छपी-अनछपी: राहुल का दावा- 9 साल में पीएसयू की 2 लाख नौकरियां खत्म, जेईई एडवांस्ड में हैदराबाद ज़ोन का दबदबा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भारत में पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स की दो लाख नौकरियां पिछले 9 साल में खत्म कर दी गई हैं। राहुल गांधी के इस महत्वपूर्ण बयान को जागरण ने जगह दी है। आईआईटी में दाखिले के लिए होने वाले जेईई एडवांस में हैदराबाद जोन के दबदबे को प्रमुखता मिली है। मौसम की खबर में यह जानकारी है कि बिहार में गर्मी थोड़ी कम हुई है तो राजस्थान और गुजरात में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं।

जागरण की सुर्खी है: सरकार ने पीएसयू में दो लाख से अधिक नौकरियां खत्म कीं: राहुल। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में 200000 से अधिक नौकरियों को खत्म कर दिया गया है। राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार अपने कुछ पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए लाखों युवाओं की उम्मीदें कुचल रही हैं। पीएसयू भारत का गौरव और रोजगार के लिए हर युवा का सपना हुआ करते थे लेकिन आज यह सरकार की प्राथमिकता नहीं हैं। राहुल गांधी ने रविवार को ट्वीट किया देश के पीएसयू में नौकरियां 2014 में 16.9 लाख से कम होकर 2022 में मात्र 14.6 लाख रह गई हैं। क्या एक प्रगतिशील देश में नौकरियां कम होती हैं? राहुल ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि हर साल दो करोड़ रोजगार देने का झूठा वादा करने वालों ने नौकरियां बढ़ाने की जगह दो लाख से अधिक नौकरियां खत्म कर दीं।

हैदराबाद जोन का जलवा

जागरण की खबर है जेईई एडवांस्ड में आईआईटी हैदराबाद जोन का रहा दबदबा टॉप-10 में छह परीक्षार्थी। जेईई एडवांस्ड 2023 का परिणाम रविवार को घोषित कर दिया गया। इसमें आईआईटी हैदराबाद जोन के छात्र वीसी रेड्डी ने टॉप किया। उन्हें 360 अंकों की परीक्षा में 341 अंक मिले हैं। लड़कियों की श्रेणी में भी आईआईटी हैदराबाद जोन की एनएन भव्या श्री ने पहली जगह पाई है। उन्हें 298 अंक मिले हैं। इस परीक्षा के टॉप हंड्रेड में इस साल बिहार के मात्र 2 छात्रों ने जगह बनाई। लखीसराय के गौरव दिल्ली ज़ोन से परीक्षा में शामिल होकर ऑल इंडिया में 51वीं  रैंक हासिल कर स्टेट टॉपर बने। वहीं पटना के विवस्वान सव्यसाची 80वीं रैंक प्राप्त कर गुवाहाटी जोन के टॉपर बने। वैसे, इस बार बिहार का रिजल्ट कमज़ोर माना जा रहा है।

राजस्थान-गुजरात में भारी बारिश

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: राजस्थान-गुजरात में बाढ़ के हालात। चक्रवाती तूफान बिपारजॉय की वजह से गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में बेहद भारी बारिश का दौर रविवार को भी जारी रहा। राजस्थान के जालोर, सिरोही और बाड़मेर जिलों, जबकि गुजरात के बनासकांठा और पाटन जिले में बाढ़ जैसे हालात हो गए। बचावकर्मियों को दोनों राज्यों के इन जिलों के निचले इलाकों से हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित करना पड़ा। मौसम विभाग ने बताया, बिपारजॉय दक्षिण राजस्थान में एक दबाव क्षेत्र में तब्दील हो गया है। इसके तीव्र बने रहने और गुजरात, राजस्थान व मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसके कारण कुछ जगहों पर भारी बारिश होने का अनुमान है।

बिहार में गर्मी से मामूली राहत

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: बदला पटना का मौसम, गर्मी और लू से मिली थोड़ी राहत। बिहार में बीते 18 दिनों के बाद मौसम का मिजाज बदला है। रविवार को पटना व इसके आसपास के इलाकों में बादल छाए रहने के साथ हल्की वर्षा ने लोगों को भीषण गर्मी से थोड़ी राहत दी है। पटना समेत 24 शहरों के अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। पटना का अधिकतम तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 42.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

नेपाल में फ़िल्म आदिपुरुष पर बैन

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: आदिपुरुष के विरोध में आज से सभी हिन्दी फिल्में बैन। फिल्म आदिपुरुष के विवादास्पद संवाद को लेकर नेपाल में नाराजगी काफी बढ़ गई है। काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने आदिपुरुष में सीता को भारत की बेटी बताए जाने पर गहरी आपत्ति जताते हुए नेपाल में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक की मांग की है। बालेन शाह ने नेपाल के संचार और सूचना तकनीक मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जब तक विवादास्पद संवाद को हटाया नहीं जाता, तब तक फिल्म के प्रदर्शन पर नेपाल में प्रतिबंध लगाया जाये। उनके कड़े तेवर को देखते हुए सोमवार से काठमांडू में सभी हिन्दी फिल्मों का प्रदर्शन रोक दिया गया है। इस बीच, फिल्म ‘आदिपुरुष’ के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने रविवार को कहा कि फिल्म निर्माताओं ने कुछ संवादों को संशोधित करने का फैसला किया है। रिलीज के बाद से ही फिल्म के आपत्तिजनक संवादों को लेकर सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना हो रही है।

