छ्पी-अनछ्पी: नीतीश को फिर याद आए मुसलमान, तेजस्वी बोले- यूपी के लोगों को भी दी नौकरी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। आज के सभी अखबारों में नेताओं के भाषणों की भरमार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुसलमान को याद किया है। तेजस्वी यादव ने योगी आदित्यनाथ को जवाब दिया है कि उन्होंने यूपी के लोगों को भी नौकरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू है। यह खबर भी है कि राज्यपाल के बुलावे के बावजूद के के पाठक उनके पास नहीं पहुंचे।

जागरण की सुर्खी है: मुसलमान राजनीतिक भटकाव से बचें, एनडीए को वोट दें: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को शेखपुरा के घाटकुसुंभा टाल में चुनावी सभा से कहा कि मुसलमान राजनीतिक भटकाव से बचें और राजग को वोट दें। राजग के शासनकाल में मुसलमानों की तरक्की के लिए कई काम किए गए। तनाव और झगड़ों की वजह को दूर किया। 8000 कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराई। 1000 अन्य की घेराबंदी शीघ्र कराई जाएगी।

यूपी के लोगों को नौकरी दी: तेजस्वी

प्रभात खबर की खबर है कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि हमने यूपी के लोगों को बिहार में हाल में ही नौकरी दी है। यहां यूपी के लोग नौकरी कर रहे हैं,  आप (योगी) क्या कर रहे हैं? किस बात के सीएम हैं? यहां तो सिर्फ पेपर लीक हो रहे हैं। यूपी उसी के लिए मशहूर हो रहा है। उन्होंने यह बात सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के उस बयान पर कही जिसमें उन्होंने कहा कि राजद की सरकार बनने पर अराजकता देखने को मिलती है। सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि योगी सीएम योगी ऐसे पहले सीएम हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने ऊपर दायर मुकदमे वापस ले लिए।

परिवारवाद को यूपी ने नकारा: योगी

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सोमवार को बिहार के नवादा और औरंगाबाद की चुनावी सभा में कहा कि यूपी के लोगों ने परिवारवाद को नकार दिया है। अब बिहार की बारी है। यहां भी लोग परिवार को नकार दें। नवादा में एनडीए के भाजपा उम्मीदवार विवेक ठाकुर और औरंगाबाद में भाजपा के सुशील कुमार सिंह के पक्ष में प्रचार करने आए योगी आदित्यनाथ ने विकास कार्यों के बलबूते एनडीए गठबंधन के लिए वोट की अपील की। उन्होंने राजद के शासनकाल की याद दिलाकर लालू प्रसाद को घेरने की कोशिश की।

मोदी का इंटरव्यू

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: मेरे फैसले किसी को डराने के लिए नहीं: मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि मेरे पास देश के लिए बड़ी योजनाएं हैं। किसी को डरने की जरूरत नहीं है। मेरे फैसले किसी को डराने या किसी को कमतर करने के लिए नहीं होते हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया गया कि आप अपने भाषण में कहते हैं कि अभी तो यह ट्रेलर है, अभी तो बहुत कुछ करने वाला हूं। आपका विजन क्या है? इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, यह बात किसी को डराने के लिए नहीं है। मोदी ने कहा कि ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियां अच्छा काम कर रही हैं। जिन कानूनों के तहत केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, उनमें से कोई हमारी सरकार में नहीं बना। चुनाव आयोग सुधार का कानून हम लेकर आए। पहले तो एक परिवार के करीबी को चुनाव आयुक्त बना दिया जाता था।

राज्यपाल के बुलावे पर भी नहीं पहुंचे पाठक

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: राज्यपाल बड़े या शिक्षा सचिव। राजभवन और शिक्षा सचिव के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को सोमवार सुबह 10:00 बजे राजभवन बुलाया था। केके पाठक राज भवन नहीं पहुंचे। राज्यपाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। राज्यपाल ने अपने चेंबर में लगभग 30 मिनट तक उनका इंतजार किया। इसके बाद वह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रवाना हो गए। दूसरी तरफ के के पाठक समय से अपने कार्यालय आए। 2:00 बजे तक बैठे भी रहे। उसके बाद लंच के लिए निकले। एक घंटे के बाद वापस आए।

राहुल के हेलीकॉप्टर की जांच पर भड़की कांग्रेस

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सोमवार को तमिलनाडु के नीलगिरी पहुंचने पर चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा उनके हेलीकॉप्टर की तलाशी लेने पर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए कि आखिर राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी के ही हेलीकॉप्टर की जांच क्यों? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल और अभिषेक बनर्जी ही क्यों, बल्कि आयोग को प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के हेलीकॉप्टर की भी जांच होनी चाहिए।

