छपी-अनछपीः 10 लाख की जगह अब 20 लाख नौकरी-रोजगार, नये मंत्रियों की शपथ आज

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। आज बिहार में कोई अखबार नहीं छपा है क्योंकि 15 अगस्त को अखबारों में छुट्टी रहती है। वैसे, पत्रकारों को अब छुट्टी नहीं मिलती क्योंकि अखबारों का अपना डिजिटल एडिशन होता है और वहां तो इस बात की रेस होती है कि किसने कितने मिनट पहले कौन सी खास खबर दी। बिहार के हिन्दी अखबारों में साल में 10 दिन छुट्टी होती है। इसके अलावा सिर्फ उर्दू अखबारों में ईद-बकरईद-मुहर्रम पर बंदी होती है।
15 अगस्त को बिहार में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली खबर बताने से पहले इस पर चर्चा जरूरी है कि गुजरात में बिल्कीस बानो रेप केस के 11 मुजरिमों को वहां की सरकार ने उम्र कैद से 15 साल की जेल के बाद ही माफी दे दी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक कमेटी बनी थी और उसने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है। उस वक्त बिल्कीस गर्भवती थी और उसके परिवार के सात लोग मार दिये गये थे। एक तरफ रेप के मामले में देश भर में इतना गुस्सा दिखाया जाता है और दूसरी तरफ ऐसे माफी दी जाती है। गुजरात में जल्द ही चुनाव होने हैं, और ऐसे फैसले भी वोट हासिल करने के लिए इस्तेमाल किये जाएंगे, इस बात से इनकार करना मुश्किल है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को अपने भाषण में 20 लाख नौकरी और रोजगार के अवसर देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि हम साथ आ गये हैं और पहले 10 लाख नौकरी देने की बात थी, हम वह तो दंेगे ही, कोशिश रहेगी कि इसे 20 लाख करें।
बिहार में सरकारी गठबंधन बदलने के साथ ही नये मंत्रियों की चर्चा सबसे ज्यादा है। मंत्री कौन बनेंगे और किसे कौन सा विभाग मिलेगा, दोनों बातें आज शाम तक साफ हो जाएंगी। लगभग तीस मंत्री बनने की बात चल रही है। वैसे, चर्चा इस बात की भी है कि कांग्रेस से शकील अहमद खान की जगह आफाक आलम को मंत्री पद दिया जा सकता है। यह वही आफाक आलम हैं जिनकी शिकायत पर एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान को विधानसभा की अल्पसंख्यक समिति से हटा दिया गया था।
अनछपीः आज हम बिहार में हिन्दी अखबारों के बारे में थोड़ी सी जानकारी साझा करते हैं। बिहार में इस वक्त चार प्रमुख हिन्दी अखबार हैं। आम तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान और छत्तीस गढ़ को हिन्दी बोलने वाला राज्य माना जाता है हालांकि हिन्दी अखबारों के संस्करण बंगाल, पंजाब, जम्मू, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी हैं।
हिन्दुस्तान का मुख्यालय दिल्ली है और यह दो प्रमुख हिन्दी राज्यों मध्यप्रदेश और राजस्थान से नहीं छपता। बिहार में इसकी लगभग आठ लाख काॅपी हर दिन छपती है। यह सबसे अधिक संख्या मानी जाती है। दैनिक जागरण का हेडक्वार्टर कानपुर है। इसके अपने ऐलान के मुताबिक यह दुनिया का सबसे बड़ा अखबार है। बिहार में भी इसकी बिक्री दूसरे या तीसरे नंबर पर है। भास्कर का मुख्यालय भोपाल है। यह उत्तर प्रदेश को छोड़कर हर हिन्दी भाषी इलाके मंे छपता है। प्रभात खबर का मुख्यालय रांची है और यह अपने खास तेवर- अखबार नहीं, आन्दोलन के लिए जाना जाता था। अब चूंकि अखबारों के कारोबार का बड़ा हिस्सा सरकारी विज्ञापनों पर आधारित है तो कोई अखबार सरकार के खिलाफ नहीं हो सकता। इसी तरह आमदनी का दूसरा बड़ा जरिया काॅरापोरेट विज्ञापन है, तो वह उसके खिलाफ भी नहीं हो सकता। बीच-बीच में कुछ खबरें छप सकती हैं।
आज अखबारी कागज की कीमत और छपाई से लेकर डिलीवरी तक का खर्च इतना बढ़ा हुआ है कि एक अखबार की लागत 22-25 रुपये तक आती है। फिर भी अखबारों में वैसी सनसनी नहीं होती जो टीवी में देखने को मिलती है।

 

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