छपी-अनछपी: बिहार में गर्मी-लू से मौत जारी, मणिपुर में हिंसा से बचने के लिए लिखा ‘मुस्लिम एरिया’

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में भारी गर्मी और लू से मरने वालों की तादाद बढ़ रही है। मौसम और गर्मी से होने वाली मौत की खबरें सभी जगह प्रमुखता से दी गई हैं। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच भास्कर ने यह खबर दी है कि वहां के मुसलमान अपने घरों पर मुस्लिम एरिया लिख दे रहे हैं ताकि वहां जारी जातीय हिंसा से वे बच सके।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: कहर: 24 घंटे में गर्मी से बीमार 35 मरीजों की मौत। भीषण गर्मी और तेज धूप के कहर से पिछले 24 घंटों में 35 मरीजों की मौत पटना के दो बड़े अस्पतालों में हो गई। इनमें से 19 की मौत एनएमसीएच में, जबकि 16 की मौत पीएमसीएच में हुई। यही नहीं,पीएमसीएच में इस दौरान 105 लोग और एनएमसीएच में 110 लोग गर्मी और इससे संबंधित बीमारियों से ग्रसित होकर भर्ती भी कराए गए हैं।

एनएमसीएच के उपाधीक्षक सह मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि एनएमसीएच में रेफर होकर इलाज करानेवाले लोगों में से 16 की मौत इलाज शुरू होने के पहले ही हो गई, जबकि तीन की मौत इलाज के दौरान हुई। ये सभी बेहद गंभीर हालत में इलाज कराने पहुंचे थे। इनकी मौत तेज गर्मी के कारण लू लगने, उल्टी-दस्त, निम्न रक्तचाप, तेज बुखार और तेज सिरदर्द जैसी बीमारियों से हुई है।

17 दिनों से गर्मी का कहर

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: 17 दिनों से झुलसा रही गर्मी, 19 के बाद राहत की उम्मीद। अखबार लिखता है कि प्रचंड गर्मी व भीषण लू का कहर बढ़ता ही जा रहा है। बीते 17 दिनों से पटना समेत प्रदेश के अधिसंख्य जिलों का अधिकतम तापमान 40- 44 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है। शनिवार को पटना का अधिकतम तापमान 17 दिनों में सबसे अधिक 44.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 45.1 डिग्री सेल्सियस के साथ शेखपुरा बिहार का सबसे गर्म जिला रहा। अखबार के अनुसार बिहार में शनिवार को लू की चपेट में आकर सैप जवान सहित 17 लोगों की मौत हो गई।

मणिपुर में ‘मुस्लिम एरिया’

भास्कर की खबर है: मणिपुर: घरों पर लिखा- ये मुसलमानों का एरिया ताकि जातीय हिंसा से बच सकें। मणिपुर में मैतेई-कुकी हिंसा के बीच मुस्लिम मैतेई समुदाय (पांगल) के लोगों ने अपने घरों के बाहर खुद के मुसलमान होने के बारे में लिखना शुरू कर दिया है। विष्णुपुर के क्वाक्ता के अली बताते हैं कि हमें अपनी जान की फिक्र है ताकि हमलावर उन्हें मैतेई हिंदू ना समझ लें, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं। मणिपुर की 32 लाख की आबादी में पांगल मुस्लिम लगभग ढाई लाख हैं।

हिंसा बेलगाम

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: बेलगाम: मणिपुर में भाजपा नेताओं के घरों पर हमला। मणिपुर की राजधानी इंफाल में शुक्रवार रात भीड़ ने भाजपा नेताओं के घर जलाने की कोशिश की। वहीं, सुरक्षाबलों और भीड़ के बीच झड़पों में दो लोग जख्मी हो गए। राज्य के बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचांदपुर जिले के कंगवई गांव में भी पूरी रात गोलीबारी चलती रही। उग्र भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में तोड़फोड़ की और आग लगाने का प्रयास किया। पोरमपेट में भाजपा महिला शाखा की अध्यक्ष शारदा देवी के घर पर भी लोगों ने तोड़फोड़ की कोशिश की।

बिहार कॉमन सिविल कोड के साथ नहीं

हिन्दुस्तान की खबर है: समान नागरिक संहिता का बिहार नहीं करेगा समर्थन। राज्य के वित्तमंत्री व वरिष्ठ जदयू नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी या सरकार किसी भी हालत में समान नागरिक संहिता का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “चार साल पहले ही विधि आयोग ने कह दिया कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। इससे किसी धर्म के लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। इसलिए इसके समर्थन का सवाल ही पैदा नहीं होता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयास तेज कर दिए हैं।

पैसे नहीं, कैसे होगा 4 साल का ग्रेजुएशन?

