाम विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों के विरुद्ध है और ऐसे कृत्य को व्यभिचार मानते हुए ज़िना कहा गया है।

कुछ और सुर्खियां

  • किशनगंज में एनएच का पुल धंसने के मामले में चार इंजीनियर सस्पेंड
  • हाजीपुर की दूध फैक्ट्री में गैस रिसाव से 40 बीमार, एक ने आंख की रौशनी गंवाई
  • नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर से 10 किलो सोना गायब परिसर बंद
  • हिमाचल प्रदेश में ट्रैकिंग के दौरान गन्ना विभाग के ज्वाइंट सेक्रेट्री जितेंद्र साह की मौत
  • पाकिस्तान में नवाज शरीफ की वापसी की राह खुली, सांसदों की योग्यता 5 साल तक ही
  • रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने वैगनर के विद्रोही लड़ाकों को माफी दी, लड़ाके यूक्रेन लौटेंगे
  • बहाली में विवाहित महिलाओं के पिता के मूल निवास के आधार पर आरक्षण मिलेगा

अनछपी: हमारे समाज में लोगों की आर्थिक स्थिति कितनी खराब है इसकी चर्चा शायद उस पैमाने पर नहीं होती जिसकी जरूरत है। खराब आर्थिक स्थिति वालों का सूदखोर लोग कैसे गलत फायदा उठाते हैं, नवादा की घटना इसका बहुत ही दुखदायी उदाहरण है। ऐसे सूदखोरों के बारे में हमारा समाज ज्यादातर अनजान रहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यह दावा करते हैं कि भारत दुनिया की कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है तो उनकी नजर से ऐसे लोग ओझल रहते हैं। भारत में एक तरफ से अरबपतियों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनके पैसों का हिसाब किताब भी नहीं मालूम तो दूसरी तरफ महज़ 70 हज़ार रुपये के लिए जान देने को मजबूर करने वाले लोग भी हैं। हमारी सरकार और हमारा समाज ऐसे हादसों से सबक नहीं लेता। पिछले साल नवंबर में नवादा में ही 6 लोगों ने तब जान दे दी थी जब एक कर्जदार परिवार का सूदखोर ने जीना हराम कर दिया था। क्या इससे यह साबित नहीं होता कि सरकार और समाज ने इसे गंभीरता से नहीं लिया? कारोबार के लिए कर लेना एक आम बात है लेकिन क्या यह कर्ज आम इंसान को आम तरीके से मिल पाता है? इस कारोबारी की मौत पर हमारे बैंक और छोटे क़र्ज़ देने वाली कंपनियों के अधिकारियों को भी सोचना चाहिए कि उनके रहते क्यों आम आदमी जानलेवा सूदखोरों के चक्कर में पड़ने को मजबूर होता है? सरकार और समाज दोनों की ज़िम्मेदारी बनती है कि आम लोगों को जागरूक कर क़र्ज़ लेने की सही जगह बताएं। यह बात भी सोचने की है कि क्या क़र्ज़ देने वाली संस्थाएं गांव-घर तक मौजूद हैं? क्या वहां से क़र्ज़ लेना आम आदमी की पहुंच में है?

 

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