छपी-अनछपी: नीतीश ने कहा- मांझी भाजपा की तरफ भी थे, मणिपुर में मंत्री के घर आगजनी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच जो सियासी चाल चली जा रही थी, उसमें लगता है कि नीतीश कुमार आगे निकल गए। जीतन राम मांझी ने अमित शाह से मुलाकात की थी तो अब नीतीश कुमार ने कहा है कि वह विपक्षी बैठक की बातें भाजपा को पहुंचा देते। इस बयान को सबसे ज्यादा तवज्जो मिली है। मणिपुर में केंद्रीय मंत्री के घर को आग लगा देने की खबर दब गई है। बिहार में लू से और लोगों की मौत हुई है जिसकी खबर प्रमुखता से ली गई है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: विपक्षी बैठक की बातें भाजपा को पहुंचा देते मांझी: नीतीश। भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: नीतीश बोले- मांझी भाजपा की ओर भी थे, मैंने कहा पार्टी मर्ज कीजिए या अलग हो जाइए वे अलग हो गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “जीतन राम मांझी हमलोगों के साथ रहते तो भाजपा को सूचना पहुंचाते रहते। वो भाजपा के लोगों से मिल रहे थे और हमारे यहां भी आकर मिल रहे थे। वह सब बात कहते थे। इसकी जानकारी मुझे थी। विपक्षी दलों की 23 को होने वाली बैठक में मांझी शामिल होते तो सारी बातें भाजपा को बता देते।”

मुख्यमंत्री राजभवन में शुक्रवार को रत्नेश सदा के मंत्री के रूप में शपथग्रहण के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हमलोग जानते थे कि मांझी भाजपा से मिल रहे हैं, इसलिए हमने उनसे कहा था कि अपनी पार्टी का जदयू में विलय कीजिये या फिर अलग हो जाइए। देश की विपक्षी पार्टियों की पटना में बैठक होने वाली है। वो चाहते थे कि उस बैठक में वो भी रहें। एक बार हमसे जब वो मिलने आए तो हमने उनसे कहा कि आपको हमने जितना सम्मान दिया है, उतना कोई और नहीं दे सकता है। आप या तो अपनी पार्टी को जदयू में विलय कीजिए या फिर अलग होना है तो अलग हो जाइये। उन्होंने पार्टी के मर्ज होने को नहीं स्वीकार किया और अलग हो गए। हम तो अपने कोटा से उनको मंत्री बनाए थे। इससे पहले जदयू विधायक रत्नेश सदा ने शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ ली।”

लू से मौत जारी

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: लू से और 16 लोगों की गई जान, प्रदेश के 6 जिलों में रेड अलर्ट। अखबार लिखता है कि भीषण लू के कारण बांका व अरवल में 4-4, औरंगाबाद में 3, भोजपुर में दो तथा जहानाबाद, जमुई व भागलपुर में 1-1 सहित कुल 16 लोगों की मौत हो गई। इधर प्रदेश के उत्तरी भाग को छोड़ पटना समेत शेष जिलों में भीषण गर्मी व लू का कहर बीते कुछ दिनों से जारी है। मौसम केंद्र का अगले 3 दिनों तक जारी रहने का अनुमान है। राजस्थान से आ रही गर्म हवा नमी की कमी बादलों का ना बनना आदि कारणों से बिहार के दक्षिणी भागों में तपिश चरम पर है। मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिण पश्चिम भागों में बक्सर, भभुआ, रोहतास, औरंगाबाद, भोजपुर व अरवल में लू को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है।

मणिपुर हिंसा

मणिपुर में गुरुवार रात विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के इंफाल स्थित आवास पर हिंसक भीड़ ने हमला कर दिया। हिन्दुस्तान के अनुसार इस दौरान कुछ लोगों ने पेट्रोल बम फेंके और परिसर में आग लगा दी। घटना के वक्त मंत्री केरल में थे। उधर, इंफाल जिले में अलग-अलग झड़पों में पुलिस का एक जवान और दो प्रदर्शनकारी घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों और भीड़ के बीच तीखी झड़प हुईं। लोगों ने मंत्री के घर को घेर लिया और तोड़फोड़ की। दमकल कर्मियों को भी वहां तक पहुंचने से रोक दिया। राज्य को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को महिलाओं के समूहों ने अवरुद्ध कर दिया है। इससे कई हिस्सों में जरूरी चीजों की आपूर्ति प्रभावित हुई है।

