हाथ में कमल लेकर नीतीश ने खेला मास्टरस्ट्रोक?
सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद
पीएम नरेन्द्र मोदी पटना में रोडशो करके जा चुके हैं लेकिन उससे पैदा हुआ सियासी भूंचाल अभी थमा नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने जिस तरह रोड शो के दौरान अपनी भाव भंगिमा प्रकट की और भाजपा का चुनाव चिह्न अपने हाथ से लहराया, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी कहते हैं कि रोडशो के दौरान नीतीश कुमार असहाय से नजर आ रहे थे और उनके चेहरे से बेचारगी साफ टपक रही थी। यह हिन्दुस्तानी सियासत की बेहद असफसोसनाक तस्वीर है। उन्होंने नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब आपने कमल को अपने हाथ में ले ही लिया है तो अपने चुनाव चिह्न तीर को वापस अपने तरकश में डाल लीजिए।
एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, पटना के पूर्व निदेशक और चुनावी विश्लेषक डीएम दिवाकर का मानना है कि नीतीश का चेहरा भावशून्य था और ऐसा लग रहा था कि उनके पास रोड शो में हिस्सा लेने के अलावा और कोई ऑपशन नहीं था। लेकिन जिस तरह से उन्होंने भाजपा के चुनाव चिह्न को अपने हाथ में लिया, वह हैरान करने वाला था। हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत करते हुए दिवाकर ने कहा कि यह रोडशो जेडीयू के लिए काउंटर प्रोडक्टिव साबित हो सकता है। अगले चरणों के मतदान में बड़े पैमाने पर सेक्यूलर और अल्पसंख्यक वोट इंडिया यानी महागठबंधन की तरफ शिफ्ट हो सकता है।
इस बीच राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने साफ कहा कि नीतीश कुमार अब कभी सत्ता में वापस नहीं आ सकते।
रादज नेता तेस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार की हालत देखकर बहुत से लोगों को दुख हआ है। ऐसा लग रहा था कि जबरदस्ती उनके हाथ में कमल थमा दिया गया है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि नीतीश ने कहा था कि वो 2014 वाले को 2024 में वापस नहीं आने देंगे। वो उसी लाइन पर आगे बढ़ रहे हैं।
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र की उम्मीदवार मीसा भारती ने कहा कि मोदी के रोडशो से महागठबंधन को फायदा ही होगा।
किसी को यकीन नहीं होगा कि ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने जून 2010 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का मुख्यमंत्री आवास में होने वाला तयशुदा डिनर कैंसिल कर दिया था। उसकी वजह ये तस्वीर थी जो विज्ञापन के रूप में पटना से प्रकाशित दो हिन्दी अखबारों में छपी थी। विज्ञापन में कोसी के बाढ़ पीड़ितों को गुजरात सरकारी की तरफ से दी गई 5 करोड़ रुपये की राशि के लिए नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया गया था। विज्ञापन देखकर नीतीश कुमार को इतना गुस्सा आया था कि वो आपे से बाहर हो गए थे। उन्होंने सुशील मोदी से कहा था- ‘गलत मेसेज चला गया है। आप लोगों ने भेजा है। मेरी जानकारी के बिना ये सब छपा कैसे?’ नीतीश ने नरेन्द्र मोदी का डिनर कैंसिल करने के साथ ही 5 करोड़ रुपया भी गुजरात सरकार को वापस कर दिया था। सुशील मोदी अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन ये पूरी घटना शंकरशन ठाकुर की किताब ‘‘सिंगलमान: द लाइफ एंड टाइम्स आफ नीतीश कुमार ऑफ बिहार’।
दूसरी बार अगस्त 2015 में तब नीतीश कुमार ने नरेन्द्र मोदी को ईंट का जवाब पत्थर से दिया था जब मोदी ने नीतीश के डीएनए पर सवाल उठाया था। नीतीश ने न सिर्फ नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर डीएनए टिप्पणी का विरोध किया था और इसे समस्त बिहारियों का अपमान बताया था, बल्कि डीएनए टेस्ट के लिए लाखों बिहारियों के बाल का सैंपल भी मोदी को भेजा था।
2024 में उन्हीं मोदी और बीजेपी के सामने नीतीश कुमार का यह रूप नीतीश के किसी मास्टर स्ट्रोक का हिस्सा लगता है। अभी तीन चरणों में बिहार की 21 सीटों पर चुनाव होने हैं। यानी कुल 40 में से आधा बिहार अभी बचा हुआ है। नीतीश ने जनता को यह मैसेज दे दिया है कि भले ही वो मोदी और भाजापा के मंच पर एक साथ नजर आ रहे हों लेकिन मन से वो एनडीए के साथ नहीं हैं। इसलिए बिहार की धर्मनिरपेक्ष जनता खुद तय करले कि बाकी बची सीटों पर किसे वोट देना है।
271 total views