छपी-अनछपी: लू लगने से और दो दर्जन लोगों की मौत, सीटेट वालों को भी टीचर बहाली में छूट

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। हर दिन गर्मी कम होने की आस लगाए बिहार में लू से लोगों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। जागरण ने लू से लगभग दो दर्जन लोगों की मौत की खबर को प्रमुखता से छापा है। प्राथमिक शिक्षक भर्ती में सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटेट) पास उम्मीदवारों को भी बिहार शिक्षक बहाली में छूट मिलेगी। इससे जुड़ी खबर सभी जगह है। मणिपुर में हिंसा के बाद अब गांव घर पर कब्जे की जंग की खबर भास्कर ने दी है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: लू लगने से दो बुजुर्ग दंपती समेत 23 की मौत। अख़बार लिखता है कि लू से मौत का सिलसिला पिछले 5 दिनों से जारी है। गुरुवार से सोमवार तक राज्य में 74 लोगों की जान जा चुकी है। सोमवार को लू की चपेट में आने वाले 23 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा गर्म हवा के थपेड़ों से बीमार लगभग डेढ़ सौ लोग भर्ती हैं। लू के कारण मरने वालों में गोपालगंज के शिक्षक, नालंदा के एएसआई, सीवान व गया में तैनात एक एक सिपाही शामिल हैं। रोहतास और बक्सर जिले में पति-पत्नी की एक ही दिन मौत हो गई।

सीटेट वालों को छूट

हिन्दुस्तान की खबर है: राहत: प्राथमिक शिक्षक भर्ती में सीटेट अभ्यर्थियों को भी अंको में मिलेगी छूट। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) से चल रही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी अंकों में छूट मिलेगी। बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा (बीटेट) की तर्ज पर विभिन्न वर्गों को पांच से 10 प्रतिशत तक की छूट का लाभ मिलेगा। आयोग से 79 हजार 943 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। इस बारे में शिक्षा विभाग से आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि बीटेट में सामान्य कोटि के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 60, पिछड़ा वर्ग, अतिपिछड़ा वर्ग और सामान्य कोटि की महिला अभ्यर्थियों के लिए 55 तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 50 अंक को अर्हता माना गया है। पहले ये अंक अधिक थे।

मणिपुर में हिंसा के बाद अब क़ब्ज़ा

भास्कर की सुर्खी है: मणिपुर: अब गांव-घरों पर क़ब्ज़े की जंग, बंकर बनाकर निगरानी। अखबार लिखता है कि बेलगाम हो चुकी मणिपुर हिंसा का एक बड़ा कारण जमीनों पर कब्जे के रूप में भी सामने आ रहा है। मणिपुर में हिंसा के दौर के कारण लगभग 50000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। कई गांव वीरान हैं। लगभग 20 से ज्यादा गांव में दूसरे गुटों ने कब्जा कर लिया है। जहां मैतेई समुदाय का दबदबा है उन्होंने कुकी गांव पर कब्जा कर लिया है जहां पर कुकी समुदाय का दबदबा है उन्होंने मैतेई गांव पर कब्जा कर लिया है।

मणिपुर में आरएसएस एक्टिव

हिन्दुस्तान की खबर है: मणिपुर में विश्वास बहाली के लिए संघ हुआ सक्रिय। अखबार लिखता है कि मणिपुर में शांति बहाली के सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठन वनवासी कल्याण परिषद ने संघर्षरत दोनों समुदायों में विश्वास बहाली के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यह मामला कानून व्यवस्था से ज्यादा सामाजिक होने से संघ व उसके संगठन भी अपने स्तर पर दोनों समुदायों के बीच की खाई का पाटने की कोशिश कर रहे हैं। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी का कहना है, कुकी व मैतेई समुदाय हजारों साल से साथ रहे हैं पर हाल की घटनाओं ने उनके बीच विश्वास के सेतु को तोड़ दिया है।

कांग्रेस का आरोप- संघ से ही समस्या

मणिपुर में हिंसा को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है। हिंसा पर आरएसएस की शांति वाली अपील पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर आरोप लगाया, संघ ने मणिपुर में शांति और सद्भाव की अपील जारी की है पर संघ की वजह से ही पूर्वोत्तर की विविधता की प्रकृति बदल रही है।

मांझी की तलाश

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है सरकार से समर्थन वापसी के बाद नए साथी की तलाश में दिल्ली गए मांझी। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अगुवाई वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने सोमवार को महागठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। मांझी ने पार्टी के चारों विधायकों के साथ राजभवन जाकर राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को समर्थन वापसी का पत्र सौंपा। हालांकि इससे महागठबंधन सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं होगा। सरकार को बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन चाहिए जबकि उसके पास 160 विधायक हैं। दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और शाम में राजभवन जाकर समर्थन वापसी के बाद रात 8:00 बजे जीतन राम मांझी और उनके बेटे संतोष कुमार सुमन दिल्ली के लिए रवाना हो गए। राजभवन से निकलकर मांझी ने दिल्ली में मुलाकात को लेकर पूछे जाने पर कहा कि दिल्ली में किससे मुलाकात होगी यह अभी नहीं बता सकते।

