छ्पी-अनछ्पी: जम्मू कश्मीर के पुंछ में सेना पर हमला, संसद की लड़ाई आई सड़कों पर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के काफिले पर हमले में पांच सैनिकों की मौत की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। संसद से निलंबित किए गए सांसदों की लड़ाई और उपराष्ट्रपति की मिमिक्री पर विरोध अब सड़कों पर आ गया है। इससे जुड़ी खबरें भी महत्वपूर्ण हैं।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: पुंछ: सेना के काफिले पर आतंकी हमला, पांच जवान शहीद; आतंकियों ने दो शहीदों के साथ बर्बरता की। जागरण की पहली खबर है: पुंछ में आतंकी हमला, चार जवान बलिदान। जम्मू कश्मीर के पुंछ में गुरुवार दोपहर बाद 3:45 बजे आतंकियों ने सैन्य टुकड़ी पर घात लगाकर हमला किया। इसमें पांच जवान शहीद हो गए। दो घायल हैं। अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने दो शहीद जवानों के शवों को विकृत भी किया है। दो वाहनों में सेना के जवान आतंकियों के खिलाफ चल रहे एक ऑपरेशन में शामिल होने जा रहे थे। इसी दौरान आतंकियों ने सूरनकोट इलाके में डेरा की गली और बुफलियाज के बीच अंधे मोड़ पर हमला कर दिया। हमने की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन एंटी फासिस्ट फ्रंट ने ली है।

संसद से निलंबन के खिलाफ मार्च

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: संसद से विजय चौक तक विरोध मार्च। विपक्ष के 146 सांसदों के निलंबन के खिलाफ मोदी सरकार की घेराबंदी करते हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल दलों के दोनों सदनों के सदस्यों ने सदन में आवाज उठाने के बाद गुरुवार को संसद भवन से विजय चौक तक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में विपक्षी सांसदों ने सरकार पर संसद में विपक्ष की आवाज कुचलने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। खड़गे ने कहा कि लोकतंत्र में बोलना और सवाल उठाने विपक्ष का अधिकार ही नहीं जिम्मेदारी भी है।

भाजपा का प्रदर्शन

हिन्दुस्तान की सुर्खी है: संसद की लड़ाई सड़क पर आई, सत्ता पक्ष व विपक्ष का प्रदर्शन। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कथित अपमान के मुद्दे पर सदन की लड़ाई गुरुवार को सड़क पर आ गई। भाजपा ने राजस्थान महाराष्ट्र, बिहार व पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में प्रदर्शन किया। दिल्ली में जंतर मंतर पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया।

शिक्षक भर्ती का रिजल्ट 25 तक

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बीपीएससी की शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम 25 तक। दूसरे चरण की एक लाख 22 हजार 286 शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट इसी सप्ताह जारी होगा। बीपीएससी की तैयारी 25 दिसंबर तक रिजल्ट जारी करने की है। पहली से 12वीं कक्षा तक की अलग-अलग कोटि के शिक्षकों के रिजल्ट जारी होने में तीन से चार दिन लगने का अनुमान है। जानकारी के मुताबिक, आयोग लगभग 80 तरह का रिजल्ट जारी करेगा। कक्षा 6 से 8, कक्षा 9 व 10 और कक्षा 11 व 12 के लिए अलग-अलग विषयों के अलग-अलग रिजल्ट जारी होंगे।

मेट्रो के लिए जमीन की दर

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: मेट्रो के लिए सरकार नई दर से जमीन का मुआवजा तय कर भुगतान करे: हाईकोर्ट। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट कहा है कि वह पटना में मेट्रो के लिए किये जा रहे जमीन अधिग्रहण के मामले में किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करेगा। कोर्ट ने नई दर से जमीन का मुआवजा तय करने और जमीन मालिकों को भुगतान करने का भी आदेश राज्य सरकार को दिया। न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की एकल पीठ ने ललिता कुमारी एवं अन्य द्वारा जमीन अधिग्रहण और मुआवजा को लेकर दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया कि शहर में 75 एकड़ जमीन का अधिकरण किए जाने से सैकड़ो लोग बेघर हो गए हैं।

