छ्पी-अनछपी: 18 ज़िलों के बाढ़ पीड़ितों को मिले 225 करोड़, अमेरिका में तूफान से 60 लाख प्रभावित

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के 18 और जिलों के बाढ़ पीड़ितों को 225 करोड़ रुपए की सहायता राशि भेजी गई है। अमेरिका के फ्लोरिडा में भारी तूफान से 60 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा को पूरे देश ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को इस साल का नोबेल साहित्य पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बाढ़ पीड़ित 18 जिलों के तीन लाख 21 हजार परिवारों को खाते में 7-7 हज़ार रुपये की राशि डीबीटी के माध्यम से भेज दी। इसके तहत कुल 225.25 करोड़ रुपए भेजे गए। इससे पहले पहले चरण में 4 लाख 38 हज़ार 529 परिवारों के खाते में 306 करोड़ 97 लख रुपए भेजे गए थे। इस तरह अब तक कुल बाढ़ पीड़ित 7 लाख 60 हज़ार परिवारों को 532.22 करोड़ रुपये भेजे गए हैं। इस कार्यक्रम के लिए आयोजित बैठक में यह बताया गया कि पहले और दूसरे चरण की बाढ़ में 16-16 जिलों की खेती प्रभावित हुई है। अंदाजा लगाया गया है कि पहले चरण की खेती के लिए 229 करोड़ रुपए और दूसरे चरण के लिए 261 करोड़ का नुकसान हुआ है।

अमेरिका में तूफान से 60 लाख लोग प्रभावित

भास्कर की खबर है कि अमेरिका के फ्लोरिडा में गुरुवार को सदी के सबसे बड़े तूफान ने दस्तक दी। तट पर टकराने के समय इसकी रफ्तार 205 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इसकी गति बढ़कर 300 किलोमीटर प्रति घंटा होने की आशंका जताई गई है। तूफान से 32 लाख घरों की बिजली गुल हो गई है, वहीं अब तक 60 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं। फ्लोरिडा की 100 से ज्यादा बड़ी इमारतें तबाह हो चुकी हैं। तूफान से चार लोगों की मौत हो गई है, वहीं डेढ़ सौ लोगों के बीमार होने की खबर है।

रतन टाटा को श्रद्धांजलि

हिन्दुस्तान के अनुसार प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम मध्य मुंबई के वर्ली स्थित शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। मुंबई पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का बुधवार रात ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। अंतिम संस्कार में गृह मंत्री अमित शाह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे आदि मौजूद रहे। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा, उनके परिवार के सदस्य और टाटा समूह के अध्यक्ष एन. चंद्रशेखरन समेत शीर्ष अधिकारी भी मौजूद रहे। वर्ली में मौजूद धर्म गुरु ने बताया कि अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया गया। मुंबई के बंगले में तीन दिन अनुष्ठान होंगेे।

हान कांग को साहित्य का नोबेल पुरस्कृत

जागरण के अनुसार मानव जीवन संघर्षों को उजागर करने वाला काव्यात्मक गद्य सृजित करने के लिए दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिलेगा। वर्ष 2024 के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार की गुरुवार को घोषणा की गई। हान को 10 दिसंबर को यह सम्मान मिलेगा। हान नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली एशियाई महिला हैं। 53 वर्षीय हान कांग को वर्ष 2016 में ‘द वेजिटेरियन’ उपन्यास के लिए बुकर पुरस्कार मिला था। उनका उपन्यास ‘ह्यूमन एक्ट्स’ 1980 में ग्वांगजू शहर में दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा सैकड़ों छात्रों और निहत्थे नागरिकों के नरसंहार पर आधारित है।

उमर अब्दुल्ला चुने गए विधायक दल के नेता

उमर अब्दुल्ला को गुरुवार को सर्वसम्मति से नेशनल कांफ्रेंस का विधायक दल का नेता चुन लिया गया। पार्टी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बताया कि विधायक दल की बैठक हुई। इसमें उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से दल का नेता चुना गया। उन्होंने कहा कि सरकार गठन की प्रक्रिया को लेकर आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को चुनाव से पूर्व गठबंधन के साझेदारों की बैठक होगी। विधायक दल का नेता ही मुख्यमंत्री होगा। इधर उमर अब्दुल्ला ने विधायकों को उन्हें अपना नेता चुनने के लिए धन्यवाद दिया।

