छपी-अनछपी: विपक्षी एकता की गूंज तमिलनाडु में, मोदी पहुंचे अमेरिका

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक की गूंज तमिलनाडु से आई है। करुणानिधि के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संदेश में कहा है कि भाजपा को विपक्ष सत्ता से बाहर कर देगा। जागरण ने इसकी विस्तृत खबर लीड बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं और इसकी खबर भी सभी अखबारों ने प्रमुखता से दी है।

जागरण की खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ्य कारणों से मंगलवार को चेन्नई नहीं जा सके। वहां उन्हें तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि आधी के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होना था और विपक्षी एकजुटता को लेकर 23 जून की बैठक में शामिल होने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को आमंत्रित भी करना था। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव करुणानिधि के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संदेश तमिल में पढ़ा गया। नीतीश ने कहा कि हम विपक्षी एकता दलों को एकजुट करना चाहते हैं। हमारा मानना है कि अगर अधिकांश विपक्षी दल एकजुट होकर मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर कर सकेंगे।

स्टालिन 23 को और ममता 22 को पटना में

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया है कि डीएमके अध्यक्ष व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन 23 जून को पटना में विपक्षी एकजुटता को ले होने वाली बैठक में भाग लेंगे। इधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 23 जून को होने वाली महाबैठक में शामिल होने के लिए 22 जून को ही पटना आ रही हैं। वह यहां सबसे पहले लालू प्रसाद से मिलने राबड़ी देवी आवास जाएंगी। लालू की किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ममता बनर्जी उनसे नहीं मिली है।

मोदी की अमेरिका यात्रा

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: वैश्विक राजनीति में भारत बड़ी भूमिका का हकदार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर मंगलवार रात करीब 10.15 बजे (भारतीय समयानुसार) न्यूयॉर्क पहुंचे। यात्रा से पहले उन्होंने रक्षा और तकनीक क्षेत्र में दोनों देशों के बेहतर संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, वैश्विक राजनीति में भारत बड़ी भूमिका का हकदार है। हवाईअड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रतिनिधि रूफस गिफोर्ड ने की।

चीनी साम्राज्य रोकने के लिए…

भास्कर की खबर है: चीनी साम्राज्य रोकने के लिए अमेरिका का सबसे बड़ा साझेदार बन सकता है भारत। अखबार लिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार रात अमेरिका के राजकीय दौरे पर पहुंचे। वे यहां 72 घंटे रहेंगे। वे 12 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा ऊर्जा और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में अहम डील हो सकती है। इस यात्रा के बाद भारत की छवि चीन के प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका के सबसे बड़े पार्टनर के तौर पर उभर सकती है।

चीन से रिश्ते

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: सीमा पर अमन व शांति के बिना चीन से रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते: मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा है कि चीन के साथ मौजूदा तनाव भरे रिश्ते को तभी सामान्य बना जा सकता है जब सीमा पर अमन और शांति स्थापित हो। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बातें अमेरिकी समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए इंटरव्यू में कही हैं।

पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में केंद्रीय बल

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव केंद्रीय बलो की तैनाती में ही होंगे। हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश की पुष्टि कर दी, जिसमें राज्य चुनाव आयोग को 2023 के पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल के सभी जिलों के लिए केंद्रीय बलों की मांग करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस मनोज मिश्रा की एक अवकाशकालीन पीठ ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देशों को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल राज्य और राज्य चुनाव आयोग द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का स्वरूप यह सुनिश्चित करना है कि निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं।

जी-20 की पटना बैठक

जागरण की खबर है: पटना आने लगे विदेशी मेहमान, आज से शुरू होंगे कार्यक्रम। अखबार लिखता है कि जी-20 की होने वाली बैठक के लिए पटना तैयार है। पटना के ज्ञान भवन और बापू सभागार में गुरुवार और शुक्रवार को जी-20 के लेबर इंगेजमेंट ग्रुप की बैठक होगी मगर कार्यक्रम बुधवार से ही शुरू हो जाएंगे। इसके लिए विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मंगलवार की शाम तक ब्राज़ील और इटली जैसे देशों के विदेशी मेहमान आ चुके थे।

