छपी-अनछपी: मुज़फ्फरपुर बालिका गृह कांड में नई एफआईआर, मणिपुर की पीड़िता की गुहार- पति व बेटे की लाश दिखा दें

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पांच साल पुराने मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह कांड में सीबीआई ने नई एफआईआर दर्ज की है जिसे सभी अखबारों ने पहले पेज पर जगह दी है। मणिपुर गए विपक्षी गठबंधन से वायरल वीडियो में दिखी पीड़िता ने पति व बेटे की लाश दिखाने की गुहार लगाई। रोचक बात यह है कि विपक्षी गठबंधन का ‘इंडिया’ नाम जागरण अखबार ने आईएनडीआईए लिखा है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बालिका गृह कांड में एक और प्राथमिकी। भास्कर ने लिखा है: 2015 से ही मुजफ्फरपुर बालिका गृह में सौदा हो रहा था, फ़र्ज़ी मां-बाप को फ़र्ज़ी आदेश पर सौंपी जा रही थी नाबालिग़  लड़कियां। सीबीआई ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में एक और प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि, दूसरी प्राथमिकी में किसी को नामजद अभियुक्त नहीं बनाया गया है। इसमें बालिका गृह को संचालित करने वाले एनजीओ सेवा संकल्प एवं समिति के अज्ञात पदाधिकारियों और कर्मियों को दोषी ठहराया गया है। यह एफआईआर मुजफ्फरपुर के साहू रोड स्थित बालिका गृह से एक मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूर लड़की के अचानक लापता हो जाने के संबंध में दर्ज की गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी इस लड़की के लापता होने के कारणों की जांच करेगी और इसके लिए सभी दोषियों की पहचान कर कार्रवाई करेगी।

फर्जीवाड़े की इंतिहा

इस नाबालिग लड़की से जुड़ी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। लड़की के बारे में बालिका गृह वालों ने बताया कि 10 नवंबर 2015 को उसे उसके पिता राजकुमार पासवान को सुपुर्द कर दिया गया था। राजकुमार हजारीबाग जिले का रहने वाला है। लड़की को सीतामढ़ी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पिता को सुपुर्द किया गया था। इस मामले में राजकुमार पासवान और उनकी पत्नी शीतला देवी के पहचानकर्ता के तौर पर उस पंचायत का मुखिया नाथुनी मुखिया था। जबकि, जांच में यह हकीकत सामने आई कि संबंधित गांव में राजकुमार पासवान, शीतला देवी और नाथुनी मुखिया नाम का कोई व्यक्ति नहीं है। इस नाम का कोई मुखिया भी नहीं हुआ। पहचान के तौर पर सीडब्ल्यूसी के समक्ष जो वोटर आई-कार्ड प्रस्तुत किए गए थे, वे सभी फर्जी थे। यहां तक कि जारी आदेश पत्र पर सीतामढ़ी सीडब्ल्यूसी की तत्कालीन अध्यक्ष मानसी सामादार और तत्कालीन सदस्य रेणु कुमारी सिंह के जो हस्ताक्षर थे, वो भी फर्जी थे। इस तरह से लड़की को गायब कर कागज पर दिखा दिया गया था कि उसे माता-पिता को सुपुर्द कर दिया गया है। जबकि उसके माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

‘इंडिया’ की जगह आईएनडीआईए

जागरण की सुर्खी है: मणिपुर हिंसा के पीड़ितों से मिले आईएनडीआईए के 21 सांसद। अखबार लिखता है कि विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के सांसदों का एक प्रतिनिधि मंडल हिंसा ग्रस्त मणिपुर की जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर पहुंचा। पहले दिन सांसदों ने इंफाल चुराचंदपुर और विष्णुपुर के कई राहत शिविरों का दौरा किया और जातीय संघर्ष के पीड़ितों से मुलाकात की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम यहां राजनीति करने नहीं बल्कि लोगों से मिलने आए हैं। हमने पीड़ितों से बातचीत की और भयावहता की कहानियां सुनी।

पति-बेटे की लाश के लिए गुहार

मणिपुर में निर्वस्त्र कर परेड कराने की घटना का शिकार हुई एक महिला की मां ने शनिवार को विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल के सामने अपना दर्द बयां किया। महिला ने ‘इंडिया’ के सांसदों से अपने पति और बेटे के शवों को देखने के लिए मदद करने की गुहार लगाई। पीड़ित मां ने बताया कि बेटी के साथ हुई अमानवीय घटना के दौरान दोनों की हत्या कर दी गई थी। विपक्षी दलों के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल इन दिनों मणिपुर के दौरे पर है।

