छ्पी-अनछ्पी: दिवाली के बाद दिल्ली-पटना की हवा बहुत खराब, बिहार में 11 हज़ार हेडमास्टर बहाल होंगे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दिवाली के दौरान हुई आतिशबाजी से एक बार फिर दिल्ली और पटना की हवा बेहद खराब होने की खबर सभी जगह है। बिहार में 11 हज़ार हेडमास्टरों की बहाली होगी, इस खबर को सबसे ज़्यादा महत्व मिला है।

भास्कर की बड़ी खबर है: दिल्ली एनसीआर के बाद अब बिहार, ओडिशा में प्रदूषण के नए हॉटस्पॉट बने। अख़बार लिखता है कि पटाखों ने देश के 52 शहरों की हवा को बेहद खराब स्थिति में पहुंचा दिया है। उत्तर भारत में धनतेरस से पहले हुई बारिश ने हवा की गुणवत्ता में 50 फ़ीसदी से ज्यादा सुधार ला दिया था। इससे उम्मीद बनी थी कि पटाखे ना चले तो बीते 8 वर्ष में दिल्ली एनसीआर में दिल्ली की हवा सबसे बेहतर रहेगी। लेकिन ऐसा ना हो सका। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद दीपावली पर जमकर पटाखे चले और दिल्ली का एक्यूआई जो दीपावली के एक दिन पहले 218 था वह अगले दिन 70% बढ़कर 358 हो गया। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक 12 नवंबर शाम 4 से 13 नवंबर शाम 4 के बीच देश के 245 शहरों के इंडेक्स में 52 शहरों का एक्यूआई 300 से ज्यादा रहा। सबसे गंभीर बात यह है कि 52 में से 12 शहर बिहार और 8 शहर ओडिशा के हैं।

पटना की हवा बेदद खराब

हिन्दुस्तान की खबर है: पटना में पिछले साल से इस बार दिवाली पर हवा अधिक जहरीली। पिछले साल दिवाली की तुलना में इस वर्ष पटना शहर में वायु प्रदूषण अधिक रहा। पिछले साल दीपावली में पटना में वायु प्रदूषण का सूचकांक 178 था जो इस बार बढ़कर 369 पहुंच गया। दीपावली की शाम और रात को वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह के मुकाबले कम रह। वहीं सोमवार की सुबह इसमें फिर वृद्धि हुई। पटना के अलावा राज्य के दूसरे शहरों की हवा भी लगातार खराब होती जा रही है। बिहार के दर्जन भर शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक सोमवार को 300 के पार चला गया है। पिछले साल दीवाली के मुकाबले इस वर्ष पटना की आबोहवा ज्यादा प्रदूषित रही।

दिल्ली में दिवाली के बाद बदहाली

इस बार दिवाली के दिन दिल्ली की हवा पटाखों और आतिशबाजी के धुएं के चलते सोमवार को फिर दमघोंटू हो गई। बीते नौ वर्षों में इस बार दिवाली के अगले दिन वायु गुणवत्ता खराब होने का अंतर सबसे अधिक रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 358 अंक यानी बेहद खराब श्रेणी में रहा। रविवार को यह 218 अंक था। चौबीस घंटों में इसमें 140 अंकों की बढ़ोतरी हुई। इससे पहले वर्ष 2018 में प्रदूषण के स्तर में सबसे ज्यादा 109 अंक की वृद्धि हुई।

11 हज़ार हेडमास्टर बहाल होंगे

हिन्दुस्तान, प्रभात खबर और जागरण की लीड यह है कि सरकारी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 11 हजार 334 पदों पर हेडमास्टर (प्रधानाध्यापक) की नियुक्ति होगी। शिक्षा विभाग द्वारा इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। जल्द ही इन नियुक्तियों को लेकर बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम भेजी जाएगी। विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि प्रधानाध्यापकों की कुल रिक्तियों में छह हजार पद पुराने हैं। शिक्षा विभाग ने 6 हजार 421 पदों पर प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग को पूर्व में जो अधियाचना भेजी थी, उनमें 421 पदों पर ही प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति हो पायी थी।

