छ्पी-अनछ्पी: “चुनावी फ़ंड के स्रोत जानने का लोगों को हक़ नहीं”, बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट की तैयारी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राजनीतिक दलों को कॉर्पोरेट घरानों से मिलने वाले चंदे के बारे में केंद्र सरकार ने साफ किया है कि चुनावी बॉन्ड के स्रोत को जानने का अधिकार आम लोगों को नहीं है। इस खबर को जागरण ने लीड की जगह दी है। असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए आयोजित होने वाले नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) की जगह  ‘बेट’ (बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट) आयोजित होगा। यह एक्सक्लूसिव खबर प्रभात खबर की लीड बनी है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: चुनावी फंड के स्रोत जानने का लोगों को हक नहीं। केंद्र सरकार ने चुनावी बांड के जरिए चंदा देने वालों का नाम सार्वजनिक नहीं करने का बचाव करते हुए कहा है कि नागरिकों को राजनीतिक फंडिंग का स्रोत जानने का अधिकार नहीं है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर संविधान पीठ में मंगलवार से शुरू हो रही सुनवाई से पूर्व सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील देते हुए कहा है कि राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड स्वच्छ जरिया है।

कांग्रेस ने उठाए सवाल

चुनावी बॉन्ड के स्रोत की जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार करने के सरकार के रुख पर कांग्रेस ने उसे आड़े हाथों लिया। कहा कि भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह कॉर्पोरेट घरानों से गुपचुप और षड्यंत्रकारी तरीके से चंदा इकट्ठा करेगी। चुनावी बॉन्ड से चंदा जुटाने के कानून का विपक्षी पार्टियों के साथ कई गैर राजनीतिक संगठन शुरू से विरोध कर रहे हैं।

बेट से बहाल होंगे असिस्टेंट प्रोफेसर

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: अब बिहार में नेट के साथ बेट से भी की जाएगी सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति। बिहार सरकार ‘नेट’ (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) की तरह ही राज्य के विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए बिहार राज्य योग्यता परीक्षा ‘बेट’ (बिहार एलिजिबिलिटी टेस्ट) कराएगी। राज्य के विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाने वाले विषयों के अलग-अलग सिलेबस तैयार किए जाएंगे। सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए यह व्यवस्था करने वाला बिहार पहला राज्य होगा।

मराठा आरक्षण के लिए बवाल

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: मराठा आरक्षण: दो एनसीपी विधायकों के घर फूंके, दो शिवसेना सांसदों के इस्तीफे। अख़बार लिखता है कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण हिंसक हो गया है। आंदोलनकारियों ने सोमवार को एनसीपी के दो विधायकों के घरों में आग लगा दी। सुबह करीब 11 बजे बीड जिले के माजलगांव से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंकी के बंगले में घुसकर पथराव किया और आग लगा दी। दोपहर बाद बीड में ही एनसीपी के एक और विधायक संदीप क्षीरसागर का घर जला दिया। प्रकाश सोलंकी अजीत पवार गुट के हैं, वहीं क्षीरसागर शरद पवार गुट के हैं। इस बीच शिवसेना के हिंगोली सांसद हेमंत पटेल और नासिक सांसद हेमंत गोडसे ने आरक्षण के समर्थन में इस्तीफा दे दिया है। दोनों एकनाथ शिंदे गुट के बताए जाते हैं।

दिल्ली-पटना विशेष वंदे भारत

यह हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है। दीपावली और छठ पर्व पर दूसरे राज्यों से अपने घर आने वालों के लिए थोड़ी राहत की खबर है। ट्रेनों में भारी भीड़ और टिकट की लंबी प्रतीक्षा सूची को देखते हुए रेलवे ने बिहार के लिए वंदे भारत स्पेशल और राजधानी स्पेशल समेत कई विशेष ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है। वंदे भारत स्पेशल और राजधानी स्पेशल का परिचालन पटना से नई दिल्ली के बीच किया जाएगा।

अब केजरीवाल को समन

आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामले में ईडी ने सोमवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया। सूत्रों ने बताया कि उन्हें पूछताछ के लिए दो नवंबर को बुलाया गया है। इसी मामले में जेल में बंद पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।

इसराइलियों को खोजती भीड़

हिन्दुस्तान की खबर है: रूस में इसराइलियों को खोजती भीड़ ने एयरपोर्ट पर हंगामा मचाया। रूस के दागिस्तान में रविवार को फलस्तीन के समर्थन में स्थानीय लोगों ने हवाई अड्डे पर हंगामा किया। तेल अवीव से यात्रियों के पहुंचने के विरोध में रनवे पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान भीड़ ने विमान को घेर लिया और यहूदी विरोधी नारे लगाए। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने मखछकला में स्थित हवाई अड्डे को बंद कर दिया। इस मामले में 60 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। मखछकला मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल क्षेत्र दागिस्तान की राजधानी है। दागिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि घटना में 20 से अधिक लोग घायल हो गए। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में भीड़ में शामिल लोग फलस्तीन के झंडे लहरा रहे थे।

