छपी-अनछपी: दिवाली पर दिल्ली से पटना का हवाई किराया ₹20,000, स्पेन में बाढ़ से 95 की मौत
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। त्योहारी मौसम में दिल्ली, मुंबई और दूसरे शहरों से पटना का हवाई किराया काफी बढ़ गया है। दिवाली पर दिल्ली से पटना का हवाई किराया ₹20000 तक हो गया। स्पेन में आई बाढ़ से 95 लोगों की मौत हो गई है। सर्वे करने वाले कर्मियों और जूनियर इंजीनियरों का मानदेय बढ़ाया गया है। इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में रूबन अस्पताल के एमडी पर 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की पत्नी का कहना है कि वह दोनों डेढ़ दो साल से अलग-अलग रह रहे हैं।
आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।
हिन्दुस्तान के अनुसार दीवाली और छठ में दूसरे शहरों से बिहार आने में हवाई किराया देख यात्रियों के पसीने छूट रहे हैं। स्थिति यह है कि दिल्ली से पटना आने में यात्रियों को 20 हजार तक किराया चुकाना पड़ रहा है। वहीं मुंबई पटना मार्ग पर दीवाली व एक दिन पहले अधिकतम किराया 28 हजार तक पहुंच गया। आलम यह है कि दो बच्चों के साथ एक परिवार को आने में एक लाख से अधिक रुपये केवल एक तरफा का किराया लग रहा है। दिल्ली-पटना मार्ग पर सामान्य दिनों में किराया चार से पांच हजार के बीच रहता है। अभी सामान्य किराया 15 से 17 हजार के बीच है। मुंबई-पटना मार्ग पर सामान्य दिनों में किराया छह से सात हजार रहता है। अभी 20 से 28 हजार के बीच है। बेंगलुरू-पटना मार्ग पर भी भारी मारामारी है। सामान्य दिनों में किराया छह से सात हजार तक रहता है लेकिन अभी किराया 15 हजार से 17 हजार के बीच है।
स्पेन में बाढ़ से 95 लोगों की मौत
स्पेन के पूर्वी हिस्से में अचानक आई बाढ़ के कारण 95 लोगों की मौत हो गई है। बीबीसी के अनुसार बाढ़ से हुई मौतों की 1973 के बाद सर्वाधिक संख्या है। उस साल 150 लोगों की मौत हुई थी। इस आपदा के बाद स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। राष्ट्रीय शोक गुरुवार से शनिवार तक रहेगा। प्रभात खबर के अनुसार बाढ़ के पानी में कई गाड़ियां बह गई हैं और गांव में पानी भर जाने से सामान्य जन जीवन प्रभावित हुआ है। रेल लाइन और हाईवे भी पानी से भर गए हैं जिससे उन पर चलना मुश्किल हो गया है। स्पेन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में मंगलवार को मूसलाधार बारिश के बाद बाढ़ आ गई।
ठेके वाले जूनियर इंजीनियरों को अब मिलेंगे ₹60,000
जागरण के अनुसार बिहार सरकार ने संविदा पर नियोजित कर्मियों के मानदेय में भारी वृद्धि की है। सबसे अधिक लाभ जूनियर इंजीनियरों को मिला है। अब उन्हें प्रतिमाह 36000 की जगह ₹60000 मिलेंगे। जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वेतन वृद्धि इसी 1 अक्टूबर से लागू हो गई है। इसका लाभ 1627 जूनियर इंजीनियरों को मिलेगा। इसके अलावा जमीन सर्वेक्षण के काम में लगे संविदा कर्मियों का मानदेय भी ₹10000 तक बढ़ाया गया है। इससे करीब 14000 कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा।
रूबन अस्पताल पर 40 लाख जुर्माना
हिन्दुस्तान के अनुसार इलाज में लापरवाही बरतने पर रूबन अस्पताल के रतन स्टोन क्लिनिक और रूबन के एमडी डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह को उपभोक्ता न्यायालय ने 40 लाख रुपये का भुगतान मरीज को करने का आदेश दिया है। तय सीमा पर भुगतान नहीं करने पर 10 हजार रुपये आर्थिक दंड भी लगाने की बात कही गई है। जिला उपभोक्ता न्यायालय के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने यह आदेश दिया है। गोपालगंज निवासी शिकायतकर्ता रमेश कुमार यादव ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगा उपभोक्ता न्यायालय में मामला दर्ज कराया था। उन्हें वर्ष 2012 में दुबई में उन्हें नौकरी मिली थी। उनका वीजा बन गया था। रमेश ने इसकी जांच दक्षिणी गांधी मैदान स्थित रूबन मेमोरियल रतन स्टोन क्लिनिक में डॉ. सत्यजीत से कराई। उनकी सलाह पर 1 से 4 फरवरी 2012 के बीच वह अस्पताल में भर्ती रहा और इसके लिए एक लाख रुपये का भुगतान भी किया। डॉ. सत्यजीत ने ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के बाद भी परेशानी कम नहीं हुई। दोबारा जांच हुई तो किडनी में दो पाइप रह गए थे। उसे निकालने के लिए 17 फरवरी 2013 को 20 हजार रुपये फीस ली गई और पाइप निकालने की बात कही गई। इसके बाद भी राहत नहीं मिली। उसके बाद अल्ट्रासाउंड में एक पाइप छूटा पाया गया। इसे निकालने के लिए फिर 70 हजार रुपये लिया गया। बीमारी ठीक नहीं होने के कारण दुबई में नौकरी करने नहीं जा सके।
