छ्पी-अनछपी: चुनाव आयोग का दावा- 98% के दस्तावेज मिले, राहुल बोले- वोट चोरी रोकनी है
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए अभी एक सप्ताह बाकी है और चुनाव आयोग ने दावा किया है कि उसके पास 98.2 प्रतिशत लोगों ने दस्तावेज जमा कर दिए हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कोई टेंशन नहीं है, बस वोट चोरी रोकनी है। नालंदा, गया और जहानाबाद में बाढ़ से कई जगहों पर फसलों को नुकसान हुआ है।
और, जनिएगा कि यूजीसी ने कहा है कि साइकोलॉजी और हेल्थकेयर की पढ़ाई ऑनलाइन नहीं होगी।
पहली ख़बर
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में चुनाव आयोग के निर्देश पर जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत 1.8 फीसदी मतदाताओं का दस्तावेज जमा किया जाना शेष है, जबकि दावा एवं आपत्ति दाखिल करने के साथ ही दस्तावेज जमा करने को लेकर अब मात्र आठ दिन शेष है। अब भी एक सितंबर तक दस्तावेज जमा किये जा सकते हैं। रविवार को चुनाव आयोग के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने बताया कि बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) कार्यालय के अनुसार, बिहार एसआईआर के तहत 60 दिनों में 98.2 प्रतिशत मतदाताओं के दस्तावेज प्राप्त हो चुके हैं। ये दस्तावेज 24 जून से 24 अगस्त 2025 के बीच जमा किए जा चुके हैं। इसका औसत करीब 1.64 प्रतिशत प्रतिदिन है। आयोग के अनुसार, बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) और स्वयंसेवकों की मदद से इन दस्तावेजों का संग्रह कार्य जारी है।
कोई टेंशन नहीं, बस वोट चोरी रोकनी है: राहुल गांधी
भास्कर के अनुसार वोटर अधिकार यात्रा रविवार को पूर्णिया के रास्ते अररिया पहुंची। यहां राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और महागठबंधन के सभी प्रमुख नेता मीडिया से मुखातिब हुए। राहुल से सवाल हुआ, तेजस्वी कहते हैं कि बहुमत मिलेगा तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री होंगे। बिहार में आपकी पार्टी क्यों नहीं घोषित करती कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाएंगे। जवाब में राहुल बोले, “बहुत अच्छे तरीके से एक पार्टनरशिप बनी है। सारी पार्टियां जुड़कर काम कर रही हैं। कोई टेंशन नहीं है। मजा आ रहा है। वैचारिक और राजनीतिक रूप से हम एक राह पर हैं, मगर वोट चोरी को रोकना है।” राहुल ने कहा, “जनता जाग चुकी है। वोट चोरी का मामला बड़ा है। चुनाव आयोग और भाजपा पार्टनरशिप में काम कर रहे हैं। बिहार में लाखों वोटरों के नाम कट गए। भाजपा इस संबंध में कुछ नहीं कर रही है क्योंकि एसआईआर के माध्यम से वोटों की चोरी के लिए भाजपा ने चुनाव आयोग के साथ गठजोड़ कर रखा है।”
दीपंकर का बीजेपी व जेडीयू पर सवाल
हिन्दुस्तान के अनुसार भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सवाल किया कि बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया में 65 लाख मतदाताओं को बाहर कर दिया गया है, क्या इनमें से एक भी भाजपा समर्थक नहीं है ? उन्होंने चुनाव आयोग को इलेक्शन कमीशन की जगह इलेक्शन ओमीशन (हटाने वाला) करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में सबसे ज्यादा बीएलए भाजपा के ही हैं और कहा जाता है कि वे काफी सक्रिय भी हैं। फिर भी यह कैसे संभव है कि अबतक उन्होंने एक भी आपत्ति नहीं दर्ज कराई ? भाजपा-जदयू इस पर चुप क्यों हैं ? उन्होंने आरोप लगाया कि 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने गलत तर्क देकर जवाबदेही राजनीतिक दलों पर डालने की कोशिश की।
नालंदा, गया और जहानाबाद में बाढ़, फसलें बर्बाद
झारखंड में भारी बारिश से दक्षिण बिहार की नदियों में आई बाढ़ ने गया, जहानाबाद, नालंदा में फसलों को भारी क्षति पहुंचाई है। हजारों एकड़ में लगी फसल डूब गई है। कई गांवाों का सड़क संपर्क भंग हो गया है। वहीं भागलपुर के नवगछिया में इस्माईलपुर-बिंदटोली तटबंध में बुद्धूचक गांव के पास मछली आरत के पास स्पर संख्या सात-आठ के बीच में रविवार की रात भीषण कटाव हो जाने से 80 मीटर की लंबाई में तटबंध ध्वस्त हो गया।
जमीन देने के बदले 1000 करोड़ रुपए का कम मुआवजा मिला
