छ्पी-अनछ्पी: जोड़-तोड़ में जीते नीतीश, नवाज़ शरीफ़ फिर बन सकते हैं पीएम

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में सरकार बचाने और गिराने की जोड़-तोड़ के दो तरफ़ा खेल में नीतीश कुमार ने बाजी मार ली। उन्होंने विश्वास मत जीतने के बाद राजद के मंत्रियों पर कमाई का आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी जांच कराएंगे। सभी अखबारों में इससे जुड़ी खबरें भरी पड़ी हैं। राजनीतिक जोड़-तोड़ का खेल पाकिस्तान में भी जारी है और ऐसी खबर है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दोबारा प्रधानमंत्री बन सकते हैं। इसके बारे में भी सभी अखबारों में जानकारी दी गई है। कतर में कैद भारतीय नेवी के पूर्व अधिकारियों के छूटने की खबर भी सभी जगह ली गई है।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: बहुमत नीतीश ने फिर जीता विश्वास। जागरण ने लिखा है: नीतीश ने हासिल किया विश्वास मत, पक्ष में पड़े 129 वोट। प्रभात खबर की सुर्खी है: नीतीश पर विश्वास। भास्कर की मेन हेडलाइन है: खेला हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त कर लिया। विपक्ष के वाकआउट के बीच सदन के अंदर विश्वास मत के पक्ष में 130 मत पड़े। इसमें विधानसभा उपाध्यक्ष का मत भी शामिल है। सत्ता पक्ष ने तीन विपक्षी विधायकों का मत भी हासिल किया। मत विभाजन के पहले ही वाकआउट के चलते विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा। हालांकि इसके पहले विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने दो बार विश्वास मत का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित होने की घोषणा की, लेकिन संसदीय मंत्री और फिर मुख्यमंत्री के आग्रह पर सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में मतों की गिनती की गई।

कैसे हारे स्पीकर अवध बिहारी

बिहार विधानसभा में सोमवार को बहुमत से विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को पद से हटाने का प्रस्ताव पारित हो गया। सत्ताधारी दल के भाजपा के नंदकिशोर यादव और ‘हम’ के जीतन राम मांझी द्वारा अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि इसके विपक्ष में 112 वोट आए।

कमाई का आरोप, जांच की बात

भास्कर की सुर्खी है: तेजस्वी व उनके लोग कमा रहे थे, एमएलए को लाखों लाख दे रहे थे, उन सब की जांच कराएंगे: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर कहा, “हम इन लोगों को इज्जत दे रहे थे, मगर सरकार में शामिल यह लोग कमा रहे थे। एमएलए की जोड़-तोड़ में उनको लाखों लाख रुपए दे रहे थे। हम इन सब की जांच कर आएंगे।”

शिक्षा विभाग जबर्दस्ती लेने का इल्जाम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कहा के राजद ने इस बार सरकार में आने के बाद जबरदस्ती शिक्षा विभाग ले लिया। उन्होंने कहा कि इस विभाग में यह लोग गड़बड़ कर रहे थे।

बगावत करने वाले राजद के तीन विधायक

जब विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ बहस चल रही थी तो बहस में राजद के तीन विधायक शिवहर के चेतन आनंद, मोकामा की नीलम देवी और सूर्यगढ़ा के विधायक प्रह्लाद यादव सत्ताधारी दल के बीच आकर बैठ गए। पूर्व सांसद आनंद मोहन व लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद का पाला बदलना तय माना जा रहा था। ध्यान रहे कि आनंद मोहन गोपालगंज डीएम कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पा चुके हैं। आनंद मोहन के जेल से बाहर आने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बहुत बड़ा हाथ माना जाता है। शायद इसी कारण चेतन आनंद ने नीतीश कुमार का साथ दिया। नीलम देवी के पति अनंत सिंह अभी जेल में है। सत्ता के साथ होने से उनको और पूरे परिवार को राहत मिल सकती है। प्रह्लाद यादव पहले से जदयू के करीबी माने जाते थे।

तेजस्वी ने नीतीश को दशरथ की तरह मजबूर बताया

भास्कर की खबर है कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बार-बार सत्ता बदलने पर प्रहार किया। उन्होंने इशारों में खुद को दशरथ (नीतीश कुमार) का राम बताते हुए कैकेयी को पहचानने की नसीहत दी। उन्होंने कहा, “हम मुख्यमंत्री की इज्जत करते हैं। हम उन्हें अपना अभिभावक मानते हैं। मजबूरियां रही होंगी, जैसे दशरथ की मजबूरी रही होगी कि उन्होंने राम को वनवास के लिए भेज दिया था। हालांकि, मुझे वनवास नहीं, जनता का सुख-दुख समझने के लिए भेजा गया है। देश मे जो किसी सरकार ने नहीं किया, 17 महीने मे महागठबंधन सरकार ने किया।” उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 के चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के मतों में मात्र 12 हजार का अंतर था। “मर जाएंगे, मिट जाएंगे पर उनके साथ नहीं जाएंगे कहा जाता था। देश भर के विपक्षियों को एकजुट कर तानाशाह को रोकने के लिए हमारे साथ आए थे। अब कहा जा रहा है कि मन नहीं लग रहा था। क्या हम नाच-गाकर दिखाते।”

किसने क्या कहा:

  • पीएम मोदी इस बात की गारंटी देंगे कि नीतीश कुमार फिर पाला नहीं बदलेंगे: तेजस्वी यादव
  • लालू राबड़ी सरकार ने 15 साल में एक लाख नौकरी भी नहीं दी थी: सम्राट चौधरी
  • नीतीश कुमार ने कुर्सी के कारण सब कुछ बदला है, भाजपा और जदयू का समझौता बेमेल: शकील अहमद खान
  • भगवान के नाम पर हमेशा पार नहीं लगेगा: भाकपा विधायक सूर्यकांत पासवान
  • तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने दफ्तर जाना छोड़ तब शिक्षकों की नियुक्ति हुई: विजय चौधरी
  • ठाकुर के कुएं में अभी पानी बहुत है:सोशल मीडिया पर चेतन आनंद

