छपी-अनछपी: जातियों की गिनती पर भाजपा के तेवर बदले, फुलवारी मामले में एनआईए की दूसरी चार्जशीट

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में जातियों की गिनती शुरू होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के तेवर बदल गए हैं और जदयू व राजद के नेताओं के साथ घमासान मचा हुआ है। इससे संबंधित खबरें अखबारों में छाई हुई हैं। फुलवारी शरीफ में कथित आतंकी मॉडल के मामले में एनआईए ने दूसरी चार्जशीट दाखिल की है जिसकी खबर अखबारों के पहले पन्ने पर है। बिहार में कड़ाके की सर्दी लगातार जारी है जिसे अखबारों ने अच्छी कवरेज दी है।

जागरण की पहली खबर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान है: सभी वर्गों के गरीबों को बढ़ाएंगे आगे। हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: सीएम ने शुरू करायी जातीय गणना। भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी भी इसी से जुड़ी है: गणना में जो मिलेगा घर का नंबर वही अब आपका नया स्थाई पता। भास्कर के अनुसार किसी भी इलाके में गिनती की शुरुआत उत्तर-पश्चिम इलाके से हो रही है। 6 गुने 6 इंच का बॉक्स बनाकर इसमें भवन संख्या लिखा जा रहा है जो आपका नया पता होगा। अपार्टमेंट में। भवन संख्या के बाद फ्लैट संख्या ही पता माना जाएगा। अभी किरायेदारों की गिनती नहीं होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद वैशाली के हरशेर गांव में शिवशरण पासवान और मनोज पासवान के घर के पास के खंभे पर 01 लिखवाकर 15 दिनों तक चलने वाले इस सर्वेक्षण का विधिवत आगाज कराया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति की गणना के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति का अध्ययन भी करवा रहे हैं, ताकि पता चल सके कि समाज में कितने लोग गरीब हैं और उनको कैसे आगे बढ़ाना है।

जाति गणना और भाजपा के तेवर

नीतीश कुमार के साथ सरकार में रहने के दौरान मनमाने ढंग से ही भारतीय जनता पार्टी ने जातीय गणना का समर्थन किया था लेकिन अब उसके नेता तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का आरोप है कि सरकार ने बिना जानकारी दिए ही गणना शुरू करा दी है इससे इसके पीछे साजिश की बू आती है। संजय जायसवाल का यह भी कहना है कि इस गणना में उपजाति को शामिल नहीं किया जा रहा। भाजपा सांसद सुशील मोदी का कहना है कि जातीय जनगणना कराने का फैसला जिस एनडीए सरकार ने किया उसमें तेजस्वी प्रसाद यादव डिप्टी सीएम नहीं थे। इसलिए उनके अनुसार महागठबंधन को इसका श्रेय लूटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। एक तरफ राज्य सरकार कहती है कि देश में यह पहली जातीय गणना है लेकिन श्री मोदी कहते हैं कि कर्नाटक और तेलंगाना के बाद बिहार तीसरा राज्य है जहां भाजपा के समर्थन से जातीय जनगणना शुरू हो रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद का कहना है कि इससे जातीय तुष्टीकरण की राजनीति बढ़ेगी। लगभग यही बात प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा भी कह रहे हैं।

शिमला से भी सर्द पटना

हिन्दुस्तान में पहले पेज पर सुर्खी है: पटना समेत राज्य के 8 शहर शिमला से भी ठंडा, अभी एक हफ्ते राहत नहीं। जागरण ने लिखा है पटना समेत 19 जिलों में 2 दिनों तक सर्द दिन का अलर्ट। बर्फीली पछुआ हवा की तेजी से राज्य भर में ठंड और बढ़ी है। पटना, गया व मुजफ्फरपुर समेत 8 शहरों में शनिवार को शिमला से भी अधिक ठंड रही। न्यूनतम तापमान में लगातार कमी आने से सूबे के 9 शहरों में भीषण शीत दिवस के हालात देखे गए। गया में शनिवार को सबसे सर्द सुबह रही। शिमला शहर का न्यूनतम तापमान शनिवार को 7.6 डिग्री रहा जबकि गया का न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। पटना का न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री दर्ज हुआ।