कुश्ती संघ का चुनाव और पहलवान का संन्यास

हिन्दुस्तान के अनुसार निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया। बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। ताज़ा चुनाव के विरोध में रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की। टेबल पर जूते रखकर साक्षी मलिक ने संन्यास लेने की घोषणा की। इस दौरान उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा कि हमने दिल से लड़ाई लड़ी, लेकिन बृजभूषण जैसा आदमी, उसका करीबी अध्यक्ष चुना गया है तो मैं कुश्ती छोड़ती हूं।

पटना में कोरोना के दो मरीज़ मिले

पटना में कोरोना ने फिर दस्तक दे दी है। गुरुवार को यहां दो कोरोना संक्रमित मिले। इनमें एक केरल से आया युवक है, जबकि दूसरे का असम से आने का यात्रा इतिहास है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि गर्दनीबाग निवासी युवक केरल से आया था। उसे बुखार व सर्दी-खांसी थी। आईजीआईएमएस में उसने जांच कराई। वहीं दूसरे की जांच ईएसआईसी हॉस्पिटल बिहटा में हुई थी।

कुछ और सुर्खियां

  • चेक गणराज्य की राजधानी में अंधाधुंध फायरिंग में 15 मरे
  • हजारीबाग में अलाव के धुएं से दम घुटने से बक्सर के चार युवाओं की मौत
  • आयुष्मान योजना में इलाज खर्च की लिमिट दोगुनी कर 10 लख रुपए करने का विचार
  • तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री व उनकी पत्नी को तीन-तीन साल की जेल, 50 लाख का जुर्माना
  • अयोध्या के लिए बिहार से जाएगी 36 ट्रेनें
  • सुपौल के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सेवा से निलंबित
  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तीन दिनी बिहार दौरे पर पटना पहुंचे
  • सांसदों के निलंबन के खिलाफ जिलों में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन आज

अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद खत्म करने के लिए दो प्रमुख बातें की थीं। उनकी सरकार ने नोटबंदी के बाद यह दावा किया था कि इससे जम्मू कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो जाएगा। नोटबंदी से आम लोगों को हुई परेशानी का सबको पता है। इसी तरह यह भी कहा गया था कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की जड़ खत्म हो जाएगी। यह सही है कि जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी जैसी घटना अब नहीं होती लेकिन सरकार के इस दावे में कितना दाम है कि वहां आतंकवाद को जड़ से मिटाया जा चुका है? सेना की भारी मौजूदगी के बाद सैनिकों पर बीच-बीच में हमले हो ही जाते हैं तो ऐसे में यह सवाल करना वाजिब होता है कि सरकार की नीति कितनी सफल है। संसद का शीतकालीन सत्र एक दिन पहले समाप्त किया जा चुका है और विपक्ष के 143 सांसद निलंबित हैं। ऐसे में सरकार से कौन पूछे कि उनकी कश्मीर नीति के बावजूद वहां सेना पर हमले क्यों हो रहे हैं। सरकार और सरकार समर्थित मीडिया इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंक बताने में लगा है मगर यह सवाल तो बनता ही है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को रोकने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को अब किस बात का इंतजार है। यही हमला अगर कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ होता तो भारतीय जनता पार्टी अब तक कितने बयान जारी कर चुकी होती। ऐसा लगता है कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस पार्टी और अन्य दल सरकार से सवाल पूछने की अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहे हैं। सरकार ने तो लोकसभा और राज्यसभा में बोलने वाले विपक्षी सांसदों को पहले से बाहर कर रखा है तो अब इसके खिलाफ सड़क पर ही कोई बात की जा सकती है। जम्मू कश्मीर में सुरक्षा का मामला बेहद नाजुक है लेकिन सैनिकों की जान ना जाए इसे सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी की सरकार कश्मीर में सैनिकों की सुरक्षा देने में नाकाम है और उसकी नीति और कोशिश में कहीं न कहीं कमी जरूर है।

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