छ्पी-अनछपी: मुकेश सहनी महागठबंधन में, यूपी के मदरसा छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सन ऑफ़ मल्लाह के नाम से मशहूर मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है जिसमें मदरसा ऐक्ट को असंवैधानिक कहा गया था। हथियार तस्करी के 27 साल पुराने मामले में लालू प्रसाद पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादों का दायरा बढ़ाया है। आज के अखबारों की यह प्रमुख खबरें हैं।

भास्कर की खबर है: महागठबंधन में आए मुकेश सहनी, आरजेडी ने अपने कोटे की तीन सीटें दीं। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों तरफ तीन सीटों के लिए पिछले करीब एक महीने से बारगेन कर रहे विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी को आखिरकार राजद ने महागठबंधन में शामिल किया और अपने कोटे की तीन सीटें दे दीं। शुक्रवार को राजद कार्यालय में मुकेश साहनी को राजद नेता तेजस्वी यादव ने बुलाया और पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), झंझारपुर और गोपालगंज सीट देने की घोषणा कर दी। इस मौके पर मुकेश सहनी ने कहा कि भाजपा ने सीने में खंजर भोंका है, हमारे विधायकों को खरीदकर पार्टी तोड़ी।

17 लाख मदरसा छात्रों को राहत

हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004’ को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष निकालना कि मदरसा शिक्षा अधिनियम के तहत मदरसा बोर्ड की स्थापना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, यह सही नहीं हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय ने मदरसा शिक्षा अधिनियम के प्रावधानों को समझने में भूल की है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा,उच्च न्यायालय के फैसले से मदरसे में पढ़ने वाले 17 लाख छात्र प्रभावित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली पांच विशेष अनुमति याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश दिया।

लालू पर गिरफ्तारी वारंट

जागरण की पहली खबर है: हथियारों की तस्करी में लालू प्रसाद के खिलाफ अस्थाई गिरफ्तारी वारंट। हथियारों की तस्करी के 27 साल पुराने मामले में ग्वालियर के एमपी एमएलए कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। उनके नाम पर पहले भी स्थाई वारंट जारी हो चुका है जिसके बाद उन्हें फरार घोषित कर दिया गया था। आरोप है कि उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति ने 1997 में ग्वालियर से हथियार लाकर बिहार में बेचे थे। इस तस्करी मामले में आरोपित 23 लोगों में लालू का नाम भी शामिल था। इस मामले में एक वकील का कहना है कि वारंट जारी करना मशीनी काम लगता है जो राजनीतिक विद्वेष के कारण जारी किया गया है।

कांग्रेस का सवाल: आपका जीवन 2014 से बेहतर है?

हिन्दुस्तान की पहली ख़बर है कि कांग्रेस ने 10 न्याय और 25 गारंटियों के साथ लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को घोषणा पत्र जारी किया। न्याय पत्र नाम से जारी इस घोषणापत्र में समाज के हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई। इसमें नौकरी, न्याय, नारी के साथ जाति जनगणना, आरक्षण सीमा बढ़ाने और एमएसपी गारंटी पर जोर है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने घोषण पत्र जारी किया। पार्टी ने शुरुआत दो सवालों से की। पहला, क्या आज आपका जीवन 2014 की तुलना में बेहतर है। दूसरा, क्या आपका मन भयमुक्त है। पार्टी ने कई मुद्दों पर वर्ष 2019 के अपने चुनाव घोषणा पत्र से आगे बढ़ते हुए वादे किए हैं। इसके साथ ही समाज के हर वर्ग और हर तबके को छूने का प्रयास करते हुए सोशल इंजीनियरिंग का प्रयास किया है। पांच न्याय के साथ 25 गारंटियों का वादा इसकी मिसाल है।

जदयू के महेश्वर हजारी के बेटे कांग्रेस में

भाजपा के सांसद अजय निषाद और जदयू कोटे से मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी ने शुक्रवार को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। बिक्रम से दो बार भाजपा विधायक रहे अनिल कुमार भी कांग्रेस में शामिल हो गए। शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने तीनों को पार्टी की सदस्यता दिलाई। अजय निषाद मुजफ्फरपुर और सन्नी हजारी समस्तीपुर से प्रत्याशी बनाये जा सकते हैं।

