छपी-अनछपी: केंद्रीय कर्मियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम, ₹200 करोड़ के कारोबार में जीएसटी की हेराफेरी
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम की बहस के बीच केंद्र सरकार ने अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दी है। मुजफ्फरपुर के एक व्यापारी के यहां 200 करोड़ रुपए के कारोबार में जीएसटी की हेराफेरी का पता चला है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि बुलडोजर न्याय मंजूर नहीं है। नवगछिया में एक नाव से गंगा में गिरे चीफ इंजीनियर लाइफ जैकेट के सहारे बाल बाल बचे हैं।
प्रभात खबर के अनुसार केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार को केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी दे दी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले के बारे में जानकारी दी। इस योजना के तहत किसी कर्मचारी ने न्यूनतम 25 साल तक काम किया है तो रिटायरमेंट के आखिरी 12 महीने के औसत वेतन का काम से कम 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। वैष्णव ने कहा कि यूपीएस से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
तीस करोड़ की जीएसटी चोरी में व्यापारी गिरफ्तार
जागरण के अनुसार शेल कंपनियां बनाकर फर्जी बिल व ई बिल के सहारे स्क्रैप का 200 करोड़ से अधिक का कारोबार करने वाले मुजफ्फरपुर के स्क्रैप कारोबारी शनिवार को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग के हत्थे चढ़ गए। सीजीएसटी के जांच अधिकारियों ने व्यापारी प्रेम सुंदर चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को 14 दिन की रीमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। छापेमारी के दौरान पता चला कि कारोबारी ने दो दर्जन शेल कंपनियां बनाकर फर्जी बिल व ई बिल तैयार कर कारोबार किया। यह कारोबार 5 वर्षों से चल रहा है। इसमें अब तक 200 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार किया गया है। इसमें सरकार को 30 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है।
बुलडोजर न्याय अस्वीकार्य: प्रियंका
हिन्दुस्तान के अनुसार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को कहा कि देश में बुलडोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है और यह बंद होना चाहिए। प्रियंका की यह टिप्पणी, तब आई है जब मध्य प्रदेश के छतरपुर में थाने पर पथराव की घटना के एक आरोपी की कोठी को बुलडोजर से तोड़ दिया गया। प्रियंका ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, अगर कोई किसी अपराध का आरोपी है तो उसका अपराध एवं उसकी सजा सिर्फ अदालत तय कर सकती है, लेकिन आरोप लगते ही आरोपी के परिवार को सजा देना, उनके सिर से छत छीन लेना, कानून का पालन न करना, अदालत की अवहेलना करना, आरोप लगते ही आरोपी का घर ढहा देना-यह न्याय नहीं है।
बाल बाल बचे चीफ इंजीनियर
जागरण के अनुसार भागलपुर के नवगछिया में इस्माइलपुर बिंद टोली तटबंध पर हो रहे कटाव का जायजा लेने शनिवार को एनडीआरएफ टीम के साथ नाव से पहुंचे जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अनवर जमाल पानी के तेज बहाव के कारण असंतुलित होकर गंगा नदी में गिर गए। वे लाइफ़ सपोर्ट जैकेट पहने हुए थे जिससे डूबने से बच गए। नाव पर सवार एनडीआरएफ की टीम के सदस्यों ने उन्हें सुरक्षित पानी से निकाल लिया। उनकी नाव पानी का दबाव अधिक रहने के कारण कहलगांव की तरफ बहने लगी थी। एनडीआरएफ टीम नाव को वापस लाने की कोशिश कर रही थी। इसी बीच चीफ इंजीनियर के मोबाइल पर फोन आया। एक हाथ से जैसे ही फोन रिसीव किया अचानक पानी के तेज बहाव का झटका लगने से नाव के बाहर गिर गए।
छुट्टी मिले, इसलिए तीन छात्रों ने दूसरे छात्र को मार डाला
हिन्दुस्तान के अनुसार दिल्ली के दयालपुर के बृजपुरी में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। यहां तीन नाबालिगों ने मिलकर एक पांच वर्षीय मासूम की सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर हत्या कर दी कि यदि बच्चे की मौत होगी तो मदरसे में छुट्टी कर दी जाएगी। मृतक की पहचान पांच वर्षीय रोहान के रूप में हुई। वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों में 11 वर्षीय दो नाबालिग और नौ वर्षीय नाबालिग शामिल हैं। इस घटना के बारे में उत्तर पूर्वी जिला के पुलिस उपायुक्त डॉ. जॉय टिर्की ने बताया कि आरोपियों ने कहा कि रोहान ने उन्हें अपशब्द कहे थे। इसके बाद तीनों ने योजना बनाई कि यदि बच्चे की मौत हो जाएगी तो मदरसे में छुट्टी कर दी जाएगी।
