छपी-अनछपी: 2024 में एनडीए बनाम ‘इंडिया’, सहारा में जमा करने वालों के पैसे 45 दिन में लौटेंगे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए की प्रशंसा कर रहे थे तो बेंगलुरु में विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ (साथ लगी तस्वीर, अजित अंजुम के ट्विटर हैंडल से) नाम का गठबंधन बनाकर भाजपा को चुनौती देने की घोषणा की। इससे जुड़ी ख़बरें सभी जगह छाई हुई हैं। सहारा इंडिया में जमा करने वाले लोगों को लंबे इंतजार के बाद पैसे वापस मिलेंगे। इसकी खबर भी प्रमुखता से ली गई है।

हिंदुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है एनडीए बनाम इंडिया। जागरण ने लिखा है 2024 में एनडीए के सामने ‘इंडिया’, नए अवतार में विपक्ष ने ठोकी ताल। भास्कर ने सुर्खी लगाई है 2024 के लिए रचा चुनावी चक्रव्यूह।  अगले लोकसभा चुनाव में मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है। कांग्रेस के नेतृत्व में 26 दलों से बेंगलुरु तो भाजपा की अगुवाई में एनडीए की 38 पार्टियों ने दिल्ली के पांच सितारा होटल में 2024 का चुनावी चक्रव्यूह भेदने की रणनीति पर मंथन किया। राहुल गांधी से लेकर ममता, नीतीश कुमार और बाकी विपक्षी नेताओं ने एक सुर में कहा भाजपा की विचारधारा के खिलाफ ‘इंडिया’ ही फेस होगा। विपक्ष ने ‘इंडिया’ नाम से सियासी बढ़त लेने की कोशिश की। इंडिया पर भाजपा सीधा हमला नहीं कर सकेगी। बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा सब एक होंगे। पूछा गया कि पीएम ने आपको टारगेट किया है तो बोले – वे तो ऐसा करेंगे ही। लालू प्रसाद ने कहा- देश व लोकतंत्र को बचाना है, नरेंद्र मोदी के शासन में सब कुछ खत्म हो चुका है।

इंडिया का फ़ुल फॉर्म

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर 26 विपक्षी दलों ने चर्चा के बाद गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) घोषित किया। इसकी अगली बैठक महाराष्ट्र में होगी जिसमें संयोजक के नाम तय किया जाएगा।बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘इंडिया’ के संचालन के लिए समिति बनेगी जिसमें विभिन्न दलों से 11 सदस्य शामिल किए जाएंगे। खड़गे ने कहा, जनता के हित में लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण बैठक थी। हमने लोकतंत्र और देश को बचाने पर चर्चा की। विपक्षी गठबंधन के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा, महाराष्ट्र की बैठक में संयोजक का नाम तय किया जाएगा।

मोदी ने एनडीए का मतलब समझाया

एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की बैठक में मंगलवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा, अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये लोग पास-पास तो आ सकते हैं लेकिन साथ नहीं आ सकते। 2024 का चुनाव दूर नहीं है। देश के लोग मन बना चुके हैं कि तीसरी बार फिर एनडीए को ही मौका देना है। मोदी ने कहा, एनडीए (राजग) में ‘एन’ का मतलब न्यू इंडिया, ‘डी’ का मतलब विकसित राष्ट्र, ‘ए’ का मतलब लोगों और क्षेत्रों की आकांक्षाएं हैं।

सहारा में फंसे पैसे लौटेंगे

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को ‘सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल’ की शुरुआत कर दी। उन्होंने कहा कि सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में फंसा करोड़ों लोगों का पैसा पंजीकरण कराने के डेढ़ माह के भीतर वापस हो जाएगा। अमित शाह ने कहा, यह पहली बार है कि जमाकर्ताओं को ऐसे मामले में उनका धन वापस मिल रहा है, जहां कई सरकारी एजेंसियां शामिल हैं और प्रत्येक ने संपत्ति जब्त की है। इससे पहले, सरकार ने 29 मार्च को कहा था कि चारों सहकारी समितियों के 10 करोड़ निवेशकों को नौ महीने के भीतर धन लौटा दिया जाएगा। यह घोषणा उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद हुई, जिसमें सहारा-सेबी रिफंड खाते से पांच हजार करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक (सीआरसीएस) को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया था।

