उद्योग लगाने के लिए नीतीश कुमार सिर्फ आवेदन मंगाएंगे या पैसे भी देंगे? अल्पसंख्यकों का कोटा कम क्यों?

बिहार लोक संवाद

वर्ष 2023-24 के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत आर्थिक सहायता के लिए चयनित ऐसे कई आवेदक हैं जिन्हें अब तक पहली किस्त की रकम भी नहीं मिली है। ऐसे ही एक आवेदक हैं, मधुबनी जिले के नूरुल हसन। नूरुल हसन को मखाना प्रोसेसिंग का उद्यम शुरू करने के लिए साढ़े आठ लाख रुपये की सहायता राशि मंजूर की गई। लिस्ट में नूरुल हसन का नाम दर्ज है।

उद्यम कैसे शुरू किया जाए, इसके लिए इसी साल 12 से 18 फरवरी के बीच पटना स्थित उद्यमिता विकास संस्थान, औद्योगिक क्षेत्र पाटलीपुत्र में सात दिवसीय टेªनिंग हुई। मखाना प्रोसेसिंग उद्यम के लिए नूरुल हसन ने भी टेªनिंग ली। टेªेनिंग आवासीय नहीं थी इसलिए तमाम चयनित आवेदक एक हफ्ते तक अपने खर्च पर पटना में होटल का कमरा लेकर ठहरे। टेªेनिंग के दौरान चयनित आवेदकों को बताया गया था कि अपना-अपना उद्यम शुरू करने के लिए जल्द ही उन्हें डेढ़ लाख की पहली किस्त दी जाएगी।

लेकिन जुलाई का दूसरा हफ्ता खत्म होने को है, नूरुल हसन को पहली किस्त की राशि अब तक नहीं मिली है।  नूरुल हसन के भाई और नागरिक विकास केन्द्र के बिहार इंचार्ज सईदुल हसन ने बताया कि पहली किस्त की राशि मिलने पर शेड बनाना पड़ता है। इसके बाद जीयो टैगिंग होती है। फिर, मशीन खरीदने के लिए दूसरी किस्त की राशि मिलती है। मशीन खरीदने के बाद चयनित आवेदक को वर्किंग कैपिटल के रूप में तीसरी और आखिरी किस्त की राशि दी जाती है।

हम अभी इस बात की तस्दीक नहीं कर पाए हैं कि सईदुल हसन इकलौते ऐसे चयनित आवेदक हैं जिन्हें पहली किस्त की रकम नहीं मिल पाई है या किसी को नहीं मिली है। अगर किसी को नहीं मिली है तो ये बेहद गंभीर मामला है। पिछले वित्तीय वर्ष में 8 हजार लोगों को अपना उद्यम शुरू करने के लिए चुना गया था। पहली किस्त नहीं मिलने की वजह से तमाम चयनित आवेदक पहली किस्त के इंतेजार में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। पैसा मिलने के इंतेजार में वे कुछ और करने की स्थिति में भी नहीं हैं।

इसी बीच, नीतीश सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू करदी सवाल ये है कि क्या सरकार सिर्फ आवेदन लेकर रखती जाएगी या युवाओं को उद्यम शुरू करने के लिए पैसे भी देगी? दूसरा सवाल ये है कि क्या ये महज चुनावी स्टंट तो नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस तरह लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फरवरी में चयनित आवेदकों को टेªनिंग दी गई, उसी तरह विधान सभा चुनाव को देखकर कुछ और ऐक्टिविटी शुरू कर दी जाए। सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द चननित उम्मीदवारों को अपना उद्यम शुरू करने के लिए पैसे रिलीज करे।

‘मुख्यमंत्री उद्यमी योजना’ को पांच हिस्सों में बांटा गया है। ‘मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमी योजना’, ‘मुख्यमंत्री अति पिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना’, ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक उद्यमी योजना’, ‘मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना’ और ‘मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना’। वर्ष 2024-24 में ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक उद्यमी योजना’ को छोड़कर बाकी चारों कटेगिरीज का कोटा दो-दो हजार फिक्स किया गया है, जबकि ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक उद्यमी योजना’ का कोटा सिर्फ 1247 ही फिक्स किया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी बाकी चारों कटेगिरीज का कोटा दो-दो हजार फिक्स किया गया था लेकिन ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक उद्यमी योजना’ का कोटा सिर्फ 12 सौ ही फिक्स किया गया था। इसपर सईदुल हसन ने सवाल उठाया है।

बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वो दोनों सदनों में पहली किस्त के जारी होने में हो रही देरी और अल्पसंख्यकों का कोटा कम किए जाने के मामले को पुरजोर तरीके से उठाएं, ताकि जहां एक तफर पिछले वर्ष के चयनित उम्मीदवार पैसा मिलने पर अपना उद्यम शुरू कर सकें, वहीं अल्पसंख्यकों का कोटा भी बढ़े। जातीय सर्वेक्षण की यह रिपोर्ट बताती है कि बिहार में मुसलमानों की आबादी लगभग 18 फीसद है।

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