ट्रॉली बैग में मिली तीन साल की बच्ची की लाश
प्रभात खबर के अनुसार मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा थाना क्षेत्र के रामबाग में एफसीआई गोदाम के पीछे के मोहल्ले में 3 वर्षीय एक बच्ची का शव मिलने से सनसनी फैल गई। बच्ची की हत्या के बाद शव को ट्रॉली बैग में बंद कर घर के पीछे गड्ढे में फेंक दिया गया था। घटना की सूचना पर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस को जानकारी दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने ट्रॉली बैग से बच्ची का शव बरामद किया। साथ ही शव को पोस्टमार्टम के लिए एसकेएमसीएच भेज दिया। शव को देखने के बाद यह लगता है कि बच्ची की हत्या गला रेत कर की गई है। इसके बाद शव को ट्रॉली में रखकर फेंक दिया गया है। बच्ची की हत्या के बाद उसकी मां भी घर से लापता है।
डॉक्टर इश्तियाक के निर्देश पर संदिग्धों को ट्रेनिंग
हिन्दुस्तान के अनुसार आतंकी मॉड्यूल अलकायदा इंडियन सब कॉन्टिनेन्ट के छह संदिग्ध रांची से राजस्थान के भिवाड़ी में हथियारों की ट्रेनिंग लेने के लिए भेजे गए थे। इन्हें आतंकी मॉड्यूल के सरगना रेडियोलॉजिस्ट डॉ. इश्तियाक के निर्देश पर ट्रेनिंग दी जा रही थी। अधिकारियों ने बताया, संदिग्धों को भिवाड़ी में हैंड ग्रेनेड, इंसास राइफल, एके-47 चलाने और आइईडी ब्लास्ट करने की ट्रेनिंग दी जा रही थी।
कुछ और सुर्खियां:
● रांची में केंद्रीय मंत्री समेत संजय सेठ 51 पर हत्या के प्रयास का केस
● आईजीआईएमएस में मरीजों का प्रीपेड कार्ड बनेगा
● बिहार में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों को बंद करने का निर्णय ले सकेंगे डीएम
● कोलकाता की ट्रेनी डॉक्टर से दरिंदगी के मामले में 6 आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया
● लैंड फॉर जॉब मामले में लालू और तेजस्वी पर समन जारी करने का फैसला टला, अब 7 को सुनवाई
● नक्सलियों का मार्च 2026 तक पूरी तरह सफाया हो जाएगा: अमित शाह
अनछपी: दिल्ली के एक मदरसे में 5 साल के एक छात्र की दूसरे तीन छात्रों द्वारा की गई हत्या बेहद खौफनाक और आंख खोल देने वाली है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी वारदात को तीन नाबालिग़ छात्रों ने कैसे अंजाम दिया और यह पूरा मामला मदरसा के अधिकारियों की नजरों से कैसे ओझल रहा? मारने वाले बच्चे भी नाबालिग़ थे इसलिए यह सवाल और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि ऐसे बच्चों की देखरेख की जिनकी जिम्मेदारी थी वह क्या कर रहे थे? खबरों से यह पता नहीं चल पाया कि बच्चे की हत्या मदरसा के अंदर हुई या बाहर। अगर यह वारदात मदरसे के अंदर हुई है तो और ज्यादा खौफनाक है कि आखिर जब बच्चे मदरसे में सुरक्षित नहीं रह सकते तो ऐसे मदरसे के चलने का क्या हक है? और अगर यह वारदात मदरसे के बाहर हुई है तो सवाल यह है की नाबालिग़ बच्चों को किसकी देखरेख में बाहर भेजा गया था? ऐसी घटना अगर किसी दूसरे शिक्षण संस्थान में होती तब भी यह सारे सवाल होते लेकिन मदरसों का मामला इसलिए नाजुक है क्योंकि कई जगह सरकार की भी इन पर टेढ़ी नजर रहती है। ऐसी सरकारों की नीयत पर सवाल उठना लाजिमी है लेकिन यह सवाल भी जरूरी है कि आखिर मदरसा खोलने और चलाने का नियम कानून है या नहीं? ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं कि अभी होता यह है कि जिसे जहां दिल हुआ मदरसा खोल लिया और कुछ बच्चों को लेकर जमा हो गए। जिस मदरसे में यह घटना हुई है अगर वह कोई व्यवस्थित मदरसा नहीं है तो इसी बात का उदाहरण है कि मदरसा खोलने की ज़िम्मेदारियों को देखने वाला कोई नहीं। और अगर यह कोई व्यवस्थित मदरसा है तो उसका मैनेजमेंट कौन देख रहा था? वैसे कुछ सवाल बच्चों के मां-बाप से भी करना चाहिए। उदाहरण के लिए नाबालिग़ बच्चों के दिमाग में यह बात क्यों आई कि एक छोटे बच्चों को करने के बाद स्कूल में छुट्टी हो जाएगी। क्या ऐसे बच्चे मोबाइल पर कुछ ऐसे प्रोग्राम तो नहीं देख रहे हैं जिससे हिंसा को बढ़ावा मिलता हो। इस सवाल पर भी गौर करना चाहिए कि पांच साल की कम उम्र के बच्चों को बोर्डिंग मदरसे में क्यों भेजा जाता है?
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