छपी-अनछपी: बिहार उपचुनाव में वोटिंग कम; गुजरात में 1 व 5 दिसंबर को मतदान, बाल बाल बचे इमरान
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। काफी इंतज़ार के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने गुजरात में चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया है। रोचक बात यह है कि 1 और 5 दिसंबर को होने वाले मतदान का रिजल्ट 8 दिसंबर को आएगा और उसी दिन हिमाचल प्रदेश चुनाव का भी परिणाम आना है लेकिन दोनों राज्यों के चुनाव की तारीख का ऐलान अलग-अलग समय पर किया गया। आरोप लगाया जा रहा है कि गुजरात में चुनाव की तारीख का ऐलान इसलिए देरी से किया गया ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा का समय मिल सके। इधर बिहार के दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए हुए उपचुनाव में कम वोट पड़े हैं। ये दोनों सूचना आज की अहम खबरें हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर जानलेवा हमले की खबर भी प्रमुखता से छपी है।
जागरण की लीड है: जानलेवा हमले में बचे पाक के पूर्व पीएम इमरान खान। भास्कर की सबसे बड़ी खबर भी यही है: रैली में इमरान को गोली मारी, पहली बार सेना के खिलाफ उतरी जनता। हिंदुस्तान ने लिखा है इमरान पर आजादी मार्च के दौरान जानलेवा हमला। प्रभात खबर की सुर्खी है पाकिस्तान में इमरान खान पर हमला, पैर में लगी गोलियां। जागरण ने लिखा है: पाकिस्तान में जल्द चुनाव कराने की मांग को लेकर राजधानी इस्लामाबाद तक लॉन्ग मार्च पर निकले पूर्व प्रधानमंत्री 70 वर्षीय इमरान खान गुरुवार को जानलेवा हमले में बाल-बाल बच गए। उनके पैरों में तीन चार गोलियां लगी हैं। उन्हें लाहौर के अपने शौकत खानम अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उन्हें खतरे से बाहर बताया गया है। इस हमले में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के एक कार्यकर्ता की मौत भी हुई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: दलों ने झोंकी ताकत फिर भी कम पड़े वोट। जागरण की हेडिंग है: मोकामा में 53.45 और गोपालगंज में 41.48% मतदान। प्रभात खबर की लीड है: पिछले दो चुनावों से कम पड़े वोट। भास्कर ने लिखा है: मोकामा में 2020 की तरह पड़े वोट, गोपालगंज में 3.5% कम मतदान। रिज़ल्ट 6 नवंबर को निकलेगा।
गुजरात में चुनाव पर भास्कर की सुर्खी है: तीन दशक बाद त्रिकोणीय चुनाव। जागरण में सूचना है गुजरात में एक व पांच को मतदान, आठ को हिमाचल के साथ आएगा परिणाम। गुजरात में 27 सालों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। पहली बार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को सीएम सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में 142 उर्दू अनुवादकों समेत 183 उर्दू कर्मियों को नियुक्ति पत्र दिया। इससे जुड़ी खबरें सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है।
प्रभात खबर ने लिखा है: सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड की जमीन पर खुलेंगे अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय: मुख्यमंत्री। प्रभात खबर की एक और सुर्खी है: मुख्य सचिव साहब, हर जगह बहाली भी कराएं: सीएम। मुख्यमंत्री ने कहा मुख्य सचिव साहब (आमिर सुबहानी) बैठे हैं, प्रवचन तो अच्छा करते हैं, क्या आप भूल गए हैं कि 2007 से आप हमारे साथ हैं, किस तरह 2008 में हम ने ऐलान करवाया, आपको मुख्य सचिव बनाए हुए हैं आप का काम इन चीजों को देखना है, हर जगह बहाली भी करवाइए हम बोलते रहते हैं।
इसी कार्यक्रम की खबर पर भास्कर की हेडलाइन है: बोले नीतीश-केंद्र मदद नहीं दे रहा, दिल्लीवाले कब क्या करेंगे, ठिकाना नहीं। हिन्दुस्तान में सुर्खी है: केंद्र पिछड़े राज्यों की मदद नहीं कर रहा: नीतीश। उन्होंने कहा कि हमलोगों को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता तो बिहार बहुत आगे बढ़ जाता। बिहार समेत सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिलना चाहिए। हमलोग अपने बल पर राज्य के विकास में निरंतर लगे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने अल्पसंख्यक महिलाओं के उत्थान के लिए हुनर कार्यक्रम चलाया। इसमें सीखने वाली महिलाओं के लिए टूल किट खरीदने के लिए सरकार ने राशि उपलब्ध कराई। अब तक एक लाख 13 हजार अल्पसंख्यक महिलाओं को इसके अंतर्गत काम सिखाया गया है।
झारखंड में माइनिंग घोटाले में समन दिए जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आक्रामक हो गए हैं। भास्कर की हेडिंग है: झारखंड के सीएम हेमन्त सोरेन की ईडी को चुनौती- समन क्या भेजते हो, गुनाह किया है तो गिरफ्तार करके दिखाओ।
दाखिला, छात्रवृत्ति और अन्य मामलों के लिए माइनॉरिटी सर्टिफिकेट की मांग की जाती है। ऐसे में धर्म प्रमाण पत्र भी बनवाना पड़ता है लेकिन बिहार सरकार ने अब एक अलग फैसला किया है। भास्कर की सूचना है: बिहार में जाति प्रमाणपत्र में ही धर्म से जुड़ा कॉलम, अब अलग से किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं।
अनछपी: बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए यह बहुत जरूरी है कि उसे सही समय पर सही मात्रा में केंद्र से सहायता मिलती रहे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार के दूसरे नेता लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। केंद्र से सहायता प्राप्त करने के लिए आजकल एक बिनबोली लेकिन अजीबोगरीब शर्त लागू की जाती है कि डबल इंजन की सरकार हो यानी केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी या गठबंधन की सरकार हो। राज्यों के लिहाज से यह बहुत ही गलत रवैया है। यह बात भी ध्यान देने की है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब-जब भाजपा के साथ सरकार में रहे हैं उन्होंने विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर उतना ध्यान नहीं दिया है। आजकल वे फिर इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि केंद्र से उचित सहायता नहीं मिल रही है और इसके लिए जरूरी है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी यह जरूरी है कि वे अपनी मांग पर अड़े रहें। ऐसा न हो कि जब भाजपा सरकार में आए तो वह इस मांग में धीमे पड़ जाएं और जब भाजपा सरकार से हटे तो इस की जोरदार मांग करें।
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