बिहार को नफरत की प्रयोगशाला बनाने पर तुले मोदी को बहुसंख्यक वर्ग कर रहा है खारिज

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद।

नरेन्द्र मोदी के विवादित भाषणों को सुनकर यह सवाल सहज रूप से उठता है कि क्या नरेन्द्र मोदी गुजरात, असम, उत्तराखंड और यूपी की तरह बिहार को नफरत की प्रयोगशाला बनाने पर तुले हुए हैं? यह वह बिहार है जहां, कुछ अपवाद को छोड़कर, कई धर्मों के लोग सदियों से मिलजुल कर रहते आ रहे हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी शांति और भाइचारे के माहौल को बार-बार पलीता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके भाषणों को सुनकर ऐसा लगता नहीं है कि वो भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं और उस मुसलमान उस देश के सम्मानित नागरिक हैं। वो मुसलामानों को ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला और घुसपैठिया बता चुके हैं। वोे हिन्दुओं के अंदर एससी-एसटी और ओबीसा का रिजर्वेशन छीन कर मुसलमानों को दे दिए जाने का डर पैदा करने की कोशिश कर चुके हैं। उन्होंने हिन्दू महिलाओं को सावधान किया है कि उनका जेवर और मंगलसूत्र मुसलमानों को दे दिया जाएगा। अब वो गोधरा को भी ले आए हैं।।

लेकिन गोधरा कांड के बाद 2002 में मुसलमानों को सबक सिखाने के नाम पर गुजरात में जो कुछ हुआ, वोे सबको पता है। बीबीसी ने उसपर डॉक्यूमेंटरी बनाई और उसमें नरेन्द्र मोदी को सीधे जिम्मेदार बताया तो डॉक्यूमेंटरी पर देश में पाबंदी लगा दी गई। नरेन्द्र मोदी गोधरा टेªन हादसे की जांच करने वाले बनर्जी कमीशन की रिपोर्ट को बोगस करार देते हैं। जज का नाम भी बड़ी हिकारत से लेते हैं। इसलिए कि जस्टिस यूसी बैनर्जी कमीशन की रिपोर्ट ने अपनी फाइंडिंग में कहा था कि साबरमती एक्सप्रेस टेªन में आग बाहर से नहीं लगाई गई थी, बल्कि अंदर से लगी थी। यादी कीजिए कि हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं घटी हैं जिसमें हिन्दुत्ववादी गिरोह ने मुसलमानों को बदनाम करने के लिए नापाक साजिशें की हैं। गोधरा का जिक्र करते हुए नरेन्द्र मोदी ने यह नहीं कहा कि टेªन हादसे के समय रेल मंत्री नीतीश कुमार थे। उन्होंने यह भी नहीं कहा कि रेल मंत्री के रूप में नीतीश ने न तो अपने ऊपर कोई जिम्मेवारी ली और न ही मामले की सही से जांच कराई। नीतीश के बाद जब लालू प्रसाद मंत्री बने थे, तब उन्होंने जांग आयोग का गठन किया था।

सच तो ये है कि मुसलमानों के मामले में नरेन्द्र मोदी की जबान फिसलती नहीं है, बल्कि सोच-समझ कर तैयार की गई हेट स्पीच होती है। दिलचस्प बात है कि उनकी स्पीच से पूरे देश में यही संदेश जा रहा है कि सत्ता पर से उनकी पकड़ ढीली हो चुकी है और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी वापसी बेहद मुश्किल नजर आने लगी है। यही वजह है कि वो इस चुनाव को 80 फीसद बनाम 20 फीसद की तरफ ले जाना चाहते हैं। लेकिन तारीफ देश के बहुसंख्यक वर्ग की होनी चाहिए जो भाजपा के चुनावी स्टंट को बखूबी समझ रहा है। यही वजह है कि नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के दूसरे बड़े-छोटे लीडर जब मुसलमानों के खिलाफ बोल रहे होते हैं, तब भीड़ में कोई उत्साह नहीं होता।

अब तक के वोटिंग परसेंटेज से भी उत्साह में इस कमी को महसूस किया जा सकता है। इस बीच विपक्षी दलों ने एनडीए पर जोरदार हमला शुरू कर दिया है। कांग्रेस की जेनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि बीपेजी और नरेन्द्र मोदी ये इलेक्शन धर्म और पाकिस्तान के नाम पर लड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने संदेशखाली की घटना पर कहा कि भाजपा ने सत्ता की चाह में हमारी-मां बहनों की इज्जत बेच दी। कर्नाटक में यौन शोषण के आरोपी उम्मीदवार के लिए जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने जनता से वोट देने की अपील की उससे महिलाओं को लेकर उनका असली चेहरा बेनकाब हो गया। दूसरी तरफ, भाजपा और नरेन्द्र मोदी को लेकर चुनाव आयोग जिस तरह से बेहिसी का मुजाहिरा कर रहा है, उससे साफ-सुथरा चुनाव चाहने वालों को बेहद निराशा हुई है।

अखबारों में खुलकर धर्म के नाम पर वोट मांगा जा रहा है।  मई को हिन्दुस्तान में प्रकाशित भाजपा के विज्ञापन में कहा गया है कि आपके वोट से अयोध्या में बना भव्य श्रीराम मंदिर। इस बार आपके ही वोट से काशी कॉरिडोर की तर्ज पर अन्य धार्मिक स्थलों का विकास करेंगे। यह विज्ञापन आदर्श चुनाव आचार संहिता का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है। लेकिन चुनाव आयोग चुप है। वहीं, अधिक से अधिक मतदान में भागीदारी निभाने के लिए जिहाद के तौर पर वोट देने की जब समाजवादी पार्टी की नेता मारिया आलम खान ने जनता से अपील की तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई।

दूसरी तरफ, नरेन्द्र मोदी ने बात का बतंगड़ बना दिया। उन्होंने कहा कि लव जिहाद और लैंड जिहाद तो सुना था अब वोट जिहाद भी सुनने को मिल रहा है। यह कहकर वो न सिर्फ ‘जिहाद’ शब्द के असली मतलब से अपनी अज्ञनता का परिचय दे रहे थे बल्कि मुसलमानों के खिलाफ अलग-अलग तरीके से जिहाद शब्द के इस्तेमाल को एस्टैब्लिश भी कर रहे थे।

अलजजीरा ने हाल ही में मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच पर एक रिपोट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी की जीवनी लिखने वाले नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं, ‘कई दशकों से धार्मिक ध्रुवीकरण मोदी का सेकंड नेचर रहा है। भारत के लोकतंत्र को मोदी और बीजेपी ने बुरी तरह कुचलकर रख दिया है।’

लोकतंत्र को नीस्तो नाबूद करने के प्रयास के तहत ही नरेन्द्र मोदी जब-जब बिहार आते हैं विवादित भाषणों का दो-चार फावड़ा मारकर चले जाते हैं। ऐसा करते वक्त वो भूल जाते हैं कि बिहार की धरती वैशाली से ही लोकतंत्र का जन्म हुआ था।

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