छपी-अनछपी: नीतीश ने नाराजगी के दावे को नकारा, मणिपुर में दो कूकी महिलाओं के साथ बर्बरता

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक के बाद बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए पटना लौटने को नाराजगी बताने वाले दावों को खुद नीतीश कुमार ने खारिज कर दिया है। इसे सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। मणिपुर में हिंसा से जुड़े एक वीडियो में दो कूकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की खबर दिल दहलाने वाली है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: ना नाराजगी, न संयोजक पद की इच्छा, केंद्रीय सत्ता में बदलाव चाहते हैं: नीतीश। हिन्दुस्तान की हेडलाइन है: विपक्षी दलों की एकजुटता से भाजपा परेशानी में: सीएम। भास्कर ने लिखा है: फालतू बात कि मैं बेंगलुरु से नाराज हो पटना आ गया, INDIA नाम पर आपत्ति नहीं: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक से भाजपा परेशान है। हमारी एकजुटता से भाजपा में परेशानी है। उनकी हालत खराब है। मुख्यमंत्री राजगीर में राजकीय मलमास मेले के उद्घाटन के बाद और फिर पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयोजक बनने की मेरी कोई चाह नहीं है। मैं कोई महत्वाकांक्षा नहीं रखता हूं। मेरा काम विपक्ष को एकजुट करना है और उसी अभियान में लगा हूं।

भ्रम फैलाया गया

नीतीश कुमार ने कहा कि बेंगलुरु बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में शामिल न होने पर भ्रम फैलाया गया कि हम नाराज होकर चले आये। बैठक को लेकर मेरी किसी प्रकार की नाराजगी नहीं। ये सब बकवास है। हम एकजुट हैं। कोई चिंता नहीं। सब अच्छा चल रहा है। मुझे राजगीर जाना था। मेरा मन मलमास मेले में शामिल होने का था। इसीलिए लोगों से इजाजत लेकर बेंगलुरु से शाम में ही लौट आया।

मणिपुर में बर्बरता

भास्कर ने पहले पेज पर खबर दी है: गैंगरेप के बाद महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया, कर्फ्यू। मणिपुर में दो कूकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फॉरम (आईटीएलएफ) के गुरुवार को प्रस्तावित मार्च से एक दिन पहले यह वीडियो सामने आया है। आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता के मुताबिक, घृणित घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है। वीडियो में दिख रहा है कि असहाय महिलाएं रो रही हैं और मन्नतें कर रही हैं। बुधवार को मणिपुर में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया। घाटी के 5 जिलों में पूरी तरह कर्फ्यू लागू रहेगा। पहले यहां सुबह 5:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक ढील दी जा रही थी। इधर कूकी समुदाय ने इस घटना के विरोध में गुरुवार को चुराचंदपुर में प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

पीएफआई के याक़ूब की गिरफ्तारी

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: पीएफआई का मोस्ट वांटेड मास्टरमाइंड याकूब मोतिहारी से गिरफ्तार। अखबार लिखता है कि प्रतिबंधित पीएफआई का बिहार में मास्टरमाइंड याकूब खान उर्फ सुल्तान को बिहार पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। बिहार एटीएस को पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट मिला था कि एनआईए के लिए बेहद खास सुल्तान पूर्वी चंपारण के चकिया थाना क्षेत्र के उत्तर गोवन्दरा गांव में के एक मदरसे में छिपा है। गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने याकूब को एनआईए को सुपुर्द कर दिया। मोतिहारी में पीएफआई के मॉड्यूल का खुलासा होने के बाद पूरे मामले की जांच एनआईए कर रही है। इसमें पाया गया कि याकूब मोतिहारी कैंप का मुख्य मास्टरमाइंड और ट्रेनर था। वह जेहाद के नाम पर बहकाकर लाये गये युवाओं को हथियार समेत अन्य चीजों की ट्रेनिंग देता था।

तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित ज़मानत

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामले में कथित तौर पर फर्जी साक्ष्य तैयार करने के मामले में आरोपी व मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दे दी। हिन्दुस्तान के अनुसार अदालत ने सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे विकृत और विरोधाभासी बताया। गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश एक दिलचस्प अध्ययन है।

