छ्पी-अनछ्पी: बिजली-गैस पर ज़्यादा पैसे खर्च करते हैं बिहार के लोग, इसराइल ने फलस्तीनी कैदी छोड़े

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। आज प्रभात खबर ने अपनी खास खबर में बताया है कि बिहार के लोगों को बिजली, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। हमास और इसराइल के बीच कैदियों की अदला-बदली भी महत्वपूर्ण खबर है। पूर्व सांसद पप्पू यादव को चोरी का सामान रखने के जुर्म में एक साल की सजा हुई है। इसकी खबर भी सभी जगह है।

प्रभात खबर ने लिखा है कि देश के समृद्ध राज्य ही नहीं पड़ोसी राज्यों के मुकाबले में भी बिहार जैसे गरीब प्रदेश में बिजली, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की दर काफी अधिक है। पूरे देश में एक ग्रिड से बिजली आपूर्ति होने के बावजूद पड़ोसी राज्यों की राजधानी भुवनेश्वर कोलकाता और रांची में घरेलू ग्राहकों को 100 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने पर प्रति यूनिट 6 से 6.30 रुपये की लागत आती है वहीं बिहार में इसके लिए 9.10 रुपये लगते हैं। इसी तरह रांची और लखनऊ में पेट्रोल की दर क्रमशः 99.82 और 96.57 रुपए प्रति लीटर है जबकि बिहार में इसके लिए सबसे अधिक 107.42 रुपए देने होते हैं। साथ ही एलपीजी की दर बिहार में ₹1001 है जबकि रांची में इसकी दर 960 रुपए और लखनऊ में 940 रुपए है। भुवनेश्वर में एलपीजी 929 और बेंगलुरु में 905 रुपए में मिलती है।
39 फ़लस्तीनी कैदी रिहा
इसराइल और हमास ने जंग के सात हफ्ते बाद शुक्रवार को 63 लोगों को रिहा कर दिया। इनमें हमास ने 24 बंधकों को रिहा किया, जबकि इसराइल ने बदले में 39 फलस्तीनी कैदियों को छोड़ दिया। चार दिन के लिए हुए युद्ध विराम के तहत पहले दिन बंधकों को छोड़े जाने की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस ने की। इसराइल-हमास युद्ध में 14,500 मौतों के बाद दोनों पक्षों के बीच चार दिवसीय युद्ध विराम शुक्रवार से प्रभावी हो गया।
बंदूक के बल पर मांग भरना शादी नहीं
भास्कर की बड़ी खबर हाई कोर्ट से है: बंदूक के बल पर जबरन लड़की की मांग भरना वैध विवाह नहीं। पटना हाई कोर्ट ने पकड़ुआ शादी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि बंदूक के बल पर जबरन किसी लड़की की मांग में सिंदूर लगाने को वैध विवाह नहीं माना जा सकता है। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि दोनों पक्षों की सहमति से विधिवत अग्नि के सात फेरों के बिना विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।
पप्पू यादव को एक साल की सजा
हिन्दुस्तान के अनुसार न्यायिक हिरासत के दौरान बेऊर जेल में ईयर फोन व मोबाइल बरामदगी के मामले में एमपी- एमएलए की विशेष अदालत ने आरोपी पूर्व सासंद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को सजा सुनायी है। कोर्ट ने पप्पू यादव को एक वर्ष की कैद व 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा दी है। प्रभात खबर ने लिखा है कि फुलवारी शरीफ थाना कांड संख्या 840/2004 में चोरी का सामान रखने के जुर्म में पप्पू यादव को दोषी करार दिया गया। विशेष अदालत ने पप्पू यादव को सजा के खिलाफ अपील दायर करने के लिए औपबंधिक जमानत पर रिहा कर दिया।
निजी कॉलेजों पर कड़ाई
हिन्दुस्तान की खबर है कि गूगल शीट पर हर दिन की गतिविधि की जानकारी नहीं देने वाले निजी कॉलेजों-शिक्षण संस्थानों की संबद्धता रद्द की जाएगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसमें सामान्य कोर्स, प्रोफेशनल, वोकेशनल और बीएड कोर्स चलाने वाले सभी कॉलेज-संस्थान शामिल होंगे। विभाग ने साफ कहा है कि गूगल शीट पर सूचना नहीं देना कॉलेजों की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
