छपी-अनछपी: बंगाल के पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों के रहते खून-खराबा, जुआ-क़र्ज़ वाले 130 ऐप बैन होंगे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों को लगाने के बावजूद पंचायत चुनाव में भारी खून खराबा हुआ है और लगभग 15 लोगों के मारे जाने की खबर प्रमुखता से ली गई है। जुआ और क़र्ज़ वाले 130 ऐप पर पाबंदी लगाने की तैयारी की ख़बर सभी जगह है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: पंचायत चुनाव में बंगाल रक्तरंजित, 15 मरे, हिंसा में दर्जनों हुए घायल। शनिवार को बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए हुए मतदान में सुबह से ही हिंसा शुरू हो गई। जगह-जगह झड़प, बूथ पर कब्जा, मतपत्रों को लूटने और मतदाताओं को डराने की घटनाएं हुईं। देर शाम तक 15 लोग मारे गए और दर्जनों लोग बम गोली व झड़प में घायल हुए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार प्रदेश के 22 जिलों में शाम 5:00 बजे तक 64.28% मत पड़े। मतगणना 11 जुलाई को होगी। 8 जून को ग्राम पंचायत जिला परिषद व पंचायत समिति की करीब 64000 सीटों पर चुनाव की घोषणा के बाद से ही हिंसा की घटनाएं बढ़ गई थी। केंद्रीय बलों की 822 कंपनियां मिलनी थी लेकिन 600 कंपनी ही आईं। मारे जाने वालों में सत्तारूढ़ टीएमसी के सबसे ज्यादा 9 भाजपा व कांग्रेस के दो-दो जबकि एक माकपा कार्यकर्ता एवं एक निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थक की मौत का दावा किया गया है।

तृणमूल का पलटवार, विपक्षी दलों ने भड़काई हिंसा

हिन्दुस्तान के अनुसार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी दलों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि केंद्र सरकार ने हिंसा के बावजूद केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं की। राज्य की मंत्री शशि पांजा ने कहा, यह भाजपा, माकपा और कांग्रेस की साठगांठ है। तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है। केंद्रीय बल कहां हैं? उन्होंने कहा, आठ जून को पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद से सबसे ज्यादा मौत तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की हुई है। यदि तृणमूल कांग्रेस वास्तव में हिंसा भड़काती है, तो उनके कार्यकर्ताओं को निशाना क्यों बनाया जाता है।

क़र्ज़-जुआ वाले ऐप पर पाबंदी की तैयारी

बिहार पुलिस ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से 130 जुआ, गेमिंग और क़र्ज़ देने वाले ऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। अखबारों के अनुसार बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एडीजी नैयर हसनैन खान ने शनिवार को बताया कि मंत्रालय से संपर्क कर ऐसे ऐप पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया है। उन्होंने बताया कि ये सभी ऐप सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा-69 का उल्लंघन कर रहे हैं। इनमें ऐसी सामग्री होती है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हैं। ऋण देने वाले ऐसे एप से बहुत कम रकम उधार लेने वाले लोगों से जबरन वसूली और उत्पीड़न की कई शिकायतें मिली हैं।

मलमास मेले की तैयारी

बरसात में मलमास मेला के मद्देनजर हर तैयारी होगी। हिन्दुस्तान के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में शुरू होने वाले मलमास मेला की तैयारियों का जायजा लेने के क्रम में अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इस बार की स्थिति भिन्न है, क्योंकि बरसात के मौसम में मेला का आयोजन होने वाला है। इसे ध्यान में रखते हुए हर पुख्ता इंतजाम रखें ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा हो। मलमास मेला 18 जुलाई से राजगीर में शुरू होगा।

धर्मांतरण कराने के आरोप में तीन गिरफ्तार

धर्म बदलवाने के आरोप में तीन लोगों को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अखबारों के अनुसार गिरफ्तार होने वालों में दो पहले हिंदू थे जो बाद में मुसलमान हो गए। उन पर 7 लोगों का धर्म बदलवाने का आरोप है। अखबारों के अनुसार सबसे पहले पलवल का सौरव खुराना धर्मांतरण कर अब्दुल्ला अहमद बना और फिर मुशीर ने अब्दुल्ला के जरिए छात्र राहुल का धर्म परिवर्तन कराया। मुशीर पर आरोप है कि उसने राहुल अग्रवाल को कोचिंग देने के साथ-साथ ब्रेनवाश कर अपने समुदाय का पाठ पढ़ाया। राहुल अग्रवाल 2017 में धर्म परिवर्तन कर मोहम्मद राहिल बन गया।

कुछ और सुर्खियां

  • शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के 40 और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को सदस्यता पर नोटिस जारी
  • सोनीपत के गांव पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ट्रैक्टर चलाया और रोपा धान
  • पाकिस्तान को खुफिया सूचना देने वाला बीएसएफ का कर्मचारी नीलेश वालिया गिरफ्तार
  • कोसी सीमांचल में लगातार बारिश से कोसी, बागमती, गंगा और महानंदा उफनायीं
  • बिहार में मिलते हैं सिर्फ 11 तरह के सांप, इनमें जहरीले महज चार ही
  • गांव में मिलेगी सस्ती दवाई, 190 पैक्सों में खुलेंगे जन औषधि केंद्र
  • ट्रेन में एसी चेयर कार और एक्सक्यूटिव क्लास की आधी सीटें खाली तो किराया 25% तक कम लगेगा

अनछपी: पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हुई भारी हिंसा तब हुई है जबकि यह मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और राज्य की पुलिस के अलावा केंद्रीय बलों की तैनाती की हुई। इस चुनाव में हिंसा की आशंका पहले से जाहिर की जा रही थी और वोटिंग से पहले भी कई लोगों को हिंसा का शिकार होना पड़ा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विपक्षी नेता कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस हिंसा में लिप्त होती है लेकिन यह बात भी सोचने की है कि ममता बनर्जी या तृणमूल कांग्रेस ऐसी हिंसा क्यों चाहेगी जिसमें टीएमसी के ही सबसे ज्यादा लोग मारे गए। इस चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि ममता बनर्जी पर यह आरोप बिल्कुल सही लगेगा कि वह इसे रोकने में बुरी तरह नाकाम हुई हैं। ममता बनर्जी की राजनीति खुद ऐसी हिंसा का शिकार होकर आगे बढ़ी थी और उनसे उम्मीद की जा रही थी कि उनके राजकाज में हिंसा की घटनाएं नहीं होंगी लेकिन यह घटनाएं बेकाबू ही रही हैं। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि जिन लोगों को लगता था कि केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद हिंसक कम होगी उनके पास इसका क्या जवाब होगा कि केंद्रीय बलों की तैनाती के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर खून खराबा हुआ। अब यह आरोप लगेगा कि केंद्रीय बल हिंसा पर काबू पाने में नाकाम रहे और यह भी कहा जाएगा कि केंद्रीय बलों को काम करने नहीं दिया गया। राज्य चुनाव आयोग ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उसका काम चुनाव प्रबंधन देखना है, हिंसा रोकना नहीं। कहा तो यह भी जा रहा है कि जितनी संख्या में केंद्रीय बल की तैनाती की मांग की गई थी उतनी संख्या में केंद्रीय बल नहीं मिल सके। इस हिंसा के लिए समाज सरकार और अदालत सभी को जिम्मेदार माना जाना चाहिए और यह सबकी सामूहिक नाकामी है। इस हिंसा को रोकने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी ममता बनर्जी की है लेकिन विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता हिंसा में शामिल ना हो इसे भी सुनिश्चित करना जरूरी है।

 

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