अनचाहे कॉल्स से अभी छुटकारा नहीं

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: अभी 6 महीने और नहीं मिलने वाला अनचाहे कॉल्स मैसेज से छुटकारा। अखबार लिखता है कि अनचाहे कॉल और मैसेज से छुटकारा पाने के लिए आपका इंतजार लंबा हो सकता है। टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने व्यावसायिक कॉल या मैसेज भेजने वाली संस्थाओं और मोबाइल सेवा प्रदाताओं को अनचाहे कॉल/मैसेज की पहचान और उन्हें ब्लॉक करने के लिए जरूरी डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करने के वास्ते 30 नवंबर तक का समय दिया है। इसके पहले कहा गया था कि 1 मई के बाद अनचाहे कॉल मैसेज बंद हो जाएंगे।

गीता प्रेस को गांधी पुरस्कार का विरोध

जागरण की खबर है: गीता प्रेस को मिलेगा 2021 का गांधी शांति पुरस्कार। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए गीता प्रेस गोरखपुर को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया। इसके तहत एक करोड़ रुपए और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि गीता प्रेस को गांधी पुरस्कार देना वास्तव में एक उपहास है और गोल्ड सेवर सावरकर को सम्मानित करने जैसा है। उन्होंने कहा कि अक्षय मुकुल की 2015 में एक अच्छी जीवनी आई है। इसमें उन्होंने इस संगठन के महात्मा गांधी के साथ खींचतान भरे संबंधों और राजनीतिक धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाई यों का राज फाश किया है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 20 जून को जाएंगे तमिलनाडु
  • सूखा प्रभावित किसानों को सहायता देगी बिहार सरकार
  • राज्य के 27 जिलों में बिजली गिरने का अलर्ट
  • गया के इमामगंज में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, बेटे ने लगाया हत्या का आरोप
  • मणिपुर के हिंसा ग्रस्त इलाकों में सेना ने किया फ्लैग मार्च
  • आपातकाल देश के इतिहास का काला युग: प्रधानमंत्री मोदी

अनछपी: गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर के गीता प्रेस को देने के फैसला पर कांग्रेस का सवाल वाजिब लगता है। गीता प्रेस आमतौर पर हिंदू धर्म ग्रंथ को सस्ते दर पर उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। कभी यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका के महान नेता नेल्सन मंडेला को दिया गया था और अब यह एक ऐसे संस्थान को दिया गया है जिसके बारे में यह माना जाता है कि वह महात्मा गांधी की हत्या पर जानबूझ कर चुप्पी साधे है। ऐसा कहा जाता है कि महात्मा गांधी गीता प्रेस के संस्थापकों और कल्याण पत्रिका के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार करीबी थे लेकिन बाद में छुआछूत के मामले पर दोनों में मतभेद पैदा हो गया। 1948 में गांधी की हत्या के बाद हनुमान प्रसाद पोद्दार और गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयंका को गिरफ्तार किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि गीता प्रेस ने शांति और सामाजिक सौहार्द के गांधीवादी मूल्यों में योगदान दिया है, समझ से परे है। गीता प्रेस सिर्फ सनातन या हिंदू धर्म के लिए पुस्तकें प्रकाशित करता है। जो संस्थान गांधी की हत्या की भर्त्सना में कभी सामने नहीं आया उसे गांधीवादी मूल्यों के सम्मान के लिए पुरस्कृत करना बेहद अजीब लगता है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार गांधी के विचारों के खिलाफ रहने वाले संस्थाओं को ही गांधी के नाम पर पुरस्कृत कर रही है। भारतीय जनता पार्टी की 2014 में दोबारा बनी सरकार ने आरएसएस से जुड़े संस्थानों को गांधी के नाम पर मिलने वाला पुरस्कार देना शुरू किया। 2015 में विवेकानंद केंद्र और 2017 में एकल अभियान ट्रस्ट को यह पुरस्कार दिया गया था। एक और इस सरकार पर महात्मा गांधी को किनारे लगाने और उनके मूल्यों के खिलाफ आचरण करने का आरोप लगता है तो दूसरी ओर कटे पर नमक छिड़क ते हुए सरकार उन संस्थाओं को गांधी पुरस्कार दे रही है जिनका गांधी से कभी कोई वास्ता ना रहा या जो गांधी के मूल्यों के खिलाफ रहे। सत्ता का ऐसा दुरुपयोग भारतीय समाज के लिए बेहद अफसोस नाक है।

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