नेहरू स्मारक का नाम बदला

हिन्दुस्तान की खबर है: सियासत: नेहरू स्मारक के नाम पर भाजपा, कांग्रेस आमने-सामने। दिल्ली में तीन मूर्ति भवन परिसर स्थित नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी’ कर दिया गया है। इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। वहीं, भाजपा ने कहा, यह राजनीति से परे प्रयास है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 59 वर्षों से अधिक समय से यह स्मारक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों का खजाना रहा है।

डायन बता हैवानियत

जागरण की खबर है: डायन बता विधवा को निर्वस्त्र कर पीटा, दोनों आंखें निकालीं। अरवल जिले के सदर थाना क्षेत्र के कागज़ी मोहल्ला में डायन होने का आरोप लगाकर 65 वर्षीय विधवा की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। उसकी दोनों आंखें भी निकाली गई। गुरुवार की रात घर में घुसकर पड़ोसियों ने इस घटना को अंजाम दिया। उस समय वह घर पर अकेली थी। शुक्रवार को जब बेटा घर लौटा तब खून से लथपथ मां लखिया देवी का शव देख पुलिस को सूचना दी। विधवा का बेटा यमुना दास भी विकलांग है। सभी आरोपित घर में ताला जड़कर भाग निकले हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • गर्मी के कारण पटना में सभी स्कूल 24 जून तक बंद रहेंगे
  • गुजरात में तबाही फैलाने के बाद राजस्थान पहुंचा तूफान बिपारजॉय
  • पांच विदेशी आतंकियों को सेना ने मुठभेड़ में किया ढेर
  • बिहार में जुलाई से सितंबर तक बालू खनन बंद रहेगा
  • कानून की पढ़ाई के इंट्रेंस टेस्ट कलैट में 150 की जगह 120 सवाल होंगे
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ट्रेन यात्रा के दौरान चोरी होने पर रेलवे जिम्मेदार नहीं
  • जीतन राम मांझी 19 जून को दिल्ली में भाजपा नेताओं से मिलेंगे

अनछपी: प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कभी यह कहा जाता है कि उनकी कोशिशों से यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग को खत्म किया जा सकता है लेकिन इतने योग्य नेता के रहते अपने घर मणिपुर में जारी हिंसा को रोकने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है। राष्ट्रीय मीडिया में भले ही मणिपुर की कम चर्चा होती है लेकिन हिंसा का जारी रहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व क्षमता पर भी एक सवालिया निशान बनता जा रहा है। हद तो यह है कि विपक्षी नेता भी इस सवाल को सही ढंग से नहीं उठा रहे हैं। इस कॉलम में हमने पहले भी यह लिखा है कि मणिपुर की हिंसा को राष्ट्रीय मीडिया में वह स्थान नहीं मिल रहा है जबकि वहां की स्थिति बेहद खराब है। 3 मई से जारी इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 50000 से अधिक लोग अपना घर छोड़कर शरण लेने पर मजबूर हुए हैं। हिंसा की शुरुआत के बाद सेना अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री भी मणिपुर का दौरा कर चुके हैं लेकिन लगता है कि उनकी कोशिशों के बावजूद हिंसा की आग ठंडी नहीं पड़ी है। मणिपुर में हिंसा के विवाद में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री को बदलने की बात नहीं कर रहा है जिससे स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी कथित डबल इंजन की सरकार का राजनीतिक नारा देती रही है लेकिन दिल्ली और मणिपुर दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद हिंसा का जारी रहना उसके लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह इसे उग्रवाद का मामला बताते हैं जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदिवासी ईसाई समुदाय कुकी और हिन्दू मैतेई के बीच जातीय विवाद है। इस हिंसा के बारे में जब मुख्यमंत्री के स्तर पर इतनी गलतफहमी है तो इस पर काबू पाने की कोशिश शक के दायरे में ही रहेगी। जरूरत इस बात की है कि पहले इस समस्या के मूल को स्वीकार किया जाए और उसी अनुसार हिंसा पर काबू पाने की नीति बनाई जाए। कुकी समुदाय का भरोसा खो चुके बीरेन सिंह को हटाना इसका पहला क़दम हो सकता है।

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