छपी-अनछपी: मणिपुर में बर्बरता का वीडियो वायरल हुआ तो टूटी चुप्पी, बिहार में सुखाड़ का डर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मणिपुर में दो कूकी महिलाओं के साथ की गई बर्बरता का वीडियो जब सब जगह वायरल हो गया तो सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की चुप्पी टूटी। इससे जुड़ी खबरों की अच्छी कवरेज है। बिहार में बारिश की कमी से सुखाड़ का डर पैदा होने की भी रिपोर्ट है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: मणिपुर में महिलाओं से दरिंदगी पर देश शर्मसार। जागरण ने लिखा है: मणिपुर में हैवानियत पर देश शर्मसार। भास्कर की सुर्खी सुप्रीम कोर्ट का बयान है: सरकार एक्शन ले वरना हम लेंगे। मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और उनके साथ अमानवीय हरकतों की घटना सामने आने के बाद गुरुवार को पूरा देश आक्रोशित हो उठा। सरकार और विपक्ष से लेकर उच्चतम न्यायालय तक ने घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और इसे देश को शर्मसार करने वाली घटना बताया। संसद में प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया, जिसके बाद कार्यवाही पूरे दिन ठप रही। इस बीच, पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता सहित 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट क्या बोला?

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की अमानवीय घटना पर खुद से संज्ञान लेकर कहा, ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि वीडियो देखकर हम बहुत व्यथित हैं। “वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में कार्रवाई करे। हम सरकार को कार्रवाई के लिए समय देंगे, इसके बाद जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया जाता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।” कोर्ट मामले में 28 जुलाई को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह कोई नहीं जानता कि महिलाओं के साथ बर्बरता की यह केवल एक घटना थी या इस तरह की घटनाओं का पैटर्न है।

दो माह तक कोई कार्रवाई नहीं

भास्कर की खबर है: दो महीने तक एफआईआर दबी रही, वीडियो वायरल हुआ तो 24 घंटे में ही चार गिरफ्तार। मणिपुर के थाउबल जिले में 4 मई को लगभग एक हजार मैतेई लोगों ने गांव पर हमला किया था। हमलावरों ने तीन कूकी महिलाओं और दो पुरुषों को पकड़ लिया। एक महिला बचकर निकल गई जबकि दो को निर्वस्त्र कर घुमाया और एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। भीड़ ने दोनों पुरुषों की गोली मारकर हत्या कर दी। घटना की रिपोर्ट 13 मई को कांगपोक्सी  जिले के साइकुल थाने में जीरो नंबरी एफआईआर के जरिए कराई गई थी। साइकुल थाने से 21 जून को यह एफआईआर थाउबलथाने में दर्ज हुई। पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। 19 जुलाई को घटना का वीडियो सामने आने के 24 घंटे के भीतर पुलिस ने गुरुवार को 32 साल के खयरुम हेरादास सिंह समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

दिल दहलाने वाली घटना

मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले में दर्ज एफआरआई से ऐसी जानकारियां सामने आई है, जिससे आपका दिल दहल उठेगा। मानवता को शर्मसार करने वाले लोगों ने पहले महिलाओं को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया। इसके बाद 21 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। एफआईआर के मुताबिक भीड़ ने सबसे पहले 56 वर्षीय व्यक्ति को धान के खेत के पास मार डाला। इसके बाद उन्होंने 21,42 और 52 साल की तीन महिलाओं को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया। इसके साथ ही उनकी परेड कराई गई। इसके बाद 21 वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया। जब महिला के 19 वर्षीय छोटे भाई ने इसका विरोध किया तो उसकी हत्या कर दी गई। हालांकि बाद में तीनों महिलाएं किसी तरह भागने में सफल रहीं। इस दौरान वह सात किलोमीटर तक पैदल चली और एक अस्पताल पहुंचीं।

सुखाड़ की आहट

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर सुखाड़ की आहट के बारे में है। अखबार लिखता है कि बिहार में जरूरत के मुताबिक बारिश नहीं हुई है। पहले तो मानसून देर से आया और अब दगा दे रहा है। इसके नतीजे में सूबे में धान की रोपनी आधी भी नहीं हो पाई है। बिहार सरकार के अनुसार 20 जुलाई तक सिर्फ 43% रोपनी हो पाई है। कुल मिलाकर अभी तक 395 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी मगर सिर्फ 238 एमएम बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 5 दिनों तक उत्तर बिहार में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने के आसार हैं जबकि दक्षिण बिहार में तेज धूप रहेगी।