सीमा हैदर पाकिस्तान वापस भेजी जाएगी

जागरण की खबर है: सीमा हैदर पर कानूनी कार्रवाई तय, वापस भेजी जाएगी पाकिस्तान। लखनऊ से इस खबर में बताया गया है कि पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर के विरुद्ध चल रही जांच में यह प्रमाणित हो चुका है कि वह नेपाल के रास्ते चार बच्चों के साथ घुसपैठ कराई थी। ऐसे में उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई तय है। स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार सीमा के विरुद्ध नोएडा के रबूपुरा थाने में 4 जुलाई को दर्ज मुकदमे के तहत विधिक कार्रवाई की जा रही है। उसे पाकिस्तान भेजने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसके लिए संबंधित कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। अगर कोर्ट सीमा के विरुद्ध दर्ज मुकदमे में ट्रायल नहीं चाहेगा तब पाकिस्तानी दूतावास के माध्यम से उसे वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी

कुछ और सुर्खियां

  • पूर्व एमएलसी आजाद गांधी को साढ़े पांच वर्षों की सजा
  • उत्तराखंड के चमोली में करंट लगने से 16 लोगों की मौत
  • बिहार में रजिस्ट्रेशन के बाद ही उड़ाए जा सकेंगे ड्रोन
  • लहरिया कट बाइक चलाने वालों का लाइसेंस रद्द होगा
  • ट्विटर पर मोदी के 90 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स
  • बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी: मायावती
  • हाईकोर्ट ने पूछा क्यों नहीं बन रही पटना- डोभी सड़क

अनछपी: भारतीय जनता पार्टी की कथित डबल इंजन वाली सरकार मणिपुर में कूकी आदिवासी समुदाय की सुरक्षा में बुरी तरह नाकाम रही है। वहां तीन मई से जारी हिंसा मैं 130 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। अब सामने आया 4 मई का एक वीडियो दिल दहलाने वाला है। दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर दूसरे समुदाय के मर्द उनके साथ जिस तरह की बर्बरता करते हुए दिख रहे वह वास्तव में भारतीय राजनीति की निर्लज्जता को उजागर करता है। हाल ही में यूरोपीय संसद में जब इस बारे में भारत सरकार की आलोचना की थी तो इसे देश का आंतरिक मामला बताते हुए उसे खारिज कर दिया गया था। यह वीडियो दरअसल हमें यह बताता है कि भारत में मणिपुर की हिंसा की कैसे अनदेखी की गई है। मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू होने के बाद वहां सेना की तैनाती भी की गई और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्य का दौरा किया लेकिन कूकी समुदाय में जो दहशत व्याप्त है उसका कोई निराकरण नहीं हो सका। मणिपुर में एमएलए और मंत्री तक के घर को नुकसान पहुंचाया गया और वहां पढ़ने वाले दूसरे राज्यों के बच्चों को वापस भेजा गया। वहां लंबे समय तक इंटरनेट बंद रहा और यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। लेकिन क्या इन सब बातों पर भारतीय राजनीति में कोई खास चर्चा हो रही है? क्या भारतीय समाज मणिपुर के हिंसा से चिंतित है? अखबारों और टेलीविजन चैनलों पर नजर दौड़ाई जाए तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि मणिपुर की घटनाओं से कोई परेशान है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा नार्थ इएस्टर्न डेमोक्रेटिक अलायंस के संयोजक हैं और मणिपुर की हिंसा पर बीच-बीच में बयान देते रहे हैं। लेकिन श्री सरमा का खुद ऐसा इतिहास है कि उन पर सामुदायिक विवाद के मामले में विश्वास करना मुश्किल है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पूरी तरह विफल हैं और एक बार तो उन्होंने अपना इस्तीफा तैयार कर लिया था लेकिन नाटकीय ढंग से उनका इस्तीफा फाड़ा गया था। इस वीडियो के आने के बाद भारतीय राजनीति की बेशर्मी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक किसी ने किसी पद से इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में इस बात की उम्मीद करना बहुत मुश्किल लगता है के वीडियो में जो लोग अपराध करते दिख रहे हैं उन पर कानूनी कार्रवाई होगी। भारतीय समाज के लिए यह बेहद दुखद और निराशाजनक समय है।

 

 

 

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