छपी-अनछपी: तमिलनाडु के बारे में अफवाहें फैलाने पर केस, गोवध करने वाले जाएंगे नरक: कोर्ट

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहारी मजदूरों के साथ तमिलनाडु में मारपीट के बारे में अफवाह फैलाने के आरोप में हिंदी अखबार के संपादक, एक पत्रकार और भाजपा नेता पर केस दर्ज किया गया है। इससे संबंधित खबरें सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी हैं। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के एक जज ने कहा है कि गोवध करने वाले नरक में जाएंगे जिसे अक्सर अखबारों ने जगह नहीं दी है।

जागरण की पहली सुर्खी है: तमिलनाडु में प्रवासी कामगारों पर हमलों की जांच को सीएम नीतीश ने भेजी टीम। हिन्दुस्तान में भी पहली खबर यही है: बिहार के अफसरों की टीम तमिलनाडु पहुंची। तमिलनाडु में बिहार के लोगों की स्थिति से अवगत होने के लिए यहां के चार वरीय अधिकारियों की टीम वहां पहुंच गई है। इसमें ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डी. बालामुरुगन, सीआईडी के आईजी पी. कन्नन, श्रम संसाधन विभाग के आयुक्त आलोक कुमार और एसटीएफ के एसपी संतोष कुमार शामिल हैं।

अधिकारियों की इस टीम ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव, डीजीपी के अलावा वहां के एडीजी (विधि-व्यवस्था), त्रिपुर के आयुक्त, कोयम्बटुर उत्तरी प्रक्षेत्र के आईजी समेत अन्य अधिकारियों से मुलाकात की और पूरी स्थिति के बारे में जानकारी ली। यह टीम वहां के प्रभावित इलाके त्रिपुर और कोयम्बटुर में रह रहे बिहार मूल के लोगों से भी मुलाकात करेगी और उनसे मौजूदा हालात से जुड़ी वास्तविक जानकारी लेगी।

अफवाह के खिलाफ केस

जागरण में पहले पेज पर लीड के साथ यह खबर है: हिंदी अखबार के संपादक, पत्रकार और भाजपा नेता पर मामला दर्ज। तमिलनाडु पुलिस ने शनिवार को कहा कि प्रवासी श्रमिकों पर हमलों का दावा करने वाले झूठी सूचना फैलाने के आरोप में एक हिंदी अखबार के संपादक और एक अन्य पत्रकार के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस महानिदेशक श्री शैलेंद्र बाबू के आदेश पर दोनों को गिरफ्तार करने के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है। इसके अलावा प्रशांत उमराव पर भी आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उमराव के वेरीफाईड टि्वटर हैंडल पर उनको उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रवक्ता कहा गया है।

देश की अखंडता के खिलाफ: स्टालिन

जागरण में एक और सुर्खी है: हमले की अफवाह फैला कर जो दहशत फैलाई जा रही है, वह देश के खिलाफ: स्टालिन।हिन्दुस्तान ने लिखा है; स्टालिन बोले, प्रवासियों के खिलाफ नहीं होने देंगे कोई भी अप्रिय घटना। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर बात की। बाद में इस संबंध में जारी अपने संदेश में कहा कि बड़े भाई समान नीतीश कुमार से बात की है। यह आश्वासन दिया कि जो भी प्रवासी मजदूर यहां के विकास के लिए काम कर रहे हैं, वे सभी उनके कामगार हैं और वे इन लोगों के प्रति कुछ भी गलत या दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं घटने देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं, वे देश की अखंडता के खिलाफ हैं। हम इसकी घोर निंदा करते हैं। इस तरह के फर्जी वीडियो पोस्ट करके दहशत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सिगरेट के धुएं से उठी अफवाह

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: सिगरेट के धुएं से उठे विवाद से अफवाहों का बना बवंडर। अखबार लिखता है: करीब डेढ़ माह पहले तमिलनाडु के त्रिपुर की एक चाय की दुकान में सिगरेट के धुएँ से उठे विवाद को अफवाहें इतना बड़ा बना देंगी किसी ने सोचा नहीं था। इसके बाद तमिलनाडु में बाहरी कामगारों की प्रताड़ना की ऐसी झूठी कहानियाँ निकली की लोगों का पलायन शुरू हो गया। इसके चलते देश के टेक्सटाइल निर्यात में 50% से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले त्रिपुर में 70% फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर पहुँच गई है। बिहार में यहाँ से चली हवाओं की प्रतिक्रिया है तो दूसरी और तमिलनाडु में स्थानीयता की उग्र पक्षधर तमिल कच्छी जैसी पार्टी इस विवाद से अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत बनाने में लग गयी है। नतीजा आज 70% उत्तर भारतीय मजदूर जा चूके हैं। 14 जनवरी को चाय की दुकान पर स्थानीय युवक उत्तर भारतीय पर सिगरेट का धुआं छोड़ रहे थे। विवाद हुआ तो उत्तर भारतीय जुटे और स्थानीय लोगों को दौड़ा दिया। स्थानीय लोगों ने विडिओ वायरल कर दिया। तमिल संगठनों ने बताया कि उत्तर भारतीय तमिलों को मार रहे हैं। ये तमिल गौरव का मुद्दा बन गया।