जागरण की खबर है: धन की कमी से चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लागू करना संभव नहीं। शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि धन की कमी से राज्य में 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लागू करना संभव नहीं है। नए पाठ्यक्रम के डिजाइन में बदलाव करने के लिए आज आधारभूत संरचना की जरूरत है। विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में शिक्षकों, कर्मियों, अतिरिक्त वर्ग कक्ष और प्रयोगशाला सहित कई अन्य चीजों की आवश्यकता होगी जिसके लिए बहुत अधिक धन राशि की भी आवश्यकता होगी। इस बजट में तत्काल किसी प्रकार की वृद्धि संभव नहीं है। इसलिए विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सरकार की तरफ से राजभवन को 4 वर्षीय पाठ्यक्रम को लागू करने के संबंध में पुनर्विचार करने का आह्वान किया है। इधर राज्यपाल और कुलपति राजेंद्र आर्लेकर ने एक बार फिर कहा है कि चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम पर आधारित 4 वर्षीय स्नातक कोर्स बिहार के छात्रों के हित में है।

फोन में जासूस

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: देश में 42 करोड़ फोन में स्पाइवेयर, यह 105 ऐप के जरिए तेजी से फैला। अखबार लिखता है कि गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करना कितना खतरनाक हो सकता है इसका अंदाजा इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की खोज से हो सकता है। इस टीम ने एक ऐसे स्पाइवेयर को खोज निकाला है जो न सिर्फ फोन में मौजूद ईमेल आदि से जानकारियां चुराता है बल्कि फोन के कैमरे का इस्तेमाल कर रिकॉर्डिंग भी करता है। जहां घर में फोन रखा है और उसके आसपास होने वाली बातें सुनता है। यह स्पाइवेयर देश के 42 करोड़ एंड्रॉयड फोन में पहुंच चुका है। इसका नाम है ‘स्पिन ओके’ जो गूगल प्ले स्टोर में मौजूद 105 ऐप के जरिए फोन तक पहुंचा है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों के स्टाफ को अपने मोबाइल फोन से संदिग्ध ऐप हटाने के निर्देश दिए हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • CBSE इसी सेशन से लागू करेगा आठवीं बोर्ड, 20000 स्कूलों में पहला ट्रायल
  • पटना के गंगा पथ के दोनों छोर पर 6 किलोमीटर लंबा थीम पार्क और ग्रीन कॉरिडोर बनेगा
  • अब 27 को प्रधानमंत्री मोदी दिखाएंगे वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी
  • चक्रवाती तूफान बिपारजॉय के कारण राजस्थान के कई इलाकों में भारी बारिश
  • बिहार की 37 नदियां सूख गईं, 18 में नापने लायक पानी नहीं
  • ख़राब हवा में सांस ले रही भारत की 99% आबादी: विश्व बैंक।

अनछपी: चार साल के ग्रेजुएशन प्रोग्राम को लागू करने के बारे में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि राज्यपाल व चांसलर और बिहार के शिक्षा विभाग में तालमेल की कमी साफ देखी जा सकती है। बिहार के विश्वविद्यालय के मुखिया राज्यपाल होते हैं लेकिन पढ़ाई की सारी व्यवस्था राज्य सरकार को देखनी होती है। राज्य शिक्षा विभाग के आला अधिकारी ने पहले ही यह कह दिया है कि बिहार में सेशन लेट चल रहा है और ऐसे में इस साल 4 साल के ग्रेजुएशन प्रोग्राम को शुरू करना मुश्किल है। अब शिक्षा मंत्री ने ज्यादा बुनियादी सवाल उठाए हैं। चार वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम के लिए अलग टीचरों और क्लासों की जरूरत होगी। बिहार के विश्वविद्यालयों की हालत यह है कि यहां पहले से ही शिक्षकों और दूसरी जरूरी चीजों की कमी है। सच्चाई यह भी है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसी नामी जगहों पर भी टीचर और क्लास रूम की कमी है। इस लिहाज से बिहार के विश्वविद्यालयों की स्थिति समझी जा सकती है। ऐसा लगता है कि 4 वर्ष के ग्रेजुएशन प्रोग्राम को लागू करने से पहले जिस सोच विचार की जरूरत थी, वह बिल्कुल नहीं की गई। यह शिक्षा मंत्रालय के ऊपर निर्भर था कि वह राज्यों से नए कोर्स के बारे में समन्वय स्थापित कर कोई ठोस नीति बनाए लेकिन इस मामले में ऐसी कोई पहल नजर नहीं आई। ऐसे में राज्यपाल महोदय यह चाहते हैं कि इसी साल से 4 वर्षीय कोर्स शुरू किया जाए तो यह उनकी सदिच्छा हो सकती है लेकिन व्यावहारिक सोच नहीं। नए कोर्स के लिए शिक्षकों की कमी के बिना ही बिहार के छात्रों की पढ़ाई कैसे होगी यह बात भी कुलाधिपति को सोचना चाहिए। शिक्षकों के बिना ही अगर नया कोर्स लागू किया जाता है तो फिर परीक्षा में कदाचार वगैरा की शिकायत करना कितना उचित होगा? इसलिए बेहतर यह लगता है कि पहले शिक्षकों की कमी पूरी की जाए। साथ ही, क्लासरूम और दूसरी जरूरतों को पूरा किया जाए और फिर इस कोर्स को लागू करने की बात सोची जाए।

 

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