फुलवारी मामले में दूसरी चार्जशीट

जागरण ने पहले पेज पर सुर्खी लगाई है: इस्लामिक शासन के लिए धन जुटा रहा था पीएफआई, चार्जशीट। हिन्दुस्तान की हेडलाइन है: गजवा-ए-हिन्द: चार आरोपियों पर दूसरी चार्जशीट दायर।  जागरण लिखता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई से जुड़े लोग फुलवारी शरीफ में आतंकी साजिश रच रहे थे और इनका मकसद इस्लामिक शासन स्थापित करना था जिसके लिए देश की अखंडता तोड़ने की साजिश रच रहे थे एनआईए की जांच में यह बात सामने आई हैं। देशद्रोही गतिविधि चलाने के मामले में एनआईए ने लगातार दूसरी चार्जशीट दायर की है। दूसरी चार्जशीट में चार नामजद अभियुक्त बनाये गये हैं। इसमें पटना के बिहटा के पास राघोपुर गांव का अब्दुल क्यूम अंसारी, फुलवारीशरीफ थाना के नया टोला निवासी मो. जलालुद्दीन खान, दरभंगा के लहेरियासराय थाना के नीम चौक, उर्दू बाजार निवासी नुरुद्दीन जंगी और फुलवारीशरीफ के अल्बा कॉलोनी का अरमान मल्लिक उर्फ इम्तियाज अनवर शामिल है। इन सभी पर देशद्रोही गतिविधियों की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही, चार्जशीट में आईपीसी की धारा 121, 122 समेत अन्य संगीन धाराएं लगाई गई हैं। हिन्दुस्तान के अनुसार एनआईए इस मामले में जल्द ही तीसरी और इसके बाद चौथी चार्जशीट भी दायर करने की तैयारी में है। इनमें करीब एक दर्जन दूसरे आरोपी को अभियुक्त बनाए जाने की आशंका है।

सोशल मीडिया ‘नफरत का मंच’

हिन्दुस्तान के देश दुनिया पेज पर एक सुर्खी है: दावा: नफरत फैलाने का मंच बना सोशल मीडिया। संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया मंचों पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट तथा नस्लीय टिप्पणियों पर लगाम न लगाने पर चिंता जताई है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले साल फेसबुक के बोर्ड को 20 लाख से अधिक ऐसी शिकायतें मिली थीं। विशेषज्ञों ने कहा है कि ऐलन मस्क के टि्वटर खरीदने के बाद उस प्लेटफार्म पर नस्लवादी टिप्पणियों में काफी वृद्धि हुई है।

कुछ और सुर्खियां

  • भभुआ में अपराधियों ने कैश वैन गार्ड की हत्या की, 13 लाख लूटे
  • शीतलहर के कारण पटना में दसवीं तक के स्कूल 14 तक बंद
  • देश भर के 500 पिछड़े ब्लॉक मॉडल बनेंगे: मोदी
  • पेशाब कांड: विमान में अभद्रता के आरोपी को जेल भेजा, एयर इंडिया ने भी माफी मांगी
  • गैंगरेप में कोर्ट का आईएएस हंस व पूर्व एमएलए गुलाब पर केस का आदेश
  • 70 देशों के 32 सौ प्रवासी भारतीय 3 दिन इंदौर में
  • बूढ़े हो रहे जापानी कारोबारियों को वारिस की तलाश, 3 साल में चालाक बिजनेस बंद हो जाएंगे
  • राम मंदिर में गर्भगृह से लेकर शिखर तक स्वर्ण जड़ित होगा
  • करोना से बच्चों में बढ़ा निकट दृष्टि दोष
  • मोतियाबिंद की सर्जरी किसी भी मौसम में संभव, पकने का इंतजार ठीक नहीं

अनछपी: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी यह समझ नहीं पा रही है कि इसका खुलकर समर्थन करें या खुलकर विरोध। जब वह नीतीश कुमार के साथ सत्ता में थी तो ऐसा समझा जाता है कि उनके दबाव में उसने जातीय गणना के प्रस्ताव को मान लिया था। वित्त मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी को लगता था कि सरकार यह गणना नहीं कराएगी। अब जबकि यह गणना शुरू हो चुकी है तो भाजपा के कुछ नेता इसका श्रेय लेना चाहते हैं और तेजस्वी यादव को इसका श्रेय लेने से रोकना भी चाहते हैं। ऐसे में भाजपा से किया जाने वाला यह सवाल सही है कि अगर उसे यह गणना सही लगती है तो राष्ट्र स्तर पर इसकी मांग क्यों नहीं करती। दूसरी तरफ उनके जो नेता यह कह रहे हैं कि इससे जातिवाद बढ़ेगा वह खुलकर यह बात क्यों नहीं कह पा रहे हैं और इस गणना का विरोध क्यों नहीं कर रहे। सच्चाई यह है कि भाजपा एक तरफ सवर्ण वर्ग को खुश करना चाहती है तो दूसरी तरफ उन्हें पिछड़ा और अति पिछड़ा वोटों की भी चिंता है क्योंकि जातीय गणना का विरोध करने से उनके वोट पर खतरा पैदा होता है।

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