छ्पी-अनछपी: बोले नीतीश- इंडिया की बैठक में सब तय होगा, 22 हज़ार शिक्षकों की नौकरी संकट में

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। इंडिया गठबंधन की अगली बैठक में नीतीश कुमार जाएंगे या नहीं, यह अटकल खत्म हो गई है क्योंकि उन्होंने बैठक में जाने की बात कही है। इस बयान को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। हाई कोर्ट से राहत न मिलने के कारण बीएड डिग्री धारी 22000 शिक्षकों की नौकरी संकट में है, इस खबर को भी अच्छी जगह मिली है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: इंडिया की अगली बैठक में सब कुछ तय हो जाएगा: सीएम। जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी भी यही है: केंद्र में सत्ता परिवर्तन जरूरी: सीएम। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वे इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होंगे। बैठक में सबकुछ जल्द तय करना होगा। इसमें अब विलंब नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री बुधवार को पटना हाईकोर्ट के निकट डॉ. भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित राजकीय समारोह के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम एक साल से विपक्षी एकजुटता में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा, “राज्यों के चुनाव में सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत के लिए लग जाती हैं। लेकिन, हम चाहते हैं कि आगे सब एकजुट होकर चुनाव लड़ें। अगली मीटिंग होगी तो हम फिर कहेंगे कि अब देर नहीं कीजिए। आपस में बैठकर सबकुछ जल्दी से तय कर लीजिए।” उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ता में परिवर्तन जरूरी है। “भाजपा देश के इतिहास को बदलने में लगी है।” राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम पर कहा कि यह चर्चा का विषय नहीं है। “पिछली बार कांग्रेस उन राज्यों में जीती थी। तेलंगाना में कांग्रेस जीती है। कांग्रेस को इस बार भी अच्छा वोट आया है।”

22 हज़ार शिक्षकों पर संकट

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे 22000 बीएड डिग्री धारी शिक्षकों की नौकरी पर संकट। पटना हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में बुधवार को अपना फैसला देते हुए यह स्पष्ट किया कि राज्य में प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्री धारी शिक्षक के रूप में नियुक्त नहीं होंगे। हाई कोर्ट के इस आदेश से 22000 शिक्षकों की नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं जिनकी नियुक्ति इस मामले की सुनवाई के दौरान हुई है। कोर्ट में 28 जून 2018 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्री धारी शिक्षकों को भी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के लिए योग्य माना गया था। इस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

चार मिनट में लूट लिया बैंक

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: बैंक में खाता खुलवाने पहुंचे 5 लुटेरे, सिर्फ 4 मिनट में लूट लिए 17 लाख। सशस्त्र लुटेरों ने आरा शहर के व्यस्त इलाके में एक शॉपिंग कांप्लेक्स में स्थित एक्सिस बैंक में धावा बोलकर करीब 17 लाख रुपए लूट लिए।  वारदात बैंक की कतीरा शाखा में बुधवार सुबह 10:21 बजे हुई। सभी लुटेरे 10:12 बजे पहुंचे थे। बैंक में खाता खुलवाने के बहाने 10:17 बजे अंदर पहुंचे और सिर्फ 4 मिनट के अंदर इतनी बड़ी रकम लूट 10:21 बजे फरार हो गए। पुलिस के अनुसार लुटेरों की संख्या पांच थी जबकि बैंक कर्मी और स्थानीय लोगों के अनुसार उनकी संख्या 6-7 थी।

नेहरू की गलती से…

हिन्दुस्तान की सुर्खी है: पंडित नेहरू की गलती से पीओके बना: अमित शाह। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। शाह ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान हुए दो ब्लंडर (बड़ी गलती) का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा। उनकी गलती से ही पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) बना। गृहमंत्री ने सदन में कश्मीर से जुड़े दो विधेयकों पर चर्चा में विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए यह बात कही। उनके जवाब के बाद लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

एमयू के पूर्व वीसी की संपत्ति जब्त

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की विशेष टीम ने बुधवार को मगध विवि के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 64.53 लाख की अवैध संपत्ति जब्त की है। धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत चल-अचल संपत्ति जब्त की गई है। इस कार्रवाई में उनके यूपी के संत कबीर नगर जिले के धनघाटा स्थित संपत्ति को अधिकारियों ने सील किया। यहां उनका एक बड़ा-सा स्कूल चलता है, जो उनके परिवार के सदस्य के नाम पर है। यहां से थोड़ी दूरी पर एक बीएड कॉलेज है।

