छपी-अनछपी: बेंगलुरु से विपक्ष का संदेश- हम साथ हैं, जवाब में एनडीए के 38 दल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। यह इत्तेफाक की बात है कि एक तरफ विपक्षी दलों की एकता के लिए बेंगलुरु में बैठक हो रही है तो दूसरी ओर दिल्ली में सरकार के साथ खड़ी पार्टियां भी आज बैठक कर रही हैं। इन से जुड़ी खबरें आज के अखबारों में छाई हुई हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर मुसलमानों से संबंधित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में पुलिस केस किया गया है जिसकी छोटी सी खबर दिखी है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: बेंगलुरु में विपक्षी दलों का दो टूक संदेश, महासमर में तटस्थ के लिए जगह नहीं। भास्कर की हेडलाइन है: महाभारत 2024 विपक्ष को सारथी, सत्ता पक्ष को नए साथियों की तलाश। हिन्दुस्तान में सबसे बड़ी सुर्खी है: चुनावी समर के लिए महामंथन आज। इसके तहत दो खबरें दी गई हैं। पहली खबर की हेडिंग है: ‘हम एक हैं’ संदेश के साथ जुटे विपक्षी। लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए बेंगलुरु में ‘हम एक हैं’ के संदेश के साथ सोमवार को विपक्षी दल के नेता जुटे। विपक्षी दलों की दूसरी बैठक से पहले कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेताओं को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया गया। कांग्रेस के मुताबिक, बैठक में 26 दलों के नेता शामिल हुए।

विपक्ष की कई प्रमुख पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने रात्रिभोज के मौके पर बैठक की, जहां से यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि वे लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट हैं। वे मंगलवार को औपचारिक रूप से मंत्रणा करेंगे कि कैसे अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एक साझा कार्यक्रम तैयार किया जाए और एकजुट होकर उसे मात दी जाए। विपक्षी दल के कुछ अन्य नेता भी मंगलवार को दूसरे दिन की बैठक में शामिल होंगे और इसके बाद विपक्षी दलों के नेता संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आगे की रूपरेखा पेश करेंगे।

एनडीए के 38 दल

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: एकजुट विपक्ष के मुकाबले को 38 दलों का राजग भी तैयार। अखबार लिखता है कि 2024 के चुनावी महासंग्राम में एकजुट विपक्ष की चुनौती को स्वीकार करते हुए भाजपा ने राजग के बैनर तले 38 दलों के शामिल होने का दावा किया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि मंगलवार को राजग की बैठक में शामिल होने के लिए 38 दलों ने सहमति दे दी है और इनकी संख्या बढ़ भी सकती है। नड्डा ने विपक्षी दलों की एकता को भानुमति का कुनबा करार देते हुए एनडीए को स्वाभाविक गठबंधन बताया।

मियां मामले पर एफआईआर

जागरण की खबर है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ मियां मुसलमान संबंधित टिप्पणी करने के मामले में सोमवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और निर्दलीय राज्यसभा सांसद ने पुलिस शिकायत दर्ज कराई। राज्य की तृणमूल कांग्रेस ने भी चीफ जस्टिस जे वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। असम में बंगाली भाषी मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए मियां शब्द का प्रयोग किया जाता है। राज्य से निर्दलीय राज्यसभा सांसद अजीत भुइयां ने दिसपुर थाने में सरमा के खिलाफ शिकायत में कहा है कि इस प्रकार की टिप्पणियों का उद्देश्य राज्य के विभिन्न समुदायों को बांटना है। ध्यान रहे कि श्री सरमा ने आरोप लगाया था कि मियां के कारण सब्जियों की कीमत बढ़ रही है।

पाकिस्तान की सीमा हैदर पर शक

पब्जी खेलने में मुलाकात की बात कहकर पाकिस्तान से अवैध तरीके से आई सीमा हैदर और उसके पति सचिन मीणा को सोमवार को एटीएस ने हिरासत में ले लिया। हिन्दुस्तान के अनुसार दोनों से एटीएस, पुलिस और आईबी की टीम ने लंबी पूछताछ की। सीमा के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से कनेक्शन के शक में जांच चल रही है। खुफिया विभाग ने इस मामले में नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी से रिपोर्ट मांगी है।ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा स्थित आवास से एटीएस ने सचिन और सीमा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। वहीं, सचिन के पिता नेत्रपाल को फोन कर रबुपूरा थाने बुलवाया गया। पूछताछ के बाद नेत्रपाल को छोड़ दिया गया। सचिन और सीमा हैदर को नोएडा एटीएस की टीम अपने साथ ले गई है। सीमा के फोन कॉल का ब्योरा भी खंगाल रही है।