प्रभात खबर के अनुसार बिहार में विकास परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर पिछले 6 साल के दौरान मुआवजे के रूप में वास्तविक बाजार मूल्य से 1000 करोड़ रुपए कम भुगतान किया गया। यह जानकारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई है। इस गलती का खामियाजा संबंधित जमीन मालिकों को उठाना पड़ा है। अब विभाग ने जिला भू अर्जन कार्यालयों को कहा है कि वह संबंधित विभागों से बाकी रकम की मांग करे ताकि जमीन मालिकों को वास्तविक मुआवजा राशि दी जा सके। सूत्रों के अनुसार बिहार में केंद्र और राज्य सरकार की परियोजनाओं के लिए शहरी क्षेत्र में दोगुना और उसके बाद दूरी के आधार पर चार गुना तक मुआवजा देने का प्रावधान है। ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना के अलावा ब्याज का भी प्रावधान है।
साइकोलॉजी और हेल्थकेयर की पढ़ाई ऑनलाइन नहीं
जागरण के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वह 2025 के शैक्षणिक सत्र से मनोविज्ञान और पोषण सहित स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित विषयों की दूरस्थ शिक्षण (डिस्टेंस एजुकेशन) या ऑनलाइन मोड में पढ़ाई नहीं कराएं। यह रोक नेशनल कमीशन ऑफ एलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशंस (एनसीएएचपी) एक्ट 2021 के तहत लागू होगी। इन पाठ्यक्रमों में मनोविज्ञान, माइक्रोबायोलॉजी, फूड ऐंड न्यूट्रिशन, बायोटेक्नोलॉजी, क्लीनिकल न्यूट्रीशन और डायटेटिक्स शामिल हैं। यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा, किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान को शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण और ऑनलाइन माध्यम से मनोविज्ञान समेत एनसीएएचपी अधिनियम 2021 में शामिल किसी भी संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा पाठ्यक्रम पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कुछ और सुर्खियां:
- बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी दिवालिया हो चुके अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस के कर्ज खाते को फ्रॉड घोषित किया
- प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा की
- मंत्रियों की गिरफ्तारी के 30 दिनों के बाद बर्खास्त किए जाने वाले बिल पर बने जेपीसी का विपक्ष कर सकता है बहिष्कार
- नालंदा जिले के रहुई थाना क्षेत्र के एसएच-78, बिहटा-सरमेरा मार्ग पर हादसे में कार सवार तीन दोस्तों की मौके पर ही मौत
- भारत ने सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट के पहले चरण में इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपंस सिस्टम (आईएडी डब्ल्यूएस) का पहला सफल परीक्षण किया
अनछपी: बिहार में वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन के नाम पर चुनाव आयोग जो कुछ कर रहा है उसकी हर बात को बहुत ही सतर्कता से लेना जरूरी है। ताजा जानकारी यह है कि चुनाव आयोग ने यह दावा किया कि उसके पास 98.2% मतदाताओं ने अपने दस्तावेज जमा कर दिए हैं और अब केवल 1.8 प्रतिशत मतदाताओं के दस्तावेज लेने बाकी हैं। चुनाव आयोग अपने इस दावे से दरअसल यह साबित करना चाहता है कि उसने एसआईआर की जो प्रक्रिया शुरू की है वह पूरी तरह कामयाब है। इससे पहले एसआईआर के तहत दस्तावेज के साथ या बिना दस्तावेज लिए एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करने के बारे में भी चुनाव आयोग दावे कर चुका है। चुनाव आयोग के अपने इस दावे के साथ शायद उन लोगों को गलत साबित करने की कोशिश कर रहा है कि जो यह कहते थे कि उसके द्वारा मांगे गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना मुश्किल है क्योंकि अक्सर लोग के पास ऐसे दस्तावेज नहीं हैं। ध्यान रहे कि इन 11 दस्तावेजों में आधार कार्ड शामिल नहीं था और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड को भी शामिल किया गया है। चुनाव आयोग यह नहीं बता रहा है कि इनमें से कितने लोगों ने आधार कार्ड जमा किए हैं। चुनाव आयोग यह भी साफ नहीं कर रहा है कि जो दस्तावेज उसे मिले हैं उन सब का सत्यापन हो चुका है या सत्यापन बाकी है। ऐसा ना हो कि सत्यापन के नाम पर बाद में इन दस्तावेजों के रहते लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए। यह ध्यान रखने की बात है कि अगर चुनाव आयोग की बात सही हो कि 98.2% लोगों ने दस्तावेज जमा किए हैं तो इसके पीछे सामाजिक संगठनों का बहुत बड़ा रोल है। चुनाव आयोग के इस दावे के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि जिन 65 लाख लोगों का नाम पहले कट चुका है, उसके बाद अब ज्यादा लोगों का नाम वोटर लिस्ट से बाहर नहीं रहेगा। लेकिन अब भी उन 65 लाख लोगों में से बड़ी संख्या ऐसी हो सकती है जिन्हें गलत तरीके से वोटर लिस्ट से हटाया गया है और इसके लिए आंदोलन चलाए रखना जरूरी है।
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