तालीमी मरकज के 3500 स्वयंसेवक क्यों बने बेरोजगार, टाइपिंग की गलती या अफसरों की बदमाशी?
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
बिहार में अल्पसंख्याकों की साक्षरता दर बढ़ाने के लिए स्थापित तालीमी मरकज टाइपिंग की गलती की वजह से दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं और बेरोजगार बने हैं। इस कारण करीब 3500 स्वयंसेवकों को उनके पद से हटा दिया गया है।
पिछले दिनों यह मामला बिहार विधान परिषद में प्रोफेसर गुलाम गौस ने उठाया था। उन्होंने पूछा कि एक प्रक्रिया के तहत तीन हजार से अधिक स्वयंसेवकों को बहाल किया था, अब उन्हें बेरोजगार क्यों बना दिया गया। इस सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चैधरी ने बताया कि अफसरों की गलती से ऐसा हुआ है। उर्दू अखबार इन्कलाब की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस मामले में बीस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है।
शिक्षामंत्री ने बताया कि जिस नियम के तहत उनकी बहाली की गयी थी थी उसमें दलित, महादलित और अल्पसंख्या अति पिछड़ा वर्ग का उल्लेख था। इसमें सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया था। यह गलती कुछ अफसरों की वजह से हुई थी। गाइडलाइन बनाने या टाइप करने या किसी अफसर की बदमाशी से सरकारी नियम नहीं बदल जाता।
शिक्षामंत्री ने बताया कि 2018 में भी जो गाइडलाइन जारी किया गया है उसमें दलित, महादलित और अकलियती तबका के सिर्फ अति पिछड़ा वर्ग का उल्लेख है। विभागीय गलती को मानते हुए हमें तीन हजार से अधिक स्वयंसेवकों को हटाना पड़ा।
विधान पार्षद गुलाम गौस ने शिक्षामंत्री से पूछा कि सरकार को इस गलती का एहसास सात साल बाद क्यों हुआ तो इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
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