83 कॉलेजों के एफिलिएशन खतरे में

भास्कर की खबर है: छह विश्वविद्यालयों के 83 कॉलेजों के निरीक्षण में शिक्षक और कर्मी नदारद मिले, सब को संबद्धता रद्द करने का नोटिस जारी। तीन दिन पहले शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए निरीक्षण में 6 विश्वविद्यालयों के 83 कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मियों की उपस्थिति बेहद खराब पाई गई थी। छात्रों की संख्या भी नगण्य है। विभाग ने संबंधित विश्वविद्यालयों को इन कॉलेजों की संबद्धता रद्द करने की कार्रवाई के लिए कहा था। इसके बाद विश्वविद्यालयों ने उन्हें नोटिस जारी किया है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, तिलका मांझी भागलपुर विश्विद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा, एलएनएमयू दरभंगा, मुंगेर और पूर्णिया विश्वविद्यालयों के 83 कॉलेजों में निरीक्षण के दौरान 547 शिक्षक और 654 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे

कुछ और सुर्खियां

  • प्रोफेसर फैजान मुस्तफा सीएनएलयू, पटना केबीसी बनाए गए
  • केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चंडी का निधन
  • मानहानि मामले में राहुल की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में 21 जुलाई को सुनवाई
  • जहानाबाद में एसटीएफ ने मुठभेड़ के बाद पांच हथियार तस्करों को किया गिरफ्तार
  • दिल्ली जा रहे सोनिया व राहुल के विमान की भोपाल में इमरजेंसी लैंडिंग
  • बिहार में मैनुअल चालान पूरी तरह बंद होंगे 12 जिलों से शुरू होगा केवल ई चालान
  • नहीं दिखा चांद, कल से नया इस्लामी साल शुरू होगा, यौम-ए-आशूरा 29 जुलाई को

अनछपी: छब्बीस विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर भारतीय जनता पार्टी को यह चुनौती दी है कि वह ‘इंडिया’ से मुकाबला करें। मीडिया में भी चर्चा का विषय एनडीए बनाम ‘इंडिया’ हो गया है। वैसे इंडिया का फुल फॉर्म लंबा है और उसे याद रखना आम लोगों के लिए आसान नहीं होगा लेकिन चुनावी बहस में इंडिया बनाम एनडीए बोलना रोचक लगता है। विपक्षी दलों के लिए 2024 के चुनाव में एक बड़ी चुनौती भाजपा के राष्ट्रवाद से मुकाबला है और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसीलिए इस गठबंधन का नाम इंडिया रखा गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव से अलग इस बार ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव में जीत का भरोसा खो चुकी है। कुछ दिनों पहले तक एक अकेला सब पर भारी बोलने वाली भारतीय जनता पार्टी ने नई दिल्ली में 38 दलों के साथ एनडीए की बैठक करने का दावा किया तो लोगों ने सवाल किया कि पीएम नरेंद्र मोदी को अकेले सब पर भारी बताने के दावा का क्या हुआ? इस मामले को दो नजरिए से देखा जा सकता है। एक तो यह कि भारतीय जनता पार्टी खुद को पहले जितना मजबूत नहीं मान रही और दूसरा यह कि विपक्ष की एकता की कोशिश को कामयाब होते देख भारतीय जनता पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है, इसीलिए वह ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को एनडीए में शामिल कराने की नीति पर चल रही है। यह बात भी याद रखने की बात है कि कुछ ही महीनों पहले भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने क्षेत्रीय दलों के खत्म होने की बात कही थी। अब भाजपा उन्हीं क्षेत्रीय दलों को सहयोगी बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। जहां तक विपक्षी दलों की बैठक की बात है तो उन्होंने अपने गठबंधन का नया नाम तो तय कर लिया लेकिन अभी इसके संयोजक की घोषणा नहीं हो सकी है। उम्मीद की जा रही है कि इसकी अगली बैठक जब मुंबई में होगी तो वहां इस बारे में कोई फैसला लिया जाए। यह कहा जा सकता है कि विपक्षी दलों ने अपनी दो बैठकों से सकारात्मक संदेश दिए हैं।

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