भाजपा की नई टीम और तारिक़ मंसूर

जागरण की खबर है: पसमांदा से तारिक़, ईसाई समाज से अनिल एंटनी टीम नोएडा में। अख़बार लिखता है कि 2024 के महा समर के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम तैयार हो गई है। इस टीम में पसमांदा मुस्लिम और ईसाई नेताओं को भी तरजीह दी गई है। उत्तर प्रदेश से हाल ही में विधान परिषद के सदस्य मनोनीत किए गए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक़ मनसूर को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है। तारिक मंसूर को उपाध्यक्ष बनाकर उन्होंने साफ कर दिया कि पसमांदा समाज के बीच पैठ बनाने के लिए पार्टी गंभीर है। केरल से पिछले दिनों पार्टी में शामिल हुए अनिल एंटनी को सचिव बनाया गया है। अनिल एंटनी कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे हैं और ईसाई समुदाय से आते हैं। केरल के ही दिग्गज नेता अब्दुल्ला कुट्टी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर बरकरार रखा गया है।

बिहार-झारखंड में बारिश की कमी

हिन्दुस्तान के अनुसार इस साल देशभर में सात फीसदी अधिक बारिश हुई है। हालांकि, धान की खेती करने वाले सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ हिस्सों में कम बारिश ने चिंता बढ़ाई है। मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड और बिहार में 49 फीसदी, सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में 39 और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 35 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मीटर पर नज़र

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: AI से 16 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं की मॉनिटरिंग होगी। राज्य के 16 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई से मॉनिटरिंग होगी। इस पर बिजली कंपनी ने काम करना शुरू कर दिया है। उपभोक्ताओं के बिजली खपत का पैटर्न बिजली कंपनी मुख्यालय के पास होगा। बिजली खपत के पैटर्न में बदलाव आया तो उपभोक्ता शक के दायरे में होंगे। ऐसे उपभोक्ताओं के घरों पर बिजली कंपनी की टीम जाकर जांच करेगी।

कुछ और सुर्खियां

  • भाजपा की नई राष्ट्रीय टीम में बिहार से सिर्फ ऋतुराज, राधा मोहन सिंह की छुट्टी
  • बिहटा में भरी पंचायत में एके-47 से गोलीबारी, किसान की मौत, दो घायल।
  • देशभर में 4 साल में 715 बाघ बढ़े, बिहार के 54 समेत कुल 3682 बाघ
  • बोकारो में बिजली के तार से सटा ताजिया, चार की मौत
  • महिलाओं से बोलीं सोनिया- लड़की ढूंढो ना, राहुल बोले- हो जाएगी शादी
  • मणिपुर वायरल वीडियो मामले की सीबीआई जांच शुरू
  • दरभंगा के बाद मधुबनी व औरंगाबाद के हसपुरा में इंटरनेट सेवा पर रोक

अनछपी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड और सृजन घोटाले दो ऐसे मामले हैं जिनकी सीबीआई जांच के बावजूद यह तय नहीं है कि इस मामले में सभी दोषियों को सजा दी गई है। इत्तेफाक की बात है कि पहले सृजन घोटाले और उसके बाद मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के सिलसिले में सीबीआई की नई कार्रवाई की खबरें आई हैं। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में फर्जीवाड़ा के जिस ताजा मामले की जानकारी मिली है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में ऐसे फर्जीवाड़ा की क्या स्थिति होगी। जिन बच्चियों को मुजफ्फरपुर बालिका गृह में सुरक्षित समझ कर रखा गया था वहीं से उनका इतना भयानक शोषण हुआ इसका अंदाजा शायद किसी को नहीं रहा होगा। बिहार में ऑर्केस्ट्रा और दूसरे बहानों से लड़कियों का शारीरिक शोषण करने की खबरें बराबर आती रहती हैं। ऐसी लड़कियां बिहार की भी होती है और बिहार से बाहर दूसरे राज्यों की भी। अफसोस की बात यह है कि हमारे समाज में इन लड़कियों की बुरी स्थिति पर चर्चा बहुत ही कम होती है या नहीं होती है। नौकरी दिलाने के नाम पर लड़कियों की ट्रैफिकिंग की जाती है और उन्हें शारीरिक शोषण में धकेल दिया जाता है। यही नहीं बहुत सी लड़कियां जो घर से भागकर निकल जाती हैं उन्हें भी शारीरिक शोषण के दलाल अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड वास्तव में बिहार के समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है। साथ ही यह भविष्य के लिए सतर्क रहने का संकेत भी है। सीबीआई को इस कांड की जांच में और तेजी लानी चाहिए। बिहार  सरकार को भी इससे सबक लेकर लड़कियों की सुरक्षा पर और ध्यान देना चाहिए। जिस तरह कुकुरमुत्ते की तरह ऑर्केस्ट्रा का चलन बढ़ा है और उसमें नाबालिक लड़कियों को रखा जाता है उसके खिलाफ भी ज़बर्दस्त अभियान चलाने की ज़रूरत है।

 

 

 

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