छ्पी-अनछपी: जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 57 हुई, हमास नेता सिनवार की मौत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 57 हो गई है। इसराइल ने दावा किया है कि हमास नेता याह्या सिनवार की मौत हो चुकी है। बिहार के 23000 नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट शक के दायरे में पाए गए हैं। बहराइच के सांप्रदायिक हिंसा के मामले में पुलिस ने एनकाउंटर में दो लोगों को घायल करने की खबर दी है। टेस्ट क्रिकेट में भारत की टीम घरेलू मैदान में एक पारी में सबसे कम 46 रन पर आउट हो गई।

यह आज के अखबारों की अहम खबरें हैं।

सीवान और सारण जिले में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या और बढ़ गई है। आज भी अलग-अलग अखबारों ने अलग-अलग संख्या बताई है। हिन्दुस्तान ने 39, जागरण ने 43, भास्कर ने 51 और प्रभात खबर ने मरने वालों की संख्या 57 लिखी है। मरने वालों में सीवान के 44 और सारण जिले के 11 लोग शामिल हैं जबकि दो लोग गोपालगंज जिले के हैं। कई लोगों ने मरने वालों का अंतिम संस्कार प्रशासन को बताए बिना कर दिया इसलिए आंकड़ों में अंतर पाया जा रहा है। अलग-अलग अस्पतालों में अभी तीन दर्जन लोगों का इलाज चल रहा है। सरकारी आंकड़ा मानें तो सीवान में 22 और सारण में 7 की मौत की बात कही जा रही है यानी कुल 29 लोगों की मौत हुई है। इलाज कराने वालों में 17 लोग पीएमसीएच में भर्ती हैं। अधिकतर लोगों की आंखों की रौशनी चली गई है और कुछ की किडनी खराब होने के बाद भी बताई गई है। एक्साइज डिपार्टमेंट के हवाले से बताया गया है कि जिस शराब के पीने से मौत हुई है उसमें मिथाइल अल्कोहल और इंडस्ट्रियल स्पिरिट मिलाया गया था।

सिनवार की मौत

हिन्दुस्तान के अनुसार इसराइली सेना ने हमास के शीर्ष नेता याह्या सिनवार के गाजा में मारे जाने का दावा किया। सेना ने उनके मारे जाने की जांच शुरू कर दी है। मारे गए लोगों का डीएनए टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद ही उनके मारे जाने पुष्टि हो पाएगी। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक फलस्तीनी शरणार्थियों ने जिस स्कूल में शरण ले रखी थी, वहां इसराइल के हवाई हमले में 15 लोगों की मौत हो गई। सेना ने एक बयान में कहा कि गाजा में अभियान के दौरान तीन लोग मारे गए, लेकिन उसने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। तीनों की पहचान की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। सिनवार को सात अक्तूबर, 2023 को इसरायल पर हमले के लिए ज़िम्मेदार बताया जाता है।

23 हज़ार शिक्षकों का सर्टिफिकेट शक के दायरे में

बिहार में सक्षमता परीक्षा पास 23801 नियोजित शिक्षकों का एक या एक से अधिक सर्टिफिकेट शक के दायरे में पाया गया है। जागरण की खबर में बताया गया है कि राज्य में एक लाख 87 हज़ार नियोजित शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा पास की है। इनमें से 96 नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। जिन लोगों के सर्टिफिकेट शक के दायरे में पाए गए हैं उनकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी। सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों की हुई काउंसलिंग के बाद विभागीय बैठक में यह जानकारी सामने आई है। अब जिन लोगों का सर्टिफिकेट शक के दायरे में है उन्हें सही प्रमाण पत्र अपलोड करने का मौका दिया जाएगा।

बहराइच में एनकाउंटर

जागरण के अनुसार उत्तर प्रदेश में बहराइच जिले के महाराजगंज कसमे में प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक युवक की हत्या के पांच आरोपितों को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। नामज़द आरोपित सरफराज समेत दो आरोपित पुलिस की की गोली से घायल हो गए। आरोपितों से हत्या में इस्तेमाल की गई दो नाली बंदूक व तमंचा बरामद किया गया है। इस हिंसा में 58 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बहराइच की एसपी ने आरोप लगाया कि दोनों आरोपितों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी तो पुलिस ने जवाब में गोली चलाई।

