छ्पी-अनछपी: संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक, बिहार में निवेश के लिए 26 हज़ार करोड़ का करार
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 22 साल पहले संसद पर हुए हमले की बरसी के दिन लोकसभा की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई। इसकी खबर हर जगह पहले पेज पर है। बिहार में चल रहे इन्वेस्टर्स मीट के दौरान 26 हज़ार करोड़ का करार होने की खबर भी प्रमुखता से ली गई है।
जागरण की सबसे बड़ी खबर है: संसद हमले की बरसी पर फिर सुरक्षा में सेंध, दर्शक दीर्घा से कूदे दो युवक। प्रभात खबर की पहली सुर्खी है लोकसभा की सुरक्षा में सेंध। हिन्दुस्तान ने लिखा है: संसद हमले की बरसी पर सुरक्षा में बड़ी चूक। जागरण लिखता है कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर दुस्साहसिक आतंकी हमले की बरसी वाले दिन ही लोकसभा और संसद परिसर के बाहर बड़ी सुरक्षा चूक का मामला सामने आया। पहले दोपहर लगभग एक बजे लोकसभा में दर्शक दीर्घा से दो युवक सागर शर्मा व मनोरंजन सदन के भीतर कूदे और उन्होंने जूते में छिपा कर ले जाए गए एक कलर स्मोक क्रैकर के जरिए हल्के पीले रंग का धुआं उड़कर पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। लगभग उसी समय संसद भवन की बाउंड्री के ठीक बाहर परिवहन भवन के सामने एक युवक अमोल शिंदे और नीलम नाम की युवती ने नारेबाजी के साथ लगभग वैसा ही रंगीन धुआं उड़ाया। अमोल महाराष्ट्र के लातूर और नीलम हरियाणा की जींद की रहने वाली है जबकि सागर लखनऊ और मनोरंजन मैसूर का रहने वाला है। इस मामले में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ धारा 120 बी और यूएपीए के तहत कार्रवाई हो रही है। सदन में कूदने वाले दोनों युवकों सागर शर्मा और मनोरंजन ने मैसूर के भाजपा सांसद प्रताप सिंह की सिफारिश पर दर्शक दीर्घा में प्रवेश के लिए पास बनवाए थे।
कौन हैं मुलज़िम
भास्कर की सुर्खी है: आरोपी कौन? बेरोजगार इंजीनियर, रनिंग चैंपियन, रिक्शा चालक। लोकसभा में कूदने वाला सागर 12वीं पास है और ई रिक्शा चलाता है। उसके पिता कॉरपोरेटर हैं। लोकसभा में कूदने वाला दूसरा युवक मनोरंजन बेरोजगार इंजीनियर है। एक और मुलजिम नीलम हरियाणा की रहने वाली है और सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थी। उसने एमफिल, नेट और सीटेट कर लिया है। चौथा मुलजिम अमोल महाराष्ट्र का है और बेरोजगार है। वह रनिंग में चैंपियन है। कई वर्षों से सेना भारती की तैयारी कर रहा था। मां मजदूर हैं। पिता मंदिर में झाड़ू लगाते हैं।
26 हज़ार करोड़ का करार
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार में 44 कंपनियां अपना उद्योग लगाएंगी। बिहार में 44 कंपनियों ने उद्योग स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में कंपनियों और बिहार सरकार के बीच बुधवार को ज्ञान भवन में समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए। कंपनियों की ओर से राज्य में करीब 26695 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की गई है। पटना के ज्ञान भवन में वैश्विक निवेशक सम्मेलन के तहत हो रहे बिहार बिजनेस कनेक्ट में कई कंपनियों के चेयरमैन, सीईओ और प्रतिनिधि मौजूद रहे।
370 पर इस्लामी देशों का बयान
जागरण की खबर है: अनुच्छेद 370 मामले में ओआईसी के बयान को भारत ने खारिज किया। भारत में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द करने के 2019 के फैसले को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस्लामी सहयोग संगठन यानी ओआईसी की टिप्पणियों को सिरे से खारिज कर दिया। ओआईसी ने शीर्ष अदालत के फैसले पर चिंता व्यक्त की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि मानवाधिकारों के सिलसिलावर उल्लंघन करता और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के इशारे पर ओआईसी का क़दम इसकी कार्रवाई को और भी संदिग्ध बनाता है। हालांकि बागची ने किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका इशारा पाकिस्तान की ओर था। ओआईसी के सचिवालय ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताई थी। मुस्लिम देशों के संगठन ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को अवैध और एकतरफ़ा बताया था और यह फैसला वापस लेने की मांग की थी।
पुनौरा धाम पर खर्च होंगे 72 करोड़