जेईई पेपर लीक

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: प्रश्नपत्र लीक मामले में 19 ठिकानों पर छापा,  25 लैपटॉप, 7 कंप्यूटर ज़ब्त। अखबार के अनुसार सीबीआई ने 2021 में हुई जेईई मेंस परीक्षा में कथित हेराफेरी के सिलसिले में शनिवार को दिल्ली व एनसीआर के सहित कई शहरों में 19 स्थानों पर छापेमारी की। एजेंसी ने दिल्ली के अलावा पुणे, जमशेदपुर, इंदौर और बेंगलुरु में तलाशी अभियान चलाया। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक 25 लैपटॉप, 7 कंप्यूटर और 30 पोस्ट डेटेड चेक के अलावा विभिन्न छात्रों की अंक तालिका सहित अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं।

गोवध पर कोर्ट

जागरण में एक छोटी सी खबर है: गोवध करने वाले जाते हैं नरक: हाई कोर्ट। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक आपराधिक मामले पर पारित आदेश में कहा कि गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने की जरूरत है। न्यायालय ने धार्मिक उक्तियों का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग गाय का वध करते हैं वे नर्क में जाते हैं और नर्क में उन्हें उतने सालों तक रहना पड़ता है जितने उनके शरीर में बाल होते हैं। न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ गोवध अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे को रद्द करने से इंकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने बाराबंकी निवासी मोहम्मद अब्दुल खालिक की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। न्यायालय ने आगे कहा कि देश में लगातार गोवध रोकने की मांग हो रही है लिहाजा गोवध रोकने के लिए केंद्र सरकार प्रभावी निर्णय ले। न्यायालय ने कहा कि हिंदू धर्म में गाय को पशुओं में सबसे पवित्र माना गया है। धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि गोवंश का वैदिक काल से लेकर मनुस्मृति, महाभारत व रामायण में वर्णित धार्मिक महत्व के साथ आर्थिक महत्व भी है।

कुछ और सुर्खियां

  • एनएच पर 10% तक बढ़ेगा टोल टैक्स
  • मतदान संवैधानिक अधिकार है, कानूनी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
  • चुनिंदा केंद्रीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का मौका
  • शहरी क्षेत्र में तीन व ग्रामीण में चार श्रेणियों में होगी जमीन की रजिस्ट्री
  • 1 अप्रैल से 44% गांव में 32% रजिस्ट्री महंगी
  • ऑस्ट्रेलिया में फिर एक हिंदू मंदिर को बनाया गया निशाना
  • आईजीआईएमएस: फिजियोथेरेपी विभाग के जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग वीडियो वायरल हुआ

अनछपी: तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले जैसे संवेदनशील मामले का इस्तेमाल राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए किया जा रहा है अब यह बात किसी से ढंकी-छिपी नहीं रही। अब तक मिली जानकारी से यह बात समझ में आती है कि तमिलनाडु में हिंदी बोलने वालों के खिलाफ किसी संगठित साजिश के तहत मारपीट नहीं हुई है। उदाहरण के लिए इससे पहले महाराष्ट्र में यह पता होता था कि उत्तर भारतीयों पर हमला करने में किस संगठन की आवाज और हथियार है। इस मामले का दूसरा पहलू यह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता बताने वाले एक शख्स ने फर्जी वीडियो जारी कर कई लोगों के मरने का दावा किया जिस पर अब पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। सोचने की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के तमिलनाडु के नेता भी कह रहे हैं कि बिहारियों या उत्तर भारतीयों पर हिंसा की कोई संगठित घटना नहीं हुई है।

इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इक्का-दुक्का घटनाएं हुई होंगी लेकिन इसे व्यापक पैमाने पर हिंसा बताना सही मालूम नहीं होता। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किस हिंदी अखबार के संपादक पर तमिलनाडु पुलिस ने केस दर्ज किया है लेकिन उस अखबार संपादक को भी अपनी खबरों में संतुलन बनाए रखना चाहिए था। ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी का एक खेमा यह चाह रहा कि तमिलनाडु और बिहार के बीच के रिश्ते को खराब कर दोनों जगह सरकार चलाने वाली पार्टियों के बीच किसी विपक्षी एकता को सफल होने नहीं दिया जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार से तमिलनाडु निवासी अफसरों को तमिलनाडु भेज कर उन सारी अफवाहों की पड़ताल की अच्छी कोशिश की है। घटना का सबक यह है कि सिर्फ वायरल वीडियो के आधार पर ना तो खबर बनाई जाए और ना ही राजनेता इस पर ध्यान दें।

 

 

 

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