छ्पी-अनछ्पी: संसद की सुरक्षा चूक पर सवाल करने में 14 एमपी सस्पेंड, शाही ईदगाह मथुरा का भी होगा सर्वे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक पर सवाल करने वाले 14 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसकी खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह का सर्वे करने की मांग मंजूर कर ली है। इसकी भी अच्छी कवरेज है। बिहार में कुल 300 कंपनियां 50000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। इस खबर को सबसे ज़्यादा तवज्जो मिली है।

जागरण की सुर्खी है: सुरक्षा में सेंध मामले में शाह के बयान नहीं देने पर हंगामा, 14 सांसद निलंबित। संसद की सुरक्षा में गहरी एवं गंभीर सेंध का साया गुरुवार को दोनों सदनों में विपक्षी दलों के जबरदस्त हंगामे के रूप में सामने आया। दोनों सदन नहीं चले और 14 विपक्षी सांसदों को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। दिन भर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच रस्साकशी चलती रही। ना तो स्पीकर व सभापति का आग्रह, फटकार व चेतावनी काम आए, ना ही जांच पूरी होने तक इंतजार करने के सरकार के आश्वासन। सरकार ने विपक्ष से एक गंभीर राष्ट्रीय मामले में राजनीति नहीं करने के लिए कहा लेकिन कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस बात पर अड़े रहे कि गृह मंत्री अमित शाह संसद आकर इस मामले में बयान दें। निलंबित होने वाले 13 सदस्य लोकसभा के हैं जबकि राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन केवल निलंबित ही नहीं हुए, बल्कि उनके आचरण की जांच विशेष अधिकार समिति को भी सौंप दी गई।
आठ सुरक्षाकर्मी निलंबित
संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में आठ सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। जिन लोगों को निलंबित किया गया है वह अलग-अलग एजेंसियों के हैं। इन्हें प्रतिनियुक्ति पर संसद की सुरक्षा में लगाया गया है। इस घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी चौकसी बढ़ा दी है। हर गेट पर कड़ी जांच के चलते लंबी लाइन लग रही है। पास जांचने के अलावा जूते खुलवा कर देखे जा रहे हैं।
सभी मुलज़िम भगत सिंह फैन क्लब के
भास्कर ने लिखा है कि संसद में घुसपैठ कर स्मोक कैन चलाने वाले आरोपियों के बारे में नए खुलासे हुए हैं। सभी आरोपी भगत सिंह फैन क्लब में शामिल थे। इस सोशल मीडिया ग्रुप पर यह लोग अपने विचारधारा वाली पोस्ट डालते थे और वर्चुअल मिले। कई राज्यों के लोग इस क्लब से जुड़े हुए हैं। गिरफ्तार आरोपी सागर शर्मा, मनोरंजन, नीलम और अमोल के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए में केस दर्ज हुआ है। इस मामले के मास्टरमाइंड माने जा रहे बिहार निवासी और अभी कोलकाता में रहने वाले ललित झा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
शाही ईदगाह के सर्वे की इजाज़त
हिन्दुस्तान की सुर्खी है: शाही ईदगाह परिसर के सर्वे को हाई कोर्ट की मंजूरी। जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर यही है मगर इसकी हेडलाइन में ईदगाह नहीं है। इसने लिखा है: अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान का सर्वे। भास्कर ने लिखा है: मथुरा: श्री कृष्ण जन्मभूमि के बगल में बनी ईदगाह मस्जिद का सर्वे होगा, हिंदू पक्ष की अपील मंजूर। हिन्दुस्तान के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह परिसर का एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराए जाने की मांग में दाखिल हिंदू पक्ष की अर्जी मंजूर कर ली है। हाईकोर्ट शाही ईदगाह के सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति, सर्वे के तौर-तरीकों और शर्तों पर 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशवदेव व अन्य की अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने16 नवंबर को आदेश सुरक्षित कर लिया था। गुरुवार को पारित आदेश में कहा कि कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति से दोनों पक्षों को कोई नुकसान नहीं होगा।
300 कंपनियां करेंगी निवेश
