छ्पी-अनछपी: 67 हज़ार शिक्षक नहीं बना रहे ऑनलाइन हाज़िरी, यूक्रेन में बोले मोदी- रूस से युद्ध खत्म हो
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में जरूरी किए जाने के बावजूद लगभग 67 हज़ार शिक्षक अभी ऑनलाइन हाजिरी नहीं बना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन पहुंच कर कहा है कि रूस से युद्ध खत्म हो। प्रसिद्ध उद्योगपति अनिल अंबानी पर सेबी ने 5 साल का प्रतिबंध लगाया है। पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार पुलिस कोर्ट की बात की परवाह नहीं करती।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
भास्कर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार के 38 जिलों में स्थित सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था शुरू हुए 2 महीने से अधिक हो चुका है। इसके बाद भी लगभग 67000 शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी नहीं बना रहे हैं। इसको लेकर शिक्षा विभाग के स्तर पर लगातार निगरानी हो रही है। ऐसे में ऑनलाइन हाजिरी नहीं बनाने वाले शिक्षकों को चेतावनी दी जा रही है। इसके बाद भी शिक्षक यदि ऑनलाइन हाजिरी नहीं बनाते हैं तो उनके खिलाफ वेतन रोकने जैसी कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशक बी कार्तिकेय धनजी के अनुसार शिक्षकों की हाजिरी को लेकर जांच की जाएगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म हो: मोदी
जागरण की पहली खबर के अनुसार यूक्रेन की यात्रा पर शुक्रवार सुबह कीव पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर युद्धरत रूस और यूक्रेन को शांति का संदेश दिया है। रूस की यात्रा के ठीक 6 सप्ताह बाद यूक्रेन पहुंचे मोदी ने वैश्विक समुदाय को संदेश दिया कि भारत 2 वर्षों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ नहीं है, भारत हमेशा शांति के साथ रहा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेन्सकी के साथ मुलाकात के दौरान मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच सीधी बातचीत की अपील की ताकि युद्ध को समाप्त किया जा सके। भारत ने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता के आदर की बात कही है। यूक्रेन में 7 घंटे बिताने के बाद मोदी स्वदेश के लिए रवाना हो गए।
अनिल अंबानी पर 5 साल का प्रतिबंध
हिन्दुस्तान के अनुसार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी और रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य इकाइयों को कंपनी से धन के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अनिल अंबानी पर पांच साल तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद लेने पर भी रोक रहेगी। इसके अलावा 24 इकाइयों पर 21 करोड़ रुपये से लेकर 27 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है।
बिहार पुलिस कोर्ट की परवाह नहीं करती: हाईकोर्ट
प्रभात खबर के अनुसार पटना हाई कोर्ट ने बिहार पुलिस के रवैया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य की पुलिस सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा पारित फ़ैसलों की कोई परवाह नहीं करती है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों और निर्देशों के बाद भी बिहार पुलिस 7 साल से कम सजा वाले मामलों में अभियुक्तों को सीआरपीसी की धारा 41 (ए) का लाभ नहीं दे रही है। कोर्ट ने कहा कि बिहार पुलिस का काम केवल शराबबंदी से जुड़े मामलों में कार्रवाई करने का रह गया है। न्यायाधीश सत्यव्रत वर्मा की एकल पीठ ने अग्रिम जमानत से संबंधित कई मामलों की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश वर्मा ने कहा कि 7 साल से कम सजा वाले मामलों में जब पुलिस को जमानत देने का अधिकार है तो पुलिस जमानत क्यों नहीं दे रही है।
सिपाही भर्ती: पेपर लीक में चार्जशीट
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार संजीव मुखिया ने ही वर्ष 20023 में एक अक्टूबर को दो पालियों में आयोजित सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपरलीक कर इसे वायरल किया था। संजीव मुखिया के पास प्रश्नपत्र परीक्षा से चार दिन पहले ही पहुंच गया था। मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने शुक्रवार को पटना सिविल कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र में यह दावा किया है। आरोप पत्र में यह खुलासा किया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि संजीव मुखिया गिरोह के सदस्यों ने जेनिथ लॉजिस्टिक एंड एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के मुंशी रमेश कुमार एवं राहुल पासवान को नौकरी एवं पैसों का प्रलोभन देकर प्रश्न पत्र लेकर मोतिहारी जा रही गाड़ी को पटना में रोककर प्रश्न पत्र भरे बक्सों एवं लिफाफे को खोलकर परीक्षा से चार दिन पहले ही प्रश्न पत्र प्राप्त कर लिया था।