गया रोडरेज के मामले में दोषी हाईकोर्ट से निर्दोष

पटना हाईकोर्ट ने गया के चर्चित आदित्य हत्याकांड के तीनों आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। 7 मई 2016 को रोडरेज की घटना के दौरान 18 साल के आदित्य सचदेवा की गोली मार हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में गया सिविल कोर्ट के प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 31 अगस्त 2016 को राकेश रंजन यादव उर्फ रॉकी, टेनी यादव उर्फ राजीव कुमार, राजेश कुमार और विदेश्वरी प्रसाद उर्फ बिंदी यादव को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनायी थी। सजा पाए चारों अभियुक्तों ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सजायाफ्ता बिंदी यादव की मौत हो जाने के कारण उसकी अपील पर सुनवाई नहीं हुई। न्यायमूर्ति एएम बदर और हरीश कुमार की डबल बेंच ने तीन अन्य की अपील पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए तीनों को बरी कर दिया। साथ ही अभियुक्तों से ली गई जुर्माने की राशि भी लौटाने का आदेश दिया।

कुछ और सुर्खियां

  • महाराष्ट्र के रायगढ़ में पहाड़ खिसकने से एक ही गांव के 16 लोगों की मौत
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भाजपा नेता विजय सिंह की मौत का कारण हार्ट अटैक, लाठीचार्ज नहीं
  • कुरान की प्रति जलाने के मुद्दे पर इराक में प्रदर्शनकारियों ने स्वीडन का दूतावास फूंका
  • सीईयूटी पीजी का रिजल्ट निकला
  • बेगूसराय के बखरी में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के बाद हंगामा
  • स्वास्थ्य विभाग में डेढ़ लाख पदों पर होने वाली बहाली की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी

अनछपी: बिहार लोक संवाद डॉट नेट के इस कॉलम में हम बराबर मणिपुर की घटना का जिक्र करते रहे हैं। अफसोस की बात है कि मणिपुर की भयावह घटनाओं को ना तो सरकार ने गंभीरता से लिया और ना ही मीडिया ने इस पर ध्यान दिया। यह भी याद रखने की बात है कि भारत के मानवाधिकार आयोग ने पी इस पर चुप्पी साधे रखी। मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के बाद इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी इसीलिए वहां दो महिलाओं के साथ हुई बर्बरता का वीडियो अब जाकर वायरल हुआ। सरकार उन लोगों पर कार्रवाई करने की बात कह रही है जिनके टि्वटर हैंडल से यह वीडियो वायरल हुआ और खुद ट्विटर पर भी कार्रवाई की बात कर रही है। कूकी महिलाओं के साथ बर्बरता के उस वीडियो को वायरल करना चाहिए था या नहीं यह एक गंभीर सवाल है। एक तरफ सरकार इसे शांति व्यवस्था में खलल डालने वाला काम मान सकती है तो दूसरी ओर यह भी कहा जा सकता है कि अगर यह वीडियो वायरल नहीं होता तो ना सरकार जागती और ना ही सुप्रीम कोर्ट सख्त रवैया अपनाता। हमारे समाज की यही अफसोसनाक बात है कि जुल्म को रोकने में उतना ध्यान नहीं लगाया जाता जितना जुल्म की खबर को रोकने में हमारी मेहनत लगती है। सरकार के जो लोग आज गुस्से और दुख की बात कर रहे हैं वह उनकी राजनीति नहीं है इसे मानना मुश्किल लगता है। बहुत से लोग यह सवाल भी पूछते हैं कि क्या इस तरह की भयावह घटना की जानकारी सरकार को नहीं थी जबकि इसके बारे में काफी पहले एफआईआर दर्ज की जा चुकी थी? ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार को इसकी जानकारी थी लेकिन उसने अपनी चुप्पी तब थोड़ी जब इसकी जानकारी बाकी दुनिया को भी हो गई और तब जाकर प्रधानमंत्री ने इसे देश के लिए शर्मनाक बताया। अब कहा जा रहा है कि दोषियों पर कार्रवाई हुई है लेकिन सवाल यह है कि जब एफआईआर इतने पहले हुई थी और वीडियो वायरल होने से पहले कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पुलिस ने कैसे 24 घंटे के अंदर दो दोषियों को गिरफ्तार कर लिया? ऐसे में सरकार पर यह आरोप लगना स्वाभाविक है कि वह दोषियों को बचाना चाह रही थी लेकिन अब जबकि सुप्रीम कोर्ट तक ने इसका संज्ञान ले लिया तो उसके पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। ऐसे वक्त में कई लोग गुजरात की बिलकीस बानो का मामला (तस्वीर ट्विटर से साभार) भी याद कर रहे हैं जिनके साथ भी बर्बरता की गई थी लेकिन दोषियों को कुछ वर्षों की सजा काटने के बाद सरकार ने ही रिहा कर दिया जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मणिपुर में कथित डबल इंजन की सरकार है और ऐसे में सरकार की नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है। बहुत से लोग मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब ऐसी घटना के बाद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें राजधर्म की याद दिलाई थी।

 

 

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