छपी-अनछपी: संसद के विशेष सत्र पर अटकलें तेज़, बिहार के 120 संस्थान जांच के दायरे में

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। केंद्र सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाने की खबर पर चर्चा काफी तेज है। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में बिहार के 120 संस्थाओं को जांच के दायरे में रखा गया है जिसकी खबर हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से ली है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की मुंबई बैठक की खबर भी पहले पेज पर है।

हिन्दुस्तान की खबर है: संसद के विशेष सत्र की घोषणा से माहौल गर्म। जागरण ने लिखा है: केंद्र सरकार ने बुलाया संसद का विशेष सत्र, अटकलें तेज। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सितंबर में संसद के विशेष सत्र की घोषणा की तो सियासी माहौल गरमा गया। 18 से 22 सितंबर तक प्रस्तावित सत्र के कामकाज का ब्योरा नहीं दिया गया, लेकिन माना जा रहा है कि एक देश-एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता जैसे विधेयकों पर भी चर्चा संभव है। ऐसी अटकलें भी हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार कोई बिल पेश कर सकती है।

पांच बैठकें होंगी

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी। जोशी ने संसद के पुराने भवन के साथ ही नए भवन की तस्वीर भी साझा की है। सूत्रों के अनुसार, विशेष सत्र के दौरान संसदीय कामकाज नए संसद भवन में स्थानांतरित हो सकता है।

घबराहट का संकेत?

अचानक संसद सत्र बुलाए जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि शायद यह थोड़ी-सी घबराहट का एक संकेतक है। इसी तरह की जल्दबाजी में मेरी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। वहीं, पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया कि जब मानसून सत्र तीन सप्ताह पहले ही खत्म हुआ है तो ऐसे में पांच दिवसीय विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है? शिवसेना (यूटीबी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि गणेश चतुर्थी के महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान संसद का विशेष सत्र बुलाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।

120 संस्थान जांच के दायरे में

अपनी खास खबर में हिन्दुस्तान ने लिखा है कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से देशभर के अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में बड़े स्तर पर घोटाला सामने आया है। देश के 21 राज्यों के 1572 शिक्षण संस्थानों में इसका जाल फैला हुआ है। इनमें 830 संस्थान पूरी तरह से फर्जी या अक्रियाशील पाए गए। जांच के दायरे में बिहार के भी 120 शिक्षण संस्थान शामिल हैं, जिसमें 25 संस्थान फर्जी हैं। बिहार के 4 जिलों गया, सहरसा, भागलपुर और मुजफ्फरपुर में इस मामले को लेकर एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। वहीं, पूर्णिया, दरभंगा, वैशाली, गोपालगंज, मधुबनी, भागलपुर और पूर्वी चंपारण जिले के सबसे ज्यादा संस्थान जांच के दायरे में हैं।

इंडिया गठबंधन की मुंबई बैठक

जागरण की सबसे बड़ी खबर है आईएनडीआईए भी देगा तैयारी को रफ्तार। भास्कर ने लिखा है: विपक्ष का फोकस अब सीट बंटवारे पर। हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है: ‘इंडिया’ ने बिसात बिछाई। विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के घटक दलों ने साझा रणनीति बनाने के लिए मुंबई में बिसात बिछा दी है। गठबंधन के नेताओं ने मुख्य बैठक का एजेंडा तय करने के लिए गुरुवार देर शाम अनौपचारिक बैठक की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका भी तय हो सकती है। सीट शेयरिंग और भाजपा के नैरेटिव का जवाब देने की रणनीति बनाने का मुद्दा प्रमुख रहा। चुनाव समय से पहले होने की अटकलों के बीच गठबंधन सीट शेयरिंग पर जल्द से जल्द फार्मूले पर पहुंचाना चाहता है। इसके लिए क्षेत्रीय स्तर पर कमेटी या घनाने पर बात हो रही है।

एक और मामले में फंसा अडानी ग्रुप

हिन्दुस्तान के अनुसार अडानी समूह पर नए आरोपों के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फिर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग उठाई है। वैश्विक नेटवर्क ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ ने समूह पर गुपचुप तरीके से अपनी कंपनियों के शेयरों में निवेश का आरोप लगाया है। उधर, अडानी समूह ने रिपोर्ट में किए गए दावों को गलत बताया है। कांग्रेस नेता ने कहा, यह स्पष्ट होना चाहिए कि देश से बाहर भेजा गया एक अरब डॉलर किसका पैसा है। ये अडानी का है या किसी और का। ये राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। उन्होंने आरोप लगाया किया कि सेबी की जांच में अडानी समूह को क्लीनचिट देने वाले व्यक्ति फिर उसी समूह के कर्मचारी बन गए।