बिहार में बेरोजगारी दर

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: बिहार में बेरोजगारी दर 4.3 फ़ीसदी, यह राष्ट्रीय औसत से 0.9% ज्यादा। बिहार के ताजा आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि यहां बेरोजगारी दर्द 4.3% है जबकि राष्ट्रीय औसत 3.4% है। वित्त मंत्री सम्राट चौधरी की ओर से विधानसभा के पटल पर पेश 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों से इसका पता चलता है। यह सर्वेक्षण 2022-23 के बाद प्रदेश की अर्थव्यवस्था का हाल बता रहा है। यह स्थिति तब है जब शिक्षक भर्ती समेत दूसरी नियुक्तियों में लगभग 2 लाख को नौकरी मिली है।

क़तर की क़ैद से लौटे पूर्व नेवी अधिकारी

कतर ने जेल में बंद आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। आठ में से सात पूर्व सैनिक सोमवार तड़के दिल्ली लौट आए। वहीं, एक पूर्व सैनिक दोहा में रुके हुए हैं, वो कुछ दिन बाद लौटेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए कतर सरकार के फैसले की सराहना की।

नवाज़ बन सकते हैं पीएम

जागरण की खबर है कि पाकिस्तान में लगभग तय हो गया है कि नवाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार सत्तारूढ़ होगी और इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ विपक्ष में बैठेगी। सत्तारूढ़ गठबंधन में नवाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के साथ बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट शामिल होंगी।

अशोक चव्हाण का कांग्रेस से इस्तीफा

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के अशोक चव्हाण ने विधानसभा और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। चव्हाण के त्यागपत्र के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के करीब दस विधायक पाला बदल सकते हैं। अशोक चव्हाण का दावा है कि उन्होंने अभी किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने के बारे में अंतिम निर्णय नहीं किया है। पर माना जा रहा है कि वह भाजपा में जा सकते हैं और इसके लिए भाजपा उन्हें राज्यसभा सीट से नवाज सकती है।

कुछ और सुर्खियां

  • भाजपा के नंदकिशोर यादव बनेंगे विधानसभा के अध्यक्ष, आज करेंगे नामांकन
  • बिहार विधान मंडल में आज पेश होगा राज्य का बजट
  • झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ईडी रिमांड 3 दिन और बढ़ी
  • जदयू के कोटे से राज्यसभा भेजे जाएंगे पूर्व मंत्री संजय झा
  • राजस्थान से राज्यसभा जा सकती हैं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी
  • श्रीलंका और मॉरिशस में भी यूपीआई से भुगतान हो पाएगा
  • बिना जमाबंदी और होल्डिंग जमीन की खरीद बिक्री नहीं: हाईकोर्ट
  • केंद्र के साथ बातचीत नाकाम, किसानों का दिल्ली मार्च जारी

अनछपी: सरकारी और विपक्षी दल चाहे जो कहें बिहार की राजनीति में एक तरह का खेला हुआ हालांकि खेला उस स्तर तक नहीं पहुंचा जिसका दावा किया जा रहा था। यह खेला विधायकों को जोड़ने- तोड़ने का तो था ही, साथ ही सरकार के अमले ने भी इसमें कम भूमिका नहीं निभाई है। ऐसी बातों की चर्चा यूट्यूब चैनल और अखबार के पन्नों पर तो है लेकिन आम लोगों के बीच इसकी चर्चा कम है। उदाहरण के लिए पहली खबर यह है कि पटना में बीमा भारती के अपहरण का केस दर्ज हुआ है और मोकामा में उनके पति और बेटे को गिरफ्तार किया गया है। सोचने की बात है कि जदयू की विधायक बीमा भारती का अपहरण कैसे हो सकता है। इस बारे में पूर्व मंत्री और जदयू विधायक सुधांशु शेखर की शिकायत पर जदयू के ही विधायक डॉक्टर संजीव और राजद नेता इंजीनियर सुनील पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए पटना के कोतवाली थाने में एफआईआर की दर्ज कराई गई है। यही नहीं शिवहर के राजद विधायक चेतन आनंद की कथित गुमशुदगी के मामले को भी अपहरण में बदला गया है। ध्यान रहे कि एसपी स्तर के एक अधिकारी ने तेजस्वी यादव के घर जाकर चेतन आनंद से बात की थी और रविवार की आधी रात पुलिस की टीम दोबारा तेजस्वी के घर पहुंची और वहां से चेतन आनंद को लेकर उन्हें उनके घर तक छोड़ आई। इसके अलावा नवादा के रजौली में खगड़िया के परबत्ता से जदयू विधायक डॉक्टर संजीव कुमार को भी एसपी के नेतृत्व में पुलिस बल ने रोका था। संजीव कुमार के पाला बदल राजद में जाने की अटकलें थी। इन तीन खबरों से पता चलता है कि सत्ता का यह खेला सिर्फ राजनीतिक खेल नहीं था बल्कि इसमें पुलिस प्रशासन की भी मदद ली जा रही थी। इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार ने हालांकि विश्वास मत जीत लिया है लेकिन अपनी साख गंवा दी है। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने भी सरकार बचाने में पूरा जोर लगाया लेकिन उसके भी पांच विधायक डांवाडोल रहे और अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी उन पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ इस नई पारी में किस हद तक आजाद रहकर काम कर पाते हैं।

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