‘इंडिया’ गठबंधन नाम पर बहस

प्रभात खबर की सुर्खी है: गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखने पर चुनाव आयोग ने कहा- हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। एनडीए के खिलाफ एकजुट हुए 26 दलों वाले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नाम को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से बड़ी राहत मिली। आयोग ने कहा कि हम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी भी गठबंधन को रेगुलेट नहीं कर सकते। सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि उसे जनप्रतिनिधि अधिनियम या संविधान के तहत रेगुलेटरी संस्था के रूप में मान्यता नहीं है।

अल्पसंख्यक उद्यमी योजना

मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक उद्यमी योजना के तहत राज्य के 1247 लाभुकों का औपबंधिक रूप से चयन हुआ। इस योजना के लिए 28 हजार 260 आवेदन प्राप्त हुए थे। सोमवार को उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो जमा खान सहित विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में कम्प्यूटरीकृत रैंडम तरीके से इन लाभुकों का चयन हुआ।

प्रोफसर फैजान वीसी पद की दौड़ में

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के कुलपति पद के लिए जिन पांच नामों का चयन किया गया है, उनमें पटना स्थित चाणक्य लॉ विवि के कुलपति प्रो फैजान मुस्तफा भी शामिल हैं। सोमवार को एग्जीक्यूटिव काउसिंल की बैठक में वाइस चांसलर पद के लिए पांच नामों का चयन किया गया। इन नामों को छह नवंबर को एएमयू कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद पांच में से तीन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति किसी एक नाम पर मुहर लगाकर वीसी का चयन करेंगी।

कुछ और सुर्खियां

  • सिंगूर विवाद में टाटा की बड़ी जीत, पश्चिम बंगाल सरकार को देने होंगे 766 करोड़
  • निबंधन विभाग ने 6 माह में कमाए 3749 करोड़, पटना ने दिए 633 करोड़
  • बिहार में संविदा पर बहाल किए जाएंगे खेल प्रशिक्षक, 23 नवंबर तक मांगे गए आवेदन
  • बीस साल का हो गया जदयू, मनाया गया स्थापना दिवस
  • सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष को एनसीपी की अयोग्यता याचिकाएं जल्द निपटाने को कहा

अनछ्पी: केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दिया जाना कि चुनावी फंड के स्रोत जानने का लोगों को हक नहीं साफ तौर पर चुनावी चंदे के गोरखधंधे का समर्थन है। यह बात सबको मालूम है कि कॉर्पोरेट घराने राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार यह नहीं चाहती कि लोगों को यह बात मालूम हो कि किस घराने ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है। सरकार की यह दलील इस बात का सबूत है कि दाल में कुछ काला है। बल्कि ऐसे ही हालात के लिए कहा जाता है की पूरी दाल ही काली है। भारतीय जनता पार्टी कहती है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन वह यह नहीं चाहती कि लोग उसके चंदा का स्रोत जानें। आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है? ध्यान रहे कि भारतीय जनता पार्टी पर देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों को नियम से परे होकर बढ़ावा देने और अनुचित लाभ देने का आरोप लगता रहा है। यह भी आरोप लगाया जाता है कि इसके बदले औद्योगिक घराने भारतीय जनता पार्टी को चंदा देते हैं। सुप्रीम कोर्ट में चंदे का स्रोत नहीं बताए जाने का हलफनामा देकर केंद्र सरकार ने इस शक को मजबूत किया है कि उसे ऐसे ही घरानों से चंदे मिलते हैं। इस बात की सबसे ज्यादा शिकायत करने वाली कांग्रेस पार्टी है। देखना है कि सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस पार्टी इस मामले को कैसे रखती है। इस मामले पर वैसे तो चुनाव आयोग को भी कोई स्पष्ट निर्णय लेना चाहिए लेकिन पहले इस चंदे को सार्वजनिक करने के पक्ष में होने के बाद उसका रवैया ढुलमुल हो गया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के हवाले है। लेकिन केंद्र सरकार चुनावी चंदे के मुद्दे को राजनीतिक और संसदीय मामलों का हिस्सा बताते हुए इसमें कोर्ट के हस्तक्षेप का भी विरोध कर रही है। सरकार के वकील का कहना है कि राजनीतिक दलों के योगदान का लोकतांत्रिक महत्व है। सवाल यह है कि एक तरफ लोकतांत्रिक महत्व की बात की जाती है तो दूसरी तरफ क्यों आम लोगों को ही जानकारी से वंचित किए जाने की दलील भी दी जाती है। लोकतांत्रिक मूल्यों का तकाजा यही है कि किस पार्टी को किस घराने से कितना चंदा मिला यह बात सबको बताई जाए ताकि आम लोग अपने लोकतांत्रिक निर्णय में उस सूचना का इस्तेमाल कर सकें।

 1,237 total views

Share Now

Leave a Reply