छ्पी-अनछपी: सीबीआई केस बता गया के डॉक्टर से ₹4.4 करोड़ की ठगी, वक़्फ़ बिल पर कई सवाल
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। गया के मशहूर डॉक्टर एएन राय से 4.4 करोड़ के साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है। वक़्फ़ संशोधन बिल के लिए बनाई गई जेपीसी की पहली बैठक में काफी हंगामा होने की खबर है। पुलिस ने अलकायदा मॉड्यूल के खिलाफ रांची के एक डाक्टर समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया है। भोजपुर में एक सड़क हादसे में पटना के एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई।
आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।
प्रभात खबर के अनुसार सीबीआई के नाम पर आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष व गया निवासी डॉक्टर अभय नारायण (एएन) राय से 4 करोड़ 40 लख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। इस मामले में डॉक्टर राय ने साइबर थाने में प्राथमिक की दर्ज कराई है। गया शहर के रामपुर थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ मुख्यालय के सामने रहने वाले डॉक्टर राय ने साइबर थाना अध्यक्ष व डीएसपी साक्षी राय को बताया है कि उनके मोबाइल पर एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने उन्हें बताया कि उनके खिलाफ सीबीआई में क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है। उनके नाम से एक मोबाइल फोन नंबर है और मुंबई में स्थित एचडीएफसी बैंक में उनके नाम से खाता खोला गया है। इस खाते में मनी लॉन्ड्रिंग के व गैर कानूनी पैसे जमा होते हैं। अगर सीबीआई के क्रिमिनल केस से बचना है तो अपने खाते से सारे रुपए संबंधित बैंक खातों में जमा कर दें नहीं तो तुरंत वारंट जारी कर गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें 3 करोड़ रुपए सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा करना होगा। इसके बाद उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए। डॉक्टर राय ने साइबर थाना अध्यक्ष को बताया कि कॉल करने वाले व्यक्ति की बातों में वह आ गए और उसके द्वारा दिए गए जा रहे विभिन्न खातों में 31 जुलाई से 5 अगस्त तक कुल 4 करोड़ 40 लख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इस मामले की जांच के लिए सिटी एसपी प्रेरणा कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन हुआ है।
वक़्फ़ की जेपीसी की पहली बैठक में हंगामा
जागरण के अनुसार वक़्फ़ कानून में संशोधन विधेयक पर जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में हुई जेपीसी की पहली बैठक में विपक्षी सांसदों की ओर से सवालों की बौछार की गई। करीब 6 घंटे तक चली मैराथन बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों की ओर से दिए जा रहे प्रेजेंटेशन के दौरान सदस्यों ने कई सवाल पूछे। इनके कई के उत्तर दिए गए और बाकी सवालों के जवाब बाद में लिखित रूप में भेजने का आश्वासन दिया गया। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय के अधिकारियों के प्रेजेंटेशन के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और डीएमके के ए राजा समेत विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित संशोधन के कई उपबंधों की जरूरत पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि इसमें कलेक्टर और गैर मुस्लिम सदस्यों को बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए हैं जो वक़्फ़ के हितों के खिलाफ हैं। संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की कोशिश वक़्फ़ की जमीनों को ज़ब्त कर अपने दोस्तों को सौंपने की है। भाजपा की सहयोगी लोजपा (रामविलास) ने कहा कि मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए और व्यापक विचार विमर्श के लिए बुलाया जाना चाहिए।
अलकायदा मॉड्यूल के कई गिरफ्तार
भास्कर के अनुसार झारखंड एटीएस ने दिल्ली पुलिस के साथ गुरुवार को रांची, हजारीबाग और लोहरदगा में 16 जगह पर छापेमारी की। आठ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। रांची के रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर इश्तियाक अहमद को रांची के जोड़ा तालाब स्थित अपार्टमेंट से पकड़ा गया है। डॉक्टर इश्तियाक ‘अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट’ आतंकी संगठन का मास्टरमाइंड बताया गया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर तीन राज्यों की पुलिस बलों के साथ मिलकर एक ऑपरेशन चलाया गया। रांची के अलावा राजस्थान में भिवाड़ी और उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ सहित कुल 17 जगहों पर छापेमारी की गई है।
कार हादसे में एक ही परिवार के पांच की मौत