ब्रिटेन में पूर्व पीएम बने विदेश मंत्री

प्रभात खबर की खबर है: पूर्व पीएम कैमरन बने विदेश मंत्री, सुएला गृह मंत्री पद से बर्खास्त। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अगले साल संभावित आम चुनाव से पहले सोमवार को एक अभूतपूर्व कदम उठाया। इसके तहत देश के पूर्व पीएम डेविड कैमरन को नया विदेश मंत्री नियुक्त करने का ऐलान किया। साथ ही भारतीय मूल की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त कर दिया। उनकी जगह जेम्स क्लेवर्ली को गृह मंत्री की जिम्मेदारी सौंप गई है। कैमरन 2010 से 2016 तक पीएम और 2005 से 2016 तक कंजरवेटिव पार्टी के नेता रह चुके हैं।

ग़ज़ा में अस्पताल के पास भीषण जंग

इसराइली सेना के साथ ग़ज़ा पट्टी के सबसे बड़े अस्पताल अल शिफा के बाहर भीषण जंग जारी है। अस्पताल में फंसे स्वास्थ्य अधिकारियों ने शिशुओं और अन्य को निकालने में मदद करने के इसराइल के दावों को खारिज कर दिया। हमले में हमास के 21 सदस्यों को मार गिराने का दावा किया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि बिजली आपूर्ति ठप होने और आवश्यक सामग्री की उपलब्धता घटने से हजारों चिकित्सा कर्मी, मरीज परेशान हैं। वहीं, अस्पताल में शरण लेने वाले विस्थापित गोलीबारी की वजह से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

अल्पसंख्यक महिलाएं बन रहीं उद्यमी

जागरण की खबर है: अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं में उद्यमिता का नया ट्रेंड। अखबार दिखता है कि बिहार की अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं में उद्यमिता के नए ट्रेंड दिख रहे हैं। आमतौर पर यह अवधारणा है कि इस समाज की महिलाएं उद्यमिता के क्षेत्र में नहीं आतीं पर हाल ही में जब उद्योग विभाग ने अल्पसंख्यक उद्यमी योजना के तहत चयनित 1247 लोगों की सूची जारी की तो उसमें महिलाओं की संख्या ठीक-ठाक है। अल्पसंख्यक समाज की महिलाएं आइसक्रीम फैक्ट्री, एग्री ड्रोन सर्विस, पावरलूम व इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण से लेकर लेदर जैकेट बनाने की फैक्ट्री लगाने की दिशा में आगे आई हैं। यह ट्रेंड छोटे शहरों में भी दिख रहा है। बांका और भागलपुर जिले में अल्पसंख्यक महिलाएं पावरलूम सेक्टर में आ रही हैं। गोपालगंज जिले में एक अल्पसंख्यक महिला अपना ऑयल मिल लगा रही हैं। औरंगाबाद में एक अल्पसंख्यक महिला दाल मिल लग रही हैं। बेकरी और फल के जूस वाले सेक्टर में तो संख्या दो अंको में है।

मोइनुल हक़ स्टेडियम टूटकर बनेगा

प्रभात खबर की खबर है: मोइनुल हक स्टेडियम को तोड़कर बनेगी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी। राजधानी में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर का कायाकल्प होगा। मोइनुल हक स्टेडियम को तोड़कर इंटरनेशनल स्तर की स्पोर्ट्स सिटी का निर्माण होगा। नेशनल गेम्स में बिहार के पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में सोमवार को आयोजित सम्मान समारोह में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरण ने यह बात कही। रविंद्रन संकरण ने कहा कि स्पोर्ट्स सिटी वर्ष 2028 तक बनकर तैयार हो जाएगी। इस कैंपस में फाइव स्टार होटल भी बनेगा। इस कैंपस में जिम, साइकिल ट्रैक, हॉर्स राइडिंग और स्पोर्ट्स लाइब्रेरी की सुविधा होगी

