छपी-अनछपी: संसद भवन के उद्घाटन में 20 विपक्षी दल शामिल नहीं होंगे, पंचायतों में होगी बंपर बहाली

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का 20 विपक्षी दल बहिष्कार करेंगे। इन दलों का कहना है कि उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को करना चाहिए। इस खबर को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। बिहार की पंचायतों में बंपर बहाली की खबर भी पहले पेज पर है। मणिपुर में दोबारा हिंसा होने की खबर को भी अहमियत दी गई है। उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता आजम खान की उस सजा को रद्द कर दिया गया है जिसके आधार पर उनकी विधायकी चली गई थी।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: नए संसद भवन के उद्घाटन का 20 विपक्षी दल बहिष्कार करेंगे। संसद के नए भवन के उद्घाटन पर सियासत बढ़ गई है। कुल 40 पार्टियों में से 19 विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को संयुक्त बयान जारी कर उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया जबकि एक दल ने अलग से इस समारोह के बहिष्कार की घोषणा की। विरोध करने वाले दलों के लोकसभा में 143 और राज्यसभा में 91 सदस्य हैं। 19 दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। नई संसद का उद्घाटन महत्वपूर्ण अवसर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है।

एनडीए का पलटवार

विपक्ष के हंगामे पर तेरह दलों के सरकारी गठबंधन एनडीए ने पलटवार किया है। एनडीए के अनुसार नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार अपमानजनक है। एनडीए का कहना है कि यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है। एनडीए के अनुसार विपक्ष ने पिछले 9 साल में संसदीय प्रक्रियाओं का कोई सम्मान नहीं किया है। आरोप लगाया कि यह संसद के प्रति यह घोर अनादर बौद्धिक  दिवालियापन को दिखाता है।

पंचायतों में बहाली

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: ग्राम पंचायतों में 9029 पदों पर नियुक्ति। अखबार लिखता है कि राज्य सरकार ग्राम पंचायतों के कार्यालयों में बढ़ रहे कामकाज के दबाव को देखते हुए ठेके पर 7017 लेखापाल एवं आईटी सहायक, 1420 ग्राम कचहरी सचिव, 326 कार्यपालक सहायक एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर और 226 प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी की नियुक्ति करने जा रही है।

मणिपुर में फिर हिंसा

भास्कर की खबर है मणिपुर में कुकी उग्रवादियों ने मैतेई क्षेत्र में घर फूंके, हिंसा भड़की; फिर कर्फ्यू। मणिपुर में मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ प्रदर्शन से शुरू हिंसा की आग 20 दिन बाद फिर भड़क गई। विष्णुपुर जिले के गांव में कर्फ्यू में ढील देते ही हिंसा हो गई। अखबार के अनुसार संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने मंगलवार को मैतेई तक घरों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना का बदला लेते हुए दूसरे समुदाय ने भी 4 घर जला दिए। फिर हथियारों से लैस लोगों ने विष्णुपुर के मोइरांग के कुछ गांव में हमला किया। हंगामे का शोर सुनकर मोइरांग के राहत शिविर में कुछ लोग बाहर आए। बाद में असम राइफल्स ने आकर हिंसा पर काबू किया। इन घटनाओं के बाद जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जागरण के अनुसार राज्य के पीडब्ल्यू मंत्री और भाजपा नेता कौनथौआम गोविंददास के बिशनपुर जिले में स्थित घर में तोड़फोड़ कर उसे पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया गया।

आज़म खान की विधायकी

जागरण ने पहले पेज पर खबर दी है: आजम की जिस सजा पर विधायकी गई, वह खारिज। समाजवादी पार्टी के महासचिव आजम खान को भड़काऊ भाषण में स्पेशल जज एमपी एमएलए सेशन कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) की 3 साल के सजा सुनाने के निर्णय को खारिज कर दिया है। 27 अक्टूबर 2022 को सुनाए गए इस निर्णय के आधार पर आजम को रामपुर शहर सीट की विधानसभा सदस्यता खोनी पड़ी थी। उपचुनाव में यहां से भाजपा के आकाश सक्सेना विधायक निर्वाचित हुए हैं। विधानसभा सदस्यता जाने के बाद फैसला खारिज होने का यह देश का पहला मामला माना जा रहा है।

ऑस्ट्रेलिया में मोदी

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: दोनों देशों की दोस्ती के दुश्मन मंजूर नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज के साथ वार्ता में ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों पर हमले की हालिया घटनाओं का मुद्दा उठाया। साथ ही यहां खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत भी कराया। उन्होंने कहा कि हमें यह कतई मंजूर नहीं है कि कोई भी अपने कृत्यों या विचारधारा से भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंधों को ठेस पहुंचाए।

इमरान खान की पार्टी को झटका

इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने पीटीआई से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद 9 मई को भड़की हिंसा की निंदा की है। फ़व्वाद इमरान के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाते हैं, उन्हें 2018 में इमरान खान की जीत का मुख्य सूत्रधार माना जाता है। चौधरी ने ट्वीट करके कहा है कि मैंने राजनीति से ब्रेक लेने का फैसला किया है, इसलिए मैंने पार्टी के पद से इस्तीफा दे दिया है और मैं इमरान खान से अलग हो रहा हूं।

कुछ और सुर्खियां

  • आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के करीबियों पर ईडी के छापे
  • दिल्ली सरकार में ट्रांसफर पोस्टिंग पर अध्यादेश के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे केजरीवाल के साथ
  • होटल के कमरे में मृत पाए गए अभिनेता नितेश पांडे
  • बिहार में 55 डीएसपी इधर से उधर किए गए
  • मुज़फ्फरपुर में पुलिस के डर से भाग रहे युवक की मौत, रोड़ेबाजी में पांच जवान घायल

अनछपी: किसी भी लोकतंत्र के लिए नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह लोकतांत्रिक समरसता की मिसाल होनी चाहिए थी। लेकिन इस उद्घाटन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराए जाने का निर्णय इतना विवादास्पद है कि 20 विपक्षी दलों ने इसके बहिष्कार की घोषणा की है। एनडीए यानी सत्ताधारी दलों की यह कोशिश है कि इसे संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार ना बताकर इसे संसद का बहिष्कार बताया जाए जो कि एक कुटिल चाल है। इस समारोह के बहिष्कार का आह्वान करने वाले दलों की दलील बहुत सादा है। वह दलील यह है कि राष्ट्र अध्यक्ष होने के नाते उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए। विपक्षी दलों का कहना है कि क्योंकि राष्ट्रपति मुर्मू आदिवासी है इसलिए उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। जाहिर है यह भी एक राजनीतिक आरोप है। इस इल्जाम और जवाबी इल्जाम के दौर में यह बात दुखद है कि विपक्ष की इतनी बड़ी संख्या संसद भवन के उद्घाटन में मौजूद नहीं रहेगी। विपक्षी दलों का आरोप है कि श्री मोदी हर काम का श्रेय लेने की होड़ में रहते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह को राष्ट्रपति मुर्मू के हाथों कराए जाने से श्री मोदी को क्या नुकसान हो सकता है? सवाल यह भी है कि क्या लोकतांत्रिक समरसता के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू के हाथों करवा कर एक अच्छी मिसाल कायम कर सकते हैं? फिलहाल विपक्ष के लिए तसल्ली की बात यह है कि उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने में कामयाबी हासिल की है। मोदी सरकार इस विवाद के राजनीतिक नफा नुकसान पर जरूर विचार करेगी। फिलहाल दोनों ओर से यह कोशिश है कि जनता को यह बताया जाए के किससे लोकतांत्रिक मूल्यों का ख्याल नहीं है।

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