ईरान-इसराइल के बीच तनाव जारी

भास्कर की खबर है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इसराइल पर हमले से शुरू हुए तनाव ने पूरे मिडिल ईस्ट को अपनी चपेट में ले लिया है। ईरान में आरोप लगाया था कि इसराइल ने उसके सीरिया दूतावास पर हमला किया जिसमें दो प्रमुख सैन्य जनरलों के साथ 13 लोगों की मौत हुई थी। इसके जवाब में ईरान ने इसराइल पर 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलों से सीधा हमला किया। इस हमले को नाकाम करने के अभियान को इसराइल ने आयरन शील्ड का नाम दिया है। इस हमले के बाद दुनिया के दबाव के चलते फिलहाल इसराइल और ईरान ने युद्ध और न बढ़ने के संकेत दिए हैं लेकिन खबर है कि दोनों देशों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • चुनाव आयोग ने 4658 करोड़ की जब्ती की, ड्रग्स में गुजरात तो फ्रीबीज में राजस्थान आगे, कर्नाटक में 124 करोड़ की शराब ज़ब्त
  • पेपर लीक: 67वीं बीपीएससी में पास 20 अधिकारियों से ईओयू करेगी पूछताछ
  • भाजपा को औकात में ला देंगे लोकतंत्र के समर्थक: लालू
  • दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ी
  • ईरान-इसराइल तनाव के कारण निवेशकों के 5 लाख करोड़ डूबे
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज गया और पूर्णिया में जनसभा

अनछपी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने चुनावी भाषणों में जहां लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के परिवारवाद को निशाना बना रहे हैं वहीं वह मुस्लिम समुदाय से भी मुखातिब हो रहे हैं। नीतीश कुमार ने शेखपुरा की सभा में मुसलमानों से एनडीए के उम्मीदवार को वोट देने की अपील की और उन्होंने यह दावा किया कि एनडीए के शासनकाल में मुसलमानों की तरक्की हुई। उन्होंने कब्रिस्तानों की घेराबंदी की बात भी दोहराई। नीतीश कुमार को मुसलमानों से यह बातें क्यों कहनी पड़ रही हैं जबकि घेराबंदी तो मठ और मंदिरों की भी हो रही है? इसमें कोई दो राय नहीं के कब्रिस्तानों की घेराबंदी नीतीश कुमार के शासन की खास बात है और इसके कारण बड़े स्तर पर विवाद थमे हैं। लेकिन क्या यह बात नीतीश कुमार की समझ से बाहर है कि उन्हें मुसलमानों का वोट इस बार क्यों नहीं मिलने जा रहा? ऐसा नहीं है कि मुसलमानों ने कभी नीतीश कुमार को वोट नहीं दिया बल्कि नीतीश कुमार खुद यह बात मानते हैं कि उन्हें मुसलमानों ने वोट दिया और उनकी वजह से मुसलमानों ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को भी वोट दिया। मुसलमानों ने नीतीश कुमार को 2005 और 2010 में तब भी वोट दिया जब वह भारतीय जनता पार्टी के साथ थे और 2015 में तब भी वोट दिया जब वह राजद के साथ थे। लेकिन जब 2017 में नीतीश कुमार दोबारा भारतीय जनता पार्टी के साथ चले गए तो काफी हद तक मुसलमानों का उनसे मोह भंग हो गया। 2020 के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने तो उन्हें वोट नहीं ही दिया अधिकतर हिंदू वोटरों ने भी उनका साथ छोड़ दिया। यही कारण है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई। मुसलमानों के बीच नीतीश कुमार की व्यक्तिगत छवि अभी सेक्यूलर की है लेकिन इस बीच कई ऐसे मामले हुए जिसमें उनकी पार्टी ने मुसलमानों का साथ न देखकर भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे के अनुसार काम किया। उदाहरण के लिए नागरिकता संशोधन कानून सीएए का उनकी पार्टी जेडीयू ने समर्थन किया। ट्रिपल तलाक कानून के मामले में भी जदयू का रवैया भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे के अनुसार रहा। हालांकि नीतीश कुमार ने एनआरसी के बारे में कह रखा है कि यह बिहार में लागू नहीं होगा लेकिन उनके पलटने की आदत की वजह से उन पर भरोसे में कमी आई है। नीतीश कुमार को यह भी समझना होगा कि मुसलमानों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व और आर्थिक प्रगति की बड़ी चाहत है जिसे उनकी पार्टी और सरकार नहीं कर रही है। मुसलमान अब कब्रिस्तान की घेराबंदी से आगे बढ़कर अपनी दूसरी महत्वपूर्ण समस्याओं का हल चाहते हैं।

 

 

 

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