क़तर में मौत की सज़ा के खिलाफ अपील मंजूर
जागरण की खबर है: कतर में भारतीयों को मृत्युदंड के खिलाफ अपील स्वीकृत। कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार की अपील स्वीकार कर ली है। मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है। हालांकि शुक्रवार को विदेश मंत्रालय की ओर से इस बाबत कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।
सुरंग संकट जारी
हिन्दुस्तान के अनुसार उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में शुक्रवार को ऑगर मशीन तीन मीटर चलने के बाद फिर थम गई। मशीन के आगे फिर कुछ अड़चन आई, जिसके कारण मशीन को रोकना पड़ा। श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सात मीटर की दूरी तय करने का इंतजार रह गया है। पूरी उम्मीद है कि शनिवार को श्रमिकों को बाहर निकालने को लेकर कोई खुशखबरी सामने आ सकती है।
कुछ और सुर्खियां
● राजस्थान विधानसभा की 199 सीटों के लिए मतदान आज, 5.25 करोड़ मतदाता डालेंगे वोट
● जईई एडवांस्ड 26 मई को होगा, रिजल्ट 9 जून को आएगा
● विशेष दर्जे के लिए बिहार न केंद्र को भेजा प्रस्ताव
● आज से शुरू होगा सोनपुर मेला
● बिहार को मिले 57 डीएसपी, इनमें 22 महिलाएं
● वारिसअलीगंज से नवादा और नालंदा के 18 साइबर अपराधी पकड़े गए
अनछपी: बिजली, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस जैसी जरूरी चीजों पर बिहार के लोगों को दूसरे राज्य के लोगों से अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। प्रभात खबर की यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस समय बिहार सरकार राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग को दोहरा रही है। मीडिया में ऐसी और खबरों को जगह दी जानी चाहिए।
इधर, राज्य सरकार का कहना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से 50000 करोड़ रुपए की बचत होगी। विशेष राज्य का दर्जा देना पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में है। लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को यह बताना चाहिए कि जबकि बिहार में प्रति व्यक्ति आय कम है उसे इन जरूरी चीजों के लिए दूसरे राज्यों की तुलना में राज्य के लोगों को अधिक पैसे क्यों देने पड़ रहे हैं। पक्ष और विपक्ष दोनों से यह सवाल करने का हक राज्य के लोगों को है और इस मुद्दे को सामाजिक संगठनों को भी जोर-शोर से उठाना चाहिए। पश्चिम बंगाल के बारे में कहा जाता है कि अगर वहां किसी चीज़ पर एक रुपया भी अधिक लगे तो लोग सड़कों पर उतर आते हैं। लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए स्थानीय संगठन जिम्मेदार होते हैं। बिहार में भाकपा माले ऐसी पार्टी है जिससे यह उम्मीद की जाती है कि वह जनता के ऐसे मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरेगी। बिहार में उपभोक्ता जागरूकता के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलता शायद यही कारण है कि सरकारें भी आसानी से अधिक कीमत वसूल लेती हैं। बिहार की सिविल सोसाइटी को चाहिए कि वह पक्ष और विपक्ष दोनों नेताओं से यह सवाल करे कि आखिर बिहार के लोगों ने क्या गुनाह किया है जो उन्हें पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं पर दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। मीडिया में अगर ऐसी खबरें बराबर कवर की जाए तो शायद समाज में जागरूकता अधिक फैले और तब सरकारों को मजबूर होकर उतने ही पैसे लेने पड़ें जितने दूसरे राज्यों में लगते हैं या उससे कम भी।

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