भारत की पहली पारी 46 पर सिमटी

भारत की क्रिकेट टीम बेंगलुरु में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली पारी में 46 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस पारी में भारत के पांच बल्लेबाज शून्य पर आउट हो गए जिसमें विराट कोहली भी शामिल हैं। यह घरेलू मैदान पर भारत का सबसे कम स्कोर है। इससे पहले घरेलू मैदान पर भारत का सबसे कम स्कोर 75 रन का था जो उसने 1987 में वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में बनाए थे। वैसे कुल मिलाकर भारत का टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में सबसे कम स्कोर 36 रन का है जो 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में बना था।

शेख हसीना पर गिरफ्तार वारंट

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गुरुवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया। हाल में छात्रों के व्यापक आंदोलन के दौरान मानवता के विरुद्ध कथित अपराध के लिए हसीना और अवामी लीग के अन्य शीर्ष नेताओं सहित 45 लोगों के खिलाफ वारंट जारी किया गया है।

असम में अप्रवासी क़ानून वैध: कोर्ट

हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बहाल रखा। इसके तहत असम समझौते को मान्यता दी गई थी। नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के तहत 1 जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 के बीच असम आए अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है। संविधान पीठ ने बहुमत के फैसले में कहा कि राज्य में विभिन्न जातीय समूहों की मौजूदगी स्थानीय लोगों के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, एम.एम. सुंदरेश, जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया। पीठ ने फैसले में कहा कि 25 मार्च, 1971 की कट-ऑफ तिथि तर्कसंगत थी, क्योंकि यह वह तिथि थी जब बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन/युद्ध समाप्त हुआ था।

कुछ और सुर्खियां

  • मथुरा में पिकअप वैन से कुचल कर गया के पांच मजदूरों की मौत
  • रेलवे रिजर्वेशन अब 4 महीने पहले से नहीं, 60 दिन पहले से होगा
  • भारत के 51 वें चीफ जस्टिस होंगे जस्टिस संजीव खन्ना
  • बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन आज से
  • बिहार फ़िल्म कॉन्क्लेव आज, जुटेंगे कई फ़िल्म निर्माता-निर्देशक

अनछपी: बिहार में जहरीली शराब पीने से होने वाली मौत के बाद एक बार फिर यह बात बहस में आ गई है कि क्या ऐसा शराब बंदी कानून की वजह से हुआ है? बहुत से लोगों की दलील यह है कि शराब बंदी की वजह से मान्यता प्राप्त फैक्ट्री में बनने वाली शराब बिहार में उपलब्ध नहीं है इसलिए लोग चोरी छिपे अवैध तरीके से बनाई गई शराब का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों की दलील यह भी है कि जो अमीर लोग हैं वह तस्करी की शराब पी लेते हैं और जहरीली शराब पीने से मौत का शिकार गरीब लोग होते हैं। मगर ध्यान में रखने की बात यह है कि जब शराब बंदी नहीं थी तब भी लोग जहरीली शराब पीने से मरते थे क्योंकि असल समस्या शराब बंदी नहीं बल्कि ऐसी शराब के धंधेबाज़ हैं। असल बात यह है कि शराब पीने वाला तबका यह चाहता है कि कोई भी दलील देकर बिहार से शराब बंदी हटाई जाए और जहरीली शराब से होने वाली मौतों के बहाने वह सरकार की नीति पर हमला करते हैं। जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने तो शराब बंदी हटाने को अपनी पार्टी का प्रमुख कार्यक्रम ही बता दिया है। उन्हें शायद इस बात क्या ध्यान नहीं कि बड़ी संख्या में लोग शराबबंदी के पक्षधर हैं और खासकर महिलाएं इस नीति से काफी राहत महसूस कर रही हैं। सच्चाई यह है कि जिस शराब को जहरीली नहीं माना जाता उसे पीने से भी लंबे समय के बाद जानलेवा बीमारियां होती हैं। बाजारों में आमतौर पर मिलने वाली शराब से हुड़दंग और घरेलू हिंसा की बात किसको नहीं पता है। यह बात समझनी होगी की समस्या शराब बंदी नहीं है बल्कि लोगों की आदत और शराब के धंधे वालों की हरकत जानलेवा साबित हो रही है। इस मामले में पुलिस पर आरोप लगता है कि या तो उसकी लापरवाही से या उसकी मिलीभगत से शराब का धंधा चल रहा है। सरकार अगर पुलिस वालों पर कड़ी नजर बनाने की व्यवस्था नहीं करती तो ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और उसकी शराब बंदी नीति पर सवाल उठते रहेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चाहिए कि अपनी शराब बंदी नीति पर कायम रहें लेकिन साथ ही साथ प्रशासन शराब के धंधेबाजों और पुलिस पर नजर बनाए रखे।

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