छपी-अनछपी: अमेरिका से बेड़ियों में बांध भेजे गए भारतीय, दिल्ली के एग्जिट पोल में बीजेपी आगे
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अमेरिका ने बेड़ियों में बांधकर भारत के अवैध आवासियों को अमृतसर भेजा। दिल्ली के अधिकतर एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी की बढ़त दिखाई गई है। पटना पहुंचे राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के ओएसडी भी आरएसएस से हैं। दुनिया भर में परोपकारी कामों के लिए जाने जाने वाले आगा खान नहीं रहे। बिहार में हज यात्रियों की संख्या हर साल घट रही है।
और जानिएगा कि पिछले साल भारत के लोगों ने कितना टन सोना खरीदा।
हिन्दुस्तान के अनुसार अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की बुधवार को वतन वापसी हुई। भयावह यात्रा का अनुभव साझा करते हुए एक अप्रवासी ने दावा किया कि हवाई जहाज में इनके हाथ में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां थीं। अमृतसर हवाईअड्डे पर विमान उतरने के बाद ही इन्हें खोला गया। गुरदासपुर जिले के हारडोरवाल गांव के रहने वाले जसपाल ने बताया कि उन्हें 24 जनवरी को पुलिस ने तब गिरफ्तार किया था, जब उन्होंने अवैध तरीके से अमेरिकी सीमा पार की थी। उन्होंने बताया कि ट्रैवल एजेंट ने उन्हें अमेरिकी वीजा से भेजने का वादा किया था, लेकिन उसने धोखा दिया। इसके लिए उसने उधार लेकर 30 लाख रुपये का भुगतान किया था। प्रभात खबर के अनुसार अमेरिकी वायु सेवा का विमान इन्हें लेकर अमृतसर के एयरपोर्ट पर उतरा। इनमें 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के लोग शामिल हैं। इनमें पंजाब के 30 हरियाणा व गुजरात के 33-33 लोग शामिल हैं।
दिल्ली के एग्जिट पोल में बीजेपी आगे
भास्कर की सुर्खी है: 10 में से 8 एग्जिट पोल कह रहे- दिल्ली में बीजेपी जीत रही, और दो बोले ‘आप’। दिल्ली में वोटिंग खत्म होने के बाद बुधवार शाम विभिन्न चैनलों और सर्वेक्षण एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी किए। कल 10 एग्जिट पोल में से 8 ने भाजपा की जीत का अनुमान बताया है। वहीं दो ने आम आदमी पार्टी के जीतने की संभावना जताई है। पोल ऑफ पोल्स को मानें तो बीजेपी को 39, ‘आप’ को 30 और कांग्रेस को एक सीट मिलने का अनुमान है। अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की वापसी होगी।
मोदी के ओएसडी भी आरएसएस से: राहुल
भास्कर के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस जाति की जनगणना के विरोध में है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनती है तो तेलंगाना की तर्ज पर देश भर में जातीय जनगणना कराएंगे। उन्होंने बुधवार को एसके मेमोरियल हॉल में स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि जनप्रतिनिधियों में दलितों की भागीदारी बढ़ी है लेकिन शक्ति उनके पास नहीं है। मंत्री और सांसद निर्णय नहीं ले सकते। मंत्रियों के ओएसडी भी आरएसएस के लोग हैं। यह वैसा ही है जैसे पांच लोगों को स्टेज पर बैठा दिया है लेकिन उनके फैसले कहीं और से लिए जा रहे।
आगा खान नहीं रहे
इस्माइली मुसलमान के धार्मिक और आध्यात्मिक नेता और अरबपति आगा खान का मंगलवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया आप। उन्होंने पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में अंतिम सांस ली। उनके परिवार को इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है। उनका असली नाम प्रिंस शाह करीम अल हुसैनी था। हार्वर्ड से इस्लामी हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने वाले आगा खान 20 साल की उम्र में आध्यात्मिक नेता बन गए। इस्माइली समुदाय की वेबसाइट के अनुसार खां का जन्म स्विट्जरलैंड में जिनेवा के पास क्रूएक्स-डी-गेंथोड में 13 दिसंबर 1936 को हुआ था। उन्होंने अपने बचपन का एक हिस्सा नैरोबी, केन्या में बिताया। पिछले कुछ साल से पुर्तगाल में बसे थे। उनके परिवार में तीन बेटे, एक बेटी व पौत्र-पौत्री हैं।
बिहार में हर साल घट रहे हज यात्री
हिन्दुस्तान की खास खबर कर अनुसार हज यात्रा पर जाने वाले लोगों की संख्या बिहार में लगातार घट रही है। कोराना महामारी के बाद यानी 2022 के छोड़ दें तो इस वर्ष बिहार से हज यात्रा पर जाने वाले हज यात्रियों की संख्या साल 2012 से लेकर अब तक सबसे कम है। कोरोना के कारण 2020 और 2021 में हज यात्रा रद्द कर दी गयी थी। बिहार के लिए हज यात्रियों का कोटा इस वर्ष 12,406 है जबकि मात्र 2,673 आजमीने हज ने बिहार राज्य हज कमेटी को आवेदन कर पंजीकरण कराया है। इनमें 1,558 पुरुष, 1,113 महिला एवं दो बच्चे शामिल हैं। खास बात ये है कि हर वर्ष विभिन्न कारणों से पंजीकरण की संख्या से लगभग दस प्रतिशत कम लोग ही हज यात्रा पर रवाना होते हैं। वर्ष 2024 में बिहार का कोटा 14225 का था लेकिन यहां से 3522 लोग ही हज के लिए गए। हाल के वर्षों में बिहार से सबसे ज्यादा हज पर जाने वालों की संख्या 2015 की है। उस साल बिहार का कोटा 9334 था और यहां से हज पर 7500 लोग गए थे।
2024 में भारत में 802 टन सोना बिका
जागरण के अनुसार आयात शुल्क में कमी और शादी ब्याह व त्योहार से संबंधित खरीदारी के चलते भारत में सोने की मांग 2024 में सालाना आधार पर 5% बढ़कर 802.8 टन हो गई। 2025 में इसके 700 से 800 टन के बीच रहने का अनुमान है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 2024 में सोने की मांग 802.2 टन रही जबकि 2023 में यह 761 टन थी। सोने की मांग का कुल मूल्य 2024 में 31% बढ़कर 515390 करोड़ रुपए हो गया।
कुछ और सुर्खियां
- पटना से प्रयागराज महाकुंभ जा रही मिनी बस उत्तर प्रदेश के चंदौली में ट्रेलर से टकराई, दो की मौत
- ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के आवास पर तोड़फोड़ और आगजनी
- आज से बिहार में तापमान में 5 डिग्री तक की कमी के आसार, फिर बढ़ेगी सर्दी
- दिल्ली विधानसभा चुनाव में 60 फीसद मतदान
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ऐलान, मुंगेर के खड़गपुर झील में पहुंचाया जाएगा गंगा का पानी
- भारतीय रुपया 36 पैसे गिरकर 87.43 प्रति डॉलर के रिकार्ड निचले स्तर पर
अनछपी: इसराइल के नरसंहार की वजह से दुनिया भर में ग़ज़ा के लोगों के लिए हमदर्दी है लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इससे कोई मतलब नहीं और उन्होंने ऐलान किया है कि वह ग़ज़ा की पट्टी को अमेरिका के कब्जे में ले आएंगे। डोनाल्ड ट्रंप वैसे तो पहले ग्रीनलैंड और पनामा नहर को भी अपने कब्जे में लेने की बात कह चुके हैं। किसी स्वतंत्र देश को खुल्लम-खुल्ला अपने कब्जे में लेने की बात कहना ट्रंप के लिए कितना आसान हो गया है। दुनिया के कई देशों में अपना हाल बुरा करने के बावजूद अमेरिका अपनी विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा है। हालांकि बहुत से देशों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है लेकिन बहुत से देश ऐसे भी हैं जो अमेरिका को खुश करने के लिए इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलना चाहते। वैसे तो अरब देश अमेरिका के पिछलग्गू बने रहते हैं लेकिन फिलहाल उन्होंने कुछ हिम्मत दिखाई है और डोनाल्ड ट्रंप के कब्जे की नीति का विरोध किया है। मिस्र की राजधानी काहिरा में मिस्र, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फलस्तीन अथॉरिटी और अरब लीग के विदेश मंत्रियों की मुलाकात के बाद उनकी ओर से कहा गया कि वह फलस्तीनों को जबरन ग़ज़ा से बाहर निकलने और कहीं और बसाने के खिलाफ हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के हाकिम की तरह यह ऐलान किया था कि फलस्तीनियों को ग़ज़ा से निकलकर मिस्र और जॉर्डन में बसाया जाना चाहिए। अरब नेताओं का कहना है कि मिस्र और जॉर्डन से ग़ज़ा के लोगों को अपने यहां रखने को लेकर जो बात कही गई है वह सही नहीं है और इससे उस इलाके की स्थिरता के लिए खतरा पैदा हो सकता है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने डोनाल्ड ट्रंप की ‘क्लीन आउट’ योजना पर सफाई दी है। एक तरफ ट्रंप का कहना है कि यह एक स्थाई योजना भी हो सकती है तो दूसरी और व्हाइट हाउस का कहना है कि वहां के लोगों को अस्थाई तौर पर दूसरे देश भेजने का प्रस्ताव है। इस वक्त ग़ज़ा मलबे के ढेर में बदला हुआ है और वहां लगभग सभी मकान ढह गए हैं और 19 लाख लोग बेघर हैं। ट्रंप प्रशासन अगर उनकी मदद करना चाहता है तो ग़ज़ा और फलस्तीन के बाक़ी हिस्सों से इसराइल को हमेशा के लिए बाहर करे और वहां लोगों के रहने की व्यवस्था में मदद करे।
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