हिन्दुस्तान के अनुसार भोजपुर में गुरुवार की सुबह भीषण सड़क हादसे में एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। यूपी के विंध्याचल से पूजा-अर्चना कर पटना लौटने के दौरान तेज रफ्तार कार आरा-बक्सर फोरलेन पर डिवाइडर से टकरा गई। हादसे में पति-पत्नी, बेटा-बेटी और मासूम पोते की मौत हो गई। वहीं बहू-पोती और भतीजी गंभीर रूप से जख्मी हो गई। तीनों का इलाज आरा सदर अस्पताल में चल रहा है। हादसा गजराजगंज ओपी क्षेत्र के बीबीगंज के समीप सुबह करीब सवा पांच बजे की है। हादसे का कारण कार की तेज रफ्तार बताया जा रहा है।
श्याम रजक का आरजेडी से इस्तीफा
राजद के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री श्याम रजक ने अपने पद एवं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने गुरुवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को लिखे पत्र में इस्तीफे की घोषणा की। पत्र में उन्होंने शायराना अंदाज में पार्टी छोड़ने पर प्रतिक्रिया भी व्यक्त की। लिखा ‘मैं शतरंज का शौकीन नहीं था, इसलिए धोखा खा गया। आप मोहरे चल रहे थे, मैं रिश्तेदारी निभा रहा था।’ मालूम हो कि पूर्व मंत्री श्याम रजक वर्ष 2020 चुनाव के पूर्व जदयू छोड़कर राजद में शामिल हुए थे।
कांग्रेस ने घेरा ईडी कार्यालय
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को सेबी के मामले में हिंडनबर्ग के दावों को लेकर गांधी मूर्ति, गांधी मैदान से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय तक प्रदर्शन किया। इस दौरान ईडी कार्यालय का घेराव किया तथा धरना भी दिया। नेतृत्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि सेबी प्रमुख को तत्काल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
एफआईआर में 14 घन्टे क्यों, पूछा सुप्रीम कोर्ट ने
जागरण के अनुसार कोलकाता के आईजी कर अस्पताल में डॉक्टर से दरिंदगी के मामले में 14 घंटे की देरी से एफआईआर दर्ज करने पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को सवालों में घेरा। कोर्ट ने पूछा कि एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी क्यों हुई। अदालत ने घटना की सूचना की पुलिस की जनरल डायरी एंट्री अब प्राकृतिक मौत की प्रविष्टि और एफआईआर दर्ज करने के समय में गड़बड़ी पर बंगाल सरकार पर प्रश्नों की बौछार कर दी।
कुछ और सुर्खियां
- जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस में समझौता
- आईजीआईएमएस में खुलेगी प्राइमरी एंजियोप्लास्टी यूनिट
- बिहार वन पोर्टल पर लाभुकों को 300 से अधिक सेवाएं मिलेंगी
- बिहार में 7000 डाकिया घर-घर जाकर बनाएंगे बच्चों का आधार
- सरकारी मदरसों को भी पोर्टल पर स्टूडेंट प्रोफाइल करना होगा अपडेट
- मिजोरम में बाढ़ से 17 लाख लोग प्रभावित
अनछपी: कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में महिला डॉक्टर से दरिंदगी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ऐसे सवाल कर रहे हैं जो अगर आम आदमी के मामले में किए जाएं तो समाज और देश का काफी भला हो सकता है। मगर उनके सवालों से ऐसा लगता है कि शायद वह धरातल की स्थिति से पूरी तरह परिचित नहीं है। उदाहरण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी पर सवाल उठाया है लेकिन आम आदमी से पूछा जाए कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने में कितनी आनाकानी करती है। सुप्रीम कोर्ट जो सवाल इस मामले में कर रहा है अगर वही सवाल आम आदमी के मामलों में भी किया जाए तो पता चले कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने में कैसे-कैसे बहाने बनाती है। कई बार तो पुलिस पर एफआईआर दर्ज करने के लिए पैसे मांगने का आरोप भी लगता है। इस मामले को समझने के लिए महाराष्ट्र के ठाणे में दो बच्चियों के यौन शोषण के मामले को भी देखा जा सकता है। वहां तो पुलिस ने 3 दिन बाद एफआईआर दर्ज की। इस मामले को बॉम्बे हाई कोर्ट देख रहा है और तब भी यह स्थिति है। वास्तव में यह पुलिस की बहुत गंभीर बीमारी है जिस पर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे सवालों से आम थानेदार को कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने यह बात सही कही है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल पुलिस का कोई अधिकारी भी कोर्ट में हाजिर हो ताकि वह सवालों का जवाब दे सके। कोलकाता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि पोस्टमार्टम के बाद अप्राकृतिक मौत (यूडी) की बात कैसे दर्ज की गई। सच्चाई यही है कि पुलिस आम तौर पर केस दर्ज करने में ऐसी कई गड़बड़ी करती है। सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट की ऐसी बातें सिर्फ एक मामले तक सीमित होकर रह जाएंगी या इसका असर देश के बाकी हिस्सों में भी होगा? इस मामले का एक दूसरा पक्ष यह है कि कोर्ट ने यह बात नोटिस की कि कुछ डॉक्टर 36 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं। कोर्ट ने इसे अमानवीय भी बताया लेकिन सवाल यह है कि इस तरह की अमानवीय बातों पर काबू कैसे पाया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट की इस सुनवाई का अगर राष्ट्रीय स्तर पर असर हो तब तो कोई फायदा है वरना ऐसे सवालों से क्या फर्क पड़ने वाला है?
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