नाव से जा रहे शिक्षक गंगा में डूबे
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार दानापुर के नासरीगंज घाट पर शुक्रवार को नाव पर चढ़ने के दौरान गंगा में गिर शिक्षक अविनाश कुमार तेज बहाव में बह गए। उनकी उम्र 25 वर्ष थी। यह हादसा उसे वक्त हुआ जब अविनाश सुबह आठ बजे अपने साथियों के साथ स्कूल जा रहे थे। उन्होंने अपनी बाइक नाव पर रखी थी और वह भी नाव पर चढ़ने लगे। इसी दौरान पीछे से दूसरी नाव ने इस नाव को टक्कर मार दी जिससे अविनाश गंगा में गिर गए और तेज बहाव में बह गए। शाम 6:00 बजे तक एसडीआरएफ की टीम ने उन्हें खोजने की कोशिश की लेकिन उनका पता नहीं चल सका।
अलकायदा के संदिग्ध रांची से दिल्ली ले जाए गए
आतंकी संगठन अलकायदा इंडियन सब कॉन्टिनेन्ट के संदिग्धों रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर इश्तियाक और फैजान अहमद को रांची से लेकर स्पेशल सेल की टीम शुक्रवार को दिल्ली पहुंची। रांची के अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर इश्तियाक को देश में अलकायदा मॉड्यूल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
कुछ और सुर्खियां
- नेपाल में महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं से भरी बस नदी में गिरी, 27 की मौत
- पटना के 26 हज़ार फ्लैटों का रजिस्ट्रेशन नहीं, टैक्स न देने पर लगेगा जुर्माना
- दुर्घटना में मौत होने पर पुलिस कर्मियों के घर वालों को 2.30 करोड़ रुपए मिलेंगे
- अरवल में नौसिखिया संभाल न सका ई रिक्शा, नाले में गिरा, तीन बच्चे डूबे
- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द
अनछपी: अगर बिहार पुलिस को पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की परवाह नहीं है तो आम आदमी के बारे में पुलिस का रवैया कैसा रहता होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। पटना हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि बिहार पुलिस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की परवाह नहीं करती। कोर्ट की यह टिप्पणी पुलिस अधिकारियों के बीच की गई है। समाज में आईपीएस अफसरों का रुतबा इतना ज्यादा है लेकिन उनके काम को देखा जाए तो बहुत निराशा होती है। कहने के लिए पुलिस तो आम लोगों के सहयोग के लिए है लेकिन आम आदमी से यह पूछना चाहिए कि उनके लिए पुलिस का मतलब क्या होता है। पुलिस के बारे में ऐसी बातें कोर्ट ने पहली बार नहीं कही हैं लेकिन शायद ही पुलिस का रवैया बदलता हो। हाई कोर्ट की टिप्पणी तो 7 साल तक की सजा वाले मामले में जमानत न देने की बात पर है लेकिन पुलिस तो लोगों को बिना एफआईआर भी घन्टों रोके रखती है और मामला कुछ लेन-देन के बाद ही निपटता है। जिन मामलों में सुप्रीम कोर्ट तक का यह आदेश है कि थाने से जमानत दी जाए उन मामलों में जमानत न देने की वजह क्या है? हाई कोर्ट को इस मामले की जांच करानी चाहिए लेकिन अगर आम आदमी से पूछा जाए तो यही जवाब मिलेगा कि थाने वाले घूस नहीं देने के कारण जमानत नहीं देते हैं। ऐसे लोगों को जमानत के लिए हाई कोर्ट जाना पड़ता है और फिर हाई कोर्ट की ऐसी टिप्पणी आती है। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि महिला डॉक्टर से दरिन्दगी के मामले में एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे क्यों लगे। सवाल यह है कि कोर्ट की इन टिप्पणियों से पुलिस में कितना सुधार आएगा? कोर्ट चाहे तो यह भी देख सकता है कि आखिर पुलिस की ढिटाई के पीछे क्या कारण है? आखिर कोर्ट को अपने आदेशों के पालन का भी ध्यान रखना चाहिए या नहीं? ऐसा लगता है कि कोर्ट की इन टिप्पणियों से भी पुलिस में सुधार आने वाला नहीं है और कोई और ठोस व कठोर कदम उठाने की जरूरत है। पुलिस विभाग की सोच में जब तक बदलाव नहीं आएगा, हाई कोर्ट में इस तरह के मामले पहुंचते रहेंगे।
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