छपी-अनछपी: यूपीएससी के रिजल्ट में बिहार की धूम, महावीर मंदिर गरीबों की मदद पर खर्च करेगा 22 करोड़

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। यूपीएससी सिविल सर्विसेज के रिजल्ट में फर्स्ट और सेकंड टॉपर बिहार की बेटियों  के होने की खबर छाई हुई है। महावीर मंदिर गरीबों की मदद पर 22 करोड़ रुपये खर्च करेगा। यह जानकारी सभी जगह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं जिसकी खबर भी प्रमुखता से छपी गई है।

हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है: गर्व: बिहार की इशिता देश में अव्वल, गरिमा दूसरे स्थान पर। जागरण की मेन हेडलाइन है: टॉपर बन बेटियों ने बढ़ाई बिहार की गरिमा। यूपीएससी: पटना की इशिता टॉपर और बक्सर की गरिमा सेकंड टॉपर। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में बिहारी प्रतिभा ने पूरे देश में अपना परचम लहराया। राज्य की बेटियों ने तो सफलता की मिसाल कायम की है। देश में पहली और दूसरी रैंक प्राप्त करने वाली दोनों बेटियां बिहार की हैं। पहला स्थान पटना की इशिता किशोर और दूसरा स्थान बक्सर की गरिमा लोहिया को मिला है। मूल रूप से पटना बिहार की रहने वाली इशिता ग्रेटर नोएडा की जलवायु विहार सोसाइटी में रहती हैं। उनके पिता एयरफोर्स में विंग कमांडर थे। इशिता की प्रारंभिक शिक्षा एयरफोर्स बाल भारती स्कूल लोधी रोड से हुई। पटना के राहुल श्रीवास्तव 10वें और अररिया के अविनाश कुमार 17वें स्थान पर काबिज हुए हैं। मंगलवार को जारी अंतिम परिणाम के मुताबिक शीर्ष-10 में बिहार के तीन और 100 में 10 अभ्यर्थी शामिल हैं।

महिला उम्मीदवारों को मदद

बिहार के महिला एवं बाल विकास निगम ने राज्य की जिन 34 बेटियों को आर्थिक रूप से प्रोत्साहित किया था उनमें से छह अंतिम रूप से चयनित हुईं। इसके अंतर्गत सामान्य और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को प्रोत्साहित करने हेतु यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण छात्रा अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी के लिए एक-एक लाख रुपये की राशि दी जाती है।

निगम द्वारा सिविल सेवा प्रोत्साहन राशि योजना के तहत राशि पाने वालियों में ऑल इंडिया रैंक में दूसरा स्थान प्राप्त बक्सर की गरिमा लोहिया भी शामिल हैं।

3.10% मुस्लिम, पिछले साल से कम

यूपीएससी के रिजल्ट में मुसलमानों की भागीदारी कम होने की बात कही जाती रही है। भास्कर के अनुसार इस बार 933 कामयाब लोगों में 29 मुस्लिम हैं जो 3.10% है। कुछ अन्य रिपोर्टों में यह संख्या 30 बताई गई है। जिनमे सबसे ऊपर 7 वें स्थान पर वसीम अहमद भट हैं। पिछले साल 685 कामयाब उम्मीदवारों में 25 मुस्लिम थे जो 3.64% बनता है। इस तरह यह पिछले साल से 0.54% कम है। इस समय बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी 1987 में यूपीएससी टॉपर बने थे।

महावीर मंदिर का परोपकार

पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर ने अपने बजट में परोपकार एवं गरीबों की सहायता के मद में 22 करोड़ 60 लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा है। इस राशि में से साढ़े 5 करोड़ रुपये महावीर कैंसर संस्थान में 18 साल तक के कैंसर पीड़ितों के निशुल्क इलाज पर खर्च होगी। हिन्दुस्तान के अनुसार महावीर कैंसर संस्थान के ब्लड बैंक में कैंसर मरीजों को मात्र 100 रुपये में एक यूनिट ब्लड दिया जाता है, जबकि इसकी प्रोसेसिंग में पांच से छह सौ रुपये खर्च होते हैं। इस मद में एक करोड़ रुपये अनुदान का बजट रखा गया है। यह बातें मंगलवार को महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने पत्रकारों से मंदिर परिसर में कहीं। उन्होंने बताया कि मंदिर की ओर से कैंसर मरीजों के प्रारंभिक जांच और शुरुआती इलाज के लिए 10 से 15 हजार रुपये प्रति मरीज अनुदान राशि दी जाती है। इस वित्तीय वर्ष में इस मद में 1.75 करोड़ रुपये अनुमानित है।