पप्पू यादव पत्नी से अलग रह रहे
कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रंजीता रंजन ने अपने पति राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव द्वारा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को चुनौती दिए जाने से जुड़े मामले को लेकर बुधवार को कहा कि पूर्णिया से लोकसभा सदस्य के बयान से उनका और उनके बच्चों का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके और पप्पू यादव के बीच कई विषयों पर मतभेद हैं तथा पिछले डेढ़-दो साल से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं। मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा था कि अगर कानून द्वारा अनुमति दी गई तो वह जेल में बंद गैंगस्टर बिश्नोई के पूरे नेटवर्क को 24 घंटे के भीतर खत्म कर देंगे।
कुछ और सुर्खियां
- बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस (सैप) की बस रोहतास में खाई में गिरी, 34 जवान घायल
- अयोध्या में सरयू के तट पर 25 लाख दीये जलाए गए
- बिहार के जिला परिषदों में 4450 पदों पर जल्द होगी बहाली
- पटना हाईकोर्ट में आज से 10 नवंबर तक छुट्टी
- ट्रेन के टॉयलेट में यात्री मिले तो रवाना ही नहीं होगी ट्रेन
- पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचोक से भारत चीन की सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा
- रांची में स्कूल से मिला एक करोड़ 15 लाख रुपया, भाजपा नेता हिरासत में
- अवध-असम एक्सप्रेस में मुजफ्फरपुर के पास बैग से धुआं निकला, ट्रेन में भगदड़ मची
अनछपी: दिवाली वैसे तो दीपों और मिठाई का त्योहार माना जाता है लेकिन इस मौके पर बड़े पैमाने पर पटाखे भी फोड़े जाते हैं। इस मामले का अफसोसनाक पहलू यह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिहार के चार शहरों पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर के लिए पटाखे पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का आदेश दे रखा है लेकिन इस पर कोई अमल नहीं होता है। इसकी वजह यह है कि बड़े पैमाने पर लोग अब भी यह नहीं मानते कि दिवाली पर भी पटाखे फोड़ने पर पाबंदी है। एनजीटी ने यह आदेश यहां की खराब हवा के कारण दिया है लेकिन इसे लागू करवाने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम है। वायु प्रदूषण से लोग पहले से ही परेशान हैं लेकिन इसका ध्यान समाज को नहीं है कि पटाखों से स्थिति और खराब होगी। पटना जिला प्रशासन ने पटाखों पर सख्ती से रोक लगाने की बात की थी लेकिन अखबारों में जो खबरें छप रही हैं उनके मुताबिक इसका कोई असर नहीं हुआ है। पटना और बाकी शहरों में हर गली चौराहे पर खुले आम पटाखे की बिक्री हो रही है तो ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशासन इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करता। और अगर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता तो वह सख्ती की बात क्यों करता है? प्रशासन के आदेश को हवा हवाई ही माना जाएगा। यह बात अब लगभग सबको पता है कि पटाखा फोड़ने से आंख, नाक, कान, फेफड़े, दिल और चमड़े की कई बीमारियां हो सकती हैं। इसके बावजूद पटाखे की बिक्री बिल्कुल बंद नहीं हुई और लोग धड़ल्ले से पटाखे फोड़ने को तैयार हैं। असल मे अब भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि पटाखा फोड़ना उनका अधिकार है और वह इसपर लगाई गई पाबंदी को नहीं मानते। ऐसे में पटाखों पर सरकारी पाबंदी घोषणाओं तक रह जाती है। इसलिए अगर प्रशासन वाकई पटाखों पर पाबंदी को लागू करना चाहता है तो उसे कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ-साथ समाज में और जागरूकता लाने की जरूरत भी है। उन लोगों पर भी कार्रवाई करने की जरूरत है जो पटाखा फोड़ने के समर्थन में तर्क देते रहते हैं हालांकि उन्हें भी इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी रहती है। पटाखों पर पाबंदी लागू नहीं होना असल में प्रशासन की ढिलाई का सबूत है।
114 total views