इंग्लैंड ने बनाए 827 रन

हिन्दुस्तान के अनुसार हैरी ब्रुक मुल्तान के नए सुल्तान बन गए। उन्होंने गुरुवार को 317 रन की पारी खेलकर भारत के विस्फोटक बल्लेबाज विरेन्दर सहवाग (309 रन, मार्च 2004) का इस स्टेडियम का सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का 20 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। ब्रुक के अलावा जो रूट ने 262 रन की पारी खेली। इससे इंग्लैंड ने पहले टेस्ट के चौथे दिन अपनी पारी सात विकेट पर 823 रन बनाकर घोषित कर दी। टेस्ट क्रिकेट में तीसरी बार ऐसा मौका आया है जब किसी टीम ने 800 से ज्यादा रन बनाए हैं। पाकिस्तान ने पहली पारी में 556 रन बनाए थे।

कुछ और सुर्खियां

  • महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र को भेजा रतन टाटा को भारत रत्न देने का प्रस्ताव
  • केरल विधानसभा ने एक राष्ट्र- एक चुनाव के विरोध में प्रस्ताव को मंजूरी दी
  • हरियाणा विधानसभा के लिए चुने गए 90 में 86 विधायक करोड़पति
  • मुकेश अंबानी 119 अरब डॉलर के मालिक, फिर बने भारत के सबसे अमीर आदमी
  • बिहार में 400 नए घाटों से होगा बालू का उठाव
  • पटना जीपीओ में फॉरेन पोस्ट ऑफिस खुला, कस्टम क्लीयरेंस के लिए कोलकाता पर निर्भरता खत्म

अनछपी: ऐसा लगता है कि बिहार में जरूरत् से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए हैं और जो सरकारी कॉलेज हैं वहां से नौकरी मिलने की संभावना इतनी कम है कि वहां सीटें भर नहीं पा रही हैं। हमने पहले भी इस मामले पर टिप्पणी की थी लेकिन एक बार फिर इसके बारे में चर्चा करना जरूरी है। ताजा खबर यह है कि चार राउंड के बाद भी बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 3000 से अधिक सीटें खाली हैं। बिहार के 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में 13675 सीटों पर दाखिला होना है लेकिन अब तक 10363 सीटों पर ही एडमिशन हो पाया है। ध्यान रहे कि पिछले साल यानी 2023- 24 में बिहार के 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में केवल 5733 सीटों पर ही एडमिशन हो सका था। तब सेकंड राउंड काउंसलिंग के बाद भी 7942 सीटें खाली रह गई थीं। इस साल 13 मई और 16 जून को जेईई में शामिल स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन व मेरिट के तहत एडमिशन हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि इस साल भी पहले राउंड के बाद इंजीनियरिंग की आधी सीटें खाली रह गई थीं और उसके बाद फिर तीन राउंड में एडमिशन हुआ है लेकिन अब भी काफी संख्या में सीटें खाली हैं। जानकारों का कहना है कि बिहार के हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज तो खोल दिए गए लेकिन वहां संसाधन मौजूद नहीं हैं और इसीलिए छात्रों की दिलचस्पी भी वहां एडमिशन लेने में नहीं है। नए इंजीनियरिंग कॉलेजों के खुलने के साथ-साथ शिक्षकों की बहाली नहीं हुई, इसलिए पढ़ाई प्रभावित हुई हालांकि अब यह कहा जा रहा है कि वहां शिक्षकों की बहाली पर्याप्त संख्या में की गई है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन का एक बहुत बड़ा आधार वहां से होने वाला प्लेसमेंट रहता है लेकिन यह शिकायत की जाती है कि बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्लेसमेंट सेल या तो है ही नहीं या सही से काम नहीं करता है। वैसे प्लेसमेंट की समस्या सिर्फ बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं है बल्कि देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। ऐसे में जरूरी है कि संसाधन शिक्षक और प्लेसमेंट की व्यवस्था करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाए चाहे इसके लिए कॉलेज की संख्या कम ही क्यों ना करनी पड़े। जब तक छात्रों को यह विश्वास नहीं हो कि बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने पर भी उनकी नौकरी लग सकती है तब तक सीटें खाली रहने की समस्या जारी रहेगी।

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