मरीजों को इलाज पर छूट

न्यास के सचिव ने बताया कि गरीब मरीजों को इलाज में विशेष रियायत पर 3 करोड़ का व्यय चालू वित्तीय वर्ष में संभावित है। इतनी ही राशि महावीर मंदिर की ओर से संचालित अस्पताल भी वहन करेंगे। महावीर मंदिर के अस्पतालों में ऐसे कई मरीज आते हैं जो रियायती दरों पर भी इलाज में सक्षम नहीं रहते। उनके लिए महावीर अस्पतालों में 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 50 प्रतिशत तक छूट का प्रावधान किया गया है। इसके लिए इस वर्ष 2.80 करोड़ रुपये अनुदान दिया जाएगा। परोपकार मद में आवंटित राशि से राम व सीता रसोई, भर्ती मरीजों को निशुल्क भोजन कराने, महावीर मंदिर पटना में प्रतिदिन दरिद्रनारायण भोज में इस वित्तीय वर्ष में साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च होंगे। महावीर मंदिर के बजट में दलित उत्थान एवं सहायता के लिए 20 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। गरीबों को स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा अन्य प्रकार से मदद के लिए 50 लाख रुपये निर्धारित किए गए हैं।

ऑस्ट्रेलिया में मोदी

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: सिडनी में वंदे मातरम की गूंज के बीच ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा, मोदी बॉस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में कहा कि भारत दुनिया की टैलेंट फैक्ट्री बन गया है। देश के कुशल युवा कई देशों में प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। सिडनी स्थित कूडोस बैंक एरिना स्टेडियम में प्रवासी भारतीयों के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात कही। इस दौरान उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज भी मौजूद रहे। अल्बनीज ने प्रधानमंत्री मोदी को बॉस की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि मोदी जहां भी जाते हैं, उनका रॉकस्टार जैसा स्वागत होता है।

188 करोड़ के 2000 के नोट आए

भास्कर की खबर है: बिहार के बैंकों में आए 188 करोड़ के 2000 के नोट; पटना में 82 करोड़ जमा। अखबार लिखता है कि आरबीआई के निर्देश के बाद देशभर में मंगलवार से बैंकों में 2000 के नोट की बदली शुरू हुई। रिजर्व बैंक ने इन नोटों को वापस ले लिया है और लोगों से नोटों को बैंकों में बदलवाने खातों में जमा करवाने को कहा है। बिहार में विभिन्न बैंकों की शाखाओं में पहले दिन 188 करोड़ रुपए के 2000 के नोट जमा कराए गए। बैंकों के अलावा डाकघरों में भी 2000 के नोट जमा करवाए गए। 2000 के नोट जमा करने आए लोग नया खाता भी खुलवा रहे हैं। पिछले 2 दिनों में राज्य के डाकघरों में करीब 70000 नए खाते खोले गए।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार में आंधी और बिजली गिरने से 13 लोगों की मौत
  • 2024 के चुनाव को विपक्षी दल एक साथ आएं: ममता बनर्जी
  • नियोजित शिक्षकों का अभी अंतर जिला तबादला नहीं
  • ट्रक में सवार होकर अंबाला पहुंचे राहुल गांधी, जानी ड्राइवरों के मन की बातें
  • पटना हाई कोर्ट का फैसला फाइनेंस कंपनियां एजेंटों के बल पर गाड़ी जप्त नहीं कर सकतीं
  • ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए फॉर्म जारी

अनछपी: पटना के महावीर मंदिर न्यास के परोपकारी काम सभी समुदायों के लिए एक मिसाल है। मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल जिस सेवा भाव से स्वास्थ्य की दिशा में काम कर रहे हैं वह अनुकरणीय है। इस सारे काम की अहम बात यह है कि मंदिर ट्रस्ट के बजट को पूरी पारदर्शिता के साथ सबके सामने रखा जाता है। यह बात सबको मालूम होती है कि किस जगह से कितनी आमदनी हो रही है और उन पैसों को कहां खर्च किया जा रहा है। इसके विपरीत मुसलमानों के वक़्फ़ बोर्ड की करोड़ों की संपत्ति का कोई अता-पता नहीं चलता। यह सही है कि उन्हें महावीर मंदिर की तरह लाखों रुपए दान में नहीं मिलते लेकिन ऐसा भी नहीं है कि किसी मुस्लिम संस्था को दान में पैसे नहीं मिलते हैं। और मुस्लिम संस्थाओं द्वारा भी अपने बजट को सार्वजनिक नहीं किया जाता है। इसका उन्हें घाटा भी होता है क्योंकि बहुत से लोग इसलिए सहयोग राशि नहीं देते कि उन्हें इस बात का यकीन नहीं होता कि उनके पैसे का क्या होगा। वक्फ बोर्ड की जमीन के बारे में ठोस रूप से यह भी नहीं मालूम होता कि आखिर यह संपत्ति कितनी बड़ी है। वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर चल रही दुकानें नाम मात्र का किराया देती हैं। इसकी बड़ी संपत्ति पर आज भी कब्जा बरकरार है लेकिन उसका ठीक-ठाक ब्योरा कहीं नहीं मिलता। अफसोस की बात यह है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के रहते हुए भी वक़्फ़ की जमीन का न तो सही विवरण मिल पाता है ना ही उस जमीन के सही इस्तेमाल की व्यवस्था हो पाती है। क्या वक्त बोर्ड के पास इतनी संपत्ति नहीं कि वह भी महावीर मंदिर ट्रस्ट की तरह अस्पताल चलाएं और जरूरतमंद लोगों की मदद करे? इस मामले में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है और सफल लोगों से सीखना भी जरूरी है। धार्मिक संस्था के बजट को कैसे चलाया जाए इसकी सीख आचार्य किशोर कुणाल से ली जा सकती है।

 

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