फुलवारी पीएफआई मामले में एक और गिरफ्तारी

हिन्दुस्तान की खबर है: फुलवारी पीएफआई मामले में मुमताज तमिलनाडु से धराया। बिहार एटीएस (आतंकवाद निरोधी दस्ता) की टीम ने पटना के फुलवारीशरीफ के पीएफआई मामले में वांटेड अभियुक्त मुमताज अंसारी को गिरफ्तार कर लिया है। उसे तमिलनाडु के तिरिवल्लूर जिले पेरियापल्लम थाना क्षेत्र के कनीगयीपेयर गांव से पकड़ा गया है। वह मूल रूप से पूर्वी चंपारण के मेहसी थाने के हरपुर नाग गांव का रहने वाला है। उसके पिता का नाम मो. अनवर हुसैन हैं। फुलवारीशरीफ के पीएफआई मामले की जांच एनआईए कर रही है। एनआईए की गिरफ्त से मुमताज काफी समय से फरार था। इसलिए गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने उसे तुरंत केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया।

मोदी की अमेरिका यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा बुधवार से शुरू होगी। हिन्दुस्तान के अनुसार विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि संबंधों की मजबूती के लिहाज से यह दौरा अभूतपूर्व होगा। इस दौरान भारत की अमेरिका के साथ साझेदारी बढ़ेगी, साथ ही बड़े निवेश की भी उम्मीद है। द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ होने के साथ दोनों देशों के बीच रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में सहयोग का रोडमैप तैयार है।

कुछ और सुर्खियां

  • भोजपुर निवासी रवि सिन्हा ‘रॉ’ के नए प्रमुख होंगे
  • ईडी ने बिल्डर गब्बू सिंह के खिलाफ करोड़ों के संदिग्ध लेनदेन मामले में शुरू की जांच, आईटी रेड में ज़ब्त दस्तावेज से मिले अहम सुराग
  • इंडिगो 500 नए विमान खरीदेगी
  • मानसून फिर एक्टिव… 16 राज्यों में अब 2 हफ्ते अच्छी बारिश के संकेत
  • कनाडा में मारा गया खालिस्तान टाइगर फोर्स का सरगना हरदीप सिंह
  • अब एक्साइज डिपार्टमेंट का अपना खुफिया तंत्र एक्साइज इंटेलिजेंस ब्यूरो होगा
  • संविधान के अनुरूप है समान नागरिक संहिता: राजनाथ सिंह

अनछपी: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच एक बात यह भी कही जा रही है कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के बाद मणिपुर संघ और हिंदुत्व की प्रयोगशाला बना है। ऊपरी तौर पर यह लग सकता है कि संघ अगर शांति के प्रयास कर रहा है तो इसमें क्या हर्ज है लेकिन सोचने की बात यह है कि जहां राज्य पुलिस, सेना और केंद्र सरकार की कोशिशों के बावजूद हिंसा नहीं रुक रही वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास ऐसा कौन सा जादू है जिससे वहां शांति स्थापित हो सकती है। कांग्रेस ने इस मामले में यह सही आपत्ति जताई है कि मणिपुर में नफरत के माहौल के पीछे संघ और उसके समर्थक संगठनों का हाथ भी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने सहयोगी संगठनों की मदद से मणिपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में हिंदुत्ववादी संस्कृति थोपने में लगा हुआ है। यह कहना सही है कि मणिपुर में वर्षों से कुकी और मैतेई समुदाय एक साथ रह रहे थे लेकिन संघ को यह बताना चाहिए कि उसकी किन गतिविधियों से यह प्रेम का रिश्ता दूरियों में बदल गया और हिंसा की नौबत आ गई। मणिपुर में हिंसा के एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बड़ी संख्या में धर्म स्थलों को जलाया और नुकसान पहुंचाया गया है। वनवासी कल्याण आश्रम जैसा संगठन वास्तव में आदिवासियों को हिंदू रीति रिवाज में डालने में लगा है जबकि आदिवासी अपनी परंपराओं को नहीं छोड़ना चाहते। यह भी सही है कि आदिवासियों को ईसाई बनाने वाले समूह भी सक्रिय हैं लेकिन उन पर किसी ज़ोर ज़बर्दस्ती का आरोप नहीं लगता है। आदिवासियों के धर्म के बारे में हमने संघ का एक प्रयोग छत्तीसगढ़ में भी देखा है जहां आदिवासी ईसाइयों को अपने लोगों की लाशों तक दफनाने में दिक्कत का सामना करना पड़ा। मणिपुर में संघ की सक्रियता का मतलब है कि समुदाय के लोगों को और सतर्क रहना पड़ेगा। संघ अगर ऐसे प्रयास करे जो वहां जातीय हिंसा को समाप्त करने में मदद देने वाली हो तो उसका स्वागत करना चाहिए लेकिन अगर इसमें कोई साजिश हो तो उसे भी उजागर करना जरूरी हो जाएगा।

 

 

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