हथुआ इस्टेट के वारिस के सुसाइड की जांच

गोपालगंज जिले के हथुआ थाना क्षेत्र के हथवा स्टेट के वारिस जितेंद्र प्रताप शाही उर्फ छोटका बबुआ के शव के पास से पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद किया है। सुसाइड नोट में कई ऐसी बातें लिखी गई हैं जो राजघराने के पट्टीदारों की चिंता बढ़ाने वाली हैं। रविवार की दोपहर बाबू साहब स्टेट की हवेली की ऊपरी तल्ला पर बने कमरे में जितेंद्र प्रताप शाही का खून से लथपथ शव बरामद हुआ था। सुसाइड नोट में उन्होंने पाटीदारों पर आरोप लगाया है कि उनसे सादे पन्ने पर दस्तखत करवाए गए थे। इसका उपयोग उनके पाटीदार फर्जी एवं गलत कार्य में कर सकते हैं। जितेंद्र प्रताप शाही और उनके परिवारों के बीच 2020 में हथुआ थाने में संपत्ति विवाद को लेकर मामला भी दर्ज किया गया था।

9 परीक्षा माफिया गिरफ्तार

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: पटना से फरार परीक्षा माफिया 9 साथियों संघ बालासोर में गिरफ्तार। ओडिशा की बालासोर पुलिस ने 9 परीक्षा माफियाओं को गिरफ्तार किया है। इनमें चार बिहार के हैं। यह एसएससी सीजीएल का प्रश्न पत्र लीक करने के फिराक में थे। पकड़े जाने वालों में समस्तीपुर के विद्यापति नगर का विजेंद्र कुमार, पटना के हनुमान नगर का दीपक कुमार, जहानाबाद के घोसी का अजय कुमार, रोहतास के डालमियानगर का राजकुमार सिंह, ओडिशा का विश्व रंजन महापात्र, आंध्र प्रदेश का मोहम्मद सिद्दीकी, कटक की साइना परवीन, मोहम्मद कमरुद्दीन और मुस्तकीम खान शामिल हैं। गिरोह के सरगना विजेंद्र,  मोहम्मद सिद्दीकी और विश्वरंजन है। विजेंद्र बड़ा परीक्षा माफिया है और वह एक साल से दानापुर थाने में दर्ज एक मामले में फरार चल रहा है।

कुछ और सुर्खियां

  • कैमूर में दो करोड़ की नकली सिगरेट ज़ब्त, यूपी के 9 गिरफ्तार
  • पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मंदिरों की सुरक्षा के लिए 400 हिंदू पुलिसकर्मी तैनात
  • बिहार में महज 36 फ़ीसदी धान रोपनी बारिश नहीं हुई तो बढ़ेगी समस्या
  • तमिलनाडु में मंत्री समेत तीन लोगों के ठिकानों पर ईडी के छापे
  • तीसरा मोर्चा बनाएगी असदुद्दीन की पार्टी एआईएमआईएम
  • बेतिया में बेकाबू थार गाड़ी ने 5 लोगों को कुचला 3 की गई जान

 अनछपी: भारत की राजनीति में आज का दिन बेहद रोचक है। एक तरफ विपक्षी दल पटना के बाद बेंगलुरु में अपनी दूसरी बैठक कर रहे हैं तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए की भी बैठक दिल्ली में हो रही है। विपक्षी दलों की बैठक में जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा थी वह यह थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल इसमें शामिल होंगे या नहीं। श्री केजरीवाल की पार्टी की शर्त थी कि कांग्रेस पार्टी दिल्ली के अफसरों की तैनाती और एलजी के अधिकारों के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में वोट दें। क्योंकि कांग्रेस ने यह शर्त मान ली इसलिए श्री केजरीवाल बेंगलुरु की बैठक में शामिल हो रहे हैं लेकिन पटना की बैठक में शामिल होने वाले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार का इस बैठक में शामिल नहीं होना अजीब लगता है। श्री पवार के बारे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या उनका भी मन भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने के लिए डोल रहा है? दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का भी सवाल गहरा है। एक समय भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि क्षेत्रीय दल समाप्त हो जाएंगे और यह नारा भी लगा था कि एक अकेला सब पर भारी। यानी भारतीय जनता पार्टी के पास नरेंद्र मोदी जैसे नेता है जो अकेले सारे विपक्ष से लड़ने में सक्षम हैं। लेकिन अब खुद जेपी नड्डा ने बताया है कि एनडीए की बैठक में 38 दल शामिल होंगे। इससे यह पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी 2024 का चुनाव अकेले लड़ने में सक्षम नहीं है और जिस क्षेत्रीय दलों की समाप्ति की बात वह कर रही थी अब उनका ही उन्हें सहारा है। राजनीति में दिक्कत यह है कि लोगों को पुराने कही गई बात याद नहीं रहती वरना जेपी नड्डा से यह पूछा जा सकता है कि आखिर क्षेत्रीय दलों के समाप्त होने की बात कहने के बाद वह उन्हीं क्षेत्रीय दलों की शरण में क्यों गए? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए आसान नहीं होगा इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा दलों को अपने साथ करना चाहती है। सत्ता पक्ष और विपक्ष की ऐसी कोशिशें उन्हें टिकट बंटवारे में जरूर परेशानी देगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पक्ष सीटों का बंटवारा कैसे करती हैं और 2024 का महामुकाबला किसके पक्ष में जाता है।

 

 

 

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