योग की पढ़ाई के लिए नहीं मिले स्टूडेंट

हिन्दुस्तान की खबर है: 1197 सीबीएसई स्कूलों में योग की पढ़ाई को नहीं मिल रहे छात्र। अखबार के अनुसार सीबीएसई ने चार साल पहले अतिरिक्ति विषय के तौर पर योग की पढ़ाई शुरू की थी। राज्य के सभी 1197 सीबीएसई स्कूलों को योग की कक्षाएं शुरू करने को कहा गया। वर्तमान में स्थिति यह है कि योग की पढ़ाई बिहार के 90 फीसदी स्कूलों में नहीं हो रही। जिन स्कूलों ने इसे शुरू किया, वहां भी मात्र दो फीसदी छात्र ही नामांकन लेते हैं। 40 बच्चों के एक सेक्शन की सीटें भी नहीं भरती हैं।

नीलेकणि का डोनेशन

भास्कर की खबर है: नीलेकणि ने आईआईटी बॉम्बे को दिए 315 करोड़ रुपए। इंफोसिस के को फाउंडर नंदन नीलेकणि ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे को 315 करोड़ रुपए डोनेट किए हैं। आईआईटी के पूव छात्र नीलेकणि ने यह डोनेशन इंस्टिट्यूशन से पासआउट होने के 50 साल पूरे होने पर किया। उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। नीलेकणि इससे पहले भी आईआईटी बॉम्बे को 85 करोड़ रुपए दान कर चुके हैं। उनके दोनों डोनेशन को जोड़ें तो यह राशि 400 करोड़ रुपए होती है।

कुछ और सुर्खियां

  • 15 लाख प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी मनी जुलाई से लौटेगी
  • जबरदस्त गर्मी से बिहार के शहरों में 60% तक बढ़ी बिजली की मांग
  • बिहार विधान मंडल का मानसून सत्र 10 जुलाई से संभव
  • अररिया, किशनगंज और पूर्णिया में आज भारी बारिश की चेतावनी
  • सीतामढ़ी जिले के डूंगरा सीओ ₹25000 घूस लेते गिरफ्तार

अनछपी: नंदन नीलेकणि ने जिस तरह दिल खोलकर आईआईटी बॉम्बे को डोनेशन दिया है वह निश्चित रूप से काबिले तारीफ है। अपने संस्थान को डोनेट करने के लिए उस लायक़ बनना पड़ता है जो नीलेकणि बने। उनका नाम आधार कार्ड बनाने के पूरे प्रोजेक्ट के मुखिया के तौर पर जाना जाता है। हो सकता है बाकी छात्र उनके जैसे पैसे वाले नहीं हों लेकिन उनमें से अधिकतर काफी पैसे वाले हैं और वह भी चाहें तो अपने संस्थान को डोनेशन दे सकते हैं और संभवतः लोग देते भी होंगे। इस डोनेशन की अच्छी बात यह है कि हमें यह भी मालूम है कि इसका क्या किया जाएगा। आईआईटी बॉम्बे ने 20 जून को एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि इस दान का उद्देश्य वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है। इसके अलावा इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर में रिसर्च को प्रोत्साहित करना है। आईआईटी बॉम्बे में एक टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को डिवेलप करने में इस पैसे का इस्तेमाल किया जाएगा। रिसर्च के लिए डोनेशन देने का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि आजकल भारत सरकार की ओर से रिसर्च के लिए पैसे में भारी कटौती की जा रही है। ऐसे डोनेशन रिसर्च में की जाने वाली कटौती की भरपाई कर सकेंगे इसकी उम्मीद की जानी चाहिए। दूसरी ओर सरकार को भी यह देखना चाहिए कि जब रिसर्च के लिए डोनेशन दिया जा रहा है तो उसकी ओर से रिसर्च के मद में दी जाने वाली रकम में कटौती क्यों की जा रही है। उच्च शिक्षा के अच्छे संस्थानों से देश को होने वाले फायदे के मद्देनजर यह ज़रूरी है कि इनके लिए पैसों की कमी न होने दी जाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि नीलेकणि के इस डोनेशन से बाक़ी लोग भी प्रेरणा लेंगे और भारत में रिसर्च के क्षेत्र में पैसों की किल्लत दूर होगी।

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