जागरण की सबसे बड़ी खबर है: बिहार में 300 कंपनियां करेंगी 50530 करोड़ का निवेश। भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: 10 शहरों में अदानी ग्रुप निवेश करेगा, 10000 युवाओं को रोजगार मिलेगा। देश-विदेश की 302 कंपनियां बिहार में निवेश करेंगी। इन कंपनियों ने राज्य सरकार के साथ 50 हजार 530 करोड़ रुपये निवेश के समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। पटना के ज्ञान भवन में दो दिनों तक चले वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान ये करार हुए। वैश्विक निवेशक सम्मेलन के तहत चल रहे बिहार बिजनेस कनेक्ट का समापन गुरुवार को हो गया। समापन के दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में 12 कंपनियों के साथ करीब 24 हजार 45 करोड़ रुपये निवेश के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए।
नीतीश की सभा को नहीं मिली मंजूरी
वाराणसी में जदयू की 24 दिसंबर को प्रस्तावित जनसभा स्थगित कर दी गई है। इस जनसभा से नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में पार्टी के लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करने वाले थे। ग्रामीण विकास मंत्री व जदयू के उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रवण कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए आरोप लगाया है कि वाराणसी के जिला प्रशासन ने सीएम नीतीश कुमार की जनसभा के लिए अनुमति नहीं दी है। वाराणसी के जगतपुर इंटर कॉलेज में सभा होनी थी।
इमारत-ए-शरिया झारखंड में टूटी
भास्कर की खबर है: इमारत-ए-शरिया में बड़ी टूट, बिहार से अलग हुआ झारखंड। इमारत-ए-शरिया बिहार, ओडिशा और झारखंड में गुरुवार को बड़ी टूट की खबर आई। झारखंड ने अपने को इस संस्थान से अलग कर लिया। यही नहीं मौलाना नजर तौहीद मजाहिरी को पहला अमीर-ए-शरीयत भी चुन लिया। मौलाना मजाहिरी 30 साल से इमारत से जुड़े हैं। रांची के मोरमा में गुरुवार को मजलिसे उलेमा, झारखंड का इजलास था। इसी में सर्वसम्मति से मौलाना मजाहिरी को झारखंड का पहला अमीर-ए-शरीयत चुना गया। वे झारखंड के चतरा के रहने वाले हैं। इधर इमारत-ए-शरिया बिहार, ओडिशा व झारखंड के कार्यवाहक नाजिम मौलाना शिबली अल कासमी ने कहा कि मौलाना मजाहिरी ने इमारत को कमजोर करने की कोशिश की है।
कुछ और सुर्खियां
● गया एयरपोर्ट से 12 किलो सोना के साथ म्यांमार के दो सुरक्षा आधिकारी गिरफ्तार
● त्रिपुरारी शरण होंगे बिहार के नए मुख्य सूचना आयुक्त
● नवादा के घरों में आज से गंगाजल की सप्लाई
● जिला परिषद अध्यक्ष को ट्रेन में एसी फर्स्ट क्लास का यात्रा भत्ता मिलेगा
● फेसबुक फॉलोअर की संख्या में बिहार पुलिस को देश में चौथा स्थान
● सुप्रीम कोर्ट ने सपा सांसद अफजाल अंसारी की सजा सशर्त रोकी, संसद सत्र में जा सकेंगे
अनछपी: 1991 में पारित पूजा स्थल अधिनियम कहता है कि किसी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को 15 अगस्त 1947 की तरह बनाए रखना है। इसमें बाबरी मस्जिद के विवाद को अलग रखा गया था। इस अधिनियम के बावजूद काशी और मथुरा की मस्जिदों पर विवाद खड़ा किया गया। मथुरा के मामले में यह भी बताया जाता है कि 1968 में श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और ईदगाह के बीच समझौता हो गया था। कानून और समझौते के बावजूद मुस्लिम धर्मस्थलों पर दावे किए जाना देश के सामाजिक सद्भाव के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण माना जाएगा। भास्कर के अनुसार यह मामला 13.7 एकड़ जमीन का है इसमें 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर है जबकि 2.37 एकड़ में मस्जिद बनी हुई है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद अतिक्रमण है, इसे हटाया जाए जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उन्हें जमीन 1968 के समझौते के तहत मिली है। यह बात समझ से परे है कि आखिर जो लोग ना कानून को मानते हैं ना समझौता को मानते हैं, वह देश की भलाई कैसे सोच सकते हैं। इससे भी बड़ी ताज्जुब की बात है कि धार्मिक पूजा स्थल अधिनियम के रहते हाई कोर्ट कैसे नए विवादों को स्वीकृति दे रहा है। जिस तरह बाबरी मस्जिद का मामला राजनीतिक बनाया गया था उसी तरह यह मामला भी राजनीति से प्रेरित है। इसके बावजूद कोर्ट द्वारा सर्वे की अनुमति देना निराशाजनक ही माना जाएगा। आखिर इस तरह मस्जिदों को निशाना बनाया जाने का कोई अंत होगा? राजनीतिक मकसद के लिए उठाए गए ऐसे विवादों के बारे में यह सवाल पूछा जा सकता है कि कोई भी किसी भी मस्जिद के बारे में कभी भी कोर्ट जाकर सर्वे का सवाल कर दे तो क्या कोर्ट नियम कानून को नहीं देखेगा? समझा जाता है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। सुप्रीम कोर्ट को भी चाहिए कि ऐसे अंतहीन विवाद शुरू करने वालों के बारे में कोई ठोस फैसला दे ताकि हर दिन किसी नई मस्जिद का विवाद वहां न पहुंचे।

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