पुनौराधाम मंदिर में सीता वाटिका और लव-कुश वाटिका का निर्माण होगा। इसके लिए सरकार 72 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को सीतामढ़ी के पुनौराधाम मंदिर (मां जानकी जन्मभूमि) परिसर के विकास कार्यों का शिलान्यास किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पुनौराधाम परिसर एवं सीताकुंड का जायजा लिया।
14 साल से पत्नी से अलग रह रहे उमर अब्दुल्ला
जागरण की खबर है: पत्नी के क्रूरतापूर्ण व्यवहार को साबित करने में विफल रहे उमर। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पारिवारिक अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पत्नी के क्रूरता पूर्ण व्यवहार को साबित करने में उमर विफल रहे। उमर की शादी पायल से 1 सितंबर 1994 को हुई थी और आपसी विवाद के कारण वर्ष 2009 से दोनों अलग रह रहे हैं। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा व विकास महाजन की पीठ ने पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि अब्दुल्ला का यह आरोप भी प्रमाणित नहीं हो पाया कि उनकी पत्नी पायल ने राजनीतिक करियर में अपीलकर्ता का समर्थन नहीं किया था। मंगलवार को दिए निर्णय का विस्तृत विवरण बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा वेबसाइट पर अपलोड किया गया। इतना ही नहीं पायल द्वारा बच्चों को मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने के उमर के तर्क को भी अदालत ने ठुकरा दिया।
कुछ और सुर्खियां:
- संसद की सुरक्षा होगी और कड़ी, विजिटर पास पर तत्काल प्रभाव से रोक
- विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ और मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली
- शिक्षक व्हाट्सएप पर नहीं ले सकेंगे छुट्टी, भौतिक रूप से स्कूल में देना होगा आवेदन
- पश्चिम बंगाल के बर्दवान रेलवे स्टेशन पर पानी की टंकी टूटी, तीन की गई जान
- 29 दिसंबर को दिल्ली में होगी जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
- मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में एडमिट कार्ड के साथ परिचय पत्र लाना भी जरूरी
अनछ्पी: संसद में कई स्तरों पर सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद इसमें बड़ी चूक की खबर कई सवाल पैदा करती है। सुखद बात यह है कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ लेकिन क्या यह हैरत की बात नहीं कि अब तक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह या किसी अन्य मंत्री का कोई बयान इस मामले में सामने नहीं आया है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर यही मामला कांग्रेस के राज में होता तो भारतीय जनता पार्टी और मीडिया का रुख बिल्कुल दूसरा होता। यह भी पूछा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के जिस संसद की सिफारिश पर संसद में कूदने वालों को पास जारी हुआ था अगर वह पास भारतीय जनता पार्टी की जगह दूसरी किसी पार्टी के सांसद की सिफारिश पर मिलता तो भारतीय जनता पार्टी और मीडिया का क्या रुख होता? संसद में इतनी बड़ी चूक के लिए क्या किसी जिम्मेदार व्यक्ति का इस्तीफा नहीं होना चाहिए? कहा जा रहा है कि जो युवा संसद में कूदे उन्होंने भगत सिंह से प्रेरणा ली हालांकि यह तुलना बिल्कुल निरर्थक है। इस सिलसिले में एक और सवाल यह किया जा रहा है कि मुलजिम अगर मुसलमान होते तो मीडिया अब तक क्या-क्या कहानी बना चुका होता। संसद में कूदने वाले युवकों और दूसरे मुलजिमों ने बेरोजगारी आदि की बात की है। इसी बेरोजगारी की बात करके अगर कोई मुस्लिम युवा वहां कूद जाता तो अब तक उसे आतंकी बताया गया होता। संसद के इस कांड ने असल में मीडिया के रोल पर बहस की अच्छी गुंजाइश दी है। इस समय भारत में सांप्रदायिक दृष्टि से एक बेहद गैरजिम्मेदार और हिंसक मीडिया का रूप सामने है। ऐसे में यह उजागर करना जरूरी है कि एक ही तरह की घटना का ब्योरा देते हुए मीडिया कैसे दोहरा रुख अपनाता है। इसकी एक वजह तो टेलीविजन रेटिंग भी है। टेलीविजन रेटिंग के लिए रिपोर्टरों पर कितना दबाव होता है इसका अंदाजा कल उस समय हुआ जब खाली पड़े कनस्तर को दिखाने के लिए टेलीविजन रिपोर्टर लाइव टीवी पर आपस में छीना झपटी कर रहे थे। जहां तक संसद की सुरक्षा में चूक का मामला है तो यह वाकई हैरत की बात है कि संसद पर हमले के बरसी के दिन कड़ी सुरक्षा के बावजूद ऐसा कैसे हो गया।
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