जेईई मेन की परीक्षा में 10 नकलची पकड़ाए

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है कि जईई मेन दूसरे सत्र की परीक्षा के पहले दिन 4 अप्रैल को फर्जीवाड़ा करने के आरोप में 10 परीक्षार्थियों को पकड़ा गया। परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी एनटीए इस संबंध में जांच पड़ताल कर रही है। इनके पास से पेन ड्राइव, ब्लूटूथ डिवाइस, मोबाइल फोन सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद किए गए हैं। दूसरी तरफ शुक्रवार की शाम से ही 5 अप्रैल की परीक्षा के पेपर देश भर में वायरल होने लगे। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है कि वायरल पेपर फर्जी है या असली।

गुजरात दंगे में मरने वाले मुसलमान की जगह ‘लोग’

भास्कर की खबर है की एनसीईआरटी की किताबों में ताजा संशोधन के तहत अयोध्या में बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों में मुसलमानों की हत्या, हिंदुत्व और मणिपुर के भारत में विलय से जुड़े संदर्भ हटा दिए गए हैं। यह बदलाव 11वीं और 12वीं कक्षा के राजनीति शास्त्र की पुस्तकों में किए गए हैं। इस बारे में अधिकारियों ने दावा किया कि यह बदलाव रूटीन अपडेट का हिस्सा है और नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत नई किताबों के विकास से इनका कोई संबंध नहीं है। 11वीं की किताब में धर्मनिरपेक्षता पर अध्याय 8 में गोधरा दंगों के संदर्भ को बदल गया है। इसमें पहले था गुजरात में 2002 के गोधरा रंगों के बाद 1000 से ज्यादा, अधिकतर मुसलमान मारे गए। इसे बदलकर मुसलमान की जगह लोग कर दिया गया है।

कुछ और सुर्खियां

  • गर्मी के कारण बिहार के स्कूलों को किया जा सकता है मॉर्निंग
  • चुनाव में दागी उम्मीदवारों का प्रोफाइल लाल दिखेगा
  • लोकसभा चुनाव चीनी हैकर्स के निशाने पर
  • राहुल गांधी ने कहा- मुकाबला बेहद करीबी, 2004 याद रखिए
  • शिक्षा विभाग में एक बार फिर बुलाई वीसी की बैठक, अगली तारीख 8 अप्रैल
  • एलगार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी शोमा कांति सेन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत
  • अब यूपीआई से कैश डिपॉजिट मशीन में जमा कर सकेंगे नकदी

अनछ्पी: विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी को अपने पाले में कर इंडिया गठबंधन या महागठबंधन ने बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है। दिलचस्प बात यह है कि मुकेश सहनी अपनी पार्टी के लिए राजद के कोटे से तीन सीट लेने में कामयाब हुए हैं हालांकि 4 साल पहले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने राजद पर पीठ में छुरा भोंकने का आरोप लगाया था और वह महागठबंधन से अलग हो गए थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी का भारतीय जनता पार्टी के साथ समझौता हुआ था और वह एनडीए के तहत चुनाव लड़े थे। मुकेश सहनी के उम्मीदवारों को चुनाव में कामयाबी तो मिली लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उनके विधायकों को तोड़ लिया और अपनी पार्टी में शामिल करवा लिया था। मुकेश सहनी खुद विधान परिषद के सदस्य होने के नाते मंत्री बने थे लेकिन बाद में उन्हें बहुत ही असम्मानजनक तरीके से मंत्री पद से हटना पड़ा था। कहा जा रहा है कि इसके बावजूद मुकेश सहनी इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। भारतीय जनता पार्टी उन्हें तीन सीट देने के लिए तैयार नहीं थी जबकि राजद इसके लिए तैयार हो गया। अब मुकेश सहनी कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने उनके सीने में छुरा घोंपा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी मजबूरी में निषाद समाज के साथ आती है और काम निकलने पर उसका साथ छोड़ देती है। इससे पहले अजय निषाद भारतीय जनता पार्टी छोड़ चुके थे और वे महागठबंधन के दूसरे महत्वपूर्ण दल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इस तरह महागठबंधन में दो प्रमुख निषाद या मल्लाह समुदाय के नेता शामिल हो चुके हैं। महागठबंधन को इन दो नेताओं से बहुत उम्मीद है कि इससे मल्लाह मतदाता उनके पक्ष में आएंगे। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 40 सीट जीतने का दावा कर रही है लेकिन जब मल्लाह समुदाय के दो नेता उसका साथ छोड़ चुके हैं तो यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा को अपने इस दावे में कितनी कामयाबी मिलती है। दूसरी ओर यह देखना भी दिलचस्प होगा कि महागठबंधन मुकेश सहनी को अपने पाले में करने का कितना राजनीतिक लाभ उठा पाता है।

 

 

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