वंशावली बनाएगा पंचायती राज विभाग

जागरण की खबर है: वंशावली बनाने पर गतिरोध खत्म। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की पंचायत के बाद वंशावली बनाने की जवाबदेही फिर से पंचायती राज विभाग को सौंप दी गई है। इस विभाग को कहा गया है कि वह सरपंच या किसी अन्य को वंशावली बनाने के लिए सक्षम प्राधिकार घोषित करे।

दस सांसद अब विधायकी करेंगे

हिन्दुस्तान के अनुसार विधानसभा चुनाव जीतने वाले दो केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा के दस सांसदों ने संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अब वह विधानसभा सदस्य के रूप में काम करेंगे। विस चुनाव में भाजपा ने चार राज्यों में 21 सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें 12 जीते हैं। दस ने संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इनमें मध्य प्रदेश से जीते केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, रीति पाठक, राकेश सिंह और उदय प्रताप सिंह शामिल हैं। वहीं, राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, किरोड़ीलाल मीणा (राज्यसभा) और छत्तीसगढ़ से विजयी अरुण साव व गोमती साय शामिल हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • आर्थिक अपराध में शामिल 100 वेबसाइट पर प्रतिबंध
  • दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा आज से
  • फ़ौकानिया और मौलवी की परीक्षा 22 जनवरी से
  • पीएफआई के मामले में रियाज मारूफ व क़ादिर अंसारी के खिलाफ चार्जशीट
  • गोगामेड़ी हत्याकांड के खिलाफ राजस्थान के कई शहरों में आगजनी
  • द्रमुक सांसद सेंथिल कुमार ने गोमूत्र राज्य वाले बयान पर माफी मांगी

अनछपी: जम्मू कश्मीर के मामले में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गलती की या नहीं इसका फैसला तो इतिहासकार करेंगे लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह दावा किया कि नेहरू की गलती से ही पीओके बना। यह बात लगभग मजाक की हो गई है कि हर गलती के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया जाता है और भारत के लिए उनके योगदान को पूरी तरह नकार दिया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी भारतीय जनता पार्टी के ही थे लेकिन उन्होंने कभी नेहरू को इस तरह टारगेट नहीं किया जैसा कि वर्तमान भारतीय जनता पार्टी करती है। जम्मू कश्मीर के बारे में उस समय की सरकार ने जो भी फैसला किया हो उसके लिए नेहरू अकेले जिम्मेदार नहीं माने जा सकते हैं। उस सरकार में गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल भी शामिल थे जिन्हें भारतीय जनता पार्टी नेहरू को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल करती है। क्या नेहरू ने जो फैसला लिया था उससे सरदार वल्लभभाई पटेल की कोई असहमति थी? इस सवाल का जवाब भारतीय जनता पार्टी नहीं देगी। वैसे, 75 साल बाद इस पर बहस करने का क्या फायदा है कि नेहरू ने गलती की थी या नहीं लेकिन 2019 के बाद से जम्मू कश्मीर में जिस तरह लोकतंत्र की हत्या हो रही है उस पर जरूर बात होनी चाहिए। स्वतंत्र भारत के इतिहास में केंद्र शासित प्रदेश से राज्य बनने का उदाहरण तो मिलता था लेकिन किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अलोकतांत्रिक काम भारतीय जनता पार्टी ने किया है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और वहां राष्ट्रपति शासन चलाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई के लिए गया है हालांकि इसका फैसला आना अभी बाकी है। केंद्रीय गृह मंत्री से विपक्षी नेता यह सवाल करते हैं कि आखिर जम्मू कश्मीर को कब तक चुनावी लोकतंत्र से वंचित रखा जाएगा? किसी राज्य से उसका दर्जा छीनकर इस तरह सीधे राज करने का इतिहास भी तो पहले नहीं था। भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह जम्मू कश्मीर को केंद्र के अधीन कर लिया है उसके बारे में कोर्ट को भी जरूर विचार करना चाहिए।

 

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