कुछ और सुर्खियां

  • पटना सिटी की चप्पल फैक्ट्री में आग लगने से दो मजदूरों की मौत
  • प्रदूषण फैलाने पर पटना एयरपोर्ट रनवे निर्माण में लगी कंपनी पर 61 लाख का जुर्माना
  • आर्थिक अपराधियों को नहीं लगाई जाए हथकड़ी, संसदीय समिति की सिफारिश
  • पत्नी से अलग हुए रेमंड के सीएमडी गौतम सिंघानिया
  • कैमूर में एक ही परिवार के पांच बच्चों की डूबने से मौत
  • अररिया में ट्रेन में चढ़ने के दौरान भगदड़, कई जख्मी
  • उत्तरकाशी में बिहार और झारखंड के 19 लोग फंसे
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनावी बॉन्ड का ब्योरा तलब

अनछ्पी: दिल्ली और पटना में प्रदूषण के स्तर को लेकर जो जानकारी आ रही है इसका सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि समाज और सरकार के लोग इस बारे में कम चिंतित दिखते हैं। खेतों में पुआल जलाने और कंस्ट्रक्शन के धूल से पहले ही प्रदूषण स्तर काफी था अब दिवाली में छोड़े गए पटाखों से इसकी हालत और बुरी हो गई है। प्रदूषण को लेकर समाज की सोच के हाल का पता इससे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पाबंदी लगा दी है लेकिन लोगों ने जमकर पटाखे छोड़े। यह कहा जाता है कि दिवाली साल में एक बार आती है लेकिन एक ही बार में इतना प्रदूषण फैलता है कि इससे जीना मुहाल हो जाता है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर पटाखों से परेशानी है तो पटाखा कारखाने पर पाबंदी लगाई जाए। पॉलिथीन की थैली की तरह पटाखे की फैक्ट्री पर पाबंदी लगाने के बावजूद चोरी छुपे इनका निर्माण होते ही रहता है। जैसे पॉलिथीन की थैली का इस्तेमाल करने के नुक़सान के बारे में लोगों को खुद सोचना चाहिए, वैसे ही पटाखे के बारे में भी आम लोगों को अपनी राय बदलनी चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि ज्यादा पटाखा छोड़ने से सांसों की बीमारी होती है और हार्ट के मरीज भी परेशान होते हैं। यह बात भी सोचने की है कि पटाखा छोड़ने से पटाखा छोड़ने वाले और नहीं छोड़ने वाले दोनों प्रभावित होते हैं। पटाखों के प्रदूषण से कोई आदमी बच नहीं सकता। इसलिए सरकार के स्तर पर पटाखों पर पाबंदी लगाने की कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर इसके प्रति जागरूकता फैलाने की सख्त जरूरत है। दिवाली पर किसी की भावना आहत किए बिना पटाखों के बारे में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे किसी का कोई नुकसान न हो। दिवाली के पटाखे पर पाबंदी लगाने की बात कहने से कई लोगों की भावनाएं आहत होती हैं लेकिन उन्हें भी सोचना चाहिए कि इससे होने वाले स्वास्थ्य के नुकसान को रोकना कितना जरूरी है। कोढ़ में खाज की कहावत पुरानी है। सरकार और समाज की जिम्मेदारी है कि प्रदूषण के दूसरे कारणों को रोकने के साथ-साथ पटाखों पर पाबंदी के बारे में गंभीरता से सोचें। पहले तो दिल्ली जैसे बड़े शहरों को इस समस्या का सामना था लेकिन अब पटना और बिहार के छोटे शहरों में भी यह समस्या विकराल होती जा रही है। ऐसा लगता है कि अगर सरकार और समाज ने सही समय पर इस दिशा में कम नहीं बढ़ाया तो मामला हाथ से निकल जाएगा।

 

 

 

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