उमर अब्दुल्ला पत्नी को दें 1.5 लाख भत्ता

जागरण की खबर है: अलग रह रहीं पत्नी को 1.5 लाख रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता दें उमर। अख़बार लिखता है कि भरण पोषण से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अलग रह रहीं पत्नी पायल अब्दुल्ला को प्रति माह 1.5 लख रुपए गुजारा भत्ता के भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उमर को अपने दोनों बेटों की कानून की पढ़ाई के लिए ₹60000 प्रतिमा देने का भी निर्देश दिया है। मुआवजा राशि कॉलेज में पंजीकरण की तारीख से दी जाएगी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि बालिग़ होने के कारण बेटा भरण पोषण का हकदार नहीं है लेकिन उमर अब्दुल्ला अपने बच्चों को त्याग नहीं सकते और न ही उन्हें ऐसा करना चाहिए। पिटीशनर पायल ने दोनों बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाते हुए फीस का भुगतान किया है और एक पिता का भी योगदान देने का कर्तव्य है।

कुछ और सुर्खियां

  • मणिपुर में फिर गोलीबारी, चार लोगों की जान गई
  • जम्मू कश्मीर में केंद्र किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार
  • रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष बनीं जया वर्मा सिन्हा
  • दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहानसबर्ग की इमारत में आग लगने से 73 लोगों की मौत
  • औरंगाबाद में दो सगे भाइयों समेत पांच बच्चों की पोखर में डूबने से मौत
  • 11000 पुलिस कर्मियों को उच्च पदों का प्रभाव मिलेगा
  • राजभवन का नया निर्देश- विश्वविद्यालय राजपाल सचिवालय का ही निर्देश मानें

अनछपी: तीन हफ्ते पहले ही संसद के मानसून सत्र का समापन हुआ है जिसमें मणिपुर के मामले पर प्रधानमंत्री से बयान लेने पर अड़े विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था जो स्वाभाविक रूप से पास नहीं हो पाया। अब 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र बुलाकर मोदी सरकार ने इन अटकलें को हवा दी है कि चुनाव की घोषणा पहले हो सकती है। लेकिन क्या यह अटकल सही साबित होगा या सरकार किसी और वजह से यह विशेष सत्र बुला रही है? 17वीं लोकसभा का यह 13वां और राज्यसभा का 261 वां सत्र होगा। कई लोग इसे सरकार की ओर से चला गया एक मास्टर स्ट्रोक भी कह रहे हैं। ध्यान रहे कि नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अगर मोदी सरकार के वन नेशन वन इलेक्शन नारे को ध्यान में रखा जाए तो यही उस अटकल की वजह है कि सरकार इन राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव भी करने की घोषणा कर सकती है। जिस समय संसद का सत्र बुलाया गया है उसके बारे में शिवसेना (उद्धव) और एनसीपी का कहना है कि वह गणेश पूजा का समय होगा और इस दौरान सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अभी मुंबई में जो विपक्षी गठबंधन की बैठक हो रही है उसे ध्यान भटकने के लिए यह घोषणा की गई है। जाहिर है विपक्ष को इस मामले में ज्यादा रोना धोना नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सरकार का विशेषाधिकार है कि वह संसद का सत्र कब बुलाती है। इससे अच्छा काम विपक्ष के लिए यह होगा कि वह इस सत्र में आम लोगों को होने वाली परेशानियों के बारे में चर्चा करे और अपना ध्यान चुनाव की तैयारी पर लगाए रखे। यह काम हर सरकार करती है और मोदी सरकार को तो चौंकाने वाले फैसले लेने में महारथ हासिल है। कुल मिलाकर मोदी सरकार ने अगले कुछ दिनों के लिए अटकललों का बाजार गर्म कर दिया है और यह देखना वाकई रोचक होगा कि 18 से 22 सितंबर तक के सत्र में सरकार क्या घोषणाएं करती हैं। इसमें कोई शक नहीं  कि सत्र में चाहे जो फैसला हो विपक्ष को भी अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए।

 

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