छ्पी-अनछपी: वक़्फ़ जेपीसी में बीजेपी की मनमानी चली, खड़गे बोले- गंगा में डुबकी से गरीबी नहीं हटेगी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। वक़्फ़ संशोधन पर बनी जेपीसी की रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी और उसके समर्थक दलों की मनमानी की शिकायत विपक्ष ने की है। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बयान पर बवाल मचा है कि गंगा में डुबकी से गरीबी दूर नहीं होगी। उत्तराखंड में 27 जनवरी से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया। हिमाचल प्रदेश में हिरासत में मौत के आरोप में आईजी समेत 8 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।

और यह भी जानिएगा कि किस देश की 200 कंपनियों में हफ्ते में चार दिन काम का नियम लागू है।

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार वक़्फ़ संशोधन बिल में बदलावों को जेपीसी ने सोमवार को मंजूरी दे दी। बिल को पिछले साल अगस्त में 14 बदलावों के साथ संसद के पटल पर रखा गया था। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि बैठक में 44 संशोधनों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि 6 महीने तक विस्तृत चर्चा के बाद हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। “यह हमारी अंतिम बैठक थी, इसलिए बहुमत के आधार पर समिति द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और उन पर मतदान हुआ लेकिन उनके सुझाए गए संशोधनों के समर्थन में 10 वोट पड़े और उसके विरोध में 16 वोट पड़े और उन्हें मंजूर नहीं किया गया।” नए बिल के अनुसार वक़्फ़ संपत्ति पर दावा करने वाला ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाई कोर्ट में अपील कर सकेगा।

जेपीसी अध्यक्ष पर तानाशाही का आरोप

विपक्षी सांसदों ने वक़्फ़ जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी बैठक के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और जगदंबिका पाल ने तानाशाही से काम लिया। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया। बनर्जी ने कहा कि उन्होंने वही किया जो उन्होंने पहले से तय किया हुआ था। शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा, संशोधन क्यों किए गए, इस पर चर्चा नहीं हुई। तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी नेकहा, लोकतंत्र के लिए यह काला दिन है। द्रमुक सांसद ए राजा ने यदि इसे संसद की मंजूरी मिल जाती है तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

खड़गे बोले, गंगा में डुबकी से दूर नहीं होगी गरीबी

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू में संविधान रक्षा का संकल्प लेने आए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को महाकुंभ में डुबकी पर प्रश्न उठाया। कांग्रेस सांसद व लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में मंच से उन्होंने कहा कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होगी। उन्होंने कहा, “इससे क्या पेट को खाना मिलता है और क्या युवाओं को रोजगार मिल रहा है? भाजपा नेताओं में महाकुंभ में डुबकी लगाने की होड़ लगी है। जब तक अच्छा फोटो नहीं आ जाए तब तक वह डुबकी लगाते रहते हैं।” इधर भारतीय जनता पार्टी ने उनके बयान को सनातन विरोधी बताया है।

उत्तराखंड में यूसीसी लागू

हिन्दुस्तान के अनुसार उत्तराखंड में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी गई। इसके साथ ही उत्तराखंड स्वतंत्र भारत में यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन गया। आजादी से पहले 1867 में यह गोवा में लागू था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लागू होने का ऐलान किया। धामी ने विधिवत अधिसूचना का अनावरण, यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का शुभारंभ और नियमावली बुकलेट का विमोचन किया। यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। नप व पालिकाओं में एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे। 26 मार्च, 2010 से संहिता लागू होने की तिथि के बीच हुए विवाह का पंजीकरण छह माह में कराना होगा। संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा।

हिरासत में मौत के मामले में आईजी को उम्रकैद

हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप-मर्डर केस में जांच के दौरान पुलिस हिरासत में हुई हत्या में आईजी समेत आठ पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों को सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। 18 जनवरी को इन पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया था। अदालत ने सोमवार को हिमाचल के तत्कालीन आईजी जहूर एच. जैदी, ठियोग के डीएसपी मनोज जोशी, सब इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह, सहायक सब इंस्पेक्टर दीप चंद शर्मा, ऑनरेरी हेड कांस्टेबल मोहन लाल और सूरत सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रानित को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

पादरी के शव को दफनाने के मामले में जजों की राय अलग

जागरण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के एक पादरी के दफन की जगह के विवाद पर अलग-अलग फैसला सुनाया। पादरी का शव 7 जनवरी से एक मोर्चरी में रखा हुआ है। जस्टिस बीवी नगरत्ना ने कहा कि धर्मांतरित ईसाई को गांव में ही उनके परिवार की निजी कृषि भूमि पर दफ़न करना चाहिए। वहीं जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि दफन मूल गांव से 20 किलोमीटर दूर केवल निर्धारित स्थान पर ही होना चाहिए। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक बाद में दोनों जजों ने एक दूसरे गांव की ईसाई कब्रिस्तान में शौक को दफन करने का आदेश दिया।

ब्रिटेन की 200 कंपनियों में ‘4 डे वीक’

हिन्दुस्तान के अनुसार ब्रिटेन में दो सौ कंपनियों में अब सप्ताह में चार दिन ही काम करना पड़ेगा। इन कंपनियों ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए चार दिवसीय कार्य सप्ताह को लागू किया है। 4 डे वीक फाउंडेशन के अपडेट के अनुसार, ये सभी कंपनियां मिलकर 5,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं, जिनमें चैरिटी, मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी की कंपनियां सबसे अधिक हैं। फाउंडेशन के अभियान निदेशक जो राइल ने कहा कि 9-5, पांच दिवसीय कार्य सप्ताह 100 साल पहले लागू किया गया था। अब यह उपयुक्त नहीं है। हमें इसे अपडेट करने में बहुत समय लग गया है।

कुछ और सुर्खियां

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पुलिस व्हाट्सएप और ईमेल से नहीं भेज सकती नोटिस
  • भारत और चीन में इसी साल कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर सहमति
  • बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, पटना केंपस के 19 वर्षीय छात्र रोनित ने मोबाइल पर खुदकुशी करने तरीका ढूंढ फांसी लगाई
  • यूजीसी ने ‘नैक’ की वार्षिक रिपोर्ट के लिए खोला, पोर्टल 2 फरवरी तक कर सकेंगे जमा
  • पटना एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन काउंटर तैयार, जल्द भर सकेंगे विदेश के लिए उड़ान
  • आईटी सेक्टर में भारी बिकवाली से 824 अंक टूटा सेंसेक्स
  • मध्य प्रदेश में 52 किलो सोना और 11 करोड़ की नकदी भरी कार से चर्चित सिपाही सौरभ शर्मा का भोपाल कोर्ट में सरेंडर

अनछपी: वक़्फ़ संशोधन बिल पर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदंबिका पाल ने आखिरकार वही किया जिसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी। यानी उन्होंने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की दलीलें तो मान लीं लेकिन विपक्ष की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। बात केवल विपक्ष की नहीं बल्कि सभी हितधारकों की है और जिन मुस्लिम संगठनों ने जेपीसी को अपनी ओर से मेमोरेंडम दिया था उसका क्या हुआ इसके बारे में जगदंबिका पाल ने कुछ नहीं बताया। इससे साफ है कि जेपीसी अध्यक्ष ने मुस्लिम हितधारकों की सारी बातें कूड़ेदान में डाल दीं। विपक्ष इस विषय पर चर्चा के लिए और समय मांग रहा था और जितनी संख्या में मेमोरेंडम मिले हैं उसके अध्ययन के लिए यह जरूरी था कि अभी इस पर और विचार मंथन होता। लेकिन भारतीय जनता पार्टी को यह बिल पास करने की हड़बड़ी है और इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या तो बिल्कुल लाचार नजर आते हैं या उनकी भी मिलीभगत है। नीतीश कुमार इससे पहले भी जिन मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी से अलग राय रखने का दावा करते थे बाद में उनकी पार्टी उसी के साथ हो गई। यानी यह पहला मामला नहीं है जब नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक एजेंडे में शामिल हो रहे हैं। इससे पहले अनुच्छेद 370, ट्रिपल तलाक और सीएए के मामले में भी नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक एजेंडे का साथ दिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी अपने 18 सांसदों के साथ भारतीय जनता पार्टी के साथ ही नजर आते हैं हालांकि उन्होंने अपने राज्य में मुसलमान से काफी वोट हासिल किया है। यह लगभग तय माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी संसद में वक़्फ़ बिल को पास करवा लेगी और उसे आरोप की बिल्कुल परवाह नहीं कि दरअसल इस बिल से वह वक़्फ़ संपत्ति पर अवैध कब्जा करने की राह आसान कर रही है। दूसरी बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी इस पूरे मामले को इस रूप में पेश कर रही है कि मुसलमानों के पास बड़ी मात्रा में ज़मीन है और उनसे यह ज़मीन छीन ली जाएगी ताकि हिंदुओं में यह संदेश जाए कि वह मुसलमानों को ‘टाइट’ किये हुए है। भारतीय जनता पार्टी पर यह आरोप लगता है कि वह मुसलमानों को राजनीतिक रूप से पहले ही अलग-थलग कर चुकी है और अब उसका मकसद उसे आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा कर कट्टर हिंदू सांप्रदायिक लोगों को खुश करना है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि वक़्फ़ से पहले भी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में मुसलमान के आर्थिक हितों को काफी नुकसान पहुंचाया जा चुका है। ऐसे में अब मुस्लिम संगठनों के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा है।

 528 total views

Share Now

Leave a Reply