छ्पी-अनछ्पी: छठे चरण में बिहार के 35 उम्मीदवार करोड़पति, कोवैक्सिन से बीमार हुए 30% लोग

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पटना से छपे हिंदी के प्रमुख अखबारों में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चुनावी भाषण और सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को अच्छी जगह मिली है जिसमें कहा गया है कि कोर्ट के संज्ञान के बाद ईडी गिरफ्तार नहीं कर सकती। लेकिन हम पहले चर्चा करेंगे उस खबर की जिसमें बताया गया है कि छठे चरण के लोकसभा चुनाव में बिहार के 35% उम्मीदवार करोड़पति हैं। कोरोना से बचाव के लिए लगाए जाने वाले तक को वैक्सीन से भी 30% लोग बीमार पड़े हैं, इसकी चर्चा भी पहले होगी।

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण में चुनाव लड़ रहे 35 उम्मीदवार करोड़पति हैं। प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 3.97 करोड़ रुपये हैं। इस चरण में 85 में 35 (41 प्रतिशत)उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़ या उससे ज्यादा की है। इनमें 34 निर्दलीय में 9 (27 प्रतिशत) करोड़पति हैं। जबकि जदयू के 4, राजद के 4, भाजपा के 3, कांग्रेस के 2, विकासशील इंसान पार्टी के 2 और लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास के 1 (इस चरण के इकलौते) उम्मीदवार करोड़पति हैं। गुरुवार को एडीआर व बिहार इलेक्शन वॉच ने संयुक्त रूप से रिपोर्ट जारी की।

कोवैक्सिन से 30% लोग बीमार

जागरण की सुर्खी है: कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सीन से दुष्प्रभाव का दावा। बीएचयू में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि कोवैक्सीन लगाने वाले लगभग 30% लोगों में एडवर्स इवेंट्स आफ स्पेशल इंटरेस्ट देखा गया है। इनमें ज्यादातर लोग सांस संबंधी इन्फेक्शन, खून के थक्के और चमड़े से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित हुए। किशोरियों और किसी एलर्जी से पीड़ित लोगों को दुष्प्रभाव का सामना ज्यादा करना पड़ा। कुछ दिनों पहले कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी वैक्सीन सुरक्षित है। ब्रिटिश फार्मा कंपनी एक्स्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की कोर्ट में माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रांबोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रांबोसिस का कारण बन सकता है।

कोर्ट की मंजूरी के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकती ईडी

हिन्दुस्तान की पहली खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि धनशोधन से जुड़े मामले में विशेष अदालत द्वारा शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी पीएमएलए की धारा-19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि किसी आरोपी को गिरफ्तार करना जरूरी है तो ईडी को विशेष अदालत से पहले अनुमति लेनी होगी। जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि यदि किसी आरोपी को मामले की जांच के दौरान ईडी ने गिरफ्तार नहीं किया है तो उस आरोपी पर पीएमएलए के प्रावधानों की दोहरी शर्तें लागू नहीं होंगी।

कांग्रेस पिछड़ा विरोधी, लालू उसकी गोद में: शाह

जागरण की पहली खबर है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीतामढ़ी और मधुबनी में आयोजित चुनावी सभाओं में कहा कि लालू प्रसाद सालों से पिछड़ा वर्ग की राजनीति कर रहे हैं लेकिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उस कांग्रेस की गोद में बैठे हैं जिसने पिछड़ा, अति पिछड़ा का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाला कश्मीर हमारा है और हम इसे किसी भी कीमत पर लेकर रहेंगे।

मुजफ्फरपुर वार्ड पार्षद के ठिकानों से हथियार, 80 लाख कैश बरामद

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है कि मुजफ्फरपुर के पूर्व वार्ड पार्षद विजय कुमार झा और उनकी पत्नी वर्तमान वार्ड पार्षद सीमा झा के 8 ठिकानों पर आयकर विभाग ने गुरुवार को छापेमारी की। तलाशी के दौरान 80 लख रुपए कैश और पांच पिस्तौल के अलावा कई स्थानों पर निवेश से संबंधित कागजात व बैंक खाते समेत अन्य चीजें बरामद हुई हैं। आयकर विभाग की टीम पूर्व पार्षद विजय झा के एनजीओ, ठेकेदारी, ब्याज के धंधे और जमीन की खरीद बिक्री के कागजात भी कंगाल रही है।

तीन विश्वविद्यालयों के खातों पर फिर रोक

बिहार के तीन विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर शिक्षा विभाग ने फिर रोक लगा दी है। इनमें मुंगेर, पूर्णिया और मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय शामिल हैं। विभाग में बुलायी गयी बैठक में कुलपतियों के नहीं आने पर यह कार्रवाई की गयी है। साथ ही तीनों विश्वविद्यालय के कुलपतियों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है कि क्यों न उन्हें पद से हटाने की  कार्रवाई शुरू की जाये।

पूर्व भाजपा विधायक के बेटे-दामाद से 67 लाख ज़ब्त

जागरण के अनुसार बेगूसराय जीआरपी ने वंदे भारत से उतरे भाजपा के पूर्व विधायक के पुत्र व दामाद के सामान की तलाशी के दौरान 67.40 लाख नकद ज़ब्त किया है। शराब तस्करी के संदेह पर तलाशी ली गई थी। गुरुवार को दोनों को रेल पुलिस ने पीआर बॉन्ड पर मुक्त किया। आयकर अधिकारी विवेकानंद ने बताया कि नक़द से संबंधित कोई वैध कागजात प्रस्तुत नहीं किया गया है। दोनों की पहचान पूर्व भाजपा विधायक ललन कुमार के पुत्र और तेघड़ा थाना क्षेत्र की बिठौली पंचायत के मुखिया अनुराग कुमार एवं विधायक के दामाद पटना के मरांची निवासी रामाननंदी प्रसाद सिंह के पुत्र रेलवे में इंजीनियर नीतीश कुमार के रूप में हुई।

ईडी का दावा: 1.5% कमीशन लेते थे आलमगीर

झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को लेकर ईडी ने बड़ा दावा किया है। अपनी प्रारंभिक जांच में पाया है कि 6 मई को छापेमारी के दौरान मंत्री आलमगीर के पीएस संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के यहां से जो 32.20 करोड़ रुपये कैश बरामद किए गए थे, वह आलमगीर आलम के थे। ईडी ने अपनी रिमांड पिटीशन में कोर्ट को यह भी जानकारी दी है कि ग्रामीण विकास विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग के ठेकों में अकेले मंत्री आलमगीर का कमीशन 1.5 प्रतिशत था।

कुछ और सुर्खियां

  • पंचायती राज अधिनियम के तहत बैठक में मौजूद सदस्यों के आधार पर ही बहुमत का निर्धारण होगा: पटना हाई कोर्ट
  • बिहार में 10-12 जून के बीच आएगा मानसून
  • बिजली स्मार्ट मीटर के 10 लाख उपभोक्ता परेशान, बैलेंस 15 दिन में ही माइनस में
  • लालू की बेटी और सारण लोकसभा से राजद की उम्मीदवार रोहिणी आचार्य का नामांकन रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी
  • हरियाणा के सोनीपत में कत्था फैक्टरी का बॉयलर फटने से बिहार के दो मजदूरों की मौत
  • कपिल सिब्बल बने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष
  • लोकसभा चुनाव के चार चरणों में 66.95 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया

अनछपी: कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी एक्स्ट्राज़ेनेका ने जब इंग्लैंड के हाई कोर्ट में यह माना था कि उसके कोरोना के टीकों से लोगों को कई साइड इफेक्ट हुआ है तो उन लोगों ने राहत की सांस ली थी जिन्होंने कोविशील्ड नहीं, बल्कि कोवैक्सीन टीका लगवाया था। अब बीएचयू की शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि कोवैक्सीन लगाने वाले 30% लोगों में ऐसे साइड इफेक्ट हुए जिसपर ध्यान देना जरूरी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस मामले में गंभीर है और ऐसी रिपोर्ट के बाद लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए कोई कदम उठा रही है? यह बात याद दिलाने की है कि बहुत से लोग कोरोना का टीका नहीं लेना चाहते थे और बहुत से लोगों ने यही कहकर टीका नहीं लिया कि इसकी विश्वसनीयता का पता नहीं है। कोरोना के टीके पर भरोसे के मामले में सरकार ने यह विश्वास दिलाया था कि यह सुरक्षित है तो लोग इसे लेने के लिए तैयार हो गए। इतना ही नहीं सरकार ने कई ऐसी पाबंदियां लगाई थीं जिसकी वजह से लोगों के लिए कोरोना का टीका लेना जरूरी हो गया था। हवाई यात्रा से लेकर कॉलेजों में एडमिशन तक के लिए कोरोना का टीका लगाने का सर्टिफिकेट लिया जाता था। इस मामले में सारा दोष सरकार को नहीं दिया जा सकता क्योंकि कोरोना फैलने के बाद ऐसी अफरातफरी मची थी कि कोरोना का टीका लगाया जाना ही सबसे अच्छा उपाय माना जा रहा था। अब ऐसा लगता है कि भारत ही नहीं दुनिया के कई विकसित देशों ने पूरी जांच किए बिना हड़बड़ी में कोरोना का टीका लगवा दिया। टीका बनाने वाली कंपनियों से किन शर्तों पर टीके खरीदे गए यह तो पता नहीं, लेकिन यह पूछा जा सकता है कि क्या उनसे हुए समझौते में यह बात भी तय पाई थी कि अगर टीके का साइड इफेक्ट हुआ तो इसका मुआवजा उन्हें देना होगा? बताया जाता है कि टीका बनाने वाली कंपनियों ने टीके बेचकर करोड़ों रुपए कमाए हैं तो क्या सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि इससे होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में उन कंपनियों से पूछताछ की जाए और